मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

4 वर्ष पहले

आत्मा परमात्मा का ही एक अंश है। एक चैतन्य शक्त्ति है हमारे भीतर, जो उनकी जगह स्थिर है।ओर मन बड़ा चंचल है। मन विचारो का समूह है। मनुष्य का स्वभाव है विचार करना।वो मन और शरीर को ही सबकुछ है ऐसा समजता है। मन के कारण ही, वह विचारो के कारण ही हम अपने आपको नही पहचान पाते। हम एक आत्मा है यह भाव तब पैदा होता है जब हमे आत्मासाक्षत्कार होता है। एक उदाहरण से समजाने की कोशिश करता हु...जैसे सूर्य और चंद्र है, सूर्य को आत्मा समज लीजिये ओर चंद्र को मन समज लीजिये। जब सूर्योदय होता है तब आत्मा रूपी सूर्य प्रकाश के सानिध्य में चंद्र रूपी मन का अस्त हो जाता है। यानी चंद्र तो है लेकिन दिखेगा नही। क्यो?... क्योकि सूर्योदय के प्रकाश है। बस वैसे ही आत्मा जागृति से मन के सारे विचार समाप्त हो जाते है। मन का अस्त हो जाता है। ओर हमे अहेसास होता है कि हम एक चैतन्य है, एक आत्मा है।धन्यवाद।

मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

4 वर्ष पहले

आत्मा भाबुक होती है उसे किसी भी प्रकार के आनंद की जरुरत नहीं है ,और मन दुनिया में सबसे बलबान है इसको समझने में अच्छे अच्छे महारथी और ज्ञानी नाकाम है , मन आत्मा की 24 घंटे रखवाली करता है और आपकी इन्द्रियों से आनंद ले रहा है , आत्मा कभी किसी का बुरा नहीं चाहती , .................... बहुत कुछ कहने को है , जिश्को लिखने में समय लगेगा .

4 वर्ष पहले

आत्मा हमारे अंदर बसा चैतन्य है , और मन इन्द्रियोंके विशहय वासनका को दर्शाता है ओर बुद्धि मन और विश्हाय वासना और मन पर नियंत्रित करती है , मन का लक्ष परमात्मा न होक विषय सुख है तथा आत्मा का लक्ष पूर्ण आनद यानि परमात्मा है ....

  • मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

4 वर्ष पहले

मन हमको चालाकी,होशियारी,स्वार्थ,असत्य,हिंसा,अन्याय.... ये सब सिखाता हे ,लेकिन आत्मा हमें सिर्फ और सिर्फ वास्तविकता ,सत्य ,न्याय,ही सिखाता हे , आप कितनी भी चालाकी होशियारी करलो लेकिन हमको दिल में से एक पुकार जरूर मिलती हे की मेने ये चालाकी की हे ,लेकिन आपने जो वास्तविकता सत्य से कोई काम किया हो तो उसकी कोई आवाज ही दिल से नहीं आएँगी सिर्फ आनंद ही महसूस करेंगे ,जो काम करने से आनंद प्राप्त होता हे वो ही आत्मा हे और जो काम करने से अंदर ही अंदर पसतावा हो ता हे वो मन हे,

5 वर्ष पहले

मन कई बार मरता हैं या कभी - कभी मन को मरना भी पड़ता है जबकि आत्मा अजर - अमर है , परमात्मा मन में क्षणिक वास् करते है जबकि आत्मा उन्ही का अंश है . "राधे - राधे "

  • मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

5 वर्ष पहले

मन का काम विषयों का चिन्तन करना जबकी आत्मा एक उर्जा रुप है जो मन को संचालित करने के लिये शक्ती देती है। मन एक प्रोग्राम की तरह है जो हार्डवेयर रूपी मसिन में को संचालित करता है । उसमें ही सारे संसकार रहते है। जबक आत्मा में कोई संसकार नही होता है। वह विद्युत की तरह है जो शरीर रुपी यंत्र से जुण कर मन को गती देती है।

5 वर्ष पहले

मेरे विचार:शरीर को बनाने वाले तत्वजल ,अग्नि ,वायु ,प्रथ्वी ,आकाश .शरीर को चलाने वाले सत्व मन , विचार ,बुध्हि ,उर्जा ,आत्मा |मन में विचार आते है बुध्हि उसे छानती हैं जिससे उर्जा बनती है ,सकारात्मक उर्जा उन्नंती व् नकारात्मक उर्जा अवनति की और ले जाती है |प्रोफ.कृष्णाश अश्विनी अग्रवाल

6 वर्ष पहले

आत्मा जब शरीर धारण करती है तो उसे जीवात्मा कहते है , आत्मा अजर ,अमर अविनाशी है और शारीर पांच तवोंसे बना है आत्माके अंदर तिन शक्ति है 1. मन 2. बुद्धि 3. सस्कार 1. मन का काम है सोचना 2. बुद्धि का काम है निर्णय लेना और संस्कार अर्थात जो चीज हम बार बार करते है वह हमारे संस्कार बन जाते है अर्थात आदतें बन जाती है 

  • मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

6 वर्ष पहले

1. आत्मा टॉप है, 2.फिर मनन आता है, 3. फिर बुध्धि आती है, 4. फिर इंद्रिय आती हैं, 5. और फिर शरीर .

  • मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

6 वर्ष पहले

मनन जड़ है और आत्मा चेतन .

  • मन क्या है आत्मा क्या है - man kya hai aatma kya hai

6 वर्ष पहले

जो मेरी समझ में आता है - मन एकएसी स्थिति है जिसमे संसार और आत्मा दोनो की प्रेरणा मौजूद है और चुनावहमारी इन्द्रियां करती है जिसकी जो इंद्री प्रबल होगी वो वैसा चुनाव करेगा !!!आत्मा शाश्वत है उसका कोई गुनानहीं क्युकी वो भगवन का अंश है और अंश में भी वही गुना होता है तो जिसका वो अंश है !!!और विचारों की तरह ये भी एक विचार है आप खुद समझदार है !!!

6 वर्ष पहले

मन को अनात्मा कहते हैं जी .

6 वर्ष पहले

मन तो संसार में है किन्तु आत्मा परमात्मा का अंश है जो अंत में उसी में विलीन हो जाती है 

आत्मा और मन में क्या अंतर है?

मन चंचल है और आत्मा अमर है। मन बहुत चंचल होता है और हमे अच्छे बुरे चीज के बारे में सोचने समझने और काम करने में मदद करता है। आत्मा अमर है ऐसा सभी बोलते है और ये भी प्रत्येक जीव में रहता है। इसके बिना कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता है।

मन शरीर में कहाँ रहता है?

शरीर रचना की दृष्टि से मन शिर और तालु के मध्य स्थित होता है ।

मन बुद्धि और आत्मा क्या है?

मनबुद्धि जड़ सूक्ष्म शरीर गत अन्तःकरण के भाग हैँ। सूक्ष्म शरीर अन्तःकरण (मन , बुद्धि, चित्त(स्मृति), अहंकार), ५ ज्ञानेन्द्रियों, ५ कर्मेन्द्रियोँव ५ प्राणों से निर्मित होता है। आत्मा स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर व कारण शरीर की चेतना है। सभी आत्मा से ही चेतन हैँ।

आत्मा का रूप क्या है?

आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं- जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं।