लकवा क्या खाने से होता है - lakava kya khaane se hota hai

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हेल्थ डेस्क. ब्रेन में खून का थक्का जमने के कारण लकवा की शिकायत होती है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि लकवा आने पर शरीर में दोबारा सेन्सेशन नहीं आ पाता है। ना ही पेशेंट अपना काम खुद करने में समर्थ हो पााएगा, जबकि डॉक्टर्स के मुताबिक, लकवा आने के दो से तीन दिन में पेशेंट में सुधार शुरू हो जाता है, तो छह महीने में रिकवरी आना शुरू होती है। डेढ़ साल में पूरी तरह से रिकवरी आ सकती है। इस पीरियड के बाद रिकवरी आने की संभावना खत्म हो जाती है। पेशेंट की घर पर भी ठीक से देखभाल की जाए तो पॉजिटिव रिजल्ट आना संभव है। डॉ. सुनील गोयंका, प्रोफेसर, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबेलेशन, एसएमएस, जयपुर से जानते हैं इसके बारे में... 

6 प्वाइंट्स : कैसे लाएं सुधार 
1. पेशेंट को करेक्ट पोजिशन (न्यूट्रल पोजिशन) में रखा जाएं। उसे हर घंटे में करवट दिलवाएं। उसे एनॉटोमिकल पोजिशन में रखें। 
2.न्यूट्रीशियन से डाइट चार्ट बनवाएं। लो कैलोरी, लो फैट और विटामिंस युक्त डाइट दें। बी-कॉम्पलेक्स देना जरुरी है। यह नर्व के लिए बेहतरीन विटामिन है। जिंक सहित अन्य न्यूट्रीशियन भी दें। ये मेटाबॉलिक एक्टीविटीज में काम आते हैं। 
3. जैसे-जैसे दिमाग में थक्के का जोर कम होता है। दिमाग में बची हुई कोशिकाएं रिकवर होना शुरू हो जाती हैं। रिकवरी के हिसाब से एक्सरसाइज करवाएं। 
4. पैरों पर उसे धीरे-धीरे खड़ा करवाएं। हाथों से फंक्शनल काम होते हैं। एक्सरसाइज के लिए मशीनें उपलब्ध हैं। वहीं, होममेड तरीके भी हैं। पेशेंट खुद भी एक्सरसाइज कर सकता है। वहीं, अस्सिटेंट भी करवा सकते हैं। 
5. पैसिव, अस्सिटेंट एक्टिव और फिर एक्टिव करवाते हैं। हाथों में रिकवरी आने पर ब्रश पकड़ना सिखाएं। हाथों को फंक्शनल बनाने के लिए बड़े से छोटे टास्क काम करवाए जाते हैं। यदि हाथों में रिकवरी आना शुरू हो चुका है। वह बारीक काम नहीं कर पा रहा है। उसे ब्रश पकड़ना सिखाएं। 
6. पेशेंट जैसे-जैसे रिकवर करता है। उसे सेल्फ डिपेंडेंट बनाएं, रिकवरी स्टेज में ऐसा करवाने से फायदा मिलेगा। 

रेजिडुअल पैरालिसिस स्टेज 
इस स्टेज में नई टेक्निक से पेशेंट की देखाभाल की जाती है। इसमें न्यूरोप्लास्टिसिटी भी शामिल हैं। अभी तक यह माना जाता था कि एक बार ब्रेन डेमेज होने के बाद वह रिकवर नहीं हो पाता है। जबकि नई थ्योरी के मुताबिक, ब्रेन के न्यूरॉन्स दुबारा भी काम करते हैं। एक्सरसाइज के जरिए चैनल्स को एक्टिव करके बार-बार रिस्पॉन्ड करवाया जाता हैं। बॉडी के किसी भी हिस्से पर बार-बार ब्रश को फिराएं। नए तरीके के टास्क बार-बार करवाने से नए चैनल्स शुरू हो जाते हैं। 

कब ​तक सामने आते हैं रिजल्ट
जितना जल्दी रिहेब शुरू करेंगे। उतने अच्छा रिजल्ट आएंगे। लकवा आते ही दूसरे दिन से रिहेब चालू करवाएं। शुरूआती छह महीनों में रिकवरी आ सकती है। रिहेब से विकलांगता शून्य तक हो सकती है। डेढ़ साल बाद रिकवरी नहीं आती है। 

मिरर थैरेपी से मिलती है राहत
इसी बीमारी में टास्क ऑब्जेक्टिव और मिरर थैरेपी सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं। छोटे-छोटे टास्क दिए जाते हैं। वहीं, मिरर थेरेपी के तहत दो मिरर के बीच में एक बॉक्स रखा जाता है। बॉक्स में साधारण हाथ और पैरालाइज लिंब को रखवाया जाता है। साधारण हाथ से जब वह एक्टिविटी करता है। इससे ब्रेन तक स्टीमुलेशन पहुंचते हैं। साधरण हाथ की एक्टीविटीज को देखते हुए दूसरे हाथ में भी स्टीमुलेशन आना शुरू हो जाता है। इसके अलावा रोबोटिक मशीन में उसे बैठा दिया जाता है। वह साधारण व्यक्ति की तरह हाथ-पैर चलाता है। मोटो मेड मशीन के जरिए भी एक्सरसाइज करवाई जाती हैं। इसमें सेंसर होने से पेशेंट को एक्टीविटीज करने में फायदा मिलता है। 

पैरालिसिस (अधरंग) के रोगी का आहार चार्ट (Food for paralysis patient in hindi)

आज के लेख में जानेंगे लकवा रोग में क्या खाएं (Diet for Paralysis Patient) तथा Paralysis Patient को क्या नहीं खाना चाहिए लकवा (पैरालिसिस) एक गंभीर बीमारी है। लकवा के रोगी (Paralysis Patient) के शरीर का आधा हिस्सा या कोई अंग काम करना बंद कर देता है। और उस भाग में कोई भी गतिविधि महसूस नहीं होती है। आयुर्वेद के अनुसार लकवा रोग में डाइट प्लान (Paralysis Patient diet) और जीवनशैली में कुछ बदलाव से लकवा के असर को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं लकवा के रोगी का डाइट प्लान | Diet plan for Paralysis Patient|in hindi

पैरालिसिस क्या है (What is paralysis)

लकवा को पैरालिसिस (Paralysis) भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे अधरंग भी कहते हैं। इस बीमारी में शरीर की शारीरिक क्रियाएं रुक जाती है। और बोलने में परेशानी होती है। व शरीर का आधा हिस्सा सुन भी हो जाता है। इस बीमारी में शरीर की कुछ मांसपेशियां काम करना बंद कर देती है। लकवा के रोगी को बोलने में परेशानी होती है। और मुंह व होंठ या इस रोग से प्रभावित अंग टेढ़े हो जाते हैं।

Contents

  • पैरालिसिस (अधरंग) के रोगी का आहार चार्ट (Food for paralysis patient in hindi)
  • पैरालिसिस क्या है (What is paralysis)
  • लकवा के रोगी का आहार चार्ट (Diet plan for Paralysis Patient in hindi)
  • लकवा रोगी को क्या खाना चाहिए (Best food for paralysis patient in hindi)
  • लकवा के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए (What not to eat in Paralysis Patient in hindi)
  • लकवा रोगी के लिए इलाज के दौरान सावधानियां (Careful in Paralysis Disease in hindi)
  • FAQ : पैरालिसिस रोग में पूछे जाने वाले सवाल
    • Q 1  क्या किसी सदमें या मानसिक परेशानी के कारण पैरालिसिस हो सकता है ?
    • Q 2  क्या शरीर में किसी विटामिन की कमी के कारण पैरालिसिस हो सकता है ?
    • Q 3  क्या पैरालिसिस का रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है ?
    • Q 4  क्या पैरालिसिस के रोगी को योग व व्यायाम करने से लाभ मिलता है ?

लकवा बीमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव व्यक्ति की जीभ, मुंह, होंठ आदि पर पड़ता है। पैरालिसिस शरीर के किसी भी भाग या अंग में हो सकता है। कई बार देखा जाता है कि पैरालिसिस के रोगी (Paralysis Patient) को भूलने की बीमारी के साथ-साथ मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न होती है। इस बीमारी में शरीर के जिस अंग को पैरालिसिस प्रभावित करता है। वह टेढ़ा हो जाता है। इसे पढ़ें – दिमाग तेज करने के घरेलू उपाय 

लकवा के रोगी का आहार चार्ट (Diet plan for Paralysis Patient in hindi)

पैरालिसिस के रोगी को डाइट प्लान (Diet plan for Paralysis Patient) के हिसाब से नियंत्रित भोजन व खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा पैरालिसिस के रोगी को तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा मात्रा में करना चाहिए जानते हैं  लकवा के रोगी का डाइट प्लान

  • सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रसऔर शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
  • इसके 1 घंटा बाद एक गिलास दूध, एक कटोरी दलिया, अंकुरित अनाज, एक कटोरी कटे हुए मिक्स फल आदि का सेवन करना लाभदायक होता है।
  • सुबह के भोजन में दो पतली चपाती, एक कटोरी चावल, एक कटोरी हरी सब्जी, दाल, सलाद, कोई फल आदि का सेवन करना चाहिए।
  • दोपहर बाद नाश्ते में एक कप ग्रीन टी या सब्जियों का सूप का सेवन करना चाहिए।
  • शाम 5 बजे फलों का जूस और केला का सेवन करना चाहिए।
  • रात के भोजन में एक या दो चपाती, एक कटोरी हरी सब्जी और दाल का सूप का सेवन करना चाहिए।
  • रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ा अश्वगंधा चूर्ण डालकर पीना पैरालिसिस के रोगी के लिए लाभदायक होता है।
  • इस रोगी (Paralysis Patient) को नियमित आहार में पोटेशियम युक्त फल सब्जियों का सेवन करना चाहिए जैसे केला, संतरा, एप्पल, टमाटर, स्वीट पोटैटो आदि
  • पैरालिसिस के रोगी को फाइबर का प्रचुर मात्रा में सेवन करना चाहिए क्योंकि लकवा ग्रस्त रोगी शारीरिक गतिविधियां करने में असमर्थ होता है। इसके कारण कब्ज व पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने से परेशानी बढ़ सकती है।

लकवा क्या खाने से होता है - lakava kya khaane se hota hai

लकवा रोगी को क्या खाना चाहिए (Best food for paralysis patient in hindi)

पैरालिसिस से ग्रस्त रोगी (Paralysis Patient) को अन्य बीमारियों से बचने के लिए अपनी डाइट में जरूरी विटामिन व पोषक तत्वों का सेवन अवश्य करना चाहिए।

  • लकवा के रोगी को सन्तुलित व पोषक तत्व युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
  • पैरालिसिस के रोगी को अनाज में गेहूं जौ, बाजरा आदि का सेवन करना लाभदायक होता है।
  • दालों में मूंग की दाल का सेवन या मूंग की दाल के सूप का सेवन कर सकते हैं।
  • पैरालिसिस के रोगी को सब्जियों में पालक, सहजन, पत्ता गोभी, ब्रोकली आदि का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।
  • लकवा के रोगी को फलों में केला, अनार, फालसा, अंगूर, सेब, पपीता, संतरा, किन्नू, चेरी, त्तरबूज आदि का सेवन करना चाहिए।
  • इसके अलावा पैरालिसिस रोग में हल्दी, लहसुन, अजवाइन, सेव का सिरका, तिल, दूध, नारियल पानी, ग्रीन टी, जैतून का तेल, बादाम, अलसी के बीज, घी आदि का सेवन करना लाभदायक होता है।

पैरालिसिस के रोगी को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है इसके लिए पैरालिसिस के रोगी को अनाजों के बारे में जानकारी होनी चाहिए विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए इसे पढ़ें – मिलेट क्या है इसके औषधीय गुण और मिलेट खाने के फायदे 

लकवा के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए (What not to eat in Paralysis Patient in hindi)

  • पैरालिसिस के रोगी को नया अनाज और मैदा या मैदा से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • दालों में अरहर, चना, सोयाबीन आदि का सेवन करना हानिकारक होता है।
  • पैरालिसिस के रोगी को सब्जियों में आलू,  करेला, भिंडी, अरबी, फूलगोभी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • फलों में जामुन का सेवन लकवा के रोगी को नहीं करना चाहिए।
  • भारी भोजन जैसे राजमा, चना, सोयाबीन, कटहल, पनीर, तला हुआ व पचने में ज्यादा समय लेने वाला भोजन आदि नहीं करना चाहिए।
  • ज्यादा तैलीय व मसालेदार भोजन, अधिक नमक, अचार, कोल्ड ड्रिंक, बेकरी उत्पाद, मांस, अल्कोहल, फास्ट फूड, जंक फूड, शीतल पेय पदार्थ और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का सेवन पैरालिसिस के रोगी को नहीं करना चाहिए।

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लकवा रोगी के लिए इलाज के दौरान सावधानियां (Careful in Paralysis Disease in hindi)

पैरालिसिस के रोगी (Paralysis Patient) को अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव अवश्य करने चाहिए।

  • नियमित पौष्टिक ताजा व हल्का गर्म भोजन करना चाहिए।
  • दिन में तीन से चार बार शांत मन से भोजन करना चाहिए।
  • नियमित रूप से कुछ कम भोजन करना चाहिए।
  • भोजन को चबा चबा कर और धीरे-धीरे करना चाहिए।
  • भोजन के बाद जितना हो सके टहलना जरूर चाहिए।
  • रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी जगने का प्रयास करना चाहिए।
  • हल्का योग, ध्यान और प्राणायाम अवश्य करना चाहिए।
  • पैरालिसिस के रोगी को सिर की मालिश अवश्य करनी चाहिए।
  • शरीर में नारियल के तेल की मालिश करने के बाद धूप में 20 से 25 मिनट उगते सूर्य के सामने बैठना चाहिए।
  • पैरालिसिस के रोगी को ज्यादा आराम करना चाहिए।
  • शांत मन और तनाव रहित रहना चाहिए।

FAQ : पैरालिसिस रोग में पूछे जाने वाले सवाल

Q 1  क्या किसी सदमें या मानसिक परेशानी के कारण पैरालिसिस हो सकता है ?

Ans  आयुर्वेद के अनुसार कई बार अधिक टेंशन लेने से या अचानक कोई सदमा लगने से भी व्यक्ति पैरालिसिस का शिकार हो जाता है। क्योंकि जब अचानक चिंता या कोई बड़ी घटना होने से दिमाग पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है।

Q 2  क्या शरीर में किसी विटामिन की कमी के कारण पैरालिसिस हो सकता है ?

Ans  पैरालिसिस रोग होने में जीवन शैली में आए बदलाव और खानपान में बदलाव को अहम माना जा सकता है और इसके कारण शरीर में होने वाली विटामिन B-12 और बी कॉम्पलेक्स की कमी होने से पैरालिसिस रोग आजकल युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगा है।

Q 3  क्या पैरालिसिस का रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है ?

Ans अगर किसी व्यक्ति को पैरालिसिस का अटैक आए तो उसके लिए शुरूआत के 4 घंटे बेहद अहम होते हैं क्योंकि अगर इन 4 घंटों के अंदर उसे इलाज मिल जाए तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है जितना ज्यादा समय लगेगा समस्याएं उतनी ज्यादा बढ़ जाएगी।

Q 4  क्या पैरालिसिस के रोगी को योग व व्यायाम करने से लाभ मिलता है ?

Ans  पैरालिसिस के मरीज के लिए योग, व्यायाम व प्राकृतिक चिकित्सा काफी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि इन एक्टिविटी  को करने से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन तेज होता है इससे पैरालिसिस के रोगी को ठीक होने में बहुत सहायता मिलती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस आर्टिकल में हमने जाना लकवा यानि पैरालिसिस क्या है इसके कारण और पैरालिसिस का घरेलू इलाज तथा इससे बचने के लिए क्या खाना फायदेमंद होता है (Paralysis Patient diet plan) और Paralysis Patient को क्या सावधानियां रखना जरूरी होता है।

इस आर्टिकल में लिखी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है अतः किसी भी सुझाव को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेवें।

यह लेख लकवा रोग में क्या खाएं (Diet plan for Paralysis Patient in hindi) आपको कैसा लगा Comment करें और पोस्ट को शेयर भी करें ताकि किसी जरूरतमंद को इसका लाभ मिल सकें।

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क्या खाने से लकवा होता है?

मैदा, अरहर, मटर, चना से परहेज करें।.
फल और सब्जियों की बात करें तो आलू, टमाटर, नींबू, जामुन, करेला, केला, भिंडी और मूंगफली से दूरी बनाएं।.
तेल और घी के अधिक सेवन से परहेज करें। ... .
भारी भोजन जैसे छोले, राजमा, उड़द चना मटर सोयाबीन, बैंगन, कटहल जैसी चीजें बिल्कुल नहीं खाएं।.
ठंडी चीजें, पनीर और चॉकलेट से परहेज़ करें।.

लकवा किसकी कमी से होता है?

ऐसा तब होता है जब शरीर में विटामिन बी-12 और बी कॉम्प्लेक्स की कमी हो जाती है। यह पूरी तरह से जीवनशैली में आए बदलाव का साइड इफेक्ट है। फिलहाल खान-पान में बदलाव इसका कारण माना जा रहा हैं।

पैरालाइज की बीमारी कैसे होती है?

लकवा आमतौर पर तीन आम कारणों से होता है:.
स्ट्रोक (आघात).
सिर में चोट लगना.
रीढ़ की हड्डी की चोट - रीढ़ की हड्डी तंत्रिका तंत्र का एक बंडल है जो रीढ़ से जुड़ी होती है और शरीर की मांसपेशियों को नियंत्रित करने में मदद करती है.
मल्टीपल स्क्लेरोसिस (multiple sclerosis).

लकवा कैसे बढ़ता है?

पक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis) एक या एकाधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियों के कार्य करने में पूर्णतः असमर्थ होने की स्थिति को कहते हैं।