गांव में डाकिए को क्या कहा जाता है? - gaanv mein daakie ko kya kaha jaata hai?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।
डाकिए को देवदूत मानने का कारण क्या है?

  • क्योंकि वह लोगों के लिए अच्छे-अच्छे तोहफे लाता है।
  • क्योंकि वह ईश्वर के दूत की भाँति अच्छे-बुरे संदेश लाता है।
  • क्योंकि यह स्वर्गलोक से आता है।
  • क्योंकि यह स्वर्गलोक से आता है।


B.

क्योंकि वह ईश्वर के दूत की भाँति अच्छे-बुरे संदेश लाता है।

466 Views


डाकिए को किसकी संज्ञा दी जाती है?

  • संदेशवाहक की
  • सरकारी नौकर की
  • हरकारे की
  • हरकारे की

140 Views


पत्रों के विकास को किसने रोका है?

  • लोगों की सोच ने।
  • नवीन संचार साधन-ई-मेल, फैक्स, टेलीफोन, मोबाइल।
  • पहुँचने की देरी ने।
  • पहुँचने की देरी ने।


B.

नवीन संचार साधन-ई-मेल, फैक्स, टेलीफोन, मोबाइल।

146 Views


संचार के सभी साधनों में पत्रों का अपना महत्त्व क्यों है?

  • ये सुंदर रूप में लिखे जाते हैं।
  • इनमें संदेश भेजने के साथ-साथ मन की भावनाएँ भी जुड़ी होती हैं।
  • इनमें साहित्य झलकता है।
  • इनमें साहित्य झलकता है।


B.

इनमें संदेश भेजने के साथ-साथ मन की भावनाएँ भी जुड़ी होती हैं।

817 Views


महात्मा गाँधी को पत्र किस नाम से आते थे?

  • महात्मा गाँधी
  • महात्मा गाँधी-इंडिया
  • मोहनदास कर्मचंद गांधी
  • मोहनदास कर्मचंद गांधी

122 Views


पत्रों के महत्त्व को बढ़ावा देने हेतु सरकार ने क्या किया है?

  • पत्रों की सुविधा मुफ्त दी हैं।
  • आकर्षक पत्रों का निर्माण किया है।
  • स्कूलों पाठ्यक्रम में पत्र लेखन आवश्यक किया है व विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया है।
  • स्कूलों पाठ्यक्रम में पत्र लेखन आवश्यक किया है व विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया है।


C.

स्कूलों पाठ्यक्रम में पत्र लेखन आवश्यक किया है व विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया है।

123 Views


निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल डाक विभाग की ही है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि यह लोगों को जोड़ने का काम करता है। घर-घर तक इसकी पहुँच है। संचार के तमाम उन्नत साधनों के बाद भी चिट्ठी-पत्री की हैसियत बरकरार है। शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मक्मछुआरें या फिर रेगिस्तान की ढाँणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहु आयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चूल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं। गाँवों या गरीब बस्तियों में चिट्ठी या मनीआर्डर लेकर पहुँचनेवाला डाकिया देवदूत के रूप में देखा जाता है।
डाकिए का क्या नाम दिया जाता है?

  • संदेशवाहक
  • देवदूत
  • देवव्रत
  • देवव्रत

214 Views


पत्र को खत, कागद, उत्ताम, जादू, लेख, कडिद, पाती, चिट्टी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।


पत्र को खत उर्दू भाषा में, कागद कन्नड़ में, उत्तरम, जाबू और लेख तेलगू में और तमिल में कडिद कहा जाता है।

1348 Views


रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘भगवान के डाकिए’ आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।


‘डाकिया’ ऐसा व्यक्ति है जो लोगों के लिए अपने झोले में पत्र लाता है। हर मनुष्य इसे देखकर अपने पत्र की चाह करने लगता है। इसे किसी बात की कोई चिंता नहीं होती कि पत्र के अंदर क्या संदेश है? इसे पढ़कर कोई खुश होगा या दुखी। वह तो पेशे के अनुरूप कर्तव्यबद्ध होता है। पत्रों को उनके पते तक पहुँचाना ही उसका काम है। यदि हम प्राकृतिक साधनों को देखें तो पाते हैं कि वे भी किसी डाकिए से कम नहीं। ईश्वर के ऐसे संदेश जो केवल हम महसूस करते हैं, इनके द्वारा दिए जाते हैं। पक्षी जो स्वछंद उड़ते हैं उनके लिए देशों की सीमा-रेखाओं का कोई बंधन नहीं होता। वे फूलों की सुगंध को अपने पंखों द्वारा एक देश से दूसरे देश में पहुँचा देते हैं। बादल एक देश में बनते हैं और दूसरे देश में बरसते हैं। इसके क्या मायने हैं? यदि इस पर विचार करें तो पाएँगे कि ये इस बात का संदेश देते हैं कि लोगों को विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित होना चाहिए सभी को मिलजुलकर आपसी सहयोग से रहना चाहिए।

इसके अतिरिक्त प्रकृति के जिस भी साधन को देखें तो वह संदेश देता ही दिखाई देगा। जैसे-किसी कवि ने सच ही कहा है कि-

फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से
सीखो नित शीश झुकाना।
वर्षा की बूँदों से सीखो
सबको गले लगाना।
सीख हवा के झोंकों से
लो, कोमल भाव जगाना।

1385 Views


पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हए? लिखिए।


पत्र-लेखन के विकास हेतु स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र लेखन विषय के रूप में शामिल किया गया है। विश्व डाक संघ ने 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया है ताकि बच्चों की रुचि पत्र-व्यवहार में बनी रहे।

2099 Views


पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?


पत्र जैसा संतोष फोन या एस.एम.एस. का संदेश नहीं दे सकता, क्योंकि पत्रों का अस्तित्व स्थाई होता है; उनमें मानवीय प्रेम व लगाव का समावेश रहता है। पत्रों को हम सहेज भी सकते हैं लेकिन फोन पर की गई बात अस्थाई होती है। एस.एम.एस से संदेश सीमित शब्दों में भेजे जाते हैं। पत्र भावना प्रधान हैं व शिक्षाप्रद होते हैं। अमिट यादें उनके साथ जुड़ी होती हैं। पत्रों को एकत्रित करके पुस्तक का रूप भी दिया जा सकता है जबकि फोन या एस.एम.एस. मैं ऐसा नहीं होता। संदेश भेजने का सस्ता साधन भी पत्र ही हैं।

3572 Views


केवल पड़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ काे ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।


‘रामदरश मिश्र जी’ ने अपनी कविता ‘चिट्ठियाँ’ में यह बताना चाहा है कि लेटरबॉक्स में अनेक चिट्ठियाँ होती हैं कोई दुख की कोई सुख की लेकिन सभी अपने-अपने लिफाफों में बंद होती हैं। कोई अपना सुख-दुख दूसरे को नहीं कहती। सभी अपनी मंजिल पाना चाहती हैं अर्थात् अपने पते पर जाना चाहती हैं। यह एक-दूसरे का साथ भी क्या है कि जब हम एक-दूसरे से हँस-रो नहीं सकते। अंत में कवि ने अपने मुख्य विचार को दर्शाना चाहा है कि क्या हम भी इन चिट्ठियों की भाँति नहीं हो गए ऐसा कवि का कहना इसलिए है क्योंकि आज समाज में एक साथ रहते हुए भी हम एक-दूसरे से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं रखते, सभी आत्मकेंद्रित हो गए हैं। कवि का यह कहना कि रेल कं डिब्बे में बैठी सवारियाँ भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह भी बिल्कुल सही हैं, क्योंकि वहाँ भी सभी लोग मिलकर बैठते तो हैं लेकिन मन में चाह कंवल मंजिल पाने की होती है। किसी से किसी का कोई संबंध नहीं होता। यदि संपर्क होता भी है तो वह स्थाई नहीं होता।

विद्यालय को पूरी तरह से लेटरबॉक्स की चिट्ठियों की भाँति नहीं कहा जा सकता क्योंकि विद्यालय में पढ़कर भले ही विद्यार्थी अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं लेकिन विद्यालय में वे मेल-जोल, आपसी प्रेम, एक-दूसरे के प्रति समर्पण आदि की भावनाएँ सीखते हैं। वहाँ शिक्षक सदा उनकी निगरानी करता है, काफी हद तक उन्हें आत्मकेंद्रित नहीं होने देता। विद्यालय में नैतिक शिक्षा के द्वारा भी विद्यार्थी सामाजिक भावनाओं को समझता है लेकिन जब विद्यार्थी स्कूली जीवन के पश्चात् जीवन का बोझ अपने कंधों पर लादता है तो उसमें स्वार्थ की भावना अधिक जन्म लेने लगती है। आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए वह आत्मकेंद्रित होता चला जाता है और चिट्ठियों की भाँति केवल अपने बारे में ही सोचने लगता है।

537 Views


गाँव में डाकिए का क्या नाम दिया जाता है?

मेरा नाम कँवरसिंह है। मैं हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के नेरवा गाँव का निवासी हूँ। मेरी उम्र पैंतालीस साल है।

गांव में डाकिए को देवदूत क्यों कहा जाता है?

डाकिए को देवदूत मानने का कारण क्या है? क्योंकि वह लोगों के लिए अच्छे-अच्छे तोहफे लाता है। क्योंकि वह ईश्वर के दूत की भाँति अच्छे-बुरे संदेश लाता है। क्योंकि यह स्वर्गलोक से आता है।

डाकिए का नाम क्या था?

कँवरसिंह के बच्चे गाँव के स्कूल में पढ़ने जाते हैं जो लगभग पाँच किलोमीटर दूर है। पहले वे भारतीय डाक सेवा में ग्रामीण डाक सेवक थे। अब वे पैकर हैं। लेखिका द्वारा यह पूछने पर कि उन्हें क्या-क्या करना होता है, कँवरसिंह ने बताया कि वे चिट्ठियाँ, रजिस्टरी पत्र, पार्सल, बिल, बूढ़े लोगों की पेंशन आदि छोड़ने गाँव-गाँव जाते हैं।

डाकिए का क्या कार्य है?

Solution : हमारे जीवन में डाकिए की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि वह पत्रों के माध्यम से एक मनुष्य से दूर-दराज बैठे दूसरे मनुष्य तक सन्देश पहुँचाता है। आज धन कमाने की लालसा व एकाकी परिवारों के प्रचलन से संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं जिससे सगे-सम्बन्धी भी दूर-दूर रहने लगे हैं।