परिमल क्या है लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं - parimal kya hai lekhak ko parimal ke din kyon yaad aate hain

‘परिमल’ क्या है? लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते हैं?

Solution

‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।

‘परिमल’ इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी ‘परिमल’ से जुड़े। वे लेखक एवं अन्य साहित्यकारों के हँसी-मजाक में शामिल होते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते और लेखकों की रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते थे।

परिमल क्या है लेखक को परिमल के दिन क्यों याद आते थे?

(ख) 'परिमल' एक साहित्यिक संस्था थी जिसका गठन लेखक, फ़ादर और उनके साथियों ने मिलकर किया था। लेखक को 'परिमल' के दिन इसलिए याद आते थे, क्योंकि उसमें सभी एक पारिवारिक रिश्ते कि तरह बँधे थे और उसमें जेष्ठ फ़ादर बुल्के ही थे, जो उस संस्था के सभी के साथ निर्लिप्त भाव से सम्मिलित होकर सबका पथ प्रदर्शन करते थे

परिमल से आप क्या समझते हैं?

'परिमल' इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है, जिसमें युवा और प्रसिद्ध साहित्य प्रेमी अपनी रचनाएँ और विचार एक-दूसरे के समक्ष रखते थे। लेखक को परिमल के दिन इसलिए याद आते हैं, क्योंकि फ़ादर भी 'परिमल' से जुड़े।

परिमल क्या है तथा इसकी शुरुआत कहाँ से हुई?

एक साहित्यिक संस्था है। इसकी शुरुआत इलाहाबाद से हुई। आरंभ में इलाहाबाद के साहित्यिक मित्र इसके सदस्य थे। वे आपस में हिन्दी कविता, कहानी, उपन्यास नाटक आदि पर साहित्यिक गोष्ठियाँ किया करते थे।

परिमल की गोष्ठियों में फ़ादर की क्या स्थिति थी लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे?

प्रश्न 3. 'परिमल' की गोष्ठियों में फ़ादर की क्या स्थिति थी ? लेखक तथा अन्य प्रतिभागियों के साथ उनके संबंध कैसे थे ? उत्तरः फ़ादर की स्मृति की विशेषता बताने के लिये पारिवारिक रिश्ते में सभी बंधे थे जिसमें फ़ादर बड़े थे