लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी कितनी है? - lakshadveep mein muslim aabaadee kitanee hai?

As per census 2011, Muslim are majority in Lakshadweep state. Muslims constitutes 96.58% of Lakshadweep population. In all Muslim form majority religion in 1 out of 1 districts of Lakshadweep state. The data for 2021 &
Muslim Population in Lakshadweep is 62.27 Thousand (96.58 percent) of total 64.47 Thousand. Christian Population in Lakshadweep is 0.32 Thousand (0.49 percent) of total 64.47 Thousand.

ReligionPercentageHindu2.77%Muslim96.58%Christian0.49%Sikh0.01%Buddhist0.02%Jain0.02%Other Religions0.01%Not Stated0.10%

Lakshadweep District Wise Data - Religion 2011


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि लक्षद्वीप में चरमपंथ, कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशें की गई हैं, लेकिन ये सभी कोशिशों नाकाम हो गई और इसके लिए वो केंद्र शासित क्षेत्र के लोगों को बधाई देते हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने शनिवार को कहा कि दुनिया में कोई भी व्यक्ति लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी (Muslim Population) या अन्य निवासियों की देशभक्ति पर संदेह करने या सवाल उठाने का साहस नहीं कर सकता है, क्योंकि इन्होंने संकट पैदा करने वाले या देश के खिलाफ वहां लोगों को भड़काने वाली भारत विरोधी ताकतों की कोशिशों को नाकाम किया है. राजनाथ सिंह ने महात्मा गांधी की 152 वीं जयंती पर अपने संबोधन के दौरान कहा कि धरती पर कोई भी व्यक्ति लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी की देशभक्ति पर संदेह करने का साहस नहीं कर सकता है. कोई भी व्यक्ति लक्षद्वीप के लोगों की देशभक्ति पर सवाल खड़े नहीं कर सकता है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे. राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के दौरान जलवायु परिर्वतन के मुद्दे और ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के चलते समुद्र का जल स्तर बढ़ने से लक्षद्वीप के अस्तित्व के लिए पैदा हुए खतरे का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन की कटौती की दिशा में सरकार के सकारात्मक रुख के तहत अगले साल एक जुलाई से एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले (सिंगल यूज) प्लास्टिक और संबद्ध उत्पादों के विनिर्माण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है.

‘लक्षद्वीप में चरमपंथ, कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने की सभी कोशिशें हुईं नाकाम’

रक्षा मंत्री ने कहा कि भूमि पर स्वच्छता में सागर की सफाई को भी शामिल करना चाहिए. समुद्री पारिस्थितकी को स्वच्छ रखना होगा. द्वीप पर संकट पैदा करने की भारत विरोधी ताकतों की कोशिशों के मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने कहा कि द्वीप की रणनीतिक अवस्थिति व महत्व होने के कारण इस तरह की कोशिशें अतीत में और अभी भी की गई हैं, लेकिन द्वीप वासियों के चलते ये कोशिशें नाकाम हो गई. उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप में चरमपंथ, कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिशें की गई हैं, लेकिन ये सभी कोशिशें नाकाम हो गई और इसके लिए वो केंद्र शासित क्षेत्र के लोगों को बधाई देते हैं.

आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार ने अपनाया है कड़ा रुख- राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है, लेकिन जहां तक कट्टरपंथ की बात है, सरकार ने ऐसा कड़ा रुख नहीं अपनाया है और इसके बजाए कट्टरपंथ के रास्ते पर गए लोगों को मुख्य धारा में वापस लाने के लिए उन्हें समझाने-बुझाने का विकल्प चुना. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व मौजूदा केंद्र सरकार को अल्पसंख्यक विरोधी बता रहे हैं, जो कि गलत है और झूठा आरोप है. रक्षा मंत्री ने कहा कि द्वीप के लोग महात्मा गांधी के सिद्धांतों के सच्चे अनुयायी हैं और उनके बीच जाति, नस्ल या धर्म के आधार पर नफरत नहीं है. उन्होंने द्वीप के लिए केंद्र की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि लक्षद्वीप को अगला मालदीव बनाया जाएगा.

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शायद भारत में बहुतेरे लोगों को पता भी नहीं था कि लक्षद्वीप में इस्लाम ने अपना पाँव इतना जमा लिया है कि वहाँ की 98% जनसंख्या मुस्लिम है। जहाँ सड़कों पर सरेआम माँस कटते हों, शराब प्रतिबंधित हो और कपड़े पहनने के मामले में अघोषित शरिया लागू हो, वहाँ क्या कभी पर्यटन पनप सकता है? लक्षद्वीप का दुर्भाग्य है कि दुनिया के सबसे सुंदर द्वीप समूहों में से एक होने के बावजूद पर्यटन के मामले में ये तरक्की नहीं कर पाया।

हाल के दिनों में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को इस केन्द्रशासित प्रदेश का प्रशासक बना कर भेजा और उन्होंने इस स्थल को मालदीव के टक्कर का बनाने के लिए कुछ सुधर योजनाएँ लाई, तब जाकर लोगों को पता चला कि लक्षद्वीप की क्या हालत बना दी गई है। देश भर में इस्लाम संगठन इसके खिलाफ सड़क पर उतर आए और राजनीतिक दलों ने भी उनके लिए आवाज़ उठाई।

लेकिन, क्या किसी ने ये सोचा कि आज तक लक्षद्वीप में ‘राष्ट्रपिता’ कहे जाने वाले उन महात्मा गाँधी की प्रतिमा क्यों नहीं लग पाई, जिनकी कसमें विपक्ष का हर नेता दिन में 10 बार खाता है? क्या गाँधी तब उनके प्रिय नहीं रह जाते, जब मुस्लिम उनका विरोध करें? बूतपरस्ती शरिया में हराम है, इसीलिए लक्षद्वीप की मुस्लिम जनसंख्या ने एक ‘पुतले’ को वहाँ नहीं लगने दिया। ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ये काम भी पूरा कर दिया।

ध्यान दीजिए, दिन भर गाँधी-गाँधी चिल्लाते हुए उनके आदर्शों और मूल्यों का रट्टा मारने वाले विपक्षी नेता सत्ता में रहते हुए ऐसा नहीं कर पाए थे और 2010 में यूपीए सरकार को पीछे हटना पड़ा था। मोदी सरकार ने ये कर दिखाया। जैसे कश्मीर बदला है, लक्षद्वीप भी बदलेगा। लेकिन, आइए इसी बहाने हम क्यों न भारत के दक्षिणी भाग में स्थित इस द्वीप समूह के इतिहास को समझें और ये भी कि इस्लाम ने यहाँ कैसे डेरा जमाया।

यहाँ नाम आता है शेख उबैदुल्लाह का, जिसे ‘संत उबैदुल्लाह’ भी कहते हैं। भारत में अधिकतर सूफी संत किसलिए आए थे, इस बारे में हम पहले भी बता चुके हैं। वो सुल्तान का मुखौटा होते थे और इस्लामी आक्रमण के इर्दगिर्द नरम रुख दिखा कर गरीबों का धर्मांतरण कराते थे। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती और चाँद मियाँ इसके उदाहरण हैं। बंगाल में ऐसे ‘सूफी संतों’ ने मंदिर तोड़े। कइयों ने युद्ध भी लड़ा, ‘काफिर’ हिन्दुओं के विरुद्ध।

इसी तरह सातवीं शताब्दी में शेख उबैदुल्लाह हुआ। अब वो कहानी सुनिए, जो इस्लामी समाज के बीच फैली हुई है। शेख उबैदुल्लाह अरब में रहता था और मक्का-मदीना में नमाज पढ़ता था। एक बार मक्का में अल्लाह की इबादत करते समय उसे नींद आ गई और सपने में खुद पैगंबर मुहम्मद आ पहुँचे। सपने में ही उन्हें आदेश मिला कि जेद्दाह (सऊदी अरब का बंदरगाह) जाओ और वहाँ से एक जहाज लेकर इस्लाम को फैलाने के लिए दूर-दूर क्षेत्रों में निकलो।

कहानी आगे कुछ यूँ जाती है कि शेख उबैदुल्लाह समुद्र के रास्ते निकल पड़ा। कई महीनों तक समुद्र में भटकने के बाद एक तूफ़ान आया और उसका जहाज अमिनि द्वीप से आ टकराया। इसके बाद उसे फिर से नींद आ गई और वो सो गया। जैसा कि मक्का में हुआ था, पैगंबर मुहम्मद फिर से उसके सपने में आए और कहा कि इसी द्वीप पर इस्लाम का प्रचार-प्रसार करो। इसके बाद उसने आदेश का पालन शुरू कर दिया।

ये कहानी लक्षद्वीप की सरकार वेबसाइट पर द्वीप समूह के इतिहास के वर्णन में भी दी गई है। इसमें लिखा है कि उस समय यहाँ के मुखिया ने उसकी मंशा को भाँप कर उसे बाहर निकाल दिया, लेकिन वो अड़ा रहा। फिर एक सुंदर हिन्दू युवती के उसके प्यार में पड़ने की बात कही जाती है। उसने उसका धर्मांतरण करा के मुस्लिम बनाया और ‘हमीदत बीबी’ नाम रखा। शेख उबैदुल्लाह ने उसके साथ निकाह भी रचा लिया।

अब जरा ये देखिए कि झूठे चमत्कार की कहानियों को फैला कर कैसे अपने मजहब को श्रेष्ठ साबित किया जाता है। इस्लामी नैरेटिव की कहानी के अनुसार, स्थानीय मुखिया ने जब उसे मारने की योजना बनाई और अपने सैनिकों के साथ उसे घेर लिया, तब शेख उबैदुल्लाह ने अल्लाह को याद किया और उसे घेरे उसके सभी विरोधी अंधे हो गए। दोनों भाग निकले और जैसे ही उन्होंने द्वीप छोड़ा, इन लोगों की आँखों की रोशनी वापस आ गई।

इसके बाद शेख उबैदुल्लाह एंड्रोट द्वीप पर पहुँचा, लेकिन वहाँ भी उसका कड़ा विरोध हुआ। लेकिन, किसी तरह उसने लोगों को फुसला कर कइयों का इस्लामी धर्मांतरण किया। फिर उसने लक्षद्वीप के कई द्वीपों में जाकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया और धर्मांतरण अभियान चलाया। अपने जीवन के अंतिम दिनों में वो एंड्रोट लौटा, जहाँ उसे दफनाया गया। आज एंड्रोट में उसका मकबरा है और श्रीलंका से लेकर बर्मा और मलेशिया तक से लोग उसके कब्र पर आते हैं।

कहते हैं कि बाद में उसने अमिनी में जाकर भी बड़े पैमाने पर लोगों का धर्मांतरण कराया और इस बारे नए-नए मुस्लिम बने कई स्थानीय लोग उसके साथ थे, इसीलिए उसका विरोध भी कम हुआ। इसी तरह उसने कवरत्ती और अगट्टी में भी बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का इस्लामी धर्मांतरण किया। एंड्रोट के जुमा मस्जिद में उसकी कब्र है, जो उसके समय ही बना था। ये उसके ब्रेंनवॉशिंग का कमाल ही था कि आज लक्षद्वीप की 98% आबादी मुस्लिम है।

लक्षद्वीप के इतिहास का वर्णन हमें बिचित्रानन्द सिन्हा की ‘Geo-economic Survey of Lakshadweep‘ में भी मिलता है। इसमें बताया गया है कि अरब के लोगों ने यहाँ के मूल निवासियों के बारे में कुछ खास नहीं लिखा है, लेकिन इतना ज़रूर जिक्र किया है कि वो लोग अपने धर्म के पक्के अनुयायी थे। इसमें लिखा है कि वहाँ के पुराने मस्जिदों की वास्तुकला हिन्दू मंदिरों की तरह है, अतः हिन्दुओं की यहाँ जनसंख्या निवास करती थी।

लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी कितनी है? - lakshadveep mein muslim aabaadee kitanee hai?
लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी कितनी है? - lakshadveep mein muslim aabaadee kitanee hai?
लक्षद्वीप की सरकारी वेबसाइट पर भी मौजूद है शेख उबैदुल्लाह का इतिहास

खुदाई से पता चला है कि यहाँ नाग की पूजा के साथ-साथ लोग भगवान श्रीराम को भी मानते थे। एक और लोकप्रिय कहानी केरल के राजा चेरामन पेरुमल को लेकर है, जिसने 825 ईश्वी में इस्लाम अपना लिया था और फिर गायब हो गया। जहाजों ने उसे खोजना शुरू किया और इसी दौरान कई लोग लक्षद्वीप तक पहुँचे। लोगों का मानना था कि राजा मक्का चला गया है। इसी दौरान उन्होंने बंगरम द्वीप की खोज की।

इसके बाद लौट कर उन्होंने मालाबार के राजा कोलत्तिरि को इस नए द्वीप को बताया, जो उनके हिसाब से नारियल की खेती और मछली पालन के लिए उपयुक्त था। इसके बाद मालाबार से कई लोग यहाँ पहुँचे। हालाँकि, कई इतिहासकारों का मानना है कि इस्लाम के जन्म के काफी पहले से यहाँ अच्छी-खासी जनसंख्या रहती थी। केरल से यहाँ जो लोग आकर बसे थे, वो भी हिन्दू ही थे। फिर भी लंबे समय तक ये हिन्दू राजाओं के शासन में ही रहा।

इसीलिए, आज जब मध्यकालीन युग में जी रहे इस द्वीप समूह का विकास कर के इसे आधुनिक बनाया जा रहा है और देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए खुले विचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो महिलाओं को बुरका-हिजाब में देखने की वकालत करने वालों को ये नहीं ही अच्छा लगेगा। सड़कों पर गोहत्या करना बंद होगा – ये उन्हें नहीं पसंद आएगा। अब देखना ये है कि कब तक लक्षद्वीप के इन सुधार कानूनों के परिणाम आने शुरू होते हैं।

लक्षद्वीप में मुस्लिम की जनसंख्या कितनी है?

मी., लक्षद्वीप एक बड़े क्षेत्र है। 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप की आबादी 64429 है। 9 3% जनसंख्या जो स्वदेशी हैं, मुस्लिम हैं और उनमें से अधिकांश सुन्नी संप्रदाय के शफी स्कूल से संबंधित हैं।

लक्षद्वीप में कौन सा धर्म है?

लक्षद्वीप भारत के कब्जे वाली मुस्लिम आबादी का एक द्वीप है, जहां 96% मुसलमान रहते हैं। हिंदू अल्पसंख्यक हैं, यहां के ८९% लोग मिलियम वंश के हैं, लेकिन भारत ने द्वीप का नाम "लक्षद्वीप" रखा है, यहां के लोग चाहते हैं कि द्वीप का नाम "मिलियम दीप" हो।

कर्नाटक में मुस्लिम आबादी कितनी है?

यहाँ की कुल जनसंख्या का ८३% हिन्दू हैं और ११% मुस्लिम, ४% ईसाई, ०.७८% जैन, ०.७३% बौद्ध और शेष लोग अन्य धर्मावलंबी हैं।

कितने हिन्दू मुस्लिम बने हर साल?

ये आंकड़े 2021 में बढ़कर, लगभग 140 करोड़ हो चुके है जिसमें लगभग 15.39% (लगभग 21.54 करोड़) मुस्लिम आबादी शामिल है। इस्लाम के आगमन से गंगा के अधिकांश बेसिन में हिंदू धर्म का पतन हुआ। जबकि सहिष्णु मुस्लिम शासक थे, कुछ कट्टर हिंदू विरोधी थे और अविश्वासियों पर चुनावी कर लगाते थे।