मौर्य इतिहास के स्त्रोतमौर्य साम्राज्य की नींव ने भारत के इतिहास में एक नए युग का प्रारम्भ किया | पहली बार भारत ने राजनीतिक समानता को प्राप्त किया | इसके अलावा, इस युग से इतिहास लिखना अब और भी ज्यादा आसान हो गया क्यूंकि अब घटना क्रम व स्त्रोत बिलकुल सटीक थे | स्वदेशी और विदेशी स्त्रोतों के अलावा, इस युग का इतिहास लिखने के लिए कई शिलालेखों के दस्तावेज़ भी उपलबद्ध हैं | समकालीन साहित्य और पुरातात्विक खोज इसकी जानकारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं | Show
मौर्य इतिहास के बारे में दो प्रकार के स्त्रोत उपलब्ध हैं | एक साहित्यक है और दूसरा पुरातात्विक है | साहित्यक स्त्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखा दत्ता का मुद्रा राक्षस, मेगास्थेनेस की इंडिका, बौद्ध साहित्य और पुराण हैं | पुरातात्विक स्त्रोतों में अशोक के शिलालेख और अभिलेख और वस्तुओं के अवशेष जैसे चांदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के शामिल हैं | 1. साहित्यक स्त्रोत : a) कौटिल्य -अर्थशास्त्र यह पुस्तक कौटिल्य (चाणक्य का दूसरा नाम ) के द्वारा राजनीति और शासन के बारे में लिखी गई है | यह पुस्तक मौर्य काल के आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के बारे में बताती है | कौटिल्य, चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्य वंश के संस्थापक, का प्रधानमंत्री था | b) मुद्रा राक्षस यह पुस्तक गुप्ता काल में विशाखा दत्ता द्वारा लिखी गई| यह पुस्तक बताती है कि किस तरह चन्द्रगुप्त मौर्य ने सामाजिक आर्थिक स्थिति पर रोशनी डालने के अतिरिक्त, चाणक्य की मदद से नन्द वंश को पराजित किया था | c) इंडिका इंडिका, मेगास्थेनेस द्वारा रची गई जोकि चंद्र गुप्त मौर्य की सभा में सेलेकूस निकेटर का दूत था |यह मौर्य साम्राज्य के प्रशासन, 7 जाति प्रणाली और भारत में ग़ुलामी का ना होना दर्शाती है | यद्यपि इसकी मूल प्रति खो चुकी है, यह पारंपरिक यूनानी लेखकों जैसे प्लुटार्च, स्ट्राबो और अर्रियन के लेखों में उदहारणों के रूप में सहेजे हुए हैं | d) बौद्ध साहित्य बौद्ध साहित्य जैसे जातक मौर्य काल के सामाजिक- आर्थिक स्थिति के बारे में बताता है जबकि बौद्ध वृतांत महावमसा और दीपवांसा अशोक के बौद्ध धर्म को श्रीलंका तक फैलाने की भूमिका के बारे में बताते हैं | दिव्यवदं, तिब्बत बौद्ध लेख अशोक के बौद्ध धर्म का प्रचार करने के योगदान के बारे में जानकारी देते हैं | e) पुराण पुराण मौर्य राजाओं और घट्नाक्रमों की सूचि के बारे में बताते हैं | पुरातात्विक स्त्रोत अशोक के अभिलेख अशोक के अभिलेख, भारत के विभिन्न उप महाद्वीपों में शिलालेख, स्तंभ लेख और गुफ़ा शिलालेख के रूप में पाये जाते हैं | इन अभिलेखों की व्याखाया जेम्स प्रिंकेप ने 1837 AD में किया था | ज्यादातर अभिलेखों में अशोक की जनता को घोषणाएँ हैं जबकि कुछ में अशोक के बौद्ध धर्म को अपनाने के बारे में बताया गया है | वस्तु अवशेष वस्तु अवशेष जैसे NBPW ( उत्तत काल के पोलिश के बर्तन) चाँदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के मौर्य काल पर रोशनी डालते हैं | अशोक के अभिलेखों और उसकी जगह के बारे में एक छोटा विवरण नीचे दिया गया है :
अशोक के 14 शिलालेख और उसके विषय वस्तु राजाज्ञा 1 : पशु बाली पर प्रतिबंध खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर मौर्यकालीन इतिहास को जानने के मुख्य स्रोत क्या है?अशोक के शिलालेख मौर्य काल के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं। वे उसके साम्राज्य, उसकी धार्मिक नीति, प्रशासन और उसके चरित्र के विस्तार के बारे में ज्ञान प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। 'महावंश', 'दिपमरास', 'दिब्यवदन' बौद्ध ग्रंथ मौर्य काल के संबंध में बहुत सी जानकारी प्रदान करते हैं।
चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल की जानकारी के स्रोत कौन है?सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य (ल. 322 – 298 ई. पू.) चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म वंश के सम्बन्ध में जानकारी ब्राह्मण धर्मग्रंथों, बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में मिलती है।
मौर्य इतिहास जानने के लिए साहित्यिक स्रोत क्या है?साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाख दत्त का मुद्रा राक्षस, मेगस्थनीज का इंडिका, बौद्ध साहित्य और पुराण शामिल हैं। यह कौटिल्य द्वारा राजनीति और शासन पर लिखी गई पुस्तक है। वह मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री थे। यह मौर्य काल की आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों को बताता है।
मौर्य का भारतीय इतिहास में क्या योगदान है?चंद्रगुप्त मौर्य-
उन्होंने लगभग 322 ईसा पूर्व से मगध पर शासन करना प्रारंभ किया। उन्होंने 298 ईसा पूर्व तक शासन किया। उनके शासनकाल में उनके राजनीतिक गुरु चाणक्य का विशेष प्रभाव रहा। चाणक्य तक्षशिला में निवास करने वाले एक ब्राह्मण थे।
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