उत्तर :भूमिका:
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18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आर्थिक व तकनीकी क्षेत्र में हुए व्यापक परिवर्तनों के कारण घरेलू उत्पादन प्रणाली का स्थान कारखाना उत्पादन प्रणाली ने ले लिया। इन परिवर्तनों से आधुनिक व्यापार प्रणाली का विकास हुआ व उत्पादन और व्यापार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, जिसे औद्योगिक क्रांति की संज्ञा दी जाती है। विषय-वस्तु
अनुकूल राजनीतिक वातावरण एवं व्यापार नीतियों से संबंधित कारण अन्य देशों में भी उपलब्ध थे परंतु इंग्लैंड में ही औद्योगिक क्रांति होने का मुख्य कारण वहाँ पर तकनीकों व नवीन व्यापार प्रणालियों को मध्यम वर्ग द्वारा आत्मसात् करना था जिसमें सरकार की भूमिका भी सहायक रही, वहीं प्राँस जैसे देशों में सरकारी नियंत्रण ने औद्योगिक क्रांति की सफलता को बाधित किया। इसके साथ ही उपनिवेशों के बाजारों पर ब्रिटिश एकाधिकार से व्यापार सुरक्षा कारणों एवं अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों और परिवहन व्यवस्था ने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति को सफल बनाने में योगदान दिया। विषय-वस्तु के दूसरे भाग में औद्योगीकरण के दौरान वहाँ के लोगों की जीवन गुणवत्ता की भारत में वर्तमान के जीवन गुणवत्ता से तुलना करेंगे- औद्योगीकरण के दौरान उत्पादन में वृद्धि होने के साथ-साथ शहरीकरण और जनसंख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई जिससे एक तरफ तो संपन्न पूंजीपति वर्ग का विकास हुआ, जिनकी जीवन गुणवत्ता उच्च थी, वहीं दूसरी तरफ शहरों में मजदूरों के साथ बेरोजगारों की संख्या में भी वृद्धि हुई। जिन मजदूरों को रोजगार मिला, उनका जीवन-स्तर बहुत ही निम्न था। उन्हें बहुत ही खराब परिस्थितियों में छोटे-छोटे मकानों और गंदगीयुक्त वातावरण में रहना पड़ता था। कारखानों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति भी काफी दयनीय थी। वर्तमान में जीवन गुणवत्ता के संदर्भ में औद्योगिक क्रांति की भारत से तुलना करें तो कुछ स्थितियों में समानता दिखलाई पड़ती है, वहीं कुछ स्थितियों में असमानता। वर्तमान में औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण में वृद्धि होने से ग्रमाीण जनसंख्या का प्रवास शहरों की तरफ होने से मलिन बस्तियों का निर्माण हुआ है। यहाँ के लोगों का जीवन स्तर अत्यधिक निम्न है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, अपराध इत्यादि दशाएँ इंग्लैंड के औद्योगिक क्रांति के समय की तरह ही प्रतीत होती है लेकिन कुछ स्तरों पर विभिन्नता भी दिखाई देती है। आज लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, उनके काम करने के घंटे तय हैं, उनको श्रम से संबंधित बुनियादी सुविधाओं केा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कानूनी उपबंध द्वारा नियोक्ता को दी गई है। बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया गया है एवं श्रम के मानकों को भी विभिन्न संवैधानिक या वैधानिक उपबंधों के माध्यम से निश्चित किया गया है। निष्कर्ष
उपरोक्त कारकों के प्रावधानों के तहत औद्योगिक क्रांति की तुलना में वर्तमान भारत के औद्योगीकरण में लोगों की जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जो औद्योगिक क्रांति के समय ब्रिटेन के लोगों के लिये उपलब्ध नहीं था। औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यऔद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, भारत और विश्व पर प्रभाव और परिणाम:औद्योगिक क्रांति किसे कहते है? ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुए प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस तरह विश्व में एक नए युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे 'औद्योगिक क्रान्ति' की संज्ञा दी। इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी। कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया। इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था। कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नए नए नगर बसने लगे। गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे। अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। अधिकाधिक वस्तुओं के उत्पादन के कारण उत्पादित वस्तुओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने के लिए यातायात के नए और तेज गति वाले साधनों का विकास हुआ। इस औद्योगिक क्रान्ति का प्रभाव व्यापक था और सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप दूरगामी परिवर्तन हुए। 19वी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:
औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए प्रमुख आविष्कार एवं महत्वपूर्ण तथ्य:-
औद्योगिक क्रांति के प्रभाव: औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई। श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ। आर्थिक परिणाम:
सामाजिक परिणाम:
प्रश्नोत्तर (FAQs):𝒬. किस देश में औद्योगिक क्रांति पहले शुरू हुई थी? 𝒬. भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक संहत किस क्षेत्र के इर्द-गिर्द स्थित है? 𝒬. इग्लैंड में औद्योगिक क्रांति ने संक्रमण के चरमोत्कर्ष को निरूपित किया- 𝒜. सामंतवाद से पूंजीवाद की ओर 𝒬. पहली औद्योगिक क्रान्ति किस देश में हुई थी? 𝒬. भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक संहत किस क्षेत्र के इर्द-गिर्द स्थित है? RELATED POSTS LATEST POSTS POPULAR POSTS 🙏 If you liked it, share with friends. इंग्लैंड ने पहले औद्योगिकीकरण क्यों किया?अनुकूल जलवायु, कोयला तथा लोहे की उपलब्धता तथा आंतरिक भागो तक पहुंच हेतु नदियों की उपलब्धता आदि कुछ ऐसे कारण थे जिन्होंने इंग्लॅण्ड में औद्योगिक क्रांति को जनम दिया। इंग्लैंड में 18 वीं शताब्दी के पश्चात् लोहे तथा कोयला के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई जिसने औद्योगिक क्रांति की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इंग्लैंड में औद्योगिकरण की शुरुआत कब हुई?औद्योगिक क्रांति शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा।
इंग्लैंड में सबसे पहले कौन सी औद्योगिक क्रांति हुई?1750औद्योगिक क्रांति / शुरू होने की तारीखnull
यूरोप में सबसे पहले औद्योगीकरण कहाँ शुरू हुआ था?पहला : सूती उद्योग और कपास उद्योग ब्रिटेन के सबसे फलते-फूलते उद्योग थे। तेज़ी से बढ़ता हुआ कपास उद्योग 1840 के दशक तक औद्योगीकरण के पहले चरण में सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था। इसके बाद लोहा और स्टील उद्योग आगे निकल गए। 1840 के दशक से इंग्लैंड में और 1860 के दशक से उसके उपनिवेशों में रेलवे का विस्तार होने लगा था।
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