शक्ति और क्षमा कविता में कौन किस को समझा रहा है? - shakti aur kshama kavita mein kaun kis ko samajha raha hai?

विषयसूची

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  • 1 शक्ति और क्षमा में क्या संबंध है?
  • 2 क्षमा दया तप त्याग मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?
  • 3 सुयोधन को नर व्याघ्र क्यों कहा गया है?
  • 4 क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसका क्या जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल हो?
  • 5 शक्ति और क्षमा कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
  • 6 क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंत हीन विश रहित विनीत सरल हो?
  • 7 कौन सा भुजंग क्षमाशील है 1 Point जो विनीत हो जिसके पास जहर हो जो दंत हीन हो?
  • 8 शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है?
  • 9 नर व्याग्रा कौन है?

शक्ति और क्षमा में क्या संबंध है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: क्षमा उसे शोभायमान होती है जिसके पास शक्ति और पराक्रम होता है। (क) क्षमाशील हो रिपुसमझ, तुम हुए विनत जितना ही। दुष्ट कौरवों ने तुमको, कायर समझा उतना ही।

क्षमा दया तप त्याग मनोबल सबका लिया सहारा पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो कहाँ कब हारा?

इसे सुनेंरोकें➲ कवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘शक्ति और क्षमा’ नामक कविता की इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने पांडवों की क्षमाशीलता और कौरवों की दुष्टता की व्याख्या की है। उन्होंने क्षमा को वीरों का आभूषण बताया है। इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है… सबका लिया सहारा।

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल हो का अर्थ?

इसे सुनेंरोकेंउसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो । हिंदी में अर्थ : किसी को माफ़ करना (क्षमा) केवल उसी साँप (भुजंग) को शोभा देता है (शोभती), जिसके पास जहर / विष (गरल) हो। वो (साँप) क्या माफ़ करेगा (क्षमा करेगा) जिसके दाँत ना हो.

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंतहीन विषरहित विनीत सरल हो अर्थ?

सुयोधन को नर व्याघ्र क्यों कहा गया है?

इसे सुनेंरोकेंक) ‘नर व्याघ्र’ का प्रयोग कवि ने क्यों किया है? कवि ने ‘नर व्याघ्र’ का प्रयोग सुयोधन (दुर्योधन) के लिए किया है। वह आदमी होकर भी जानवर जैसा वर्ताव कर रहा था। उसमें मानवता नाम की कोई चीज नहीं थी इसीलिए कवि ने ‘नर व्याघ्र’ का प्रयोग किया है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसका क्या जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल हो?

इसे सुनेंरोकेंक्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो । उसका क्या जो दंतहीन, विषहीन, विनीत सरल हो ।। क्षमा शक्तिशाली को ही शोभा देती है । जो कमजोर है वह तो प्रतिकार करने मे असमर्थ है इसलिए उसकी तो क्षमा ही क्षमा है ।

भुजंग का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंभुजंग संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] 1. साँप 2. (हठयोग) पति 3. विदूषक 4.

शक्ति और क्षमा कविता में कवि ने सुयोधन को नर व्याघ्र क्यों कहा है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Explanation: कवि का कहना है कि क्षमा करना उसी को शोभा देता है जो शक्तिशाली हो, जो स्वयं कमजोर तथा दया का पात्र हो उसके द्वारा किसी को क्षमा करने का कोई महत्व नहीं है।

शक्ति और क्षमा कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इस कविता का संदेश यह है कि क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल आदि गुण श्रेष्ठ हैं। किंतु इन्हें महत्व मिले, इसके लिए इनके पीछे बल का, शक्ति का होना आवश्यक है। अतः मानवीय सद्गुणों के साथ-साथ बल होना उत्तम है।

इसे सुनेंरोकेंपर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ, कब हारा? हिंदी में अर्थ : क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल, तुमने सबका सहारा लिया। किन्तु उस मनुष्य रुपी पशु (व्याघ्र) दुर्योधन (सुयोधन) ने तुमसे कब हार मानी। (‘दुर्योधन’ का अर्थ है जिसे युद्ध में बड़ी कठिनाई से जीता जा सके।

क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो उसको क्या जो दंत हीन विश रहित विनीत सरल हो?

इसे सुनेंरोकेंक्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो इसका अर्थ क्या होगा? – Quora. विषरहित, विनीत, सरल हो। जो सर्प दांत से रहित हो,विष से रहित हो, और सरल हो अर्थात पालतू हो, अगर वह किसी व्यक्ति को माफ कर दे अथवा किसी को ना काटे तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है,क्योंकि उसके दांत ही नहीं है उसके पास ज़हर ही नहीं है।

कवि ने रघुपति तथा समुद्र का उदाहरण देकर क्या समझाना चाहा है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ने कविता में रघुपति कौन-सा उदाहरण दिया है? कवि ने कविता में रघुपति को विनम्र किंतु वीर पुरुष के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनके द्वारा विनम्रतापूर्वक तीन दिन तक सिंधु से अनुनय-विनय करने का उदाहरण दिया है। उसके उत्तर न देने पर वह पुरुषार्थ के लिए तत्पर होते हैं।

दुष्ट कौरवों ने किसे कायर समझा और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंक्षमा उसे शोभायमान होती है जिसके पास शक्ति और पराक्रम होता है। (क) क्षमाशील हो रिपुसमझ, तुम हुए विनत जितना ही। दुष्ट कौरवों ने तुमको, कायर समझा उतना ही। (ख) सच पूछो तो शर में ही, बसती है दीप्ति विनय की।

कौन सा भुजंग क्षमाशील है 1 Point जो विनीत हो जिसके पास जहर हो जो दंत हीन हो?

इसे सुनेंरोकेंउसको क्या, जो दन्तहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो? सहनशीलता, क्षमा, दया को

शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में यह संदेश दिया गया है कि किसी की क्षमा को मोल तभी होता है जब इसके पास शक्ति हो किसी को भी अपने शत्रु के बार बार क्षमा नही करना चाइये , क्योकि इससे उसका शत्रु उसे कायर समझने लगता है इसलिए व्यक्ति को शाम के साथ साथ अपने शक्ति को भी ही शोभा देता है .

शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य स्वर क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता का संदेश यह है कि क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल आदि गुण श्रेष्ठ हैं। किंतु इन्हें महत्व मिले, इसके लिए इनके पीछे बल का, शक्ति का होना आवश्यक है। अतः मानवीय सद्गुणों के साथ-साथ बल होना उत्तम है।

दुष्ट कौरवों ने पाण्डवों को क्या समझा?

इसे सुनेंरोकेंजब तक पांडव वन में रहे, तब तक कौरवों ने उन्हें कायर समझा। जब तक पांडवो ने हस्तिनापुर का राज नहीं माँगा , तब तक कौरवों ने उन्हें कायर समझा। जब तक पांडव क्षमाशील एवं विनम्र बने रहे, तब तक कौरवों ने उन्हें कायर समझा। जब तक पांडवों के पास श्रीकृष्ण नही थे , तब तक कौरवों ने उन्हें कायर समझा।

नर व्याग्रा कौन है?

नर व्याघ्र की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण

परिभाषा / अर्थउदाहरण
वह पुरुष जो बल या ताक़त वाला हो या साहसपूर्ण या वीरतापूर्ण कार्य करता हो सोहराब और रुस्तम दोनों वीर आपस में जूझ गये ।

शक्ति और शमा कविता में कौन किसको समझा रहा है?

कायर समझा उतना ही। कोमल होकर खोता है। विषरहित, विनीत, सरल हो।

शक्ति और क्षमा कविता का मुख्य संदेश क्या है?

इस कविता का संदेश यह है कि क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल आदि गुण श्रेष्ठ हैं। किंतु इन्हें महत्व मिले, इसके लिए इनके पीछे बल का, शक्ति का होना आवश्यक है। अतः मानवीय सद्गुणों के साथ-साथ बल होना उत्तम है।

शक्ति और क्षमा कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर: इस कविता के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि क्षमा, दया और विनम्रता के साथ हमें अपने पौरुष का उपयोग करना चाहिए । शक्तिहीन मनुष्य को क्षमा, दया, विनम्रता शोभा नहीं देती है। अर्थात् शक्तिमान व्यक्ति को ही क्षमा, दया और विनम्रता शोभता है।

कवि ने रघुपति तथा समुद्र का उदाहरण देकर क्या समझाना चाहा है?

कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' ने रघुपति तथा समुद्र का उदाहरण देकर यह समझाना चाहा है कि विनम्रतापूर्ण आग्रह या प्रार्थना को संसार महत्व नहीं देता किंतु जब वही विनम्न व्यक्ति बल-प्रयोग के लिए तत्पर होता है तो उसकी अनदेखी करने वाला शरणागत ही नहीं होता, उसकी हर बात मानने के लिए तत्पर होता है।