राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर कौन व कब बनी? - raajasthaan kee pahalee mahila doktar kaun va kab banee?

राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर कौन व कब बनी? - raajasthaan kee pahalee mahila doktar kaun va kab banee?

आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती है। इस अवसर पर गूगल ने एक बेहद शानदार ढंग से उन्हें याद किया है। गूगल ने आनंदी गोपाल जोशी के ऊपर डूडल बनाया है। जिसमें वह साड़ी पहने और गले में स्टेथोस्कोप डाले हुए दिख रही हैं और हाथ में...

नेशनल डेस्क: आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती है। इस अवसर पर गूगल ने एक बेहद शानदार ढंग से उन्हें याद किया है। गूगल ने आनंदी गोपाल जोशी के ऊपर डूडल बनाया है। जिसमें वह साड़ी पहने और गले में स्टेथोस्कोप डाले हुए दिख रही हैं और हाथ में डिग्री नुमा कागज पकड़ रखा है। आनंदी गोपाल जोशी उस महिला का नाम है जिसने ऐसे दौर में रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़कर सफलता हासिल की जब महिलाओं का घर से बाहर कदम निकालना भी अपराध समान माना जाता था। जब उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला लिया तो उनकी आलोचना भी हुई थी।

राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर कौन व कब बनी? - raajasthaan kee pahalee mahila doktar kaun va kab banee?

डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी का जन्म एक मराठी परिवार में 31 मार्च, 1865 को कल्याण, ठाणे, महाराष्ट्र में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा। उनका परिवार एक रूढ़िवादी मराठी परिवार था, जो केवल संस्कृत पढ़ना जानता था। उनके पिता जमींदार थे। सिर्फ 9 साल की उम्र में उनकी शादी गोपालराव जोशी से हुई थी। लेकिन सामाजिक कुरीतियों और रुढ़िवादी सोच को तोड़कर उन्होंने ना सिर्फ भारत की पहली महिला डॉक्टर का दर्जा प्राप्त किया, बल्कि अमेरिका से डॉक्टर की डिग्री प्राप्त कर विदेश से पढ़ने वाली महिला भी बनी। 14 साल की उम्र में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसकी 10 दिनों में ही मौत हो गई। इस सदमें से आनंदीबाई जोशी से डॉक्टर बनने का निश्चय लिया और 1886 में डॉक्टर बनी। उनके इस उद्देश्य में उनके पति गोपालराव ने भी खूब साथ दिया।

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22 साल की उम्र में टीबी से हुई मौत
डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्‍वास्‍थ्‍य बिगढ़ने लगा और मात्र 22 वर्ष की अल्‍पायु में टीबी की वजह से उनकी मृत्‍यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्‍य से डॉक्‍टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाई, परन्तु उन्‍होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।
राजस्थान की पहली महिला डॉक्टर कौन व कब बनी? - raajasthaan kee pahalee mahila doktar kaun va kab banee?

आनंदी गोपाल जोशी की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 'भोर का तारा' शुक्र ग्रह के एक क्रेटर का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दरअसल शुक्र ग्रह के तीन क्रेटर्स का नाम भारत की प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर रखा गया है। इसमें से जोशी क्रेटर आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया है।

आसान नहीं था डॉक्टर बनना
महिलाओं को लेकर देश में अभी भी लोगों की सोच में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। आज से 100 साल की बात तो और अलग थी। जाहिर सी बात है कि आनंदी के डॉक्टर बनने की राह आसान नहीं रही हुई होगी। उनके अचानक फैसले से रिश्तेदार के साथ-साथ आस-पड़ोस के लोग भी विरोधी में खड़े हो गए। एक महिला का विदेश जाकर पढ़ाई करना लोगों को भला कब गवारा होता। लेकिन आनंदी इन चुनौतियों से घबराई नहीं और डटकर सामना किया। लोगों को डर था कि वह वहां जाकर हिंदू धर्म त्याग देंगी और क्रिस्चन बन जाएंगी। उन्होंने जो फैसला किया, उस पर अडिग रहीं। उन्होंने लोगों को समझाया और कहा, मैं केवल डॉक्टरी की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका जा रही हूं। मेरा इरादा न तो धर्म बदलने का है और न वहां नौकरी करने का। मेरा मकसद भारत में रह कर यहां के लोगों की सेवा करने का है, क्योंकि भारत में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है, जिसके अभाव में असमय ही बहुत-सी महिलाओं और बच्चों की मौत हो जाती है। आनंदी की इस बात से लोग काफी प्रभावित हुए। कुछ समय पहले तक जहां लोग उनके विदेश जाने को लेकर विरोध कर रहे थे, अब वही लोग हर तरह की मदद करने को तैयार थे।

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डॉक्टर आनंदी का सौभाग्य था कि उनको गोपाल राव के रूप में ऐसा पति मिला था जो काफी सहयोगी था। उन्होंने न सिर्फ आनंदी का हौसला बढ़ाया बल्कि कदम-कदम पर मदद भी की। साल 1883 में आनंदी गोपाल ने अमेरिका (पेनसिल्वेनिया) की जमीन पर कदम रखा। उस दौर में वे किसी भी विदेशी जमीन पर कदम रखने वाली पहली भारतीय हिंदू महिला थीं। न्यू जर्सी में रहने वाली थियोडिशिया ने उनका पढ़ाई के दौरान सहयोग किया। उन्नीस साल की उम्र में साल 1886 में आनंदीबाई ने एम.डी कर लिया। डिग्री लेने के बाद वह भारत लौट आई। जब उन्होंने यह डिग्री प्राप्त की, तब महारानी विक्टोरिया ने उन्हें बधाई-पत्र लिखा और भारत में उनका स्वागत एक नायिका की तरह किया गया।

डॉक्टर आनंदी 1886 के अंत में भारत लौट आईं और अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल, प्रिंसलि स्टेट ऑफ कोल्हापुर में एक महिला डॉक्टर के रूप में प्रभार संभाला। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ही वह टीबी की शिकार हो गई, जिससे 26 फरवरी, 1987 को मात्र 21 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके जीवन पर कैरोलिन विल्स ने साल 1888 में बायॉग्रफी भी लिखी। इस बायॉग्रफी को दूरदर्शन चैनल पर ‘आनंदी गोपाल’ नाम से हिंदी टीवी सीरियल का प्रसारण किया गया।
 

राजस्थान के प्रथम महिला डॉक्टर कौन थी?

आनंदीबाई जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत है। उन्‍होंने सन् 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया।

विश्व की पहली महिला डॉक्टर कौन है?

विश्व की प्रथम महिला डॉक्टर (World's first female doctor) का नाम एलिज़ाबेथ ब्लैकवेल (Elizabeth Blackwell) है। एलिज़ाबेथ ब्लैकवेल का जन्म वर्ष 3 फरबरी 1821 को इंग्लैंड में हुआ था एवं मृत्यु 31 मई 1910 को इंग्लैंड में हुई थी। इनके पास ब्रिटिश एवं अमेरिकी नागरिकता थी

राजस्थान की प्रथम महिला न्यायाधीश कौन है?

राजस्थान उच्च न्यायालय की स्थापना के तीन दशक बाद 1978 में पहली महिला न्यायाधीश के रूप में जस्टिस कांता भटनागर की नियुक्ति कि गयी थी ।

विश्व का पहला डॉक्टर कौन है?

जिस दौर में भारत में महिलाओं की शिक्षा भी किसी सपने से कम नहीं थी, उस दौर में विदेश जाकर डॉक्टर की डिग्री हासिल कर एक मिसाल कायम करने वाली महिला थी आनंदी गोपाल जोशी। जो डॉक्टर की डिग्री हासिल कर भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। आईए बताते हैं आनंदीबाई जोशी और उनके संघर्ष के बारे में।