These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 8 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. जटायु ने राम से कहा, “सीता को रावण उठा ले गया है। वह उसे दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर ले गया है।” प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary मारीच का वध करने के बाद आशंका से घिरे राम शीघ्रतापूर्वक कुटिया की ओर आ रहे थे। मार्ग में उनको लक्ष्मण आते दिखाई दिए। राम और अधिक आशंकित हो गए। राम ने लक्ष्मण का बायाँ हाथ जोर से पकड़ लिया। दोनों भाइयों को डर ने घेर लिया था। राम ने लक्ष्मण से कहा कि तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन क्यों किया? तो लक्ष्मण ने कहा कि सीता ने मुझे विवश कर दिया। मैं उनके कटाक्ष और उलाहने नहीं सुन सका। राम ने चलने की गति और बढ़ा दी। राम ने कुटिया के समीप जाकर सीता को पुकारा, परन्तु उधर से कोई उत्तर नहीं आया। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। वे सीते! सीते! पुकारते रहे। उन्होंने सीता को हर जगह देखा। विरह में वे गोदावरी के किनारे गए। राम ने एक-एक चट्टान, पत्थरों से, पेड़-पक्षियों से प्रश्न किया। राम की मानसिक स्थिति विक्षिप्तों जैसी हो गई। राम लक्ष्मण से अयोध्या जाने को कह रहे थे। लक्ष्मण ने उनको समझाते हुए कहा-आप आदर्श पुरुष हैं” आपको धैर्य रखना चाहिए। हम सीता की खोज करेंगे। सीता जहाँ भी होगी उसे ढूँढ़ निकालेंगे। वन में सीता की खोज करते हुए राम ने एक टूटा हुआ रथ, मरा हुआ सारथी व घोड़े देखे। वहाँ पड़ी पुष्पमाला भी वही थी जो सीता के गले में थी। वहीं से थोड़ी दूर पक्षिराज जटायु दिखाई दिए जो लहूलुहान थे। जटायु ने राम को बताया कि सीता को रावण उठाकर ले गया है और उसने ही मेरी यह दशा की है। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गया है। यह कहते ही जटायु ने प्राण त्याग दिए। जटायु ने सीता के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचना दे दी थी। वे दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर चल पड़े। रास्ते में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रास्ते में उनको कबंध नाम का राक्षस मिला जिसकी गर्दन गिरी हुई थी। राक्षस कबंध ने राम की शक्ति के बारे में सुन रखा था। कबंध ने राम से कहा कि वे उसका अंतिम संस्कार कर दें। कबंध ने राम से कहा-“आप दोनों पंपा सरोवर के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर जाएँ और सुग्रीव से मिलें। वह अवश्य सीता को खोज निकालेंगे। कबंध की साँस टूटने लगी थी। उसका अंत निकट था। राम-लक्ष्मण को अपने निकट बुलाते हुए उसने कहा-“पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आगे जाने से पूर्व शबरी से अवश्य मिल लेना।” यह कहते-कहते कबंध ने अपने प्राण त्याग दिए। राम ने कबंध का अंतिम संस्कार किया और पंपासर की ओर चल पड़े। कबंध की बातों से राम का बहुत ढाढ़स बढ़ा। राम को सुग्रीव की क्षमता और उनकी वानर सेना की शक्ति का पता था। वे जल्दी सुग्रीव तक पहुँचना चाहते थे। ऋष्यमूक पर्वत का रास्ता पंपा सरोवर होकर जाता था। पंपा सरोवर का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत था। मतंग ऋषि का आश्रम उसी सरोवर के किनारे था। शबरी की कुटिया आश्रम में ही थी। वह बहुत जर्जर शरीर वाली व अधिक आयु वाली थी। वह रोज राम की प्रतीक्षा किया करती थी, क्योंकि ऋषि ने बताया था कि राम एक दिन आश्रम में आयेंगे। राम को आश्रम में देखकर शबरी की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने राम की बहत आव-भगत की तथा खाने के लिए मीठे फल दिए। राम ने उससे सीता के संबंध में पूछा तो उसने कहा कि आप सुग्रीव से मित्रता कीजिए, वह आपकी सहायता अवश्य करेगा। अगले दिन राम ऋष्यमूक पर्वत चले गए। अब उनका मन शांत था। |