Pashu Aur Pakshi Ka MahatvaGkExams on 07-02-2020 Show
पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए यदि हम सोचें तो मानव जीवन में पक्षियों का बहुत बड़ा महत्व है। आकाश में उडते हुए ये पक्षी पर्यावरण की सफाई के बहुत बड़े प्राकृतिक साधन हैं। गिद्ध,चीलें,कौए,और इनके अतिरिक्त कई और पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देन हैं जो उनके समस्त कीटों,तथा जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते रहते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। कितने ही पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देने हैं,जो समस्त कीटों,जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। कितने पशु पक्षी हैं जो कीट कीटाणुओं तथा प्रदूषण युक्त वस्तुओं को खाकर मानव जीवन के लिए उपयोगी वनस्पतियों की रक्षा करते हैं। ऐसे पशु पक्षियों का न रहना अथवा लुप्त हो जाना मनुष्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गिद्ध, चीलें,बाज और कौए तथा अन्य अनेक प्रजातियों के ये पक्षी प्राकृतिक संतुलन रखने के लिए अपना असाधारण योग देते हैं। मानव जीवन के लिए इन पक्षियों का जो महत्व है,उसका अनुमान हम अभी ठीक ठीक नहीं लगा पा रहे हैं। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो भविष्य में हमें अनुभव होगा कि पशु पक्षियों के छिन जाने से हम कितने बड़े घाटे में आ गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मनुष्य के लिए बहुत बड़ी और गंभीर चिंता का विषय है कि इन पक्षियों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। कौन नहीं जानता कि चीलें और गिद्ध मृत पशु पक्षियों को अपना आहार बनाकर पर्या वरण को स्वच्छ बनाए रखने का कर्तव्य पूरा करते रहे हैं। वे मृत जानवरों के शवों के गलने सड़ने और प्रदूषण फैलने से पहले उनका सफाया कर देते हैं। धरती का वातावरण विषैला होने से बचा रहता है। गिद्ध और चीलें ही नहीं,कौए भी पक्षियों की उसी श्रेणी में आते हैं,जिन्हें प्रकृति ने मनुष्य के लिए स्वच्छकार बनाकर भेजा है। ये पक्षी कूड़े करकट के ढेरों में पड़ी गलने सड़ने वाली वस्तुओं को खाकर समाप्त करते रहते हैं। रिपोर्ट में कहा जाता है कि हमारी चिंता का विषय यह है कि जिस प्रकार गिद्ध औरचीेलें हमारे आकाश से गायब होती चली गयी इसी प्रकार अब कौए भी हमसे विदाई लेते जा रहे हैं।
प्रश्न यह नहीं कि जब कोई इन पक्षियों का शिकार नहीं कर रहा है,कोई इन्हें मार नहीं रहा है। सत्ता नहीं रहा है,तब क्या कारण है कि ये हमारी बस्तियों और शहरों से विदा होते जा रहे हैं,लुप्त या समाप्त होते जा रहे हैं ? सिरसा स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में कार्यरत वैज्ञानिक डा. के.एन. छाबड़ा ने भी इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहा है कि गिद्ध,चीलें और कौए इस क्षे़त्र से गायब होते जा रहे हैं। उन्होंने इस तथ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि पिछले कुछ समय में कौओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से कमी आई है। पहले यदि कोई कौआ बिजली के तार पर करंट लगने से चिपककर मर जाता था तो उसके शोक में शोर करते हुए हजारों कौए इकट्ठे होकर आसमान सिर पर उठा लेते थे। आस पास के पूरे क्षेत्र में कौओं का सैलाब उमड़ पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं होता। अब यह पक्षी समूहों में बहुत कम नजर आता है। डा. छाबड़ा का कहना है कि ऐसा इसलिए नहीं होता कि कौओं की संख्या निरंतर घटती जा रही है। अब कौए बहुत कम संख्या में रह गए हैं। जहां मनुष्य जाति की संख्या बढी है,वहीं पशु पक्षियों की संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है। परिणामत: पर्या वरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है। यह स्थिति मानव जीवन के लिए अत्यधिक हानिकारक है। डॉ. छाबड़ा का कहना है कि बागों में कोयल भी अब बहुत कम दिखाई देती है। पक्षियों की संख्या में जिस तेजी के साथ कमी आ रही है,उसका कारण बताते हुए वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि कृषि उपज को बढाने के या उसे सुरक्षित रखने के लिए आदमी ने जिस अंधाधुंध ढंग से कीटनाशक विषैली औषधियों का प्रयोग किया है,वह इन पक्षियों के लिए लुप्त हो जाने का सबसे बड़ा कारण है। वैज्ञानिक मानते हैं कि पशु पक्षी अपनी प्राकृतिक बु द्धि से कीटनाशक दवाओं के प्रभाव को भली भांति भांप लेते हैं और उन स्थानों से पलायन कर जाते हैं,जहां इनका अंधाधुंध प्रयोग किया जाता है और जहां की वनस्पतियों एवं वातावरण में इन विषैली औषधियों के अंश घुल मिल जाते हैं। किन्तु जब अन्य स्थानों पर भी उन्हें वैसा ही प्रदूषण मिलता है तो इस कारण उनकी प्रजातियां धीरे धीरे लुप्त होने लगती हैं जब इस सम्बंध में अन्य प्राणी विशेषज्ञोंसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऐसे समस्त पशु पक्षी जो मृत होते जा रहे हैं कि जिस मांसको वे खाते हैं,वह स्वयं अत्यधिक विषैला हो चुका होता है। यह स्थिति और भी अधिक गंभीर है,क्योंकि हम अपने अपने पालतु पशुओं को जोचारा दे रहे हैं,उस पर रासायनिक खाद एवं कीटनाशक औषधियों का विषैला प्रभाव चारे मेंबना रहता है। हम उसका सेवन करते रहते हैं वे स्वयं तो समय से पहले काल का ग्रास बनतेही हैं,साथ ही उन पशु पक्षियों को भी अपना निशाना बना लेते हैं जो उनके मांस का सेवनकरते हैं। अन्य जीवों की अपेक्षा प्रतिरोधक शक्ति कम होने के कारण वे शीघ्र मृत्यु को प्राप्त होजाते हैं। यही कारण है कि अब विकसित देशों में बहुत सी कीटनाशक औषधियों तथा कुछविशेष रासायनिक खादों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पश्चिम के विकसित देशों ने अपने यहां जिन कीटनाशक औषधियों अथवा रासायनिक खादों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है,वहां का व्यापारी वर्ग उन्हीं को विकासशील देशों में भेजकर मोटा लाभ अर्जित कर रहा है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि पर्या वरण में विषैलेतत्वों के निरंतर बढते रहने पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां लुप्त होती जा रही हैं। वास्तविकता यह है कि आज वातावरण में जिस आेर भी देखे,विष ही विष घुला हुआ है। गांवों,बस्तियोंनगरों और महानगरों से लेकर जंगलों और पर्व तों तक में विस्फोटक पदार्थों का जिस ढंग सेखुला प्रयोग हो रहा है,उसके विस्तार मेंजाने की आवश्यकता नहीं है। डीजल और पैट्रोल जैसे ईंधन की बढती हुई खपत और उसके फलस्वरूप वातावरण में घुलते हुए धुंऐ ने धरती परजीवन को कितना दुष्कर बना दिया है,यह कोई छिपी हुई बात नहीं है। ऐसी प्रदूषित हवा ऐसेप्रदूषित जल,ऐसे प्रदूषित आहार को सेवन करने वाले पशु पक्षीयों को (जो मानव जाति सेअधिक संवेदनशील हैं) यदि इस विष को सहन न करते हुए लुप्त होते जा रहे हैं तो इसमेंआश्चर्य की बात नहीं है। मास भक्षी पक्षियों के लुप्त हो जाने के उपरांत जब कोई ऐसा प्राकृतिक साधन हमारेपास नहीं रहेगा,जिससे हम अपने मृत पशुओं को सड़ने गलने से बचाकर ठिकाने लगा सकेंतो उस समय क्या होगा ? गिद्ध,चील और कौए आदि मांस भक्षी पक्षी तो हमारी धरती से विदाहो चुके होंगे,इनके दुर्गंध फैलाने वाले हाड़ मांस से प्रदूषण फैलेगा और यह प्रदूषित हवा,हमेंभांति भांति की जानलेवा बीमारियों की भेंट चढा देगी और यह मांस भक्षी पशु पक्षी जो प्रकृतिने हमें हर समय तप्पर रहने वाले स्वच्छकारों के रूप में प्रदान किए थे,जब नहीं होंगे तो धरतीपर मानव जीवन कितना सुरक्षित हो जाएगा,इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। विशेषबात यह है कि वातावरण में जो विष फैला हुआ है,जो प्रदूषण व्याप्त है,उसका उत्तरदायित्वभी हम मनुष्यों पर ही है। विकास की अंधी दौड़ में मानव यह भूल गया है कि वह जिस शाखा पर बैठा है,उसीको काटता भी जा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग आरंभ करते हुए कबकिसने यह सोचा था कि इसके विषैले धुंए से वातावरण प्रदूषित होगा अथवा भांति भांति केरासायनिक खादों तथा कीटनाशक औषधियों से अपनी उपज को बढाने के एवं सुरक्षित रखनेकी लालसा में कब किसे यह खयाल आया होगा कि इसका विषैला प्रभाव हम पर ही नहीं,उनपशु पक्षियों के जीवन पर भी पड़ेगा,जो धरती पर मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं। गिद्धऔर चीलें लुप्तप्राय: हो चुके हैं। कौए गायब हो रहे हैं। इस स्थिति को सामान्य मानकर छोड़देने से काम नहीं चलेगा। यह स्थिति इस खतरे की द्योतक है कि यदि यह सिलसिला चलतारहा तो धरती आदमी के अनुकूल नहीं रहेगी। पर्या वरण का संतुलन बिगड़ेगा तो धरती परमनुष्य का जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा। अस्तु,पशु पक्षियों के लिए ही नहीं,स्वयं अपने लिएभी हमने इस धरती को रहने योग्य नहीं छोड़ा है। चील,गिद्ध और कौए जो धरती के प्रदूषितवातावरण से बचकर आकाश के स्वच्छ वातावरण में सांस लेने के लिए उड़ान भर लिया करतेथे,अब वह आकाश भी उनके लिए अनुकूल नहीं रहा है। आकाश को भी मनुष्य ने कचरे औरप्रदूषण से बुरी तरह भर दिया है। पर्या वरण नीतियों एवं विकास कार्यक्रमों के बीच समन्वय कीसंकल्पना अतिआवश्यक है। Pradeep Chawla on 12-05-2019 पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र हैपशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र है . हमें हर समय इन्हें दाना पानी देते रहना चाहिए … बहुत खुशी महसूस होती है क्योकि ये हमारे मित्र हैं … पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र हैइनके मदद करनी चाहिए और कोई सुबह चिडिया के लिए पानी रखते हुए मैने देखा कि तो एक घर के बाहर एक महिला कटोरी मे दूध लिए एक महिला घूम रही थी. मुझे देखते ही बोली कि क्या आपने अभी काला कुत्ता देखा अभी गया है यहा से !! मैने इंकार किया ही था कि तभी एक सफेद कुत्ता जाता दिखा. मैने कहा कि सफेद कुत्ता तो ये है इस पर वो बोली कि अरे नही आज काले कुत्ते को ही दूध पिलाना है बेचारा सफेद कुता काफी देर तक इंजार करता रहा कि शायद दूध मिल जाए और फिर सिर झुकाए चला गया. फिर वो महिला भी चली गई . वैसे मुझे इस बात की नॉलिज नही कि किस दिन किस पक्षी या जानवर को खिलाया जाए पर इस बात का जरुर पता है सुबह हो शाम हो गर्मी हो या सर्दी हो पशु , पक्षी की मदद करके हमेशा अच्छा ही लगता है… … चाहे तो पानी रखा हो या दाना डालना हो … नियमित चारा दाना डालते रहॆ तो भी नेक कार्य ही है !!! पशु पक्षी और हममेरी एक सहेली हैं घर से आफिस तक कोई भी बीमार कुत्ता देखती हैं या तो वही उसकी मदद करती हैं या घर ले आती है … पशु , पक्षियों का संसार बहुत ही रोचक है पशु और पक्षी का हमारे जीवन में महत्व – पशु पक्षी हमारे मित्र हैरोचक कहानी चिडिया कीवैसे एक कहानी भी मुझे बहुत रोचक लगती है.. दो चिडिया थी… पक्की सहेलियां थी एक बार जंगल में एक शिकारी आया और एक उसकी पकड मे आ गई और उसे ले गया… उसे पिंजरे मे रख लिया… कुछ दिन बाद उसी शिकारी को उसी जंगल में दुबारा जाना पडा … चिडिया ने कहा कि प्लीज मुझे भी ले चलो इस पर शिकारी बोला कि ले कर तो नही जाउगांं पर कोई मैसेज हो तो वो दे दूंगा उसने कहा कि बता देना कि वो कैद मे है… शिकारी जंगल गया और उसने देखा कि वो चिडिया चुपचाप बैठी थी… चिडिया ने उससे पूछा कि मेरी सहेली कैसी है इस पर शिकारी ने बताया कि वो मेरी कैद में है … ये सुनते ही वो चिडिया एकदम से उपर उडी और फिर एकदम से नीचे गिर गई ऐसा लगा मानो वो मर गई … शिकारी ने सोचा जरुर उसे महसूस हुआ होगा इसलिए मर गई … वापिस आया तो पिंजरे वाली चिडिया ने पूछा क्या तुम मेरी सहेली से मिले वो कैसी है इस पर शिकारी ने बताया कि जब मैने उसे बताया कि मैने उसे कैद कर रखा है तो वो पहले तो खूब उंचा उडी और फिर एक दम से नीचे गिर गई और मर गई … ये सुनते ही अचानक उस चिडिया ने अपने पर फडफडाए उडने को हुई और एक दम से निढाल हो गई … शिकारी ने सोचा कि शायद ये अपनी सहेली की मरने वाली बात से दुखी हो गई इसलिए ये मर गई … उसने हिलाया दुलाया फिर पिजंरा खोल दिया कि अब तो ये मर गई … पिंजरा खोलते ही वो चिडिया फुर्र से उड गई .. शिकारी हैरान कि ये क्या हुआ … इस पर चिडिया बोली मेरी सहेली ने मुझे आईडिया दिया था कि कैसे आजाद होना है … इतने में उसकी सहेली भी आ गई और दोनो शिकारी को बाय बाय करती हुई उड गई … देखा कितना रोचक और प्यारा संसार है इनका इसलिए इन्हें दाना पानी खिलाते रहना चाहिए अच्छा लगता है सम्बन्धित प्रश्नComments Neelam on 03-08-2022 Pyara sansar hai ine pakshiyon ka mujhe yah kahani bahut acchi lagi Anurag on 31-05-2022 Pashu pakshi or insan ka kya mahatv ha nature ma Yadav on 15-03-2022
Likosoleniy gk on 03-02-2022 janwaro or pakchiyo ka kaha rahna surakchit h Ichha on 06-10-2021 Hamare Jeevan mein pakshiyon ki pakshiyon ka kya mahatva hai तिलोक on 14-02-2021 पक्षी Vidharthy on 04-08-2020 Mujhe yah Janna hai ki yah aap kahan se late Hain Saad on 12-05-2019 Pashu pakshi ka hamare jiven me kya mehtv hai vishe par anuchad SAAD on 12-05-2019 Pashu pakshi ka hamare jiven me kya mehtv hai vishe par anuchad in hindi पशु पक्षी प्रकृति के सहचर है कैसे?एक वह जो मनुष्य के सहचर हैं। कुत्ते, बिल्ली, कौवे, गिलहरी, कोयल, चील, बाज, गिद्ध आदि जो हमारी परिस्थितिकी में संतुलन रखते हैं।
पशु पक्षियों की सुरक्षा के लिए क्या क्या उपाय करेंगे?Pakshiyon Ko Bachane Ke Upay. अपनी बिल्लियों को अंदर रखें। ... . पक्षी-अनुकूल कॉफी तक जाग जाओ। ... . अपने पौधे को मूल पौधों के साथ भरें ताकि पक्षियों की सहायता की जा सके जो देशी पौधों के बीज और जामुन खाने के लिए अनुकूल हैं। ... . कम मांस खाएं। ... . झाड़ियों और जमीन के कवर के साथ अपने यार्ड प्राकृतिक का एक अच्छा हिस्सा छोड़ दें।. पक्षियों का प्रकृति में क्या योगदान है?आकाश में उडते हुए ये पक्षी पर्यावरण की सफाई के बहुत बड़े प्राकृतिक साधन हैं। गिद्ध,चीलें,कौए,और इनके अतिरिक्त कई और पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देन हैं जो उनके समस्त कीटों,तथा जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते रहते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
पशु पक्षियों की देखभाल क्यों करनी चाहिए?हालांकि जंगली पक्षियों को रखना और उनकी देखभाल करना ग़ैरक़ानूनी काम है। इसलिए सबसे बेहतर उपाय यही है कि इसको उठाने से पहले या उठाकर डिब्बे में रखने के बाद इलाज के लिए संपर्क किया जाए।
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