प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल से क्या तात्पर्य है? - pratyaavartee dhaara ke varg maadhy mool se kya taatpary hai?

Pratyavarti Dhara : प्रिय मित्रों आज हम आपको प्रत्यावर्ती धारा के बारे में विस्तार से बताएंगे। आज हमने इस लेख में प्रत्यावर्ती धारा क्या है, प्रत्यावर्ती धारा के प्रकार, प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता का शिखर मान, प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान, प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएं इत्यादी के बारे आपके लिए विस्तार से जानकारी दी है। हमारा यह लेख पढ़ने के बाद आपको Pratyavarti Dhara की पूर्ण जानकारी के बारे में पता लग जाएगा। 

हमारा यह लेख कक्षा 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Alternating Current In Hindi लिखा है।

Table of Contents

  • Pratyavarti Dhara Kya Hai
    • Pratyavarti Dhara Ka Varg Madhya Mul Man Hai
    • प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएं

Pratyavarti Dhara Kya Hai


प्रत्यावर्ती धारा :- वह धारा जिसका परिमाण तथा दिशा आवर्ती रूप से परिवर्तित होता है। प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है। एक निश्चित समयांतराल पश्चात एक धारा की दिशा विपरीत हो जाती है। 

प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल से क्या तात्पर्य है? - pratyaavartee dhaara ke varg maadhy mool se kya taatpary hai?

प्रत्यावर्ती धारा के प्रकार :- प्रत्यावर्ती धारा के निम्न तीन प्रकार होते हैं। 

  • वर्गाकार प्रत्यावर्ती धारा
  • त्रिभुजाकार प्रत्यावर्ती धारा
  • ज्यावक्रीय प्रत्यावर्ती धारा

ज्यावक्रीय धारा ही प्रत्यावर्ती धारा का मूल रूप है। भारत में घरेलू उपयोग के लिए प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50hz तथा अमेरिका में 60hz है। 

ज्यावक्रीय प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता को निम्न समीकरण से व्यक्त करते हैं। 

V = Vmsinωt …………..1

I = Imsin(ωt+ɸ) ………..2

प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता का शिखर मान :- प्रत्यावर्ती धारा के पूर्ण चक्कर में वोल्टता तथा धारा के अधिकतम मान को शिखर मान कहते हैं। 

eq.1 तथा eq.2  में वोल्टता तथा धारा के शिखर मान Vm तथा Im है। 

प्रत्यावर्ती धारा तथा वोल्टता का औसत मान :- प्रत्यावर्ती धारा व वोल्टता के एक पूर्ण चक्र में इसके माध्य मान औसत मान कहते हैं। 

एक पूर्ण चक्र के लिए धारा का औसत मान

Iav = 0∫TIdt/0∫Tdt

Iav = 0∫TImsin(ωt) dt/[t]T0

Iav = Im/T[-cosωt/ω]T0

Iav = -Im/T[cos2π/ω-cos 0/ω]

Iav = -Im/T[1/ω-1/ω]

Iav = 0

अतः Vav = 0

Pratyavarti Dhara Ka Varg Madhya Mul Man Hai


प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान :- प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में एक पूर्ण चक्र के लिए वोल्टता या धाराओं के वर्गों के माध्य का वर्गमूल मान वर्ग माध्य मूल मान कहलाता है।

वोल्टता के वर्ग माध्य मूल मान को Vrms तथा धारा के वर्ग माध्य मूल मान को Irms से व्यक्त करते हैं।

Irms = √(Iav2) = √(0∫TI2dt/0∫Tdt) 

अतः

Irms= √0∫T(I2msin2ωtdt/T) 

Irms = Im/√2 = 0.707Im

इसी प्रकार

Vrms = Vm/√2 = 0.707Vm

Note :- किसी भी प्रत्यावर्ती परिपथ या उपकरण में धारा या वोल्टता के व्यक्त किए गए मान इसके वर्ग माध्य मूल मान ही होते हैं।

भारत में घरेलू परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता का वर्ग माध्य मूल मान 220 वोल्ट है।

प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टता के वर्ग माध्य मूल मान को आभासी या प्रभावी मान भी कहते हैं।

दिष्ट धारा अमीटर या वोल्ट मीटर चुंबकीय प्रभाव पर आधारित होने के कारण यह धारा या वोल्टता का औसत मान मापते हैं। अतः इनके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टता का मापन संभव नहीं है। क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टता का औसत मान शून्य होता है।

प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएं


प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएं :- प्रत्यावर्ती धारा के निम्न विशेषताएं हैं।

  • प्रत्यावर्ती वोल्टता को ट्रांसफार्मर द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है। जिससे उच्च वोल्टता एवं निम्न धारा पर बहुत कम शक्ति व्यय से विद्युत संचरण किया जा सकता है।
  • प्रत्यावर्ती धारा को दिष्टकारी की सहायता से आसानी से दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • प्रत्यावर्ती धारा जनित्र एवं मोटर अधिक दृढ़ एवं परिचालन में अधिक सुविधाजनक होते हैं। तथा इनकी लागत दिष्ट धारा जनित्र मोटर से कम होती है।

प्रत्यावर्ती धारा के दोष :- प्रत्यावर्ती धारा के निम्न दोष है।

  • किसी मानकी प्रत्यावर्ती वोल्टता उस मान की दिष्ट वोल्टता की तुलना में अधिक खतरनाक होती है। क्योंकि प्रत्यावर्ती वोल्टता का शिखर मान शिखर मान इसके वर्ग माध्य मूल मान का √2 गुना होता है।
  • त्वचिक प्रभाव :- उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती किसी तार के संपूर्ण अनुप्रस्थ परीच्छेद से समान रूप से वितरित होते हुए प्रवाहित नहीं होती हैं । अतः जहां मोटे तार की आवश्यकता होती है वहां पतले तारों को मिला दिया जाता है।
  • प्रत्यावर्ती धारा का सीधा उपयोग विद्युत अपघटन इलेक्ट्रॉन प्लेटिंग में नहीं किया जा सकता है।
  • प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग विद्युत चुंबक बनाने में भी नहीं किया जा सकता है।

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प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान से क्या तात्पर्य है?

प्रत्यावर्ती धारा के एक पूरे चक्कर के लिए धारा के वर्ग के औसत मान के वर्गमूल को प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान कहते हैं। (root mean square value of alternating current in hindi) इसे irms द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

प्रत्यावर्ती धारा के वर्ग माध्य मूल मान तथा शिखर मान में क्या संबंध है?

प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान उसके वर्ग माध्य मूल मान का `(1)/(sqrt2)` या 0.707 गुना होता है।

माध्य मूल से क्या तात्पर्य है?

माध्य किसी चर के विभिन्न मूल्यों का साधारण अंकगणितीय औसत माध्य कहलाता है। गणित में वर्ग माध्य मूल (root mean square / RMS or rms), किसी चर राशि के परिमाण (magnitude) को व्यक्त करने का एक प्रकार का सांख्यिकीय तरीका है। ... यह उस स्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जब चर राशि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों मान ग्रहण कर रही हो।

वर्ग माध्य मूल वेग से आप क्या समझते हैं इसका समीकरण लिखिए?

Solution : वर्गमाध्य मूल वेग u या `u_(rms)` यदि `u_(1), u_(2), u_(3)"………"u_(n)` आदि गैस के अणुओ के वेग हो, तथा गैस के अणुओ की संख्या n हो तो <br> `u= sqrt((u_(1)^(2)+u_(2)^(2)+u_(3)^(2)+"………"u_(n)^(2))/(n))`.