मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है? Show मीठी वाणी बोलने से सुनने वाले के मन से क्रोध और घृणा की भावना सम्पात हो जाती हैं। इसके साथ ही हमारा अंतःकरण प्रसन्न होने लगता हैं प्रभावस्वरूप औरों को सुख और तन को शीतलता प्राप्त होती है। 1154 Views ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते? इसमें कोई संदेह नही कि ईश्वर हर प्राणी के भीतर ही नही, बल्कि हर कण में है। किन्तु हमारा मन अज्ञानता, अहंकार, विलासिताओं, इत्यादि में लिप्त है। हम उसे मंदिर, मस्जिदों, गिरजाघरों में ढूंढ़ते हैं जबकि वह सर्वव्यापी है। इस कारण हम ईश्वर को नहीं देख पाते हैं। 746 Views अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है? मनुष्य को परिष्कार और आत्मोन्नति के प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। निंदा करनेवाले के जरिये ही हमें अपने परिष्कार का अवसर मिलता है। अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमारी त्रुटियों को बता सके। वास्तव में निंदक हमारे सबसे अच्छे हितेषी होते हैं। उनके द्वारा बताए गए त्रुटियों को दूर करके हम अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं। 671 Views संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए। कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है। 'सोना' अज्ञानता का प्रतीक है और 'जागना' ज्ञान का प्रतीक है। जो लोग सांसारिक सुखों में खोए रहते हैं, जीवन के भौतिक सुखों में लिप्त रहते हैं वे सोए हुए हैं और जो सांसारिक सुखों को व्यर्थ समझते हैं, अपने को ईश्वर के प्रति समर्पित करते हैं वे ही जागते हैं। वे संसार की दुर्दशा को दूर करने के लिए चिंतित रहते हैं। 1316 Views दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। यहाँ दीपक का मतलब 'भक्तिरूपी ज्ञान' तथा अन्धकार का मतलब 'अज्ञानता' से है। जिस प्रकार दीपक के जलने पर अन्धकार नष्ट हो जाता है ठीक उसी प्रकार जब ज्ञान का प्रकाश हृदय में प्रज्ज्वलित होता है तब मन के सारे विकार अर्थात भ्रम, संशय का नाश हो जाता है। 949 Views मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और हमें शीतलता कैसे मिलती है?प्रश्न 1: मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है? उत्तर: जब हम मीठी वाणी में बोलते हैं तो इससे सुनने वाले को अच्छा लगता है और वह हमारी बात अच्छे तरीके से सुनता है। सुनने वाला हमारे बारे में अपनी अच्छी राय बनाता है जिसके कारण हम आत्मसंतोष का अनुभव कर सकते हैं।
मीठी वाणी बोलने से क्या लाभ होता है?मीठी वाणी बोलने से सुनने वाले के मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही हमारा अंतःकरण भी प्रसन्न जाता है। प्रभावस्वरूप औरों को सुख और तन को शीतलता प्राप्त होती है।
मीठी वाणी कैसे बोली जाती है?हमारी वाणी में मधुरता का जितना अधिक अंश होगा हम उतने ही दूसरों के प्रिय बन सकते हैं । हमारी बोली में माधुर्य के साथ – साथ शिष्टता भी होनी चाहिए । अगर हम मृदु वचन बोलेंगे तो इनका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर अच्छा पड़ेगा। मीठी वाणी जीवन के सौंदर्य को निखार देती है और व्यक्तित्व की अनेक कमियों को छिपा देती है ।
मीठी वाणी से क्या नष्ट होता है?मीठी वाणी मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट कर देती है। इसके साथ ही हमारा अंत:करण भी प्रसन्न हो जाता है। प्रभाव स्वरुप औरों को सुख और शीतलता प्राप्त होती है। मीठी वाणी के प्रभाव से मन में स्थित शत्रुता, कटुता व आपसी ईर्ष्या-द्वेष के भाव समाप्त हो जाते हैं।
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