महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के क्या कारण है? - mahaasaagareey dhaaraon kee utpatti ke kya kaaran hai?

महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के क्या कारण है? - mahaasaagareey dhaaraon kee utpatti ke kya kaaran hai?
  • यह लेख पढ़ने के बाद आप:-
  • महासागरीय धाराओं से तात्पर्य तथा उनके प्रकार ;
  • महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति कैसे होती है तथा उनकी दिशा को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं;
  • महासागरीय धाराओं के प्रभाव के बारे में जान सकेंगे।

परिचय

  • महासागरों की ऊपरी सतह पर जल के क्षैतिज प्रवाह को जिसकी वर्ष भर एक निश्चित दिशा होती है। जिसे धारा कहते हैं।
  • महासागरीय नितल के समीप जलधारा के समानांतर लेकीन विपरीत दिशा में जल के क्षैतिज प्रवाह को सर्पण (creep) कहते हैं।
  • धाराओं की गति,आकार,दिशा में अंतर होने के कारण इन्हें कई उप प्रकारों में विभाजित किया जाता है।
  • पवन जनित जल के क्षैतिज प्रवाह को ड्रिफ्ट कहते हैं, जिसकी गति अत्यंत मंद होने के साथ सीमा रेखाएं स्पष्ट नहीं होती हैं। उत्तरी अटलांटिक प्रवाह तथा दक्षिणी अटलांटिक प्रवाह ड्रिफ्ट के प्रमुख उदाहरण हैं।
  • धाराओं के समूह को विशाल धारा(stream) कहते हैं। इसकी गति प्रवाह (drift) तथा धारा से अधिक होती है। जैसे- गल्फ स्ट्रीम
  • जल के तापमान के आधार पर महासागरीय धाराओं को ठंडी धाराएं तथा गर्म धाराओं में विभाजित किया जाता है।
  • जो जल धाराएँ निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर प्रवाहित होती हैं,उन्हें गर्म जलधारा कहते हैं। इन जलधाराओं का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है। अतः ये जिन तटीय क्षेत्रों से बहती हैं, वहाँ का तापमान बढ़ा देती है। जैसे- गल्फ स्ट्रीम,उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट,क्युरोशिवो, ब्राजील धारा गर्म धाराओं के उदाहरण हैं।
  • जो धाराएँ उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर चलती हैं,उन्हें ठंडी जलधारा कहते हैं। इन जलधाराओं का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से कम होता है। अतः ये जिन क्षेत्रों में प्रवाहित होती हैं,वहाँ का तापमान कम कर देती हैं। जैसे- क्यूराइल धारा, कैलिफोर्निया धारा,कनारी धारा, पेरू ,बैंगुला, ठंडी जलधाराएं हैं।

धाराओं की उत्पत्ति को प्रभावित करने वाले कारक:

  • सागरीय जल के तापमान,लवणता,घनत्व में स्थानिक विभिन्नता, वायुदाब तथा हवाएं, पृथ्वी के परिभ्रमण, वाष्पीकरण तथा वर्षा की मात्रा आदि कारकों के सम्मिलित प्रभाव से महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति होती है।

धाराओं की दिशा को प्रभावित करने वाले कारक:

  • पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न कोरिओलिस बल, महासागरीय तट का स्वरूप और विस्तार तथा तलीय आकृतियां, स्थानीय पवनें धाराओं की दिशा के निर्धारण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक हैं।

महासागरीय धाराओं के प्रभाव:

  • सागरीय धाराएं तटीय भागों के जलवायु में परिवर्तन कर देती है।गर्म धाराएँ ठंडे भागों में पहुँचकर सर्दियों में तटों को अपेक्षाकृत गर्म रखती है। जैसे- गल्फस्ट्रीम की उत्तरी अटलांटिक शाखा यूरोपीय (तटीय) देशों के तापमान को बढ़ा देती है।
  • जलधाराएं मत्स्य उद्योग को प्रभावित करती हैं, इनके द्वारा मछलीयों के लिये आवश्यक ऑक्सीजन एवं पोषक तत्वों के साथ-साथ प्लैंकटन का भी परिवहन होता है जिससे मत्स्यन को बढ़ावा मिलता है।
  • ये पृथ्वी की सतह के तापमान के संतुलन में पर्याप्त सहयोग प्रदान करती हैं।
  • जल धाराएं व्यापार को प्रभावित करती हैं। जहां पर गर्म और ठंडी धाराएं मिलती हैं वहां कोहरा पड़ता है जो कि सामुद्रिक जहाजों के परिवहन में बाधा उत्पन्न करती है। ठंडी धाराओं द्वारा बड़ी-बड़ी हिम शिलाएं निम्न अक्षांशों की ओर लाई जाती हैं जिनके टकराने के कारण जलयान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जबकि गर्म धराओं के कारण ठंडे स्थानों के बंदरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं।

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महासागरों में महासागरीय धाराएँ ( mahasagariya dhara ) बनने के कई कारण होते हैं, जिनमे महासागरीय विशेषता के साथ -साथ पृथ्वी की घूर्णन गति और उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति प्रमुख हैं।

महासागरीय धाराओं  ( mahasagariya dhara ) के बनने और उनकी दिशा को प्रभावित करने वाले करक –

महासागरीय धाराओं ( mahasagariya dhara )  को उत्पन्न करने वाले कारक:

पृथ्वी का परिभ्रमण (घूर्णन) / Earth rotation –

पृथ्वी पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा में घूर्णन गति करती है।
इसी घूर्णन गति के कारण महासागरीय जल पृथ्वी की गति के विपरीत (पूर्व से पश्चिम की ओर) प्रवाहित होने लगता है जिससे विषुवत रेखीय धाराएँ (equatorial currents) उत्पन्न होती हैं।
परन्तु कुछ जल राशि पृथ्वी की गति की दिशा में भी प्रवाहित होती है, जिसे ‘प्रति विषुवत धारा’ (Per equatorial current’) कहते है।

उत्तरी गोलार्द्ध में ये महासागरीय धाराएँ विषुवत रेखा (equator) से ध्रुवों (poles) की ओर चलती हैं तथा दायीं ओर मुड़ जाती हैं,
वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध ये धाराएं ध्रुवों से विषुवत रेखा (equator ) की ओर चलती है और अपने बायीं ओर मुड़ जाती हैं।

a – तापमान में विभिन्नता –
Variation in temperature –

तापमान में विभिन्नता के कारण भी महासागरीय जल के तल में अंतर के कारण महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति होती है।
विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा पर पूरे साल भर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं,
इससे महासागरीय जल का तापमान बढ़ जाता है और उसके घनत्व में कमी हो जाती है।
जिससे महासागरीय जल विषुवत जलधारा के रूप में बहने लगता है ।

b-लवणता में अंतर
Difference in salinity

महासागरीय जल की लवणता में भिन्नता पाई जाती है। अधिक लवणता वाला जल अधिक घनत्व वाला एवं भारी होता है,
यह भारी जल अधिक घनत्व होने से नीचे बैठ जाता है।जिसके फलस्वरूप उस स्थान को भरने के लिए कम लवणता एवं कम घनत्व वाला जल उस स्थान पर आता है और एक धारा का निर्माण होता है ।

c-घनत्व में भिन्नता
Density variation

कई कारकों जैसे तापमान, लवणता, दाब, तथा उच्च अक्षांशों में होने वाली बर्फ के पिघलने से भी महासागरीय जल के घनत्व में अंतर उत्त्पन्न हो जाता है,
अतः घनत्व में भिन्नता के कारण धाराओं की उत्पत्ति होती है।

बाह्य महासागरीय कारक
External oceanographic factors

महासागरीय जल पर कई बाहरी दशाओं का प्रभाव भी पड़ता है। जिसमें, वायुदाब, हवाएँ, वाष्पीकरण तथा वर्षण आदि प्रमुख है।

a-वायुदाब तथा हवाएँ
External oceanographic factors

महासागरीय जल में जहाँ पर वायुदाब की मात्रा अधिक होती है,
वहाँ पर सागरीय जल का तल नीचे हो जाता है जबकि,
जहाँ वायुदाब कम होता है, वहाँ पर सागरीय जल का तल ऊँचा हो जाता है,
जिसके कारण कम वायुदाब वाले क्षेत्र से जल अधिक वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर गति करता है और महासागरीय धाराओं का निर्माण होता है ।

b-प्रमुख प्रचलित हवाओं ( पवनों ) के कारण

प्रमुख प्रचलित हवाओं ( पवनों ) के कारण भी महासागरीय जल में धाराएँ उत्पन्न होती हैं।
ये प्रचलित हवाएँ जब महासागर या सागर से होकर गुजरती है, तो सागर में रगड़/घर्षण से अपने साथ सागरीय जल को भी अपने साथ ले जाती हैं,
जिससे महासागरीय धाराओं का निर्माण होता है ।

महासागरीय धाराओं ( mahasagariya dhara ) की दिशा को प्रभावित करने वाले कारक:

  • पृथ्वी का परिभ्रमण
  • महसगरीय तट की दिशा
  • तटीय आकृतियाँ
  • मौसमी परिवर्तन

महासागरीय धाराओं (mahasagariya dhara  ) के प्रकार:

तापमान के आधार पर महासागरीय धाराओं को दो भागों में बांटा गया है।

गर्म धारा (Hot stream) –

गर्म जल धाराएँ निम्न अक्षांशों ( विषुवत रेखा ) से उच्च अक्षांशों ( ध्रुवों ) की ओर प्रवाहित होती हैं, इनका तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है। अतः ये जलधाराएं जिन क्षेत्रों की ओर चलती हैं, वहाँ के तापमान को बढ़ा देती है।

ठंडी जलधारा (Hot stream) –

ठंडी जलधाराएँ उच्च अक्षांशों (ध्रुवों ) से निम्न अक्षांशों ( विषुवत रेखा ) की ओर चलती हैं । ये जलधाराए मार्ग में आने वाले जल के तापमान को कम कर देती है।
अतः ये जलधाराएं जिन क्षेत्रों की ओर चलती हैं, वहाँ के तापमान को काम कर देती हैं।

अटलांटिक महासागर की जलधाराएँ

गर्म धाराएँ
Hot currents

उत्तरी विषुवत रेखीय धारा
Northern equatorial stream

शून्य से सौ डिग्री उत्तरी अक्षांशों के मध्य व्यापारिक पवनों से प्रभावित होकर उत्तरी विषुवत रेखीय धारा पश्चिमी अफ्रीका से दक्षिण अमेरिका के ब्राजील देश के पूर्वी तट तक प्रवाहित होती है।

भूमध्य रेखीय जलधारा
Equatorial stream

भूमध्य रेखीय जलधारा, ब्राजील तट से टकराकर उत्तर में यूकाटन चैनल से मैक्सिको की खाडी होते हुए फ्लोरिड़ा जलडमरूमध्य में होकर 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक बहती है जहाँ इसे “फ्लोरिडा धारा” कहा जाता है ।

यही फ्लोरिडा धारा जब हैट्टस अन्तरीप से आगे बहती है ,तो इसे ग्रांड बैंक तक “गल्फस्ट्रीम धारा” के नाम से जाना जाता है।

उत्तरी अटलांटिक प्रवाह –

45 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 45 डिग्री पश्चिमी देशान्तर के पास “गल्फस्ट्रीम धारा” पछुआ पवनों से प्रभावित होकर, उत्तर-पूर्व में पश्चिमी यूरोप की ओर “उत्तरी अटलांटिक प्रवाह” के नाम से प्रवाहित होती हैं।

यही उत्तरी अटलांटिक प्रवाह आगे चलकर कई शाखाओं में विभक्त हो जाती है।
नार्वे में – नार्वेजियन धारा,
आइसलैण्ड के दक्षिण में – इरमिगंर धारा
ग्रीनलैण्ड के पूर्वी भाग में – ग्रीनलैण्ड धारा
ये सभी प्रमुख जलधाराएं उत्तरी अटलांटिक प्रवाह की शाखाएं है। इनमे से एक शाखा है, रेनेल धारा -जो बिस्के की खाड़ी में चली जाती है।

दक्षिण विषुवत रेखीय जलधारा –
South equator

दक्षिणी अक्षांशों में शून्य से बीस डिग्री अक्षांशों में मध्य पश्चिमी अफ्रीका से दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट तक “दक्षिण विषुवत रेखीय जलधारा” प्रवाहित होती है।

प्रति विषुवत रेखीय जलधारा –

विषुवत रेखा के समीप पश्चिम से पूर्व में गिनी तट तक प्रति विषुवत रेखीय जलधारा प्रवाहित होतीं हैं।

ब्राजील धारा –
Brazil stream

दक्षिण विषुवत रेखीय धारा जब ब्राजील तट से टकराकर उत्तर से दक्षिण की और ब्राजील तट की ओर चलती तो उसे ब्राजील धारा कहा जाता है।

ठण्डी धाराएँ
Cold currents

लेब्रेडोर जलधारा –
Labrador stream –

लेब्रेडोर जलधारा, उत्तर में स्थित बैफीन की खाडी एवं डेविस जलडमरूमध्य से शुरू होती है , उसके बाद न्यूफाउण्डलैण्ड तट के सहारे 45 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक प्रवाहित होती है ।

ग्रीनलैण्ड जलधारा –
Greenland Stream –

ग्रीनलैण्ड द्वीप के पूर्वी भाग में ग्रीनलैण्ड जलधारा बनती है और उत्तरी अटलांटिक प्रवाह तक ये धारा प्रवाहित होती है।

कनारी जलधारा –
Canary Stream –

कनारी जलधारा उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी तट प्रवाहित होने वाले धारा है ,जिसकी उत्पित्त उत्तरी अटलांटिक धारा के उत्तर से दक्षिण की और प्रवाहित होने से होती है।

फॉकलैण्ड जलधारा –
Falkland Stream –

अर्जेन्टाइना के पूर्वी तटीय भाग में 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक फॉकलैण्ड जलधारा प्रवाहित होती है।

दक्षिण अटलांटिक जलधारा –
South Atlantic Stream

दक्षिण अटलांटिक जलधारा वास्तव में ब्राजील (गर्म ) धारा है जो पृथ्वी के विक्षेप बल (deflection force ) से और पछुआ पवनों के प्रभाव से प्रवाहित होकर पश्चिम से पूर्व की ओर दक्षिण अटलांटिक ठण्डी धारा के नाम से प्रवाहित होती है।

बैगुंला जलधारा –
Bagunla stream –

दक्षिणी अफ्रीका के पश्चिमी तट में उत्तर की ओर दक्षिण अफ्रीका तथा नामीबिया के पश्चिमी तट के समीप प्रवाहित होने वाली धारा बैगुंला जलधारा कहलाती है।

प्रशान्त महासागर की जलधाराएँ

गर्म धाराएँ
Hot currents

उत्तरी विषुवत रेखीय जलधारा-
Northern Equator Linear Stream-

मैक्सिको तट से होकर फिलीपाइन्स तट तक चलने वाली उत्तरी विषुवत रेखीय जलधारा की उत्पित्त व्यापारिक पवनों के द्वारा होती है।

दक्षिणी-विषुवत रेखीय जलधारा –
Southern equatorial stream –

पेरू-इक्वेडोर के तटीय क्षेत्र से पापुआ-न्यूगिनी तट तक दक्षिणी-विषुवत रेखीय जलधारा प्रवाहित होती है।

प्रति विषुवत रेखीय जलधारा – ये जलधारा न्यू-गायना से पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होती है।

क्यूरोशिवो जलधारा –
Kuroshivo stream –

उत्तरी विषुवत रेखीय महासागरीय जलधारा जब फिलीपाइन्स तट से टकराकर दक्षिणी ताइवान से 45 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक प्रवाहित होती है
उसे क्यूरोशिवों गर्म धारा के रूप में जाना जाता है।

क्यूरोशिवों जलधारा का कुछ जल जापान के पश्चिमी तट से जापान सागर में “सुशिमा जलधारा “ के नाम से प्रवाहित होता है।

एल्युशियन धारा (अलास्का धारा)-
Alushian Stream (Alaska Stream) –

उत्तरी प्रशान्त प्रवाह के पश्चिमी अमेरिका तट से टकराने के पश्चात,
इसकी एक शाखा अलास्का तट के सहारे उत्तर की ओर प्रवाहित होती है, जिसे अलास्का जलधारा कहलाती है।

पूर्वी आस्ट्रेलिया जलधारा –
East Australia Stream –

आस्ट्रेलिया के पूर्वी तटीय क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण में 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक पूर्वी आस्ट्रेलिया जलधारा प्रवाहित होती है।

एल निनो जलधारा (विपरीत धारा)-
El Nino water stream (opposite stream) –

विषुवत रेखीय क्षेत्र में वायुदाब में होने वाले परिवर्तन और प्रतिविषुवत रेखीय जलधारा के कारण दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर 30 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 36 डिग्री दक्षिण अक्षांश तक एल निनो जलधारा (विपरीत धारा) प्रवाहित होती है।

ठण्डी धाराएँ
Cold currents

क्यूराइल जलधारा (आयोशिवो धारा) –
Currail stream (Ayoshivo stream) –

बेरिंग जलडमरूमध्य से बर्फ के पिघलने के कारण प्राप्त ठण्डे जल के द्वारा क्यूराइल जलधारा का जन्म होता है।
क्यूराइल जलधारा दक्षिण में 50 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक बहने के बाद जापान के पूर्वी तट पर क्यूरोशिवो की गर्म धारा से मिलती है।

कैलिफोर्निया जलधारा –
California Stream –

उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में उत्तर से दक्षिण की ओर लिफोर्निया जलधारा का प्रवाह होता है।

पेरू जलधारा (हम्बोल्ट धारा) –
Peru stream (Humboldt stream) –

दक्षिणी अमेरिका में पश्चिमी तट के सहारे दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर पीरू एवं चिली के तटीय क्षेत्रों में यह धारा प्रवाहित होती है।

दक्षिण प्रशान्तीय पछुआ पवन प्रवाह धारा –
South Pacific West Wind Wind Stream –

यह धारा 40 डिग्री दक्षिणी से 45 डिग्री दक्षिणी अक्षाशों के मध्य पछुआ पवनों के साथ पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर प्रवाहित होती है।

हिन्द महासागर की जलधाराएँ
Indian Ocean streams

उत्तरी हिन्द महासागर की जलधाराएँ
Currents of northern Indian Ocean

दक्षिणी पश्चिमी मानसून जलधारा –
South Western Monsoon Stream –

ये जल धाराएं ग्रीष्मकाल में सोमालिया के तटीय क्षेत्रों से भारतीय उपमहाद्वीप एवं सुमात्रा तट की ओर प्रवाहित होती है।

उत्तरी-पूर्वी मानसूनी जलधारा –
North-East Monsoon Stream –

भारतीय उपमहाद्वीप तट में उत्तर-पूर्वी मानसूनी हवाओं के प्रभाव से शीतकाल में उत्तर-पूर्वी मानसूनी जलधारा भारतीय उपमहाद्वीप तट से सोमालिया के तट तक प्रवाहित होती है।

दक्षिणी हिन्द महासागर की धाराएँ
Currents of South Indian Ocean

दक्षिणी विषुवत रेखीय जलधारा –
Southern Equator Linear Stream –

10 डिग्री दक्षिणी अक्षांश से 15 डिग्री दक्षिणी अक्षाशों तक आस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक प्रवाहित दक्षिणी विषुवत रेखीय जलधारा की उत्पित्त व्यापारिक पवनों से होती है।

मोजाम्बिक जलधारा –
Mozambique –

दक्षिण विषुवत रेखीय धारा मौजाम्बिक चैनल में उत्तर दिशा से दक्षिण दक्षिण दिशा की ओर मोजाम्बिक जलधारा के नाम से प्रवाहित होता है।

मालागासी जलधारा – ये जलधारा अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिण पूर्व में स्थित मेडागास्कर के पूर्वी तटीय क्षेत्र में प्रवाहित होती है।

अगुलहास जलधारा –
Agulhas water stream –

मेडागास्कर द्वीप के दक्षिण में 30 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के नजदीक मोजाम्बिक और मालागासी धाराएं आपस में मिलकर अगुलहास जलधारा के नाम से आगे को प्रवाहित होती हैं।

पछुआ पवन प्रवाह –

40 डिग्री दक्षिणी अक्षांशों में स्थित जो जलराशि पछुआ पवनों के प्रभाव से प्रवाहित होता है तथा जिसकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होती है,पछुआ पवन प्रवाह कहलाती है। पछुआ पवन प्रवाह एक ठण्डी जलधारा है।

महासागरीय धारा की उत्पत्ति कैसे होती है?

तापमान में भिन्नता के कारण सागरीय जल के तल में अंतर के फलस्वरूप महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति होती है। विषुवत रेखा पर वर्षभर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं इससे महासागरीय जल का तापमान बढ़ जाता है तथा उसका घनत्व कम हो जाता है। परिणामस्वरूप विषुवत जलधारा के रूप में जल में गति प्रारंभ हो जाती है

महासागरीय धारा की उत्पत्ति का मुख्य कारण क्या है?

महासागरीय धाराएं हवा के कारण हो सकती हैं, तापमान और लवणता भिन्नताओं, गुरुत्वाकर्षण, और भूकंप या तूफान जैसी घटनाओं के कारण पानी के द्रव्यमान में घनत्व अंतर हो सकता है। धाराएँ समुद्री जल की संसक्त धाराएँ हैं जो समुद्र के माध्यम से फैलती हैं।

महासागरीय धाराओं के 5 मुख्य कारण क्या हैं?

The average speed of the ocean current is 3 to 9km/hr..
Wind flow: ... .
Coriolis effect: ... .
Different temperatures of the ocean: ... .
Different Salt densities of Ocean: ... .
Gravity:.

महासागरीय धाराएं कक्षा 8 के क्या कारण हैं?

उत्तर b: समुद्र की धाराएँ हवा, तापमान और लवणता भिन्नता, गुरुत्वाकर्षण और भूकंप जैसी घटनाओं के कारण जल द्रव्यमान में घनत्व अंतर से उत्पन्न हो सकती हैं। धाराएँ समुद्री जल की संसक्त धाराएँ हैं जो समुद्र के माध्यम से फैलती हैं।