लालबिहारी कौन है उसके क्रोधित होने का क्या कारण था समझाइए - laalabihaaree kaun hai usake krodhit hone ka kya kaaran tha samajhaie

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 बड़े घर की बेटी

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भैंस का दो सेर ताजा दूध सवेरे उठकर कौन पी जाता था
(क) भूप सिंह
(ख) बेनीमाधव सिंह
(ग) लालबिहारी सिंह
(घ) श्रीकण्ठ सिंह
उत्तर तालिका:
(ग) लालबिहारी सिंह

प्रश्न 2.
लालबिहारी फूट-फूट कर रोने लगा था –
(क) गलती के अहसास से
(ख) भाई की बात सुनकर
(ग) घर से जाने की बात से
(घ) घर में रहने की बात से
उत्तर तालिका:
(क) गलती के अहसास से

प्रश्न 3.
“वह बड़े घर की बेटी है, तो हम भी कोई कुर्मी-कहार नहीं हैं।” लालबिहारी के इस कथन में कौनसा मनोभाव व्यक्त हुआ है –
(क) अपनत्व
(ख) अहम्
(ग) अकुलाहट
(घ) ईष्र्यो
उत्तर तालिका:
(ख) अहम्

प्रश्न 4.
“मैं ईश्वर को साक्षी देकर कहती हूँ कि तुम्हारी ओर से मेरे मन में तनिक भी मैल नहीं।” यह वाक्य आनंदी के किस भाव को व्यक्त करता है –
(क) स्नेह भाव
(ख) एकत्व भाव
(ग) पश्चाताप का भावे
(घ) क्षमाभाव
उत्तर तालिका:
(घ) क्षमाभाव

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आनंदी का अपने पति से किस बात पर विरोध था?
उत्तर:
श्रीकंठ का सम्मिलित कुटुम्ब या संयुक्त परिवार का समर्थन करने की बात पर आनंदी का उससे विरोध था।

प्रश्न 2.
श्रीकंठ का गाँव के लोग अधिक सम्मान क्यों करते थे?
उत्तर:
श्रीकंठ अंग्रेजी डिग्री प्राप्त करके भी अंग्रेजी सामाजिक प्रथाओं की निन्दा और तिरस्कार किया करते थे, इसलिए गाँव के लोग उनका अधिक सम्मान करते थे।

प्रश्न 3.
“मैके में चाहे घी की नदी बहती हो।” लालबिहारी के इस कथन के उत्तर में आनंदी ने क्या कहा था? .
उत्तर:
आनंदी ने कहा था कि वहाँ उसके मैके में इतना घी तो नाई-कहार खा जाते हैं।

प्रश्न 4.
आजकल की स्त्रियों की किस मनोवृत्ति की ओर कहानीकार ने संकेत किया है?
उत्तर:
आजकल की स्त्रियों में संयुक्त परिवार की अपेक्षा एकल परिवार के प्रति रुचि रहती है, उनकी इसी मनोवृत्ति की ओर कहानीकार ने संकेत किया है।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बड़े घर की बेटी’ कहानी का उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
प्रेमचन्द जी की कहानियों में आदर्शोन्मुखी यथार्थ के दर्शन होते हैं। प्रस्तुत कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ में भी इसी उद्देश्य की पूर्ति दिखाई देती है। लेखक ने एक आदर्श बेटी, जो किसी घर में बहू बनकर जाती है, उसके कर्तव्य को भली-भाँति प्रस्तुति दी है। बहू उस घर को टूटने से बचाती है। यहाँ आनंदी ने अपने देवर के अपराध को क्षमा किया, अपने विवेकपूर्ण निर्णय से घर को बिखरने से बचा लिया । अच्छे संस्कारों वाली बेटी अपने पीहर और ससुराल दोनों का मान रखती है, प्रेमचन्दजी ने आनंदी के चरित्र से समझदारी रखने का उद्देश्य व्यक्त किया है।

प्रश्न 2.
उद्विग्नता के कारण पलक तक नहीं झपकी’यह उद्विग्नता किसको, किस बात से हुई थी?
उत्तर:
यह उद्विग्नता श्रीकंठ को हुई थी। आनंदी ने जब श्रीकंठ को उनके छोटे भाई लालबिहारी सिंह द्वारा किये गये अन्यायपूर्ण दुर्व्यवहार के बारे में बताया कि घर में जो घी था वह उसने अपने देवर के लिए पकाये गये मांस में डाल दिया था, दाल में डालने के लिए और घी नहीं बचा था। इसी बात को लेकर देवर-भौजाई में तकरार बढ़ गई और देवर ने इतनी-सी बात पर आनंदी की ओर खड़ाऊँ फेंक मारी। इसी बात से श्रीकण्ठ को उद्विग्नता हुई थी और वे रातभर सो नहीं सके, करवटें बदलते रहे।

प्रश्न 3.
आनंदी अन्य स्त्रियों की तरह अपने पति के किस विचार से सहमत नहीं थी? इसके संबंध.में उसकी क्या धारणा थी?
उत्तर:
आनंदी के पति श्रीकंठ संयुक्त परिवार में मिलजुलकर रहने के प्रबल पक्षधर थे। यही कारण था कि गाँव की स्त्रियाँ उनकी निंदक थीं। स्वयं आनंदी भी उनके इस विचार से सहमत नहीं थी। इस संबंध में आनंदी के स्पष्ट विचार थे कि यदि संयुक्त परिवार में रहने के लिए बहुत सहनशीलता रखते हुए भी, अपने परिजनों को बहुत महत्त्व देते हुए भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके, तो प्रतिदिन की कलह से जीवन को बर्बाद करने की अपेक्षा यही उत्तम उपाय है कि अलग होकर रहें।

प्रश्न 4.
लालबिहारी के प्रति स्नेह रखते हुए भी श्रीकंठ क्रोधित क्यों हो उठा था?
उत्तर:
लालबिहारी अपने बड़े भाई श्रीकण्ठ का बहुत आदर करता था। श्रीकंठ भी लालबिहारी के प्रति अगाध हार्दिक स्नेह रखता था। लालबिहारी द्वारा आनंदी का अपमान करते हुए उसे खड़ाऊँ फेंककर मारने का अन्यायपूर्ण अपराध करना श्रीकंठ जैसे धैर्यवान, सहनशील और क्षमाशील व्यक्ति को भी क्रोध की अग्नि में जलने को विवश कर गया। वह अच्छी तरह समझता था कि पत्नी की मान-प्रतिष्ठा का उत्तरदायित्व पति का है। उसके प्रति ऐसा घोर अन्यायपूर्ण व्यवहार देखकर श्रीकण्ठ क्रोधित हो उठा था।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बड़े घर की बेटी’ शीर्षक कहानी के नामकरण की सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर:
प्रेमचन्द की प्रसिद्ध कहानी ‘बड़े घर की बेटी’ एक चरित्र प्रधान कहानी है। कहानी की नायिका आनंदी एक बड़े ऊँचे कुल की युवती थी। उसके पिता भूपसिंह एक रियासत के जमींदार थे। वे बहुत ही प्रतिष्ठित, उदारचित्त और प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। इस प्रकार जन्म से तो आनंदी बड़े घर की बेटी थी ही, वह हृदय से, चरित्र से और कर्तव्य पालन की दृष्टि से संस्कार-सम्पन्न थी। वह जिस घर में बहू बनकर आयी थी, उस घर की मान-मर्यादा की रक्षा करते हुए उसे टूटने से बचाने में उसने पूर्ण उत्तरदायित्व का निर्वहन किया था।

उसने अपमान करने वाले देवर को क्षमा करते हुए घर छोड़कर जाने से रोककर घर को बिखरने से बचा लिया। उसको यह विवेकपूर्ण एवं उदारतापूर्ण निर्णय ही उसे बड़प्पन प्रदान करता है। आनंदी के इस कृत्य के बारे में जिसने भी सुना, उसी ने उसकी उदारता की सराहना करते हुए उसे बड़े घर की बेटी कहा। अतः कहानी शीर्षक ‘बड़े घर की बेटी’ पूर्णरूपेण सार्थक है।

प्रश्न 2.
आपकी दृष्टि में इस पाठ में कौन सी बात सबसे गलत हुई? इस बात की चर्चा करते हुए अपने विचार लिखें कि आप उस बात को बुरी क्यों मानते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मेरी दृष्टि में लालबिहारी सिंह द्वारा अपनी भाभी पर क्रोध करना, उसके मायके की निन्दा करना या अपशब्द कहकर खड़ाऊ फेंकना सबसे गलत कुंत्य था। लालबिहारी की यह हरकत बहुत ही नीचतापूर्ण एवं अक्षम्य थी। उसने एक ऐसी नारी का अपमान किया था जो चरित्र से महान्, उदारहृदया, कर्तव्यपरायण, क्षमाशीलता आदि गुणों से ओत-प्रोत थी। भाभी जैसे गरिमामय पद पर आसीन स्त्री का इस तरह अपमान करना हमारी दृष्टि में घोर अपराध है। हमारी संस्कृति में तो प्रत्येक नारी को पूजनीया माना गया है। जैसा कि कहा जाता है-‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’, अतः लालसिंह का उक्त कृत्य बहुत ही अशोभनीय और अत्यन्त निन्दनीय था।

प्रश्न 3.
“घर की छोटी-छोटी बातें सदस्यों के अहम् के कारण विघटन का कारण बन सकती हैं।”बड़े घर की बेटी’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
उक्त कथन पूर्ण सत्य है कि घर-परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर सदस्यों के बीच टकराव हो जाता हैं। वे अपने अहम् को लेकर संयुक्त परिवार तक को बिखेर देते हैं। प्रस्तुत कहानी में भी यही स्थिति दर्शायी गई है। लालबिहारी सिंह और आनंदी के बीच एक-दूसरे के कुल पर किए गये व्यंग्यपूर्ण कथनों से दोनों ही पात्र क्रोध के आवेश में आकर परिवार को टूटने के कगार पर पहुँचा देते हैं। लालबिहारी के दुर्व्यवहार से आहत श्रीकंठ भी उसे अपनी नजरों से दूर कर देना चाहता है। जब लालबिहारी घर छोड़कर जाने लगता है तो आनंदी ही अपमान का चूंट पीकर उसे क्षमा करते हुए जाने से रोक लेती है। और परिवार टूटने से बच पाता है। अतः लेखक यही संदेश देना चाहता है कि परिवार के सदस्यों को अहम् को त्यागकर मेलजोल बनाकर रहना चाहिए।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
बेनीमाधव सिंह अपनी आधी से अधिक सम्पत्ति भेंट कर चुके थे
(क) साधुओं को
(ख) मन्दिरों को
(ग) गरीबों को
(घ) वकीलों को
उत्तर तालिका:
(घ) वकीलों को

प्रश्न 2.
“…..इससे ठाकुर भूपसिंह उससे बहुत प्यार करते थे।” भूपसिंह अपनी पुत्री आनंदी से अधिक प्यार क्यों करते थे
(क) वह बहुत शिक्षित थी।
(ख) वह सेवाभावी थी
(ग) वह अधिक रूपवती और गुणवती थी।
(घ) वह सबसे छोटी थी
उत्तर तालिका:
(ग) वह अधिक रूपवती और गुणवती थी।

प्रश्न 3.
श्रीकंठ पहली बार भूपसिंह के घर गये थे –
(क) लड़की देखने
(ख) मिठाई देने
(ग) नागरी-प्रचार का चंदा लेने
(घ) होली खेलने
उत्तर तालिका:
(ग) नागरी-प्रचार का चंदा लेने

प्रश्न 4.
“स्त्री गालियाँ सह लेती हैं, मार भी सह लेती हैं पर ………..”, प्रेमचंद के अनुसार क्या सहन नहीं कर पाती हैं –
(क) पति की निन्दा
(ख) मायके की निन्दा
(ग) सास की निन्दा
(घ) पड़ौसी की निन्दा
उत्तर तालिका:
(ख) मायके की निन्दा

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“कहते हैं इस दरवाजे पर कभी हाथी झूमता था, अब उसकी जगह एक बूढ़ी भैंस थी।” प्रस्तुत पंक्ति किस स्थिति की ओर संकेत करती है?
उत्तर:
इस पंक्ति के द्वारा लेखक ने ठाकुर बेनीमाधव सिंह की पहले की धनधान्य और मान-प्रतिष्ठा से परिपूर्ण स्थिति की ओर इंगित करते हुए वर्तमान की सामान्य या कहें कि बदतर दशा की ओर संकेत किया है। पहले ठाकुर साहब के दरवाजे पर हाथी झूमता रहता था जो समृद्धि और सम्पन्नता का प्रतीक था। अब उसके स्थान पर एक बूढी भैंस का बँधा होना ठाकुर बेनीमाधव सिंह की दीन-हीन स्थिति को प्रकट करता है।

प्रश्न 2.
“इन नेत्रप्रिय गुणों को उन्होंने बी.ए. इन्हीं दो अक्षरों पर न्यौछावर कर दिया था।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कहानीकार ने श्रीकंठ के दुर्बल शरीर और कान्तिहीन चेहरे का जिक्र करते हुए कहा है कि उनकी यह स्थिति बी.ए. की डिग्री हासिल करने के लिए की गई कठोर मेहनत का परिणाम थी। बी.ए. पास करने के लिए उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत की, अपने खाने-पीने पर ध्यान न देने के कारण अपनी सेहत बिगाड़ ली थी। इसी कारण अब उनकी आँखें कमजोर हो गई थीं, चेहरा कान्तिहीन था और शरीर दुर्बल हो गया था। फलस्वरूप वे औषधियों का निरन्तर सेवन करते रहते थे।

प्रश्न 3.
श्रीकण्ठ किस बात को जाति और देश दोनों के लिए हानिकारक समझते थे?
उत्तर:
श्रीकण्ठ संयुक्त परिवार के पक्षधर थे। प्राचीन हिन्दू सभ्यता का गुणगान करना उनकी धार्मिकता का प्रधान अंग था। उनके अनुसार मिलजुलकर सम्मिलित परिवार में रहकर व्यक्ति अपने परिवार, समाज और देश की उन्नति कर सकता है, परन्तु संयुक्त परिवार के प्रति अरुचि का भाव समाज और देश दोनों के विघटन का कारण बन सकता है । इसलिए वे एकल परिवार में रहना या संयुक्त परिवार का टूटना समाज और देश दोनों के लिए हानिकारक समझते थे।

प्रश्न 4.
लालबिहारी सिंह के क्रोधित होने का क्या कारण था?
उत्तर:
घर में अधिक घी नहीं होने के कारण आनंदी लालबिहारी सिंह के लिए बनाई गयी दाल में ऊपर से घी नहीं डाल सकी थी। इसी बात को लेकर देवर-भौजाई में कहा-सुनी हो गई। जब लालबिहारी ने आनंदी के पीहर के प्रति व्यंग्यपूर्ण कथन किया तो आनंदी ने भी चुभती बात कह दी। इस कारण उजड्ड स्वभाव वाला लालबिहारी क्रोध से आग बबूला हो उठा।

प्रश्न 5.
‘वहाँ इतना घी नित्य नाई-कहार खा जाते हैं।’ इस कथन को सुनकर लालबिहारी सिंह ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर:
उक्त व्यंग्योक्ति सुनते ही लालबिहारी सिंह आनंदी पर उबल पड़ा। क्रोध में पागल होकर भोजन की थाली को उलट दिया और बोला कि जी चाहता है तुम्हारी जीभ पकड़कर खींच लें। आनंदी ने जब यह कहा कि वह (श्रीकंठ) आज होते तो इसका मजा चखाते। यह सुनकर लालबिहारी सिंह अत्यन्त क्रोधित हो गया और खड़ाऊँ उठाकर आनंदी की ओर फेंककर मारी।

प्रश्न 6.
‘पर तुमने आजकल घर में यह क्या उपद्रव मचा रखा है?’ श्रीकण्ठ के उक्त कथन का आनंदी ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
श्रीकंठ का यह कथन सुनकर पहले से ही क्रोध से भरी बैठी आनंदी की त्योरियाँ चढ़ गईं। क्रोधाग्नि में जलती हुई बोली क़ि जिसने तुमसे यंह आग लगाई है, वह सामने होता तो उसका मुँह झुलस देती। वह कहने लगी कि यह तो मेरा भाग्य का फेर है, अन्यथा यह गॅवार छोकरा जिसे चपरासीगिरी करने का भी शउर नहीं है वह मुझे खड़ाऊँ से मार कर ऐसे नहीं अकड़ता।

प्रश्न 7.
आनंदी के मुख से सारा घटनाक्रम जानकर श्रीकण्ठ ने अपने पिता से क्या कहा?
उत्तर:
श्रीकण्ठ ने अपने पिता से कहा कि अब इस घर में उसका निर्वाह नहीं हो सकता। यह इसलिए कि मुझे भी अपनी मान-प्रतिष्ठा का विचार है। अब आपके घर में अन्याय और हठ का प्रकोप हो गया है। यहाँ बड़ों का मान-सम्मान नहीं रह गया है। मैं नौकरी की वजह से घर से बाहर रहता हूँ। यहाँ मेरे पीछे से स्त्रियों पर खड़ाऊँ और जूतों की बौछार होने लगी है। यह सब मेरे लिए असहनीय है।

प्रश्न 8.
श्रीकंठ के विद्रोहपूर्ण तेवर देखकर बेनीमाधव सिंह पर क्या प्रभाव पद्म?
उत्तर:
श्रीकंठ जैसे आदर्श पुत्र के विद्रोही तेवर देखकर ठाकुर बेनीमाधव घबरा उठे। उनसे कोई जवाब नहीं बन सका, वे अवाक् रह गये । केवल इतना ही कह पाये कि बेटा तुम बुद्धिमान् होकर ऐसी बातें करते हो। इस प्रकार स्त्रियों को सिर पर नहीं चढ़ाना चाहिए, वे घर का नाश कर देती हैं।

प्रश्न 9.
गाँव की स्त्रियों को किस बात का बड़ा हर्ष हुआ और क्यों?
उत्तर:
गाँव की स्त्रियों को जब यह पता चला कि श्रीकण्ठ पत्नी के पीछे पिता से लड़ने को तैयार हैं तो उन्हें बड़ा हर्ष हुआ, क्योंकि गौरीपुर गाँव में संयुक्त परिवार के वे एकमात्र उपासक थे। इसी कारण गाँव की ललनाएँ उनकी बड़ी निन्दक थीं। कई स्त्रियाँ तो श्रीकण्ठ को उक्त विचारधारा के कारण अपना शत्रु तक समझती थीं। परन्तु आज स्थिति बिलकुल विपरीत थी। स्वयं श्रीकण्ठ संयुक्त परिवार के साथ निर्वाह न होने की बात कह रहे थे।

प्रश्न 10.
“बेनीमाधव पुराने आदमी थे। इन भावों को ताड़ गये।” प्रस्तुत पंक्तियों में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब पिता-पुत्र के बीच गत दिवस की घटना को लेकर गर्म माहौल में बातचीत हो रही थी, तब आस-पड़ौस के लोग कोई हुक्का-चिलम पीने के बहाने, तो कोई लगान की रसीद दिखाने के बहाने वहाँ आकर बैठ गये। कई अन्य कुटिल लोग उस नीतिपूर्ण और प्रतिष्ठित परिवार के पिता-पुत्र के बीच होने वाले कटुतापूर्ण वार्तालाप को सुनने और मजा लेने की कामना लिए वहाँ आ जमे थे। ठाकुर बेनीमाधव वृद्ध और अनुभवी व्यक्ति थे । वे उन लोगों के भावों को समझ गये थे। उन्होंने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि उन्हें ताली बजाने का अवसर नहीं दूंगा।

प्रश्न 11.
“इलाहाबाद का अनुभवहीन ग्रेजुएट इस बात को न समझ सका।” यहाँ कौन, किस बात को नहीं समझ सका?
उत्तर:
यहाँ इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाला श्रीकंठ अपने पिता की बात को नहीं समझ सका। जब पिता-पुत्र में गर्मागर्म वार्तालाप हो। रहा था तब आस-पड़ौस के बहुत से कुटिल लोग आनंद लेने के लिए वहाँ आ जमा हो गये थे । बेनीमाधव पुराने अनुभवी आदमी थे, उनके भावों को समझ गये थे। उन्हें ताली बजाने का अवसर न देने की गरज से श्रीकंठ को बड़े कोमल शब्दों में समझाने लगे, जिससे बात न बढ़े। परन्तु श्रीकंठ अनुभवहीन युवक था जो अपने पिता के भावों को नहीं समझ सका।

प्रश्न 12.
लालबिहारी सिंह का अपने बड़े भाई श्रीकंठ के प्रति कैसा व्यवहार था?
उत्तर:
लालबिहारी अपने बड़े भाई श्रीकंठ का बहुत आदर करता था। वह कभी उसके सामने चारपाई पर नहीं बैठता था, धूम्रपान नहीं करता था, पान नहीं खाता था। इस प्रकार अपने बड़े भाई का पिता से भी अधिक सम्मान करता था। अपने बड़े भाई के सामने जाने या नजरें मिलाने तक में उसे संकोच होता था।

प्रश्न 13.
आनंदी अपने मन में क्यों पछता रही थी?
उत्तर:
आनंदी ने लालबिहारी सिंह के अपमानजनक एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार की शिकायत तो की थी, परन्तु उसे इस बात का अनुमान नहीं था कि बात इतनी बढ़ जायेगी। वह स्वभाव से दयावती और क्षमाशील नारी थी। श्रीकंठ के इतने गरम होने पर भी वह झुंझला रही थी। उसकी शिकायत के कारण ही उसका देवर घर छोड़कर जाने को विवश था तथा उसका पति अपने स्वभाव और आचरण के विपरीत घर से अलग होने तथा पिता से लड़ने को उद्यत था। यह सब बखेड़ा देखकर आनंदी मन में पछता रही थी।

प्रश्न 14.
“बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं।” यह बात किसने और क्यों कही?
उत्तर:
यह बात ठाकुर बेनीमाधव सिंह ने तथा गाँव के जिस व्यक्ति ने भी वृत्तान्त सुना था, उन सब ने कही। क्योंकि आनंदी ने घर छोड़कर जाते हुए लालबिहारी सिंह को रोककर न केवल घर को बिखरने से बचाया, बल्कि दोनों भाइयों के अगाध प्रेमपूर्ण-हृदय में दरार पडेने से रोका तथा पिता-पुत्र को अलग होने से भी बचा लिया। आनंदी के विवेकपूर्ण कदम से घर की प्रतिष्ठा बनी रह गई तथा कुटिल लोगों को ताली बजाने का अवसर भी नहीं दिया।

RBSE Class 11 Hindi कथा धारा Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आनंदी के पिता भूपसिंह की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आनंदी के पिता भूपसिंह बड़े उच्च कुल के थे। वे एक छोटी-सी रियासत के ताल्लुकेदार थे। सामाजिक दृष्टि से उनका परिवार बहुत प्रतिष्ठित था। स्वयं भूपसिंह उदारचित्त और प्रतिभाशाली पुरुष थे। वे आर्थिक दृष्टि से समृद्ध और सम्पन्न थे। उनके पास विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, बाज, बहरी शिकरे, झाड़-फानूस, ऑनरेरी मजिस्ट्रेटी और ऋण, जो एक प्रतिष्ठित ताल्लुकेदार के भोग्य पदार्थ हैं, सभी विद्यमान थे। दुर्भाग्य से लड़का एक भी न था। देवयोग से सात लड़कियाँ हुईं और सातों ही जीवित रहीं। पहली उमंग में अपनी तीन पुत्रियों के विवाह भी उन्होंने बड़ी उदारता से किये थे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि भूपसिंह एक वैभवशाली ताल्लुकेदार थे।

प्रश्न 2.
आनंदी ने स्वयं को नये घर के अनुकूल कैसे ढाला?
उत्तर:
आनंदी बहुत ही गुणवती और रूपवती युवती थी। वह अपने पिता , भूपसिंह के वैभवशाली घर से गौरीपुर गाँव के जमींदार और नंबरदार बेनीमाधव सिंह के बड़े बेटे श्रीकंठ की पत्नी बनकर नये घर में आयी थी। आनंदी ने यहाँ आकर देखा कि यहाँ का तो रंग-ढंग ही कुछ और थी। जिस शान और शौकत से जीने की उसे बचपन से आदत थी, वह यहाँ नाममात्र को भी न थी। हाथी-घोड़ों का तो कहना ही क्या, कोई सजी हुई सुन्दर बहली तक न थी। वह रेशमी स्लीपर साथ लाई थी, परन्तु यहाँ घूमने के लिए बाग ही नहीं था। मकान में खिड़कियाँ तक नहीं थीं। जमीन पर फर्श नहीं था और दीवारों पर तस्वीरें भी नहीं थीं। यह एक साधारण देहाती गृहस्थ का मकान था, किन्तु थोड़े ही दिनों में आनंदी ने अपने को इस नई स्थिति के अनुकूल ऐसे बना लिया था जैसे उसने विलासिता का जीवन कभी देखा ही न हो। वह सुख-सुविधा के साधनों से रहित अपने नये घर में पूर्ण संतुष्टि और प्रसन्नता के साथ रहने लगी।

प्रश्न 3.
“श्रीकंठ को अपने छोटे भाई लालबिहारी सिंह के प्रति अगाध हार्दिक स्नेह था।” इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रीकंठ के प्रति लालबिहारी सिंह के हृदय में बहुत अधिक आदर भाव था तो श्रीकंठ के हृदय में उसके प्रति अगाध स्नेह था। उन्होंने उसे कभी डाँटा तक नहीं था। जब वे इलाहाबाद से अपने गाँव आते, तो उसके लिए कोई न कोई वस्तु अवश्य लाते थे। उन्होंने लालबिहारी के लिए केसरत करने के मुगद्र की जोड़ी भी बनवा दी थी। गत वर्ष नाग पंचमी के दंगल में जब लालबिहारी ने अपने से डेढ़ गुना भारी जवान को कुश्ती में पछाड़ दिया था तो श्रीकंठ ने पुलकित होकर अखाड़े में ही जाकर उसे गले से लगा लिया था और पाँच रुपये के पैसे लुटाए थे। कहानी के अन्त में भी यही बताया गया है कि जब घर छोड़ने को उद्यत लाल बिहारी को आनन्दी ने रोक दिया था, तब श्रीकण्ठ ने स्नेहपूर्वक उसे गले लगाया और भविष्य में प्रेम-भाव न टूटने का वचन भी दिया था। इस प्रकार श्रीकण्ठ को अपने छोटे भाई के प्रति अगाध हार्दिक स्नेह था।

प्रश्न 4.
श्रीकंठ के मुख से लालबिहारी सिंह के साथ एक ही घर में निर्वाह न हो सकने की बात सुनकर उसके हृदय में उठे भावों को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
श्रीकंठ लालबिहारी से बहुत अधिक स्नेह रखते थे। लालबिहारीद्वारा आनंदी के प्रति किये गये दुर्व्यवहार की घटना से व्यथित होकर श्रीकंठ ने अपने पिता से कह दिया कि इस घर में लालबिहारी के साथ उसका निर्वाह नहीं हो सकता। यह सुनकर लालबिहारी के हृदय को बड़ा आघात लगा था। एक दिन पहले से ही उसको हृदय धड़क रहा था कि वह भैया के सामने कैसे जायेगा, कैसे उनसे बोलेगा तथा उनके सामने नजरें कैसे उठा पायेगा। उसके हृदय में ग्लानि और पश्चाताप का भाव था। उसका हृदय रो रहा था, वह अपने आँसू नहीं रोक पा रहा था तथा अपराध-बोध से उसका सिर झुका हुआ था। उसे अपने किये पर घोर पछतावा था और क्षमा-याचना का भाव उसके हृदय में था।

प्रश्न 5.
गौरीपुर गाँव के कुटिल लोग बेनीमाधव सिंह के परिवार के बारे में कैसी बातें किया करते थे?
उत्तर:
गौरीपुर गाँव में कुछ ऐसे कुटिल मनुष्य भी थे जो इस परिवार की नीतिपूर्ण गति और मर्यादापूर्ण व्यवहार पर मन ही मन जलते थे। वे कहा करते थेश्रीकंठ अपने बाप से दबता है, इसलिए वह दब्बू है। उसने विद्या पढ़ी, इसलिए वह किताबों का कीड़ा है। बेनीमाधव सिंह उसकी सलाह के बिना कोई काम नहीं करते, यह उनकी मूर्खता है। इस प्रकार अच्छे संस्कारित और मर्यादित आचरण में भी कुटिल लोग बुराई ढूंढते रहते थे। गाँव की स्त्रियाँ भी श्रीकंठ के सम्मिलित परिवार के पक्षधर होने की बड़ी निन्दा करती थीं और कई तो उन्हें अपना शत्रु ही समझने लगी थीं।

प्रश्न 6.
‘बड़ेघर की बेटी’कथा की नायिका आनंदी की चारित्रिक विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
आनंदी ‘बड़े घर की बेटी’ कहानी नायिका तथा अकेली स्त्री पात्र है। उसकी चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को निम्नलिखित बिन्दुओं में पढ़ा जा सकता है –

  1. गुणवती और रूपवती – आनन्दी सुन्दर, सुशील और गुणवती युवती थी। इसी कारण उसके माता-पिता तथा पति भी उसे काफी चाहते थे।
  2. दयावती एवं श्रमाशील – आनन्दी दयालु. एवं क्षमाशील नारी थी। उसने अपने परिवार को बिखरते देखकर देवर लालबिहारी को क्षमा कर दिया था।
  3. स्वाभिमानी नारी- आनन्दी स्वाभिमानी नारी होने से अपना अपमान चुपचाप नहीं सह सकती थी। वह अपने मायके की निन्दा भी नहीं सुनना चाहती थी। वह अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए सक्षम थी।
  4. आदर्श बहू एवं आदर्श पत्नी – आनन्दी को अपने पिता के घर में सारे सुख प्राप्त हुए थे, परन्तु ससुराल में सादगी से रहना पड़ा। फिर भी उसने स्वयं को नये घर के अनुसार ढाल दिया था। वह अपने पति श्रीकण्ठ का पूरा खयाल रखती थी। वह परिवार की एकता एवं स्नेह-व्यवहार की पक्षधर थी।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि आनंदी एक आदर्श नारी पात्र है जिसका चरित्र प्रेरणास्पद है।

प्रश्न 7.
“श्रीकंठ एक आदर्श पुरुष पात्र हैं।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
श्रीकंठ की चारित्रिक विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्रीकंठ’ बड़े घर की बेटी’ कहानी में एक महत्त्वपूर्ण पुरुष पात्र हैं। उनका चरित्र अनेक श्रेष्ठ गुणों से परिपूर्ण है जो इस प्रकार है –

  1. शिक्षित युवक – श्रीकण्ठ बी.ए. पास शिक्षित एवं संस्कारवान् युवक है। अंग्रेजी सभ्यता के कुप्रभाव से मुक्त तथा भारतीय परम्पराओं का समर्थक है।
  2. संयुक्त परिवार का पक्षधर – श्रीकण्ठ संयुक्त परिवार का पक्षधर है। इस कारण वह एकल परिवार को हानिकारक मानता है। गाँव की नवयुवतियाँ इसी कारण उससे नाराज रहती हैं।
  3. आदर्श पुत्र एवं आदर्श पति – श्रीकण्ठ अपने पिता का पूरा सम्मान करता है तथा पत्नी के सम्मान की रक्षा करनी अपनी कर्त्तव्य मानता है।
  4. स्नेहशील – श्रीकण्ठ स्नेही स्वभाव का है। वह अपने छोटे भाई से अगाध स्नेह रखता है। इस कारण वह आदर्श भाई है।
  5. अन्य – श्रीकण्ठ समाज सुधारक, भारतीयता का समर्थक, आयुर्वेद से लगाव रखने वाला, परिश्रमी और सरल स्वभाव का व्यक्ति है।

इस प्रकार श्रीकंठ का चरित्र अनेक गुणों से ग्रण्डित बताया गया है।

प्रश्न 8.
“बड़े घर की बेटी’ एक आदर्शोन्मुखी प्रेरणास्पद कहानी है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘बड़े घर की बेटी’ प्रेमचन्द की श्रेष्ठ कहानियों में से एक है। लेखक ने संयुक्त परिवारों के बिखरने की समस्या के कारणों को प्रस्तुत करते हुए उनका सफलतापूर्वक समाधान भी प्रस्तुत किया है। छोटी-छोटी बातों को लेकर, सदस्यों के अहम् के कारण प्रायः परिवार टूट जाते हैं। लेखक ने संयुक्त परिवार के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए सदस्यों के त्यागपूर्ण व्यवहार एवं भावात्मक लगाव को परिवार में जो एकजुट रखने का उपाय सुझाया है, साथ ही क्षमाशीलता, दयाभाव और अपने अहम् को त्यागकर परिवार के हित को महत्त्व देने पर बल दिया है। आनंदी का चरित्र बहुत बड़ी प्रेरणा देने वाला सिद्ध हुआ है जो परिवार के विघटन को रोकता है। इस प्रकार यह कहानी एक आदर्श उदाहरण है जो पारिवारिक कलह को भुलाकर एकता की मिसाल प्रस्तुत करती है।

बड़े घर की बेटी लेखक परिचय

मुंशी प्रेमचन्द का जन्म उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले के लमही गाँव में सन् 1880 ई. में हुआ था। उनका मूल नाम धनपतराय था। बनारस में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर वे अध्यापन कार्य करने लगे। आगे की पढ़ाई उन्होंने स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में ही की और डिप्टी इन्स्पेक्टर बने। बाद में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर सरकारी नौकरी छोड़ दी। प्रारम्भ में ये उर्दू में लिखने लगे। इनकी ‘सोजे वतन’ रचना को अंग्रेज सरकार ने जब्त कर लिया। तत्पश्चात् वे प्रेमचन्द नाम से साहित्य रचना करने लगे। ‘हंस’ पत्रिका के संपादक के रूप में भी इन्होंने जन-जागरण का कार्य किया।

प्रेमचन्द की रचनाएँ आदर्शोन्मुखी यथार्थवादी धरातल पर आधारित हैं, जिनमें ग्रामीण जीवन को प्रभावी ढंग से उभारते हुए जीवन-संघर्ष की सशक्त अभिव्यक्ति की है। आपकी रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय रही हैं। प्रेमचन्द ने हंस के अतिरिक्त मर्यादा, माधुरी तथा जागरण पत्रिकाओं का सम्पादन कार्य भी किया। इन्होंने कुछ समय फिल्मों में अभिनय भी किया। सन् 1936 में इनका निधन हो गया।

रचनाएँ-
उपन्यास-सम्राट् प्रेमचन्द के निर्मला, सेवा सदन, प्रेमाश्रय, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान आदि प्रसिद्ध उपन्यास हैं, मानसरोवर-आठ भाग, गुप्तधन-दो भाग कहानी संग्रह हैं तथा नाटकों में कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी हैं। निबंध संग्रहविविध संग्रह (तीन खण्डों में) तथा कुछ विचार नाम से प्रकाशित हुए हैं।

पाठ-सार
‘बड़े घर की बेटी’ कहानी में गौरीपुर गाँव के जमींदार और नंबरदार ठाकुर बेनी माधव सिंह के परिवार को आधार बनाया गया है जो किसी जमाने में धन-धान्य सम्पन्न एवं प्रसिद्ध खानदान था, किन्तु अब वह बात नहीं रह गई थी, आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। इस कहानी में प्रमुख पात्र चार हैं—बड़े घर की बेटी आनंदी, जो कहानी की नायिका है, उसका पति श्रीकण्ठ, आनंदी का देवर लालबिहारी सिंह तथा परिवार के मुखिया ठाकुर बेनी माधव सिंह।

श्रीकण्ठ का परिचय–ठाकुर साहब के बड़े बेटे श्रीकण्ठ सिंह बी.ए. पास, परिश्रमी, आदर्शवादी और गाँव में सम्मानित, सरकारी दफ्तर में नौकर थे। अंग्रेजी डिग्रीधारी होकर भी अंग्रेजी प्रथाओं से प्रेम नहीं रखते थे। भारतीय सामाजिक परम्पराओं के पोषक और पक्षधर थे। संयुक्त परिवार के प्रबल समर्थक थे। श्रीकण्ठ अपने छोटे भाई से बहुत स्नेह रखते थे।

लालबिहारी सिंह ठाकुर बेनीमाधव सिंह का छोटा बेटा लालबिहारी सिंह दोहरे बदन का सजीला जवान था। वह उजड्ड स्वभाव का युवक था परन्तु अपने बड़े भाई श्रीकण्ठ का वह बहुत सम्मान करता था। आनंदी-आनन्दी के पिता भूपसिंह एक छोटी रियासत के ताल्लुकेदार थे। उच्च कुल, विशाल भवन और सभी प्रकार के राजसी ठाठ मौजूद थे। उनकी सात बेटियों में आनंदी चौथी बेटी थी। उन्होंने श्रीकण्ठ को योग्य युवक मानकर आनन्दी का विवाह उससे कर दिया।

देवर-भौजाई के बीच कलह की घटना–एक दिन लालबिहारी सिंह दोपहर के समय दो चिड़ियाँ लेकर आया और भाभी से उन्हें पकाने के लिए कहा। आनंदी भोजन बनाकर उसकी प्रतीक्षा कर रही थी, अब पुनः मांस पकाने बैठी। घी के बर्तन में पाव भर के लगभग घी था जो उसने मांस में डाल दिया अत: दाल में ऊपर से डालने को घी नहीं बचा था। इसी बात को लेकर देवर-भौजाई में तकरार बढ़ गई। लालबिहारी सिंह ने आनंदी के पीहर को लेकर व्यंग्यक्ति की और आवेश में आकर उसने उस पर खड़ाऊ फेंकी, जिसे आनन्दी ने हाथ से रोका। इस घटना से आनंदी खून का चूंट पीकर रह गई और शनिवार को श्रीकण्ठ का घर आने का इन्तजार करने लगी।

श्रीकण्ठ से आनंदी की शिकायत-शनिवार को जब श्रीकण्ठ घर आये तो लालबिहारी सिंह ने एकांत पाकर उससे आनंदी की शिकायत की। बेनीमाधाव ने भी साक्षी दी और कहा कि बहू-बेटियों को मर्दो के मुँह नहीं लगना चाहिए। श्रीकण्ठ जब आनन्दी के कक्ष में गये, तो उसने देवर के दुर्व्यवहार का पूरा विवरण सुनाया। इससे श्रीकण्ठ क्रोधावेश में आ गये।

श्रीकण्ठ की पिता से बातचीत एवं नाराजगी–सुबह होते ही श्रीकण्ठ ने अपने पिता से जाकर कहा कि दादी अब इस घर में मेरा निर्वाह नहीं होगा। यहाँ घर में बड़ों का मान-सम्मान नहीं रह गया है। इस घर में अब या तो लालबिहारी रहेगा या वही रहेगा। इस बात को सुनकर लालबिहारी ने अपनी भाभी से कहा कि वह घर छोड़कर जा रहा है।

आनंदी ने देखा कि घर बिखर रहा है, घर की मान-प्रतिष्ठा मिट्टी में मिलने वाली है, तो उसने तुरन्त अपना अपमान भूलकर लालबिहारी को जाने से रोक लिया। इस प्रकार एक बड़े घर की बेटी ने अपना बड़प्पन दिखाते हुए घर को बिखरने से बचा लिया। गाँव में जिसने भी यह वृत्तान्त सुना, उसी ने आनंदी के व्यवहार की सराहना करते हुए कहा कि बड़े घर की बेटी ऐसी ही होती है जो बिगड़ता हुआ काम बना लेती है।

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