निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

ध्यान दें – हिंदी को सरल बनाने के उद्देश्य से भिन्न-भिन्न नासिक्य ध्वनियों (ङ, ञ, ण, न और म) की जगह बिंदु का प्रयोग किया जाए। संस्कृत में इनका वही रूप बना रहेगा।

संस्कृत में – अङ्क, चञ्चल, ठण्डक, चन्दन, कम्बल।

हिंदी में – अंक, चंचल, ठंडक, चंदन, कंबल।

अनुस्वार का प्रयोग कब न करें-
निम्नलिखित स्थितियों में अनुस्वार का प्रयोग नहीं करना चाहिए-

(i)

निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

(ii) यदि अनुस्वार के पश्चात् कोई पंचमाक्षर (ङ, ञ, ण, न, म) आता है, तो अनुस्वार का प्रयोग मूलरूप में किया जाता है। अनुस्वार का बिंदु रूप अस्वीकृत होता है; जैसे –

निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

सम्+हार = संहार
सम्+सार = संसार
सम्+चय = संचय
सम्+देह = संदेह
सम्+ चार = संचार
सम्+भावना = संभावना
सम्+कल्प = संकल्प
सम्+जीवनी = संजीवनी

अनुनासिक

निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

ध्यान दें- अनुनासिक की जगह अनुस्वार और अनुस्वार की जगह अनुनासिक के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है,जैसे –
हँस (हँसने की क्रिया)
हंस (एक पक्षी)।
निम्नलिखित में से कौन सा शब्द अनुनासिक नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun sa shabd anunaasik nahin hai?

हैं = ह + एँ
मैं = म् + एँ
में = म् + एँ
कहीं = क् + अ + ह् + ईं
गोंद = ग् + ओं + द् + अ
भौंकना = भ् + औं + क् + अ + न् + आ
पोंगल = प् + औं + ग् + अ + ल् + अ
जोंक = ज् + औं + क् + अ
शिरोरेखा के ऊपर मात्रा न होने पर इसे चंद्रबिंदु के रूप में ही लिखा जाता है; जैसे-आँगन, आँख, कुँआरा, चूंट आदि।

यह भी जानें-
अर्धचंद्राकार और अनुनासिक में अंतर-

हिंदी भाषा में अंग्रेज़ी के बहुत-से शब्द प्रयोग होते हैं। इनको बोलते समय इनकी ध्वनि ‘आ’ और ‘ओ’ के बीच की निकलती है। इसे दर्शाने के लिए अर्धचंद्राकार लगाया जाता है; जैसे-डॉक्टर, ऑफिस, कॉलेज आदि। इन शब्दों की ध्वनियाँ क्रमशः ‘डा और डो’, ‘आ और ओ’, ‘का और को’ के मध्य की हैं। इनके उच्चारण के समय मुँह आधा खुला रहता है। आगत भी कहा जाता है। ध्यान रहे कि अर्धचंद्राकार का प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के लिए होता है जबकि अनुनासिक हिंदी की ध्वनि है।

अनुस्वार बना है अनु+स्वर के जोड़ से, इसका यह अर्थ होता है कि स्वर के बाद आने वाला। अनुस्वार शब्दों के भाव भी कई बार बदल जाते हैं। इस ब्लॉग में आप Anuswar in Hindi, अनुस्वार क्या होता है, इसके नियम क्या हैं, अनुस्वार के उदाहरण के बारे में जानेंगे। 

This Blog Includes:
  1. अनुस्वार की परिभाषा
  2. अनुस्वार के उदाहरण
  3. अनुस्वार का प्रयोग
  4. अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम
  5. अनुस्वार के मुख्य नियम
  6. अनुस्वार और अनुनासिक का अंतर
  7. अनुस्वार और अनुनासिक उदाहरण
  8. विभिन्न लिपियों में अनुस्वार और उनके यूनिकोड
  9. अनुस्वार के अभ्यास प्रश्न
  10. वर्कशीट
  11. FAQs

अनुस्वार की परिभाषा

अनुस्वार का अर्थ होता है, स्वर के बाद आने वाला। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वर के बाद आने वाला व्यंजन अनुस्वार कहलाता है। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा के अनुसार अनुस्वार का प्रयोग चिन्ह बिंदु (. )के रूप में अलग-अलग जगह पर प्रयोग किया जाता है। बेहतर जानकारी के लिए नीचे दिए गए उदहारणों को देखें।

अनुस्वार के उदाहरण

Anuswar in Hindi के उदाहरण इस प्रकार हैं:

  • पंख
  • गंदा
  • तिरंगा
  • अंदर
  • मंत्र
  • बांग्ला
  • चंदन
  • लंबे
  • पंजाब
  • भंडारा
  • पलंग
  • अंडा
  • पंडित
  • संजय
  • संगीता
  • संतरा
  • संतोष
  • संदेश
  • अंगूर
  • मंगल
  • मंजन
  • फिरंगी
  • मनोरंजन
  • नारंगी
  • घंटी

अनुस्वार का प्रयोग

अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म ये पंचाक्षर कहलाए जाते हैं) के जगह पर किया जाता है।

  • गङ्गा = गंगा
  • चञ्चल = चंचल
  • डण्डा = डंडा
  • गन्दा = गंदा
  • कम्पन = कंपन

अब हम यह बात तो जान गए हैं कि अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर किया जाता है। 

  • परन्तु ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि प्रत्येक पंचाक्षर के स्थान पर (ं) अनुस्वार का प्रयोग एक समान है। 
  • ऐसे में हमें इस बात का कैसे पता चले कि कौन सा अनुस्वार (ं) किस पंचाक्षर का उच्चारण कर रहा है?

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अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम

अनुस्वार के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण जिस वर्ग का होगा अनुस्वार का चिह्न उसी वर्ग के पंचम-वर्ण का स्थान लगेगा और उसी की उच्चारण ध्वनि निकालता है।

इस नियम को अच्छे से समझने के लिए  हिंदी वर्णमाला के पाँच-वर्गों का ज्ञान होना बहुत ही अनिवार्य है-

‘क’ वर्गक, ख, ग, घ, ङ‘च’ वर्गच, छ, ज, झ, ञ‘ट’ वर्गट, ठ, ड, ढ़, ण‘त’ वर्गत, थ, द, ध, न‘प’ वर्गप, फ, ब, भ, म, य, र ,ल, व ,श,ह 

अब उदाहरण की सहायता लेकर  इस नियम को और अच्छे से समझेंगे –

  • गंगा = गङ्गा

इस जगह पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘क’ वर्ग का वर्ण ‘ग’ है।  अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ङ’ इसका यह अर्थ होता है कि ‘क’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

  • डंडा = डण्डा

इस जगह पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘ट’ वर्ग का वर्ण ‘ड’ है।  अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ण’ इसका यह अर्थ होता है कि ‘ट’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।

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अनुस्वार के मुख्य नियम

Anuswar in Hindi के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:

  1. अगर पंचम अक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ड आए तो पंचम अक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होता है।
  2. अगर पंचम वर्ग द्वितीय रूप में दोबारा आए तो पंचम में अनुज कुमार के रूप में परिवर्तित नहीं होता है।
  3. हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संयुक्त वर्ण दो जंगलों से मिलकर ही बनता है।
  4. अनुस्वार के बाद यदि य,  र,  ल , व,  श , से, से, ह हो तो अनुस्वार म के रूप में लिखा जाना चाहिए।

अनुस्वार और अनुनासिक का अंतर

अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है। जैसे – हंस (एक जल पक्षी), हँस (हँसने की क्रिया)।

पाठ्य-पुस्तक ‘स्पर्श-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द

• धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।
• दुःख का अधिकार- बाँट, अँधेर, माँ, फूँकना, आँखें।
• एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा- बाँधकर, पहुँच, ऊँचाई, टाँग, पाँच, दाँते, साँस।
• तुम कब जाओगे, अतिथि- धुआँ, चाँद, काँप, मँहगाई, जाऊँगा।
• वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन्- ढूँढने, ऊँचे, भाँति।
• कीचड़ का काव्य- रँगी, अँगूठा, बाँधकर।
• धर्म की आड़- मियाँ, अजाँ।
• शुक्रतारे के समान- जालियाँवाला, ऊँगली, ठूँस, गूँथ।

पाठ्य-पुस्तक ‘संचयन-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द

गिल्लू – काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते।
स्मृति- बूँदा-बाँदी, गाँव, आँगन, कँप-कँपी, बाँध, साँप, कुएँ, पाँच, फुँकार, फूँ-फूँ, दाँत।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी- झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर।

अनुस्वार और अनुनासिक उदाहरण

अनुस्वार शब्दअनुनासिक शब्दपसंद, गंदा, रौंदते, सींगो,अंतरंग, बैंजनी, आशंका,
बिंदु, खिंच, अंशों, बंद, बंधन , पतंग, संबंध, ज़िंदा,
नंगा, अंदाज़ा, संभ्रांत।संस्था, अत्यंत, क्रांति, संश्लेषण, चिंतन, ढंग मंडल, मंत्री, सौंप, संक्षिप्त, अंग्रेजी,फ़ेंक, संभावना, अंकित, , गेंद, सेंटर, संक्रमण, गुंजायमान, अंतिम,कैंप, अधिकांश, संपूर्ण, सुन्दर, रंगीन, तंबू, नींद, ठंडी, पुंज, हिमपिंड, अत्यंत, कुकिंग, सिलिंडर, चिंतित, कौंधा, शंकु, लंबी, आनंद, दिसंबर, प्रारंभ, भयंकर, सायंकाल, आशंका, डंडा, त्योंही, उपरांत, संकल्प, डेंग, इंद्रियों, कंप, खिंच, गुंजल्कगाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच , बाँधकर, पहुँच, ऊँचाई, टाँग, पाँच, दाँते, साँस, रँगी, अँगूठा, बाँधकर, बाँट, अँधेर, माँ, फूँकना, आँखें, झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले,  मियाँ, अजाँ, ऊँगली, ठूँस, गूँथ, काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते

विभिन्न लिपियों में अनुस्वार और उनके यूनिकोड

विभिन्न लिपियों में अनुस्वार और उनके यूनिकोड नीचे दिए गए हैं-

लिपिचिन्हउदाहरणयूनिकोडदेवनागरींकंU+0902 (2306)बंगालीংকংU+0982 (2434)गुजरातीંકંU+0A82 (2690)GurmukhiਂਕਂU+0A02 (2562)KannadaಂಕಂU+0C82 (3202)MalayalamംകംU+0D02 (3330)OriyaଂକଂU+0B02 (2818)SinhalaංකංU+0D82 (3458)TeluguంకంU+0C15 (3093)

अनुस्वार के अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए –
(i) मगल
(ii) बंधन
(iii) काचं
(iv) बँधन

उत्तर: (ii) बंधन

निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है –
(i) सगंति
(ii) अत्यंत
(iii) पडित
(iv) पजांब

उत्तर: (ii) अत्यंत

‘निमन्त्रण’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) निमन्त्रं
(ii) निमँत्रण
(iii) निमंत्रण
(iv) निंमन्त्रं

उत्तर: (iii) निमंत्रण

निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए –
(i) आतंक
(ii) आंतंक
(iii) आतक
(iv) आँतक

उत्तर: (i) आतंक

 ‘असम्भव’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) अंसभव
(ii) असँभव
(iii) असम्भंव
(iv) असंभव

उत्तर: (iv) असंभव

 निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए –
(i) पडित
(ii) मत्र
(iii) पतंग
(iv) शख

उत्तर: (iii) पतंग

 निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है –
(i) सुगँधित
(ii) गध
(iii) सुंगध
(iv) सुगंधित

उत्तर: (iv) सुगंधित

 ‘पण्डित’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) पंडित
(ii) पडित
(iii) पंडिंत
(iv) पंडिण्त

उत्तर: (i) पंडित

निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए –
(i) पतग
(ii) हलंत
(iii) हरिनद
(iv) नाँद

उत्तर: (iii) हरिनद

 ‘कुण्डली’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) कुँडली
(ii) कुंडली
(iii) कुडंली
(iv) कुंडंली

उत्तर: (ii) कुंडली

 निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए –
(i) कितु
(ii) परतु
(iii) तंबू
(iv) चदु

उत्तर: (iii) तंबू

 निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है –
(i) नालँदा
(ii) मनोरंजन
(iii)  अतर
(iv) सक्षिप्त

उत्तर: (ii) मनोरंजन

 ‘मनोरञ्जक’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) दगल
(ii) कपन
(iii) पकज
(iv) मनोरंजक

उत्तर: (iv) मनोरंजक

 निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए –
(i) पजाब
(ii) हिमांचल
(iii) अरुणांचलं
(iv) उत्तरांचल

उत्तर: (iv) उत्तरांचल

 ‘सङ्गम’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) सगंम
(ii) सँगम
(iii) संगम
(iv) सगम

उत्तर: (iii) संगम

 निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए –
(i) सांस
(ii) ठंडा
(iii) कहां
(iv) ऊंट

उत्तर: (ii) ठंडा

 निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है –
(i) गांव
(ii) चांदनी
(iii) दिनांक
(iv) आंसू

उत्तर: (iii) दिनांक

 ‘मञ्च’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) मंच
(ii) मँच
(iii) मन्च
(iv) मचं

उत्तर: (i) मंच

 निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए –
(i) निताँत
(ii) हिंसा
(iii) भाँति
(iv) सँस्कार

उत्तर:(ii) हिंसा

 ‘पङ्कज’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) पंकज
(ii) पँकज
(iii) पकज
(iv) पकंज

उत्तर:(i) पंकज

निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँट कर लिखिए –
(i) शब्द
(ii) मुंबई
(iii) अकं
(iv) प्रारभ

उत्तर:(ii) मुंबई

 निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए –
(i) मत्रं
(ii) दिनाक
(iii) श्रृंगार
(iv) प्रसन

उत्तर:(iii) श्रृंगार

 निम्नलिखित शब्दों में से उस शब्द को चुनिए, जिसमें अनुस्वार का प्रयोग होता है –
(i) वाद्य यत्रं
(ii) श्रृगार
(iii) वाद्य यंत्र
(iv) सपन्न

उत्तर: (iii) वाद्य यंत्र

 ‘घण्टी’ में उचित स्थान पर अनुस्वार लगाकर मानक रूप लिखिए –
(i) घटी
(ii) घंटी
(iii) घन्टी
(iv) घँटी

उत्तर: (ii) घंटी

वर्कशीट

Source : Liveworksheet.com

FAQs

हिंदी में अनुस्वार शब्द में कहाँ प्रयोग किया जाता है?

हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। … यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे- वाड्. मय, अन्य, चिन्मय, उन्मुख आदि शब्द वांमय, अंय, चिंमय, उंमुख के रूप में नहीं लिखे जाते हैं।

अनुस्वार शब्द कौन कौन से होते हैं?

अनुस्वार का प्रयोग

गङ्गा = गंगा
चञ्चल = चंचल
डण्डा = डंडा
गन्दा = गंदा
कम्पन = कंपन

कौन सी ध्वनियां अनुस्वार में परिवर्तित होती है?

सामान्यतया ‘म्’ व्यञ्जन वर्ण से पहले अनुस्वार (‘) में परिवर्तित होता है। 1. विसर्ग (:)– इसका उच्चारण किञ्चित् ‘ह’ के सदृश किया जाता है; इसका भी प्रयोग स्वर के बाद ही होता है।

अनुस्वार और अनुनासिक में क्या अंतर है?

अनुस्वार वे व्यंजन होते हैं, जो स्वर के बाद आते हैं। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। अनुस्सवार पंचम वर्ण अर्थात ङ्, ञ़्, ण्, न्, म् के जगह पर प्रयुक्त किये जाते हैं। अनुनासिक वे स्वर होते हैं, जो जिनमें मुँह से अधिक और नाक से कम ध्वनि निकलती है।

प्रश्न 5: अनुस्वार की संख्या कितनी है?

उत्तर: अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।

अनुस्वार किसे कहते हैं?

अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।

अनुस्वार और अनुनासिक वाले शब्द?

अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है। जैसे – हंस (एक जल पक्षी), हँस (हँसने की क्रिया)। धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।

अनुस्वार किसे कहते हैं उदाहरण सहित बताइए?

हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। … यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे- वाड्. मय, अन्य, चिन्मय, उन्मुख आदि शब्द वांमय, अंय, चिन्मय, उन्मुख के रूप में नहीं लिखे जाते हैं।

उम्मीद है, Anuswar in Hindi ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। यदि आप इसी तरह के आकर्षक ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu की साइट पर बनें रहें।

अनुनासिक शब्द कौन कौन से हैं?

अनुनासिक स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में मुख के साथ-साथ नासिका (नाक) की भी सहायता लेनी पड़ती है,अर्थात् जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है वे अनुनासिक कहलाते हैं। हँसना, आँख, ऊँट, मैं, हैं, सरसों, परसों आदि में चन्द्रबिन्दु या केवल बिन्दु आया है वह अनुनासिक है।

अनुनासिक का चिन्ह क्या होता है?

इन स्वरों पर चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग होता है जो की शिरोरेखा के ऊपर लगता है। जैसे अनुनासिक की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, उन्हें अनुनासिक कहते हैं और इन स्वरों को लिखते समय उन पर चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है।

अनुनासिक ध्वनि युक्त शब्द कौन सा है?

अनुनासिक के लिए केवल बिन्दु का प्रयोग इस हेतु एक नियम है, जब किसी शब्द में मात्रा शिरोरेखा के ऊपर लगी हो जैसे- (इ, ई, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ) और वहाँ अनुनासिक का प्रयोग होता हो तो केवल बिन्दु (ं) लगाई जाती है चन्द्र (ऑ) का प्रयोग नहीं किया जाता है। ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।

अनुस्वार किसका गुण है?

Explanation: जिस प्रकार अनुनासिक की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, वे अनुनासिक कहलाते हैं और इन्हीं स्वरों को लिखते समय इनके ऊपर अनुनासिक के चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है। यह ध्वनि (अनुनासिक) वास्तव में स्वरों का गुण होती है।