मन की बात सुनने के लिए मोबाइल नंबर - man kee baat sunane ke lie mobail nambar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के लिए लोगों से सुझाव मांगा है. मोदी के पिछले साल दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका यह 15वां 'मन की बात' कार्यक्रम होगा. ओवरऑल यह 68वां 'मन की बात' कार्यक्रम है. मन की बात कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी लोगों के साथ संवाद करते हैं.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा, 'आपको क्या लगता है कि इस बार मन की बात में किन मुद्दों पर संवाद किया जाए, मन की बात का प्रसारण 30 अगस्त होगा. आप अपना मैसेज 1800-11-7800 पर भेज सकते हैं या फिर नमो ऐप या MyGoV ऐप पर लिख सकते हैं. मुझे आपके सुझाव और विचार का इंतजार रहेगा.'

What do you think should be discussed during this month’s #MannKiBaat, which will take place on the 30th?

Record your message by dialing 1800-11-7800.

You can also write on the NaMo App or MyGov.

Looking forward to your ideas and inputs. https://t.co/wRagYSoaq0

— Narendra Modi (@narendramodi) August 18, 2020

इससे पहले 26 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान करगिल विजय दिवस पर देश के सैनिकों की बहादुरी को याद किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने के लिए दुस्साहस किया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ऐसे स्वभाव के लोग जो हित करता है उसका भी नुकसान ही पहुंचाते हैं. इसलिए भारत की मित्रता की जवाब में पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश की थी. लेकिन इसके बाद भारत ने जो पराक्रम दिखाया वो पूरी दुनिया ने देखा.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में देशवासियों के संयम की सराहना की थी. पीएम ने कहा था कि मास्क पहनने में कई बार परेशानी होती है. जब हमें बोलना होता है तो हम मास्क हटा लेते हैं, लेकिन मास्क हटाने से पहले डॉक्टरों और नर्सों को याद करें जो घंटों तक मास्क पहने रहते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने बहुचर्चित 'मन की बात' कार्यक्रम मोबाइल पर सुनने के लिए एक नंबर दिया था। इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक, उस नंबर पर मिस्ड-कॉल की बाढ़ आ गई है। रविवार को ही देश भर से उस नंबर 4 लाख से अधिक मिस्ड कॉल आए।

प्रधानमंत्री ने रविवार को बताया था कि अब 8190881908 मिस कॉल दे कर 'मन की बात' कार्यक्रम को सुना जा सकता है। उन्होंने कहा कि था कि मिस्ड कॉल देकर उनका संबोधन कभी भी सुना जा सकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रविवार देर शाम तक 4 लाख से अधिक मिस्ड कॉल आए, 25 हजार मिस्ड कॉल नंबर की घोषणा किए जाने घंटे भर के भीतर आ गए। सूत्रों का कहना है कि मन की बात की कार्यक्रम सुनने के लिए मोबाइल नंबर दिए जाने का मकसद कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना है। अगर कोई कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं सुन पाया तो वह मिस्ड कॉल देकर प्रसारण सुन सकता है।

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इस फोन नंबर के जरिए कभी भी सुनिए मोदी के 'मन की बात'

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक बार फिर ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। यदि आप किन्हीं वजहों से व्यस्त होने चलते प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम को नहीं सुन पाए हैं, तो अब सीधे चार अंकों का शॉर्ट कोड 1922 डायल कर पीएम के मन की बात सुन सकते हैं। इस नंबर पर कॉल कर आप जब चाहें, जह

मन की बात सुनने के लिए मोबाइल नंबर - man kee baat sunane ke lie mobail nambar
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Published - Monday, 23 May, 2016

Last Modified:
Monday, 23 May, 2016

मन की बात सुनने के लिए मोबाइल नंबर - man kee baat sunane ke lie mobail nambar

समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक बार फिर ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। यदि आप किन्हीं वजहों से व्यस्त होने चलते प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम को नहीं सुन पाए हैं, तो अब सीधे चार अंकों का शॉर्ट कोड 1922 डायल कर पीएम के मन की बात सुन सकते हैं। इस नंबर पर कॉल कर आप जब चाहें, जहां चाहें मन की बात सुन सकते हैं। हालांकि यह निशुल्क सेवा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम का प्रसारण रेडियो पर किया जाता है। इससे पहले इसे सुनने के लिए 10 अंकों का नंबर +918190881908 जारी किया गया था, जिसे याद रखना काफी मुश्किल था। 3 और 4 अंकों के शॉर्ट कोड के चलन को देखते हुए दूरसंचार मंत्रालय ने बीएसएनएल व अन्य सभी प्राइवेट ऑपरेटर्स को 1922 शॉर्ट कोड तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद इस नंबर को शुरू कर दिया गया है। इस नंबर पर कॉल करने पर कम्प्यूटर आपको कॉल करने के धन्यवाद कहेगा इसके बाद आपका फोन कट जाएगा। इसके बाद आपको इसी नंबर से एक कॉल आएगा और हिंदी या अंग्रेजी में आप कार्यक्रम को मुफ्त में सुन पाएंगे, कभी भी-कहीं भी।   समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं। समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।


DTH सर्विस प्रोवाइडर्स का ऑडिट कराएगा सूचना प्रसारण मंत्रालय, CAG को लिखा लेटर

डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर्स ने पिछले कुछ वर्षों में सबस्क्राइबर्स की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए मई में लाइसेंस शुल्क माफी की मांग की थी।

Last Modified:
Thursday, 27 October, 2022

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रेवेन्यू की गणना में विसंगतियों के संदेह पर केंद्र सरकार ने डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सर्विस प्रोवाइडर्स के ऑडिट की मांग की है। इस बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने भारत के ‘नियंत्रक और महालेखा परीक्षक’ (CAG) से संपर्क कर ऑडिट करने का अनुरोध किया है।

यह भी पढ़ें: DTH कंपनियों ने MIB को लिखा पत्र, की ये मांग

बताया जाता है कि डीटीएच ऑपरेटर्स ने पिछले कुछ वर्षों में सबस्क्राइबर्स की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए मई में लाइसेंस शुल्क माफी की मांग की थी। उन्होंने केंद्र सरकार से उन पर लगाए गए आठ प्रतिशत लाइसेंस शुल्क को माफ करने का अनुरोध किया था। इसके साथ ही दूरसंचार विभाग को भी इस तरह का एक पत्र लिखा गया था।

इसके बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कैग से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए डीटीएच प्रोवाइडर्स का ऑडिट करने की गुजारिश की है। मंत्रालय ने कैग से फर्मों के सबस्क्राइबर्स के ब्योरे और लाइसेंस शुल्क की बकाया राशि का आकलन करने का अनुरोध किया है।

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इस बड़ी वजह से SONY और ZEE ने तीन हिंदी चैनल्स को बेचने का लिया फैसला

दोनों नेटवर्क्स ने ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा है, जिसने विलय के सौदे को कुछ संशोधनों के साथ चार अक्टूबर को अपनी मंजूरी दे दी है।

Last Modified:
Thursday, 27 October, 2022

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प्रस्तावित विलय से पहले ‘जी’ (ZEE) और ‘सोनी’ (SONY) ने तीन हिंदी चैनलों- ‘बिग मैजिक‘, ‘जी एक्शन‘ और ‘जी क्लासिक‘ को बेचने का फैसला किया है, ताकि बाजार संबंधी उन चिंताओं को दूर किया जा सके, जो दोनों नेटवर्क्स के बीच इस सौदे में बाधा डाल सकती हैं।

दोनों नेटवर्क्स ने ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा है, जिसने विलय के सौदे को कुछ संशोधनों के साथ चार अक्टूबर को अपनी मंजूरी दे दी है। इस सौदे के अनुमोदन के तीन सप्ताह से अधिक समय बाद ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ ने अपना 58 पेज का आदेश जारी किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाजार संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए नेटवर्क्स ने अपने जनरल एंटरटेनमेंट चैनल ‘बिग मैजिक’ के साथ फिल्मी चैनल्स ‘जी एक्शन’ और ‘जी क्लासिक’ को बेचने पर सहमति जताई है। इन रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ का मानना है कि इस विलय से बाजार में प्रतिस्पर्धा पर विपरीत असर पड़ सकता है, इसके बाद स्वैच्छिक रूप से यह निर्णय लिया गया है।

दरअसल, बाजार में सभी प्लेयर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के तहत एक निश्चित सीमा से अधिक नेटवर्क सौदों के लिए ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ की मंजूरी लेना अनिवार्य है। लगभग पांच महीने के लंबे इंतजार के बाद ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ ने आखिरकार चार अक्टूबर 2022 को कुछ संशोधनों के साथ ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ और ‘कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट’ (Sony) के बीच विलय के सौदे को अपनी मंजूरी दी थी।

कथित तौर पर दोनों कंपनियों ने उन जॉनर में कुछ चैनलों को बंद करने की पेशकश की थी, जहां वे प्रमुख स्थिति में हैं। दरअसल, कुछ बाजारों में विलय की गई इकाई के वर्चस्व पर ‘सीसीआई’ की चिंताओं को दूर करने के लिए ‘जी-सोनी’ द्वारा एक उपाय के रूप में इस तरह की पेशकश की गई थी।

‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ की ओर से चार अक्टूबर को किए गए एक ट्वीट में कहा गया था, ‘आयोग ने कुछ संशोधनों के साथ जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जी) और बांग्ला एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (बीईपीएल) के कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (सीएमई) के साथ विलय को मंजूरी दे दी है।’

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केरल के राज्यपाल कार्यालय ने इस तरह की खबरों का किया खंडन

केरल के राज्यपाल कार्यालय की ओर से कहा जा रहा है कि उसने किसी भी चैनल को राज्यपाल के संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने से नहीं रोका।

Last Modified:
Wednesday, 26 October, 2022

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केरल के राज्यपाल कार्यालय ने मंगलवार को मीडिया में चल रहीं ऐसी खबरों का खंडन किया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि राज्यपाल कार्यालय ने सोमवार को राज्यपाल का संवाददाता सम्मेलन कवर करने आए चार टेलीविजन चैनलों के राजभवन में प्रवेश करने पर रोक लगा दी। बता दें कि मीडिया में खबर आने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयू डब्डल्यूजे) ने इसका विरोध करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।

हालांकि इसके बाद अब केरल के राज्यपाल कार्यालय से स्पष्टीकरण सामने आया है। कार्यालय की ओर से कहा जा रहा है कि उसने किसी भी चैनल को संवाददाता सम्मेलन में हिस्सा लेने से नहीं रोका।

राज्यपाल कार्यालय ने ट्वीट कर कहा कि 24 अक्टूबर को इंटरव्यू के लिए अनुरोध करने वाले मीडियाकर्मियों को समय की कमी के कारण एक ही समय पर आमंत्रित किया गया था। यह संवाद था, जिसे कुछ लोगों ने ‘संवाददाता सम्मेलन’ समझने की गलती की।

#KeralaRajBhavan had not "barred any channel from Press Meet" as some reports allege.Mediapersons who requested for interview on 24 Oct were invited at a common time, due to paucity of time. This interaction was misunderstood by some as "Press conference":PRO, KeralaRajBhavan

— Kerala Governor (@KeralaGovernor) October 25, 2022

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के संवाददाता सम्मेलन के तुरंत बाद कुछ पत्रकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके पास पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने यह कहकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि वह पत्रकार बनकर आए पार्टी कार्यकर्ताओं के सवालों का जवाब नहीं देंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में एक कार्यक्रम के बाद मीडियाकर्मियों से कहा, 'मैं सिर्फ यही कह सकता हूं, जो मुझसे बात करना चाहते हैं, कृपया, वे राजभवन को एक अनुरोध भेज दें। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मैं आपसे बात करूं, लेकिन मुझे नहीं पता कि आप में से कौन वास्तविक पत्रकार है और कौन मीडियाकर्मी के वेष में पार्टी कैडर। मैं कैडर से बात नहीं करना चाहता।'

इसके बाद प्रेस से संवाद को कुछ चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया, लेकिन कैराली, रिपोर्टर, मीडिया वन और जयहिंद सहित कुछ चैनल को इस संवाद को कथित तौर पर कवर करने की अनुमति नहीं दी गई। मीडिया घरानों ने दावा किया कि उन्होंने ई-मेल के जरिये अनुमति मांगी थी, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया।

कांग्रेस ने कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन राज्यपाल के लिए मीडिया के एक धड़े को अनुमति नहीं देना उचित नहीं है।

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MIB की राज्य सरकारों व मंत्रालयों को एडवाइजरी, कहा- प्रसारण गतिविधियां करें बंद

केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी कर कहा कि वे अपने स्तर पर चलाई जा रही प्रसारण गतिविधियों को बंद करें। 

Last Modified:
Sunday, 23 October, 2022

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केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें हिदायत दी है कि वे अपने स्तर पर चलाई जा रही प्रसारण गतिविधियों को बंद करें।  यह एडवाइजरी सूचना-प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी की गई है, जिसमें अपनी सामग्री प्रसारित करने वालों को प्रसार भारती का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा प्रसारकों को प्रसारण सामग्री वितरित करने वाली संस्थाओं से खुद को अलग करने के लिए अगले साल 31 दिसंबर 2023 तक का समय दिया गया है।

इस नई एडवाइजरी से तमिलनाडु सरकार द्वारा शुरू किए गए शैक्षिक चैनल ‘कालवी टीवी’ और आंध्र प्रदेश सरकार के ‘आईपीटीवी’ के प्रभावित होने की संभावना है, यह प्रसारण डीटीएच प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

केंद्र सरकार ने एडवाइजारी जारी करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार केवल केंद्र सरकार ही ऐसे विषयों पर कानून बना सकती है। इसके अलावा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने भी कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त उद्यम को प्रसारण के व्यवसाय में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 

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खबरों के लिए देश में किस माध्यम पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं लोग, सामने आई ये रिपोर्ट

‘सेंटर फॉर स्टडी डेवलपमेंट सोसाइटीज’ ने ‘Konrad Adenauer Stiftung’ के साथ मिलकर देश के 19 राज्यों में किया सर्वे। इस सर्वे में ट्रेडिनशन और न्यू मीडिया दोनों पर फोकस किया गया था।

Last Modified:
Friday, 21 October, 2022

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देश में भले ही न्यूज का प्रमुख और पसंदीदा स्रोत टेलिविजन है, लेकिन बात यदि विश्वसनीयता की हो तो मीडिया उपभोक्ताओं के बीच अखबार सूचना का सबसे भरोसेमंद सोर्स बने हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘सेंटर फॉर स्टडी डेवलपमेंट सोसाइटीज’ (CSDS) के लोकनीति कार्यक्रम के तहत कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है। गुरुवार को इस सर्वे के नतीजे जारी किए गए हैं। ‘Konrad Adenauer Stiftung’ (KAS) के साथ मिलकर 'Media in India: Access, Practices, Concerns and Effects' नाम से किए गए इस सर्वे में ट्रेडिनशन और न्यू मीडिया दोनों पर फोकस किया गया था।

19 राज्यों- आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 15 साल और उससे ऊपर की उम्र के 7463 लोगों को इस सर्वे में शामिल किया गया।    

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के नागरिकों के बीच कराए गए सर्वे में यह भी सामने आया कि पिछले तीन वर्षों में देश में स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ा है। इसके साथ ही मोबाइल पर इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। सर्वे के अनुसार, इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले प्रत्येक 10 यूजर्स में से नौ यूजर्स सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। एक्टिव इंटरनेट यूजर्स यानी इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले सक्रिय उपभोक्ताओं में से तीन चौथाई सर्च इंजन का इस्तेमाल करते हैं। दस में से सात ऐसे यूजर्स न्यूज और करेंट अफेयर्स वेबसाइट्स को ब्राउस करते हैं। वहीं, दो तिहाई लोग ई-मेल का इस्तेमाल करते हैं, हालांकि वे नियमित रूप से ऐसा नहीं करते हैं।   

रोचक तथ्य यह है कि अधिकांश इंटरनेट यूजर्स का कहना था कि सरकारी सेवाओं की तुलना में इंटरनेट पर अपने व्यक्तिगत डेटा और गतिविधियों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए वे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (Internet Service Providers) पर अधिक भरोसा करते हैं।

इस सर्वे के अनुसार, करीब 46 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर्स का कहना था कि सरकार को यह तय नहीं करना चाहिए कि सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट किया जाए और क्या नहीं। 36 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स ने कानून और व्यवस्था के आधार पर सरकार द्वारा इंटरनेट सेवा बंद किए जाने का विरोध किया, जबकि 37 प्रतिशत ने सरकार की ओर से की जाने वाली इस तरह की कार्रवाइयों का समर्थन किया।

सर्वे में यह भी बताया गया है कि 45 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर्स इस बात से असहमत हैं कि लोग सरकार के बारे में कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं, चाहे वह आपत्तिजनक ही क्यों न हो। सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों का कहना था कि यूजर्स द्वारा सोशल मीडिया अथवा वॉट्सऐप पर आपत्तिजनक अथवा भड़काऊ पोस्ट करना गलत है। हालांकि, 35 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, वहीं 40 प्रतिशत सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।

सर्वे के अनुसार, 49 प्रतिशत लोगों का मानना था कि सरकार यह निगरानी करती है कि लोग इंटरनेट पर क्या करते हैं। 17 प्रतिशत इस बात से असहमत थे, जबकि अन्य ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।

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NBT के रिपोर्टर ने मजदूर बन तलाशा सच, रेलवे प्रशासन की टूटी 'नींद'

‘नवभारत गोल्ड’ के एक स्टिंग ऑपरेशन की चारों तरफ चर्चा है।

Last Modified:
Thursday, 20 October, 2022

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‘नवभारत गोल्ड’ के एक स्टिंग ऑपरेशन की चारों तरफ चर्चा है। दरअसल, ट्रेनों के एसी कोच में गंदी चादरों की सप्लाई के मामले को लेकर यह स्टिंग ऑपरेशन किया गया। चर्चा पत्रकार अभिषेक गौतम के इस सफलतापूर्वक काम को लेकर भी हो रही है, जिस तरह से उन्होंने 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में 6 रात मजदूरी करते हुए इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया और सफेद चादरों पर पड़े भ्रष्टाचार के धब्बों के पर्याप्त सबूत जुटाए।

अभिषेक बताते हैं कि  अक्टूबर के पहले और दूसरे हफ्ते में छह रातों तक रोजाना 12 घंटे मैं भी लाउंडरेड्स कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के साथ जुटा रहा, ताकि रेलवे के एसी कोच में गंदी चादरों की सप्लाई का सच सामने लाया जा सके। अभिषेक बताते हैं कि इस स्टिंग ऑपरेशन की जरूरत तब महसूस हुई, जब सितंबर में राजधानी और दिल्ली-लखनऊ एसी स्पेशल समेत कई ट्रेनों के यात्रियों ने गंदी चादरों के बारे में ट्विटर पर लगातार शिकायतें कीं।  

उन्होंने बताया कि लॉन्ड्री के अंदर पान-गुटखा और सिगरेट पीना मना है, लेकिन यहां काम करने वाले मजदूर चोरी छिपे अंदर गुटखा और तंबाकू ले जाते है। वे सीसीटीवी कैमरों से छिपाकर गुटखा और तंबाकू खाते हैं और पास पड़ी हुई चादर पर थूकते हैं। कुछ मजदूर चादर से नाक पोछते और और लंच के समय उस पर सोते भी हैं। इन चादरों को भी बाद में प्रेस करके पैक कर दिया जाता है। लॉन्ड्री के अंदर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन उनमें से कितने कैमरे रात में बंद रहते हैं और कितने चलते हैं, यह बता पाना मुश्किल है।

अभिषेक बताते हैं कि  3, 4, 5, 6, 8 और 10 अक्टूबर को काम किया। वहां काम करने वालों से बातचीत में पता चला कि ट्रेन से गंदी चादरों के बंडल सीधे वहां लाए जाते हैं। जो बहुत गंदी चादरें होती हैं, उनकी मशीन से धुलाई कर उन्हें प्रेस किया जाता है। बाकियों को बिना धुले प्रेस कर देते हैं। रोज रात में करीब 6 ट्रक माल वहां से भेजा जाता है। कर्मचारियों का कहना था कि दिन में भी इतना ही माल भेजा जाता होगा। उनके मुताबिक, एक चादर की धुलाई की कीमत 7 रुपए है और एक ट्रक में करीब 3 लाख रुपए का माल होता है। रात में करीब 3-4 ट्रक वहां से दिल्ली भेजे जाते हैं।

नवभारत के स्टिंग के बाद रेलवे के जिम्मेदार अफसरों की नींद अब टूटने लगी है। नवभारत के मुताबिक, रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि स्टिंग से मिली जानकारियों की तस्दीक करने के लिए उनकी टीम नोएडा की लाउंडरेड्स कंपनी में गई। उन्हें वहां लगे सीसीटीवी कैमरे खराब मिले। इसका जिक्र स्टिंग वाली रिपोर्ट में भी किया गया था। इस बारे में  नवभारत ने रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार से भी बात की। उन्होंने बताया कि कि इस मामले में एक जांच कमिटी बनाई गई है, उसकी रिपोर्ट के आने के बाद ही वह कुछ कहेंगे।

यहां पढ़िए उनके स्टिंग ऑपरेशन की पूरी कहानी-

बड़ा खुलासा: ट्रेनों के एसी कोच में क्यों मिलती हैं गंदी चादरें?

वहीं, अभिषेक गौतम के काम की तारीफ करते हुए ‘नवभारत टाइम्स’ के दिल्ली के रेजिडेंट एडिटर सुधीर मिश्रा लिखते हैं, ‘रेलवे के ठेके लेने वाली विशालकाय लॉन्ड्री में छह दिन तक पैंतालिस डिग्री में जिस्म तपा कर सच निकालने वाले अभिषेक गौतम की देश भर में चर्चा हो रही है। खासतौर पर मीडिया हाउसेज में। सोशल मीडिया पर देश के बड़े बड़े संपादकों, अफसरों, नेताओं, पत्रकारों और आम लोगों ने नवभारत गोल्ड के स्टिंग ऑपरेशन को साझा किया और सराहना की। इससे यह समझ आना चाहिए कि जब लोग मीडिया और पत्रकारों के बारे में तरह-तरह की नकारात्मक उपमाओं, अपशब्दों और आलोचनाओं से हमलावर होते हैं तो यह उनकी पत्रकारिता से नाराजगी नहीं होती। यह उनकी विवशता और गुस्सा है क्योंकि उन्हें अपने टीवी चैनलों और दूसरे मीडिया माध्यमों से वह नहीं मिलता, जिसकी उन्हें जरूरत है। हर तरह की खबर पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं को चाहिए होती है, लेकिन सबसे ज्यादा उसकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हुई।

बता दें कि पत्रकार अभिषेक गौतम नवभारत टाइम्स के लिए दिल्ली में क्राइम बीट देखते हैं। उन्होंने एनसीआर और लखनऊ में स्वास्थ्य व नगर निगम की बीट पर काम किया है। उन्होंने भिखारियों की जिंदगी पर एक स्टिंग किया था, जिसमें वह खुद भिखारी बनकर एक हफ्ते तक लखनऊ की सड़कों पर घूमे थे। इस स्टोरी के लिए उन्हें साल 2018 के कर्पूर चंद्र कुलिश इंटरनेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म से सम्मानित भी किया गया था।

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SC का निर्देश, कॉरपोरेट धोखाधड़ी मामले की छानबीन कर रहे पत्रकार को दें सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश स्थित गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को पत्रकार पत्रकार जसकरण सिंह चावला को पर्याप्त एवं प्रभावी सुरक्षा देने का निर्देश दिया है

Last Modified:
Thursday, 20 October, 2022

मन की बात सुनने के लिए मोबाइल नंबर - man kee baat sunane ke lie mobail nambar

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश स्थित गौतमबुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को पत्रकार पत्रकार जसकरण सिंह चावला को पर्याप्त एवं प्रभावी सुरक्षा देने का निर्देश दिया है। वह एक कॉरपोरेट धोखाधड़ी मामले की छानबीन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि उनका पीछा किया जा रहा है और उन पर कभी भी हमला किया जा सकता है।

 सुप्रीम कोर्ट के 12 अक्टूबर के आदेश के बाद भी पत्रकार को सुरक्षा मुहैया नहीं कराए जाने के बारे में सूचित किये जाने पर प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश जारी किया।

यह विषय 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया गया, जब पीठ एमटेक ऑटो लिमिटेड कंपनी से जुड़ी अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। इस कंपनी ने 27 बैंक से कथित तौर पर ऋण लिया था और धन की हेराफेरी की थी।

इसके बाद, पीठ ने अपने आदेश में जिक्र किया कि बंद लिफाफे में एक हलफनामा उसे सौंपा गया था, जिसमें संकेत दिया गया है कि विषय की छानबीन कर रहे एक पत्रकार का कुछ अज्ञात लोग पीछा कर रहे हैं।

पीठ ने पिछले हफ्ते जारी किये गये अपने आदेश में जिक्र किया, ‘सीलबंद लिफाफे में उक्त हलफनामा की एक प्रति अटॉर्नी जनरल को भेजी जाएगी, जिन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि विषय पर पर्याप्त रूप से गौर किया जाएगा और उक्त व्यक्ति एवं उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएंगे।’

मंगलवार को, अधिवक्ता जय अनंत देहाद्री ने यह विषय पीठ के समक्ष उठाया और कहा कि आदेश के बावजूद नोएडा में रह रहे इस पत्रकार को कोई सुरक्षा नहीं मुहैया की गई।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने पीठ से कहा कि यदि गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त को उपयुक्त निर्देश जारी किये जाते हैं, तो पर्याप्त एवं प्रभावी कदम तत्काल उठाये जाएंगे।

पीठ ने मंगलवार को कहा, ‘इसलिए, हम पुलिस आयुक्त, गौतमबुद्ध नगर को संबद्ध व्यक्ति को पर्याप्त एवं प्रभावी पुलिस सुरक्षा मुहैया करने का निर्देश हैं।’

पीठ ने निर्देश दिया कि दस्तावेज की प्रतियां पुलिस आयुक्त कार्यालय को भी भेजी जाएं।

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IMPACT की 50 प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट से आज उठेगा पर्दा

‘मैडिसन वर्ल्ड’ (Madison World) के चेयरमैन और फाउंडर सैम बलसारा के नेतृत्व में गठित जूरी के द्वारा यह लिस्ट तैयार की गई है।

Last Modified:
Tuesday, 18 October, 2022

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‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह की जानी-मानी वीकली मैगजीन ‘इम्पैक्ट’ (IMPACT) द्वारा मीडिया, एडवर्टाइजमेंट और मार्केटिंग के क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाने वाली 50 प्रभावशाली महिलाओं (IMPACT’s 50 Most Influential Women) की लिस्‍ट से 18 अक्टूबर को पर्दा उठ जाएगा।

मुंबई में मंगलवार की शाम पांच बजे से आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में इस लिस्ट का अनावरण किया जाएगा। ‘India Today’ ग्रुप इस कार्यक्रम का गोल्ड पार्टनर है और ‘Bobble AI’ अवॉर्ड्स पार्टनर है। ‘SCIBIDS’ कार्यक्रम में को-पावर्ड की भूमिका निभाएगा।

इस लिस्ट को तैयार करने वाली जूरी के अध्यक्ष ‘मैडिसन वर्ल्ड’ (Madison World) के चेयरमैन और फाउंडर सैम बलसारा हैं, जिनके नेतृत्व में यह सूची तैयार की गई। वहीं जूरी सदस्यों में विभिन्न इंडस्ट्री के दिग्गजों को शामिल किया गया, जिनमें ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ अविनाश पांडेय, ‘Platinum Guild International–India’ की एमडी वैशाली बनर्जी, ‘Eros International Media Ltd’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ प्रदीप द्विवेदी, ‘Beauty & Wellbeing, HUL’ की ग्लोबल सीएमओ प्रिया नायर, ‘Bisleri’ के सीईओ एंजेलो जॉर्ज, ‘Bluedart Express’ की इंडिपेंडेट डायरेक्टर और बोर्ड मेंबर कविता नायर, ‘Hearth Ventures’ की को-फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर शैफाली छाछी, ‘The Linus Adventures LLP’ के फाउंडर सुनील लुल्ला, ‘HT Media Ltd’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजीव बेओत्रा, ‘BSH Home Appliances’ के एमडी और सीईओ नीरज बहल, ‘Xapads Media’ के सीईओ नितिन गुप्ता, ‘Jio Ads’ के सीईओ गुलशन वर्मा और ‘Quora’ के जनरल मैनेजर (APAC) गुरमीत सिंह शामिल हैं।

बता दें कि यह इस कार्यक्रम का दसवां एडिशन है। इंपैक्ट द्वारा यह लिस्ट जारी करने की शुरुआत वर्ष 2012 में की गई थी, जिसमें देश की ऐसी महिलाओं को स्थान दिया जाता है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर अपने-अपने फील्ड में खास पहचान बनाई है और दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत्र बनी हैं। इस लिस्ट की पूर्व में विजेता रहीं महिलाओं पर नजर डालें तो इनमें ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी (2020), ‘गोदरेज इंडस्ट्रीज’ (Godrej Industries) की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ ब्रैंड ऑफिसर तान्या डबास (2019), नादिया चौहान (2018), मालिनी अग्रवाल (2017), एकता कपूर (2016), कीर्तिगा रेड्डी (2015), रामा बीजापुरकर (2014), शोभना भरतिया (2013) और विनीता बाली (2012) का नाम शामिल है।

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Mondelez ने अनिल विश्वनाथन को किया प्रमोट, सौंपी ये बड़ी जिम्मेदारी

वह हेमंत रूपाणी की जगह लेंगे, जिन्हें हाल ही में कंपनी के दक्षिणपूर्व एशिया (एसईए) की बिजनेस यूनिट का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

Last Modified:
Monday, 17 October, 2022

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मोंडेलेज (Mondelez) के अनिल विश्वनाथन, जो कि वर्तमान में कंपनी में मार्केटिंग के वाइस प्रेजिडेंट के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें अब मोंडेलेज इंटरनेशनल (Mondelez International) के दक्षिण पूर्व एशिया में वियतनाम के एमडी के तौर पर प्रमोट किया गया है। सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है।

वह हेमंत रूपाणी की जगह लेंगे, जिन्हें हाल ही में कंपनी के दक्षिणपूर्व एशिया (एसईए) की बिजनेस यूनिट का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। विश्वनाथन वर्तमान अब वियतनाम से अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों से यह भी पता चला है कि कंपनी वर्तमान में किसी को फिलहाल अब उनके इस खाली हो चुके पद पर लाना चाह रही है, लेकिन अभी तक किसी नाम की पुष्टि नहीं हुई है। 

विश्वनाथन ने 2008 में ‘कैडबरी इंडिया’ में स्ट्रेटजी व न्यू बिजनेस एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट के तौर पर अपना करियर शुरू किया था। 2011 में, वह ‘कैडबरी क्राफ्ट इंडिया’ (Cadbury Kraft India) में चॉकलेट के वाइस प्रेजिडेंट (मार्केटिंग) तौर पर शामिल हुए और दो साल तक भारत के लिए चॉकलेट के मार्केटिंग डिवीजन का नेतृत्व किया। 2014 में, विश्वनाथन का नाम मोंडेलीज इंटरनेशनल से जुड़ गया, जहां वह ग्लोबल चॉकलेट्स के सीनियर प्लेटफॉर्म मैनेजर बने, जोकि ज्यूरिक में स्थित है।

2017 में, उन्हें AMEA के एसोसिएट डायरेक्टर (मार्केटिंग) रूप में प्रमोट किया गया और रीजनल चॉकलेट लीडरशिप टीम का हिस्सा बनाकर उन्हें मुंबई भेज दिया गया। आखिरकार, विश्वनाथन को 2020 में सीनियर डायरेक्टर (मार्केटिंग) के तौर पर प्रमोट किया गया और वह भारत में चॉकलेट बिजनेस की जिम्मेदारी संभालने लगे।

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‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ में बी श्रीनिवासन का कार्यकाल बढ़ा

वर्चुअल रूप से 14 अक्टूबर को हुई वार्षिक आम सभा में‘दिल्ली प्रेस’ के एग्जिक्यूटिव पब्लिशर अनंत नाथ को AIM का वाइस प्रेजिडेंट चुना गया है

Last Modified:
Monday, 17 October, 2022

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देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) की वार्षिक आम सभा (एजीएम) 14 अक्टूबर को हुई। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए वर्चुअल रूप से (Zoom पर) हुई इस एजीएम में ‘आनंद विक्तान’ (Ananda Vikatan) ग्रुप के एमडी बी श्रीनिवासन को निर्विवाद रूप से अगले कार्यकाल के लिए एक बार फिर प्रेजिडेंट चुन लिया गया है।

इसके साथ ही ‘दिल्ली प्रेस’ (Delhi Press) के एग्जिक्यूटिव पब्लिशर अनंत नाथ को वाइस प्रेजिडेंट चुना गया है। ‘Living Media’ के सीईओ मनोज शर्मा को जनरल सेक्रेट्री और ‘Cyber Media’ के धवल गुप्ता को कोषाध्यक्ष चुना गया है।

वहीं, ’AIM’ में वाइस प्रेजिडेंट की भूमिका निभा रहे इंद्रानिल रॉय ने निजी कारणों के चलते अपने पद से हटने का फैसला लिया है। वार्षिक आमसभा के दौरान पदाधिकारियों ने पिछले दो वर्षों में एसोसिएशन द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों की जानकारी भी दी।

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