जमीन का सर्वे क्या होता है? - jameen ka sarve kya hota hai?

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जैसा की आप लोग जानते है की बिहार में जमीन का नया सर्वे होने वाला है ऐसे में जो भी सर्वे किया जायेगा उस आधार पर सभी जमीन मालिक के नाम से नया खतियान ओर नक्सा सरकार की ओर से जारी किया जायेगा. ऐसे में आपको कुछ जरुरी बातो का ध्यान रखना है जिससे आपके साथ किसी तरह का कोई धोखाधड़ी ना हो। जो जमीन सर्वे बिहार किया जायेगा उसमे बिहार सरकार की ओर से राजस्व कर्मियों, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानूनी सलाहकार और अमीन रहेंगे. सर्वे का काम शिविर लगाकर किया जायेगा।

दूसरे चरण में पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, भोजपुर, सारण, दरभंगा, औरंगाबाद, कैमर, बक्सर, वैशाली, रोहतास, पूर्वी चम्पारण, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज और नवादा में बंदोबस्त का काम शुरू किया गया है. दूसरे चरण के जिन 18 जिलों में सर्वे शुरू किया गया है उनके 100 अंचलों में प्रथम चरण में सर्वेक्षण का काम होगा. इनमें से 50 अंचल उत्तर बिहार के हैं जबकि 50 अंचल दक्षिण बिहार के है.सभी 100 अंचल मिलाकर कल 5100 मौजा शामिल है, इनके लिये 196 शावर बनाए जायग. शष 214 अंचलों में दूसरे चरण में भूमि सर्वेक्षण का काम किया जाना है.

रैयत के मोबाइल पर भूमि के सर्वेक्षण में जमीन के ब्योरा के लिए प्रपत्र-2 है, जबकि वंशावली 2 पृष्ठों के प्रपत्र-391 में भरना है। कुल 22 प्रपत्र हैं, इसमें पहला प्रपत्र सर्वेक्षण की घोषणा से है, जबकि प्रपत्र 20 के जरिए सर्वेक्षण का अंतिम प्रकाशन किया जाता है। ये दोनों काम महत्वपूर्ण इसलिए हैं, क्योंकि इनसे प्राप्त होने वाली जानकारी को शामिल किए बगैर सर्वे का काम आगे नहीं बढ़ सकता है। ये दोनों काम रैयत ही कर सकते हैं। किस रैयत के पास कितनी भूमि है, उसका खाता-खेसरा क्या है, रकबा कितना है, ये तमाम जानकारियां कोई रैयत ही उपलब्ध करा सकता है। उसी तरह हरेक के पूर्वजों की सबसे बेहतर जानकारी भी उसी इंसान को होगी। जनप्रतिनिधि जैसे, मुखिया, सरपंच या फिर वार्ड सदस्य उसकी पुष्टि भर कर सकते हैं।

जमीन सर्वे बिहार 2022 एक नजर में

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बिहार विशेष सर्वेक्षण (जमीन सर्वे बिहार )संबंधित ऑनलाइन सेवाएं

बिहार के सभी अंचलों में शुरू हुआ जमीन सर्वे

जमीन सर्वे का काम बिहार में शुरू है जिसके अंतर्गतसभी अंचलों में भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। ये अंचल उन 90 अंचलों के अतिरिक्त हैं जहां वर्तमान में भूमि सर्वेक्षण का काम पहले से चल रहा है। इसके साथ ही सूबे में सर्वेक्षण का दायरा 220 अंचलों में विस्तारित हो गया।

भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने इन नये अंचलों में जमीन सर्वे के लिए शिविरों का गठन कर लिया है। प्रत्येक शिविर में 20-25 राजस्व गांवों को रखा गया है। शिविर भूमि सर्वेक्षण की सबसे प्राथमिक एवं अनिवार्य प्रशासनिक इकाई हैं, जहां बैठकर सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानूनगो और अमीन जैसे सर्वेक्षण कर्मी भूमि सर्वेक्षण के काम को अंजाम देते हैं।

आपके जानकारी के लिए बता दू कि राज्य के सभी 38 जिलों में दो चरणों में भूमि सर्वेक्षण कराने की योजना है। पहले चरण में 20 जिले में काम पहले से हो रहा है। अब दूसरे चरण में नए अंचलों में भूमि सर्वेक्षण का काम शुरू हुआ है। उन शिविरों में अभी नये अंचलों के सर्वे का कागजी काम चल रहा है। खतियान लिखने के साथ जमीन पर उतरने के पहले की जानी वाली तैयारी चल रही है। बरसात के बाद जमीन पर सर्वे करने का फैसला हुआ है। निदेशालय का प्रयास है कि उसके पहले कागज पर होने वाले सभी काम पूरा कर लिये जाएं।

वर्षा से सर्वे कार्य बाधित –

राज्य के जिन 208 शिविरों के 5127 मोज़े में सवक्षण का काम किया जा रहा है, उनमें अधिकतर मौजों में एरियल एजेंसी की मदद से किस्तवार काम किया जा रहा है। लेकिन वर्षा से खेतों में पानी लग जाने से काम किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कर्मियों के अधिकतम इस्तेमाल के लिए यह कार्ययोजना बनाई गई है।

जमीन का रिकॉर्ड जमा करने को कहा गया भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जय सिंह के अनुसार मानसून के दौरान सभी अंचलों विशेषकर बाढ़ग्रस्त अंचलों में अगले कुछ महीनों तक सर्वे कार्य जारी रखना संभव नहीं हो पाएगा। लिहाजा ऐसे शिविरों में कर्मियों को अंचलों के कागजी काम करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सरकारी जमीन का रिकॉर्ड जमा करने को भी कहा गया है।

भूमि बंदोबस्ती-सर्वे (जमीन सर्वे बिहार) की प्रकिर्या

जमीन सर्वे बिहार के पहले पड़ाव में जमीन का हवाई फोटोग्राफी किया जायेगा जिसके बाद इस हवाई फोटोग्राफी मैपिग के आधार पर जमीन की सही स्थिति के आकलन के लिए अमीन द्वारा सभी जमीन स्थल का निरीक्षण किया जाएगा। निरीक्षण करने के बाद अमीन सभी जमीन का प्लाट नंबर देकर एजेंसी को भेजेगा जिसके आधार पर डिजिटल नक्शा प्रकाशित किया जाएगा।

इस बार के जमीन सर्वे बिहार में जिस भी जमीन का सर्वे किया जायेगा उस जमीन के खतियान का चार कॉपी बनाया जायेगा, जिसमें एक कॉपी रैयत को दूसरा अंचलाधिकारी को तीसरा जिलाधिकारी और चौथा भू अभिलेख विभाग निदेशालय के पास सुरक्षित रहेगा। सर्वे के बाद जमीन के खतियान की हार्ड कॉपी और डिजिटल कॉपी भी तैयार होगी। और डिजिटल कॉपी हर खरीद बिक्री के बाद जमीन का खतियान बदलता रहेगा।

भूमि बंदोबस्ती-सर्वे के बाद जमीन की अवैध खरीद बिक्री पर रोक लग जाएगी। साथ ही फर्जीवाड़ा नहीं हो पाएगा और जमीन के वास्तविक मालिकों का तुरंत पता चल पाएगा ।

बिहार भूमि बंदोबस्ती-सर्वे (जमीन सर्वे बिहार) के बाद जो डिजिटल नक्शा के आधार पर लोगो से आपत्ति मांगी जाएगी। उस आपत्ति के आधार सत्यापन कराकर पुन: दुवारा नया डिजिटल नक्सा जारी किया जायेगा। इसके बाद फिर से सत्यापन कराकर फाइनल स्तर पर नक्शा प्रकाशित किया जाएगा जो ऑफलाइन और ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेगा।

बिहाजमीन सर्वे बिहार के समय लोग किन-किन बातो का रखे ध्यान

  • सर्वे के समय जमीन मालिक खुद से मौजूद रहे क्योकि समाज में ऐसे भी लोग है जो कुछ इधर उधर कर सकते है।
  • अगर पूर्व में दादा, प्रदादा या पुस्तैनी जमीन है तो उसका खतियान या कोई भी साबुत जो आपके जमीन मालिक होने को साबित करता हो।
  • अगर खुद से खरीदा है तो केवाला का फोटो कॉपी तैयार रखे।
  • जमीन पर विवाद के बाद न्यायालय द्वारा आपको दिया गया है तो कोर्ट आर्डर का कॉपी तैयार रखे।
  • बटवारा का जमीन होने पर बटवारा का कागजात या पंचनामा बटवारा तैयार रखे।
  • दादा, प्रदादा या पुस्तैनी जमीन हो तो वंशावली या वंशावली प्रमाण पत्र तैयार रखे।

जैसा की मैंने पहले ही बताया की जमीन का सर्वे शिविर लगा कर किया जायेगा जिसमे लोगो को अपने जमीन का नाम के साथ सर्वे में जोड़ना के लिए प्रपत्र-2 भर कर देना होगा जिसमें रैयत (जमीन मालिक) को अपनी जमीन का ब्योरा भर, मालिकाना साबुत जैसे की खतियान, दस्तावेज, इत्यादि के साथ शिविर प्रभारी को देना है और शिविर प्रभारी से पावती रसीद ले लेना हैं।

पहले इन बीस जिलों में हुआ था जमीन सर्वे बिहार का काम:

पहले चरण में अररिया, अरवल, कटिहार, किशनगंज, खगड़िया, जमुई, शिवहर, शेखपुरा, सहरसा, सीतामढ़ी, जहानाबाद, नालनदा, चंपारण, पूर्णिया, बांका, बेगूसराय, मधेपुरा, मुंगेर, लखीसराय और सुपौल जिलों में सर्वे का काम होगा। जबकि बाकि बचे हुए 18 जिलों में दूसरे चरण में सर्वे होगा।

जमीन सर्वे बिहार के लिए भूमि सर्वे प्रपत्र-2 कैसे भरे

जमीन सर्वे बिहार प्रपत्र-2 कैसे भरते है जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखे और लेटेस्ट वीडियो देखने के लिए हमारा YouTube चैनल Subscribe जरूर करे , अगर जमीन सर्वे 2020 से सम्बंधित आपके पास कोई प्रश्न है तो कृपया कमेंट कर के पूछे | हम उसका जबाब जल्द से जल्द देने के कोशिश करेंगे।

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अगर आपको आपने जमीन के सर्वे के बारे में किसी तरह का गरवारी का पता चलता है तो प्रपत्र-2 भर कर शिविर प्रभारी को सभी साबुत के साथ दे सकते है और अगर शिविर प्रभारी आपकी बाद न सुने को जिला बदोबस्त अधिकारी या कलेक्टर को आवेदन दे सकते है।

जमीन सर्वे बिहार प्रपत्र-3 कैसे भरे

जमीन सर्वे बिहार प्रपत्र-3 कैसे भरते है जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो को देखे और लेटेस्ट वीडियो देखने के लिए हमारा YouTube चैनल Subscribe जरूर करे , अगर जमीन सर्वे 2020 से सम्बंधित आपके पास कोई प्रश्न है तो कृपया कमेंट कर के पूछे | हम उसका जबाब जल्द से जल्द देने के कोशिश करेंगे।

जमीन सर्वे बिहार में वंशावली वाले जमीन के लिए प्रपत्र-3 जिसमें वंशावली का दो फॉर्मेट दिया है। इस दोनों फॉर्मेट को डाउनलोड कर उसमे जमीन का सभी ब्योरा भर सभी कागजात के साथ शिविर प्रभारी को देकर पावती ले सकते हैं।

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जमीन सर्वे बिहार के लिए भूमि का ब्योरा और वंशावली ऑनलाइन भी जमा कर सकते हैं

बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में रैयत अब अपनी भूमि का ब्योरा ऑनलाइन भी जमा करा सकते हैं। साथ ही, अपनी वंशावली भी ऑनलाइन भेज सकते हैं। इसके लिए भू-अभिलेख और परिमाप निदेशालय ने सभी जरूरी तैयारी पूरी कर ली है। निदेशालय की वेबसाइट में ‘रैयत द्वारा धारित भूमि की स्वघोषणा’ नाम से एक लिंक दिया गया है। इस लिंक के सहारे वेबसाइट पर जाकर अपनी जमीन का ब्यौरा और अपनी वंशावली अपलोड कर सकते हैं।

कोई भी रैयत 3 एमबी तक फाइल अपलोड कर सकता है भू-अभिलेख और परिमाप के प्रोग्रामर कुणाल किशोर और प्रिंस कुमार ने बताया कि इस सुविधा में कोई भी रैयत 3 एमबी तक फाइल अपलोड कर सकता है। इसमें 10 पृष्ठ तक की सूचना आसानी से भेजी जा सकती है। अर्थात प्रपत्रों के 3 पृष्ठों के अलावा कुछ हद तक सहायक दस्तावेजों को भी अपलोड किया जा सकता है। किन्तु, दोनों प्रपत्रों को एकसाथ पीडीएफ बनाकर और एकसाथ ही अपलोड करना होगा।

इसके लिए निदेशालय की वेबसाइट https://dlrs.bihar.gov.in/ पर जाकर अपने फोन नंबर के साथ खुद को रजिस्टर कराना पडेगा। और अपने मौजा और शिविर का चयन करने के बाद अपने द्वारा धारित स्वामित्व भूमि का खाता, खेसरा की जानकारी देनी है। भूमि संबंधी जानकारी को प्रपत्र में भरकर अपलोड करने की सुविधा पेज के आखिर में दी जाएगी। प्रपत्र सही तरीके से अपलोड होने के साथ ही कन्फर्ममेशन का मैसेज जाएगा।

वैसे रैयत जो बिहार से बाहर रहते हैं, उनसे भूमि आदि की विवरणी प्राप्त करने पर विशेष ध्यान देने की चर्चा भी हुई थी। सर्वे डायरेक्टर जय सिंह ने कहा कि इससे दस्तावेजों को सुरक्षित और संरक्षित रखने में मदद मिलेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

जमीन का डाफ्ट नक्शा ऑनलाइन हुआ (Bihar Land LPM online)

राज्य में लैंड पार्सल मैप (एलपीएम) के लिए अब कर्मचारी या अमीन को ‘नजराना’ देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कोई भी किसान कहीं से भी ऑनलाइन एलपीएम देख सकता है। साथ ही, अगर उसमें गड़बड़ी हुई तो सुधार के लिए सर्वे शिविर में शिकायत कर सकेगा।

जिन बीस जिलों में सर्वे चल रहा है, उनमें से बेगूसराय, सुपौल और शेखपुरा में जमीनी काम पूरा हो चुका है। लिहाजा अब वहां का एलपीएम मतलब जमीन का डाफ्ट नक्शा वेबसाइट http://bhunaksha.bihar.gov.in/bhunaksha/ पर ऑनलाइन कर दिया जाएगा। आगे भी जिन जिलों में काम पूरा होता जाएगा एलपीएम आपलोड होता जाएगा। राजस्व विभाग ने इसके लिए सॉफ्टवेयर जारी कर दिया है। राज्य के जिन 20 जिलों में सर्वे चल रहा है राजस्व विभाग ने वहां एलपीएम ऑनलाइन करने की व्यवस्था कर दी है। अब कोई भी किसान सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर ऑनलाइन एलपीएम देख सकता है। इससे गांव में रहने वाले किसानों को तो सहूलियत होगी ही बाहर रहने वाले जमीन मालिकों को भी सहूलियत होगी।

सर्वे के बाद उनकी जमीन किसी दूसरे के नाम पर तो भूल से नहीं चली गई या फिर रकबा नक्शे में सही दर्शाया गया है या नहीं, यह सब वह ऑनलाइन एलपीएम में देख सकेंगे। अगर कोई गलती पकड़ में आई तो सुधार के लिए सर्वे कैम्प में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। राजस्व विभाग सर्वे के दौरान जमीन पर का काम पूरा होने लगता है तो सभी संबंधित किसानों को एलपीएम देता है।

  • DLRS वेब पोर्टल के शीर्ष पर, भू-नक्शा लिंक पर जाएं।DLRS वेब पोर्टल के शीर्ष पर, भू-नक्शा लिंक पर जाएं।
  • DLRS वेब पोर्टल के शीर्ष पर, भू-नक्शा लिंक पर जाएं।
  • गाँव चुनने के पश्चात स्क्रीन पर मौजे का नक्शा प्रदर्शित होगा। प्लॉट नंबर या टेक्स्ट बॉक्स में प्लॉट नंबर डालकर प्लॉट खोजें।
  • प्लॉट पर क्लिक या सर्च करने के बाद, भू-नक्शा सॉफ्टवेयर के वेबपेज पर नीचे एलपीएम रिपोर्ट की टैब दिखाई देगी ।
  • टैब पर क्लिक करने पर एलपीएम रिपोर्ट खुल जाएगी जिसे हम पीडीएफ के रूप में प्रिंट या सेव कर सकते हैं।

पहले अमीन व कर्मचारी पहुंचाते थे ड्राफ्ट नक्शा

पहले यह एलीपीएम अमीन और कर्मचारी घर-घर जाकर पहुंचाते थे। इसके लिए कई बार अमीनों द्वारा ‘नजराना’ मांगने की शिकायत भी मिलती थी। साथ में जमीन के ऐसे मालिक जो गांव से बाहर रहते है, उन्हें एलपीएम मिलता ही नहीं था। लिहाजा ऐसे लोगों को किसी गड़बड़ी की जानकारी नहीं मिलती थी। अंतिम नक्शा निकल जाने के बाद गड़बड़ी का पता चला तो फिर उसमें सुधार कठिन हो जाता है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए नई व्यवस्था की गई है।

शिकायत मिलने पर होता है सुधार सर्वे का जमीनी काम पूरा होने के बाद एक ड्राफ्ट नक्शा तैयार होता है। उसे ही एलपीएम कहते हैं। इसमें हर प्लॉट की चौहद्दी, मालिक का नाम और रकबा भी होता है। सर्वे के दौरान अगर इन सभी बिन्दुओं पर कोई गड़बड़ी हुई हो तो उसी की जानकारी बनय के लिए किसानों को एलपीएम दिया जाता है।

किसान इसके माध्यम से जब संतुष्ट हो जाते हैं और तय समय में कोई आपत्ति नहीं मिलती है तो सर्वे को उसी नक्शे के आधार पर अंतिम रूप दे दिया जाता है। शिकायत मिलने पर उसमें सुधार किया जाता है।

जमीन सर्वे बिहार 2022 फॉर्म डाउनलोड

S. No. Chapters Name
1.
प्रपत्र-1
उद्घोषणा का प्रपत्र
2. प्रपत्र-2 रैयत द्वारा स्वामित्व/धारित भूमि की स्व-घोषणा हेतु प्रपत्र
3. प्रपत्र-3 स्व-घोषणा के विरूद्ध निर्गत किये जाने वाले सत्यापन प्रमाण पत्र हेतु प्रपत्र
4. प्रपत्र-3(1) वंशावली
5. प्रपत्र-3(1.1) वंशावली के आधार पर प्रत्येक उत्तराधिकारी का दखल
6. प्रपत्र-3(2) याद्दाश्त पंजी
7. प्रपत्र-4 गैर-सत्यापित/विवादग्रस्त भूमि की पंजी का प्रपत्र
8. प्रपत्र-5 खतियानी विवरणी
9. प्रपत्र-6 खेसरा पंजी का प्रपत्र
10. प्रपत्र-7 खानापुरी पर्चा का प्रपत्र
11. प्रपत्र-8 दावों/आक्षेपों का प्रपत्र
12. प्रपत्र-9 दावों/आक्षेपों की पावती का प्रपत्र
13. प्रपत्र-10 दावा/आक्षेप पंजी का प्रपत्र
14. प्रपत्र-11 सूचना का प्रपत्र
15. प्रपत्र-12 प्रारूप खानापुरी अधिकार-अभिलेख का प्रपत्र
16. प्रपत्र-13 दावों/आक्षेप दायर करने का प्रपत्र
17. प्रपत्र-14 दावों/आक्षेप दायर करने का प्रपत्र
18. प्रपत्र-15 अधिकार-अभिलेख के प्रारूप प्रकाशन के दौरान दायर किए गए दावों/आक्षेपों की पंजी का प्रपत्र
19. प्रपत्र-16 दावों/आक्षेपों की पावती का प्रपत्र
20. प्रपत्र-17 अधिकार-अभिलेख के प्रारूप प्रकाशन के दौरान दायर दावों/आक्षेपों की सुनवाई हेतु पक्षकारों को सूचना का प्रपत्र
21. प्रपत्र-18 नया तेरीज नया अधिकार-अभिलेख का प्रपत्र
22. प्रपत्र-18(1) लगान बन्दोबस्ती दर तालिका
23. प्रपत्र-19 नये खेसरा पंजी का प्रपत्र
24. प्रपत्र-20 अधिकार अभिलेख के अंतिम प्रकाशन का प्रपत्र
25. प्रपत्र-21 अधिकार-अभिलेख अंतिम प्रकाशन के दौरान/प्रकाशन के उपरान्त दावा/आक्षेप दायर करने हेतु प्रपत्र
26. प्रपत्र-22 अधिकार-अभिलेख के प्रारूप प्रकाशन के दौरान दायर दावों/आक्षेपों की सुनवाई हेतु पक्षकारों को सूचना का प्रपत्र

भूसर्वेक्षण के संबंध में कोई शिकायत, सुझाव, विचार के लिए नंबर जारी | Helpline Number for Bihar land survey

राजस्वएवं भूमिसुधार विभाग के माननीय मंत्री राम सूरत कुमार ने कहा है कि भूमि सर्वेक्षण बिहार सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। सरकार इसमें संशाधनों की कमी नहीं होने देगी। 5000 से ज्यादा कर्मियों को पिछले वर्ष सर्वेक्षण के काम में लगाया गया है, जरूरत पड़ेगी तो और लोगों को बहाल किया जाएगा।

भ्रष्टाचार पर रोक लगाने एवं लोगों के सुझावों को आमंत्रित करने के लिए Bihar land survey helpline नंबर जारी किए गए हैं। लैंडलाइन नंबर – 06 12 – 22 80012 व वाट्सअप नंबर 6299923536 जारी किया गया है। इन नंबरों पर फोन करके कोई भी रैयत भूसर्वेक्षण के संबंध में कोई शिकायत, सुझाव, विचार को साझा कर सकता है। ___ समीक्षा से पता चला कि जन जागरूकता कार्यों में सिर्फ शेखपुरा और लखीसरायही पीछेहैं।खतियान एवं नक्शों की उपलब्धता का काम 94 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है। जिन कामों में हवाई एजेंसियों की सहभागिता है, उसमें प्रगति असंतोषजनक है। विशेष कर त्रि-सीमाना निर्धारण, गांवों की सीमा तय करना एवं उसके मुताबिक अपडेटेड मानचित्र की आपूर्ति का काम धीमा है।

बिहार के 18 बड़े जिलों में 2022 में होगा भूमि सर्वे

राज्य के 18 बड़े जिलों में नए साल में भूमि कासर्वेक्षण होगा। राजस्व एवं भूमिसुधार विभाग के मंत्री रामसूरत कुमार ने गुरुवार को अपने कार्यालय कक्ष में भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय के वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन का पत्रिका के रूप में लोकार्पण किया। इस मौके पर मंत्री ने कहा कि अगले वर्ष राज्य के बड़े जिलों में भूमि सर्वेक्षणका कार्य शुरू किया जाएगा।

बिहार में अभी 20 जिलों मुंगेर, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, शेखपुरा, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय, सहरसा, जमुई, कटिहार, लखीसराय, बांका, पूर्णिया, खगड़िया, शिवहर, अररिया, सीतामढ़ी, अरवल, जहानाबादवकिशनगंज में भूमि सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। शेष जिलों में अगले वर्ष सर्वेक्षणशुरूकरने की तैयारी की जा रही है। मंत्री श्री कुमार ने कहा कि अगले वर्ष नये जिलों में भूमि सर्वेक्षण को लेकर कैंप कार्यालयों की स्थापना, कर्मियों के प्रशिक्षण इत्यादि के कार्य पहले पूरे किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि अक्टूबरतक सूबे के 3 जिलोंशेखपुरा, सुपौल और बेगूसराय के 40 गांवों में सर्वेका काम पूरा होजाएगा और वहां के रैयतों को उनके प्लॉट का नया नक्शा और खतियान मिल जाएगा। इसके अलावाअक्टूबर से लगातार इस मामले में प्रगति दिखेगी। मंत्री ने रैयतों खासकर अपने गांव से बाहर रहने वाले लोगों से अपील की कि वो इस महत्वपूर्ण काम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। एक बार घर आकर अपनी जमीन को देख लें, ताकि बाद में परेशानी न उठानी पड़े। एक बार खतियान बन जाने पर उसमें किसी भी तरह का सुधार बहुत ही मुश्किल होगा।

नया खतियान बनने के बाद भी रैयत छह महीने में करा सकते है सुधार

अक्तूबर माह के अंत तक बिहार में चल रहे जमीन सर्वे में से 40 गांवों का नया खतियान जारी कर दिया जायेगा. 5127 गांवों का खतियान दावा -आपत्ति के बाद जारी किया जायेगा. खतियान जारी होने के बाद लोगों को छह महीने का समय दिया जायेगा , अगर उनको लगता है की उनके खतियान में किसी तरह का गलती है तो छह महीने में सुधार करवा सकते है इसके बाद खतियान में कोई संशोधन नहीं होगा. जमीन मालिक को सिविल कोर्ट में सुधार के लिए जाना होगा.

जनवरी 2022 में पांच बड़े जिला में सर्वे का काम शुरू होगा. यह उन 18 जिलों में शामिल हैं जहां अभी सर्वे कार्य शुरू नहीं हुआ है. सर्वे में जांच व भौतिक रूप से सत्यापन उपरांत वितरण करने के साथ ही खतियान को ऑनलाइन भी अपलोड किया जायेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत कुमार ने उन लोगों को आगाह किया है जिनकी जमीन बिहार में है, लेकिन वह घर -गांव से बाहर रह रहे हैं जमीन के मामले में किसी पर विश्वास न करें. जहां भी सर्वे हो चुका है, हो रहा है अथवा होने वाला है वहां के राजस्व विभाग के शिविर में अधिकारियों से मिल कर दावा-आपत्ति कर लें. ऑनलाइन भी अपना डाटा देखते रहें. यदि वह लापरवाही करेंगे, तो भविष्य में उन्हें दिक्कत हो सकती है.

बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त क्या है ?

विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त के अर्न्तगत सभी रैयतों, जो किसी भी भूखण्ड के स्वामी हों, का अद्यतन अधिकार अभिलेख या खतियान तथा प्रत्येक रैयत के खेसरा (Plot) का मानचित्र वर्तमान परिस्थिति के अनुसार तैयार किया जाता है। इसके बाद बन्दोबस्त प्रक्रिया के अन्र्तगत भमि की प्रकति एवं उपयोग के अनुसार रैयतवार भ-लगान का निर्धारण किया जाता है। विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त अधिनियम, 2011 जिसके आधार पर वर्तमान सर्वे किया जाना है, का मुख्य उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से डिजिटाइज्ड ऑनलाइन अधिकार-अभिलेखों एवं मानचित्रों का संधारण, संरक्षण एवं अद्यतीकरण की प्रक्रिया की निरंतरता को बनाए रखना है। इस सर्वेक्षण का लक्ष्य भूमि सम्बन्धी समस्त सूचनाओं का एकीकृत प्रबंधन करते हुए प्रभावशाली तरीके से इसके सभी उपयोगकर्ताओं को सरल एवं उपयोगी सेवाएँ प्रदान करना है।

बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त के प्रमुख चरण क्या हैं ?

  • किस्तवार पूर्व कार्य- इसके अंतर्गत प्रपत्र-1 से 5 तक तैयार कर उससे सम्बंधित कार्रवाई की जाती है
  • किस्तवार- यह प्रक्रिया मुख्यतः मानचित्र निर्माण एवं इससे सम्बंधित कार्यों से जुड़ी है
  • खानापुरी- मानचित्र के खेसरों के अनुसार उनके स्वामित्व का निर्धारण एवं सत्यापन
  • सुनवाई-किस्तवार एवं खानापुरी के दौरान तैयार मानचित्र और अधिकार अभिलेख के प्रारूप से सम्बंधित रैयतों की आपत्ति/ दावों की सुनवाई एवं उनका निष्पादन
  • अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन एवं लगान निर्धारण- किस्तवार, खानापुरी एवं सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंतिम अधिकार अभिलेख का प्रकाशन एवं रैयतों के साथ लगान की बंदोबस्ती अंतिम अधिकार अभिलेख के बाद की सुनवाई- अंतिम अधिकार अभिलेख के प्रकाशन के बाद प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई एवं निष्पादन एवं खातियान या अंतिम अधिकार अभिलेख तथा मानचित्र का अंतिम रूप से प्रकाशन एवं विभिन्न स्तरों पर उनका संधारण

विशेष सर्वे किस प्रकार कैडस्ट्रल एवं रिविजनल सर्वे से भिन्न है

पहली बार बिहार में बिहार काश्तकारी अधिनियम-1885 के वैधानिक आधार पर भू-सर्वेक्षण का कार्य लगभग 1890 से 1920 के बीच किया गया था, जिसका नाम “कैडस्ट्रल सर्वे” था। कैडस्ट्रल का मतलब खेसरा या प्लॉट होता है। स्वतंत्रता पश्चात और जमींदारी उन्मूलन के बाद किया गया रिविजनल सर्वेक्षण पूर्व में किये गये कैडस्ट्रल सर्वेक्षण के समान था। कैडस्ट्रल सर्वे के वैधानिक आधार एवं तकनीक पर, रिविजनल सर्वे अलग-अलग समय में बिहार के कई जिलों में संचालित किया गया। वर्तमान में किये जानेवाले विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त का वैधानिक आधार बिहार विशेष सर्वेक्षण अधिनियम-2011 एवं नियमावली- 2012 (यथा संशोधित) है। इस सर्वेक्षण में आधुनिक प्रौद्योगिकी (हवाई जहाज मे लगे उच्च क्षमता के कैमरा द्वारा प्रत्येक भू-खंड के खींचे गए फोटो से तैयार आर्थो फोटोग्राफ) की सहायता से मानचित्र का निर्माण किया जाना है तथा लगान बंदोबस्ती की प्रक्रिया भी पहले से पूरी तरह अलग है।

भूमि से सम्बन्धित अधिकार अभिळेख एवं मानचित्र का निर्माण क्यों किया जाता है ?

रैयतों/किसानों की जोत भूमि का विवरण खाता, खेसरा, रकबावार तैयार किया जाना ताकि यह स्पष्ट रहे कि रैयत की भू-धारण की अद्यतन स्थिति क्या है। सरकार के विभिन्न विभागों के स्वामित्व की भूमि का विवरण तैयार करना तथा यह पता लगाना कि स्थानीय प्रशासन के पास गैर-मजरुआ आम एवं खास के अतिरिक्त अन्य प्रकृति की कितनी भूमि है। प्रत्येक रैयत को उसके लगान की स्पष्ट जानकारी देना। अद्यतन अधिकार अभिलेख एवं मानचित्र से भूमि विवाद में कमी लाना। भूमि विवाद होने पर विभिन्न न्यायालयों में साक्ष्य के तौर पर प्रयोग करना।

किस्तवार क्या है ?

किस्तवार दो शब्दों किस्त और वार से मिलकर बना है। किस्त का मतलब होता है जमीन का खण्ड यानि खेत जो कई मेड़ों से घिरा हो। उन्ही मेड़ों को एक निश्चित पैमाने के आधार पर जमीन के हू-ब-हू नक्शा निर्माण करने की प्रक्रिया को किस्तवार कहा जाता है। किस्तवार के माध्यम से प्रत्येक रैयत के हक को संरक्षित रखने हेतु एक मानचित्र का निर्माण किया जाता है। किस्तवार के आधार पर स्वामित्व के अनुसार अधिकार अभिलेख का निर्माण होता है। अतः सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त में किस्तवार के आधार पर निर्मित अधिकार-अभिलेख ही न्याय प्रणाली एवं विधि-व्यवस्था में अहम भूमिका अदा करते हैं।

इस किस्तवार के प्रथम चरण में राजस्व ग्राम की सरहद (ग्राम-सीमा) को आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से निश्चित किया जाता है। ग्राम की सरहद पर गड़े पुराने तीन-सीमानी पत्थर की खोज की जाती है। किस्तवार का सारा काम हवाई एजेंसी द्वारा किया जाना है जबकि उसके सत्यापन का काम बन्दोबस्त कार्यालय से जुड़े अमीन/कानूनगो/सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी द्वारा किया जाना है।

यह जमीन सर्वे बिहार किस्तवार क्रियान्वयन के विभिन्न चरण क्या हैं ?

  • किस्तवार के कियान्वयन के चरण निम्न प्रकार हैं
  • हवाई एजेंसी द्वारा बनाए गए मानचित्र का वितरण
  • त्रि-सीमानों एवं मुस्तकिलों की पहचान और दो मुस्तकिलों का DGPS ऑब्जर्वेशन
  • संबंधित ग्राम-सीमा का सत्यापन।
  • खेसरों की नम्बरिंग ।
  • ग्राम आबादी/बस्ती का सीमांकन तथा राजस्व ग्राम का चादरों में विभाजन
  • खेसरों से सम्बन्धित अलामतों या भौतिक विवरणी का फीचर लेयर में एकत्रण
  • एरिया स्टेटमेंट एवं खेसरों का Parent-Child सम्बन्ध से संबंधित विवरण

बिहार विशेष सर्वेक्षण में एरियल एजेंसी की भूमिका क्या है ?

जमीन सर्वे बिहार तकनीक आधारित है, इसलिए सर्वेक्षण के प्रांरभ से लेकर अंत तक एजेंसी की सहयोगात्मक भूमिका है।

  • GCP का प्रि-मोन्यूमेंटेशन
  • हवाई जहाज की मदद से हाई रिजोल्यूशन कैमरे द्वारा फोटोग्राफी एवं उनकी प्रोसेसिंग
  • ऑर्थोफोटोग्राफ का निर्माण तथा उसका सत्यापन ।
  • ग्राम के अद्यतन खेसरा मानचित्र का निर्माण तथा बंदोबस्त कार्यालय में समर्पण
  • तीन-सीमानों की पहचान और अन्य आवश्यक GCP का पोस्ट-मोन्यूमेंटेशन
  • भूमि पर आए परिवर्तनों और संशोधनों का मानचित्र पर अंकन
  • प्रि–मोन्यूमेंटशन एवं पोस्ट-मोन्यूमेंटेशन वाले सारे GCP का SOI के साथ नेटवर्क तैयार करना
  • खेसरावार एरिया स्टेटमेंट तैयार कर तुलनात्मक विश्लेषण समर्पित करना ।
  • ई०टी०एस०, डी०जी०पी०एस० एवं सपोर्ट स्टाफ द्वारा बंदोबस्त कार्यालय की सहायता से किस्तवार का कार्य करना
  • खानापुरी के दौरान रैयतों को खेसरावार मानचित्र (L.P.M.) उपलब्ध कराना
  • अंतिम रूप में तैयार टोपोग्राफिक डाटा बेस की तार्किक और भौतिक शुद्धता की जाँच करना
  • ROR और Map को Integrate करना
  • GIS Database को Upload करना

तीन-सीमाना को तय करने की प्रक्रिया क्या है ?

प्रत्येक राजस्व ग्राम एक बंद चौहद्दी की तरह होता है. तीन राजस्व ग्रामों की चौहद्दी या सीमा जिस एक बिंदु पर मिलती है उसे ही त्रि-सीमाना या तीन-सीमाना (TRI-JUNCTION) के नाम से जाना जाता है.

  • त्रि-सीमानों की पहचान मापी कार्यों और मानचित्र की शुद्धता का मूलाधार है
  • त्रि-सीमानों को फिक्स/नियत करने के लिए सबसे पहले सटे हुए (आसन्न/संलग्न) तीनों गावों में एक-एक मुस्तकिल की पहचान की जाती है. मुस्तकिल वो बिंदु है जिसकी अवस्थिति C.S. मानचित्र के निर्माण से लेकर अब तक जमीन पर अपरिवर्तित है अर्थात उसमें कोई बदलाव नहीं आया है. अब तीनों मुस्तकिल से त्रि-सीमाने के बिंदु को ठोकर मारकर देखते हैं अर्थात E.T.S. से जमीन पर उसकी दूरी देखते हैं. इसी दूरी को टाई-लाईन भी कहा जाता है.

त्रि-सीमाना के समायोजन का कार्य तब तक दोहराया जाता है जब तक कि ground distance और map distance conformity (एकदम एकसमान) नही हो जाय. मानचित्र की शुद्धता के लिए यह अनिवार्य प्रक्रिया है. एक बार त्रि-सीमाना बिंदु की अवस्थिति (location) नियत हो जाने के बाद D.G.P.S. observation लिया जाता है

D.G.P.S. एक मशीन है जिससे धरातल पर की किसी भी बिंदु की अवस्थिति का मान अक्षांश-देशांतर के रूप में बिलकुल शुद्ध-शुद्ध पता चलता है. इस अक्षांश-देशांतर के मान (observation) को अवस्थिति बिंदु के फिंगर प्रिंट की तरह समझा जा सकता है. अर्थात धरातल पर के किसी भी दो बिंदुओं का मान समान नही हो सकता है. नए बने मानचित्र में किसी भी दो स्थानों की दूरी और जमीन पर E.T.S. से मापी गई उसी दूरी का समान होना मानचित्र की शुद्धता के लिए आवश्यक होता है एक बार जब त्रि-सीमाना नियत हो जाए तो वहां एक पिलर का मोन्यूमेंटेशन कर दिया जाता है ताकि भविष्य में पहचानने के लिए अलग से मेहनत करने की आवश्यकता ना हो तथा स्थानीय मापी की जरूरत बिना किसी तकनीकी निर्भरता के संपन्न हो जाए.

सर्वेक्षण कार्य में अमीन की भूमिका

अमीन/विशेष सर्वेक्षण अमीन का मतलब है, भू-खंडों की मापी और माप के अनुसार नक्शा बनाने में तकनीकी रूप से दक्ष और सर्वेक्षण एवं बंदोबस्ती कार्य हेतु सरकार द्वारा अधिकृत कर्मी।
भू-सर्वेक्षण कार्य की अधिसूचना एवं बंदोबस्त पदाधिकारी द्वारा उद्घोषणा होने के बाद संबंधित राजस्व ग्राम में सर्वेक्षण कार्य का प्रचार-प्रसार करना। सर्वे एजेंसी से प्राप्त मानचित्र में स्थल पर मुस्तकिलों एवं त्रि-सीमानों की पहचान और स्थल के अनुसार मानचित्र को शुद्ध करते हुए ग्राम सीमा सत्यापन का कार्य एवं त्रि-सीमाना/ग्राम सीमा पर मोन्यूमेंट के रूप में पिलर लगाने में एजेंसी की मदद करना।

विगत खतियान की सहायता से प्रपत्र-5 में खतियानी विवरणी तैयार करना, खतियान अनुपलब्ध होने पर जमाबंदी पंजी एवं अन्य अभिलेखों की सहायता लेना। स्वघोषणा हेतु प्रपत्र-2 का वितरण एवं संधारण के अलावे विवादास्पद एवं गैर सत्यापित भूमि की विवरणी प्रपत्र-4 में तैयार करना। तिथिवार कार्यों को अंकित करते हुए अमीन डायरी तैयार करना, खेसरावार याददाश्त पंजी बनाना, गैर-हाजिर रैयत को पंजी में दर्ज करना एवं रैयत की वंशावली का संधारण। प्रपत्र-6 में खेसरा पंजी का संधारण |

पंजी निर्माण में याददाश्त पंजी, रैयत/अभिधारी की स्वघोषणा, तुलनात्मक एरिया स्टेटमेंट, वंशावली, एरियल एजेंसी से प्राप्त मैप आदि दस्तावेजों की मदद लेना। एरियल एजेंसी द्वारा किए जा रहे किस्तवार के दौरान उत्तर-पश्चिम दिशा से खेसरों की नंबरिंग की मानचित्र में प्रविष्टि, सभी खेसरों का शत-प्रतिशत सत्यापन। गैर रैयती भूमि की विवरणी तैयार करना, मानचित्र में चिन्हित करना ताकि उक्त भूमि पर गलत ढंग से कोई दावा प्रस्तुत नहीं करे। खेसरा पंजी के आधार पर प्रपत्र-7 में खानापुरी पर्चा तैयार करना, एरियल एजेंसी द्वारा निर्मित Land Parcel Map के साथ उसका वितरण एवं प्राप्त आपत्तियों की जॉच कर प्रतिवेदन देना।

जमीन सर्वे बिहार कार्य में कानूनगो की भूमिका

  • सर्वेक्षण प्रक्रिया प्रारंभ होने के पश्चात भू-धारियों से प्राप्त स्वघोषणा संबंधी दस्तावेजों की जाँच एवं सत्यापन में अमीन का पर्यवेक्षण ।
  • रैयत द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने अथवा विवाद की स्थिति में गैर सत्यापित/विवादग्रस्त भूमि का ब्यौरा तैयार करना।
  • रैयतों द्वारा समर्पित वंशावली का सत्यापन, अमीन की सहायता एवं सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी के पर्यवेक्षण में ग्राम सभा द्वारा करवाना। • त्रि-सीमाना एवं ग्राम सीमा सत्यापन में सहयोग और खेसरों की नंबरिंग की जाँच एरियल एजेंसी से प्राप्त ब्यौरों के साथ करना।
  • किस्तवार प्रक्रिया में एरियल एजेंसी एवं अमीन द्वारा किए गए सीमांकन कार्य का सत्यापन एवं 25 प्रतिशत भू-खण्डों की जाँच ।
  • सुनवाई के दौरान रैयती भूमि के स्वामित्व के संबंध में उपलब्ध दस्तावजों एवं साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देना।
  • खेसरा पंजी में दर्ज की गई प्रविष्टियों के अतिरिक्त अमीन डायरी की नियमित जाँच करना।
  • सुनवाई के पश्चात् पारित आदेश के आलोक में अधिकार अभिलेख में संशोधन की कार्रवाई करवाना।
  • शिविर में जाँच के लिए आए आवेदनों के निष्पादन में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी/शिविर प्रभारी को सहयोग करना।
  • अंतिम अधिकार अभिलेख के पूर्ण होने के पहले अमीन द्वारा तैयार लगान दर तालिका की जाँच एवं सत्यापन।

जमीन सर्वे बिहार सर्वेक्षण कार्य में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी की भूमिका

जमीन सर्वे बिहार के तहत सर्वेक्षण प्रक्रिया प्रारंभ होने के पश्चात भू-धारियों से प्राप्त स्वघोषणा संबंधी दस्तावेजों की जाँच एवं सत्यापन कार्य का पर्यवेक्षण । रैयतों द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने अथवा विवाद की स्थिति में गैर सत्यापित/विवादग्रस्त भूमि के ब्यौरों को सत्यापित करना। रैयतों द्वारा समर्पित वंशावली का सत्यापन, अमीन एवं कानूनगो की सहायता से अपने पर्यवेक्षण में ग्राम सभा द्वारा करवाना। विशेष सर्वेक्षण शिविर अंतर्गत आनेवाली समस्त सरकारी भूमि का ब्यौरा प्राप्त कर उनके संरक्षण की कार्रवाई करना। त्रि-सीमाना एवं यूनिक बाउंड्री निर्धारण से संबंधित कार्य का पर्यवेक्षण एवं यूनिक बाउंड्री निर्धारण में आनेवाली बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश
देना।

http://vijaysolution.com/vanshavali-will-have-to-be-given-online-for-bihar-land-survey/

किस्तवार प्रक्रिया में एरियल एजेंसी एवं अमीन द्वारा किए गए सीमांकन कार्य का सत्यापन एवं 10 प्रतिशत भू-खण्डों की जाँच। खेसरा पंजी में दर्ज की गई प्रविष्टियों के अतिरिक्त अमीन डायरी की नियमित जाँच करना। खानापुरी पर्चा एवं लैंड पार्सल मैप (LPM) के विरूद्ध प्राप्त आपत्तियों में सरकारी भूमि से संबंधित दावों/आपत्तियों की सुनवाई तथा उपलब्ध दस्तावेजों एवं साक्ष्यों के आधार पर निर्णय देना।

अधिकार अभिलेख के प्रारूप प्रकाशन के पूर्व रैयतों से प्राप्त आपत्तियों को सुनवाई के पश्चात् पारित आदेश के आलोक में अधिकार अभिलेख में संशोधन करवाना। प्रपत्र-12 में अधिकार अभिलेख के प्रारूप प्रकाशन के पश्चात रैयती एवं सरकारी भूमि संबंधी आपत्ति/दावों का विहित प्रक्रिया के तहत निष्पादन।

सर्वेक्षण शिविर में जाँच के लिए आए आवेदनों का कानूनगो एवं अमीन की मदद से निष्पादन करना। अंतिम अधिकार अभिलेख के पूर्ण होने के पहले अमीन एवं कानूनगो द्वारा तैयार लगान दर तालिका की जाँच एवं सत्यापन। सर्वेक्षण के उद्देश्य से गठित राजस्व ग्रामों के शिविर का प्रशासनिक नियंत्रण।

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जमीन का सर्वे कितने प्रकार का होता है?

कई प्रकार के सर्वे चलन में हैं जैसे कंट्रोल सर्वेइंग, लैण्ड सर्वेइंग, सिटी सर्वेइंग, टोपोग्राफ़िकल सर्वेइंग, रूट सर्वेइंग, खनन सर्वेइंग, इंजीनियरिंग सर्वेइंग, सैटेलाइट सर्वेइंग, जियोलॉजिकल सर्वेइंग, कंस्ट्रक्शन सर्वेइंग आदि-आदि।

सर्वे कितने साल पर होता है?

सर्वे ऑफ इंडिया ट्राइगोनोमेट्रीकल सर्वे, रेवेन्यू सर्वे और मैपिंग सर्वे नामक तीन संस्थानों का एक संयोग है। भारत के पहले सर्वेयर जनरल ऑफ सर्वे कर्नल विलियम लेम्बटन को १८०२ में ट्राइगोनोमेट्रीकल सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना का श्रेय जाता है। इसे पूरा करने में ४० साल लगे और यह २४०० मील के क्षेत्र पर फैला हुआ है।

जमीन सर्वे का क्या मतलब होता है?

भूमि बंदोबस्ती-सर्वे (जमीन सर्वे बिहार) की प्रकिर्या सर्वे के बाद जमीन के खतियान की हार्ड कॉपी और डिजिटल कॉपी भी तैयार होगी। और डिजिटल कॉपी हर खरीद बिक्री के बाद जमीन का खतियान बदलता रहेगा। भूमि बंदोबस्ती-सर्वे के बाद जमीन की अवैध खरीद बिक्री पर रोक लग जाएगी।

भूमि का सर्वे कैसे किया जाता है?

प्रत्येक राज्य ने अपना पोर्टल बनाया है जहां कोई भी अपनी भूमि सर्वेक्षण संख्या की जांच कर सकता है या सर्वेक्षण संख्या का उपयोग करके भूमि विवरण प्राप्त कर सकता है। उदाहरण के लिए, 'दिशांक' एक मोबाइल ऐप है जिसे कर्नाटक सरकार ने लोगों के लिए अपनी भूमि सर्वेक्षण संख्या विवरण ऑनलाइन खोजने के लिए लॉन्च किया है।