कवि और कोयल संसार में क्या अंतर है? - kavi aur koyal sansaar mein kya antar hai?

काव्यांशों पर आधारित अति लघूत्तरीय एवं लघूत्तरीय प्रश्न

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो !
क्या लाती हो? संदेशा किसका है? कोकिला बोलो तो !
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?

प्रश्न (क) कवि जेल का वातावरण कैसा बताता है?
उत्तरः जेल की दीवारें काली और ऊँची-ऊँची हैं। यहाँ चारों ओर घनघोर अँधेरा छाया हुआ है।

प्रश्न (ख) जेल में कैदियों से कैसा व्यवहार किया जाता है? 
उत्तरः जेल में कैदियों से बुरा व्यवहार किया जाता है, कड़ा पहरा रहता है, पेट-भर खाना नहीं मिलता। न जीने देते हैं, न मरने देते हैं।

प्रश्न (ग) कवि कोकिल से क्या प्रश्न करता है? 
उत्तरः कवि कोकिल से प्रश्न करता है कि वह असमय क्यों कूक रही है? उसकी कूक में वेदना का भाव क्यों है? वह क्रन्दन को विवश क्यों है?

2. क्यों हूक पड़ी ?
वेदना बोझ वाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या लुटा ?
मृदुल वैभव की रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली ?
अर्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
कोकिल बोलो तो!

प्रश्न (क) कवि कोयल से क्या जानना चाहता है?
उत्तरः कवि कोयल से जानना चाहता है कि किस दुःख से अभिभूत होकर वह कसक भरी वाणी में कूक रही है।

प्रश्न (ख) कवि ने ‘दावानल की ज्वालाएँ’ किसे माना है और क्यों?
उत्तरः कवि ने अंग्रेजी राज के अंधकार और उनकी भयानक अत्याचार युक्त नीतियों के दुष्परिणामों को दावानल की ज्वाला माना है, क्योंकि वे बहुत दुःखदायी होंगी।

प्रश्न (ग) कवि ने कोयल की ‘कूक’ को ‘हूक’ क्यों कहा है? 
उत्तरः कवि ने कोयल की कूक अर्थात् मधुरवाणी को सुना है जो मनमोहिनी व अच्छे मौसम का प्रतीक होती है। परन्तु यहाँ कोयल की वाणी में वेदना व व्याकुलता है जो आधी रात को भी उसे बेचैन किए हुए है। वह अत्याचारों से दुःखी है, अतः कूक न होकर हूक बन गई है।

अथवा

प्रश्न (क) कवि और कविता का नाम लिखिए। 
उत्तरः कवि-माखनलाल चतुर्वेदी, कविता-केदी और कोकिला।

प्रश्न (ख) ‘ऊँची काली दीवारों’ से कवि का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तरः ‘ऊँची काली दीवारों’ से कवि का तात्पर्य-जेल की ऊँची-ऊँची दीवारों से है।

प्रश्न (ग) कवि को किसने निराश किया है ? 
उत्तरः कवि को चन्द्रमा ने निराश किया है, स्वभाव के विपरीत चाँदनी शीतलता के स्थान पर कवि को दाहकता प्रदान करती है। अंधेरी रात में चंद्रमा भी नहीं है।

3. क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?-जीवन की तान,
मिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खिंचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलाने वाली,
इसलिए रात में गजब ढा रही आली?  (C.B.S.E. 2012, 10 Term I, Set 049, A1, A2)

प्रश्न (क) कवि को किस कारण कारागार जाना पड़ा?
उत्तरः
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान संघर्ष करते हुए कवि को बार-बार जेल जाना पड़ा था।

प्रश्न (ख) ‘ब्रिटिश अकड़ का कूआँ’ खाली करने से क्या अभिप्राय है? 

उत्तरः इस पंक्ति से आशय है-ब्रिटिश शासकों द्वारा दी गई समस्त यातनाओं को झेलकर उन्हें झुकाने का प्रयास करना।

प्रश्न (ग) कवि के अनुसार कोयल के रात्रि में बोलने का क्या कारण है?
उत्तरः मानों वह कवि के दुःख-दर्दों पर मरहम लगाने आई है अथवा संघर्ष का गीत गा रही है।

4. इस शांत समय में
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो।
चुपचाप मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो। (C.B.S.E. 2016 Term I, 4M7 TP8N)

प्रश्न (क) ‘इस शांत समय में’ से कवि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तरः कवि का अभिप्राय अर्धरात्रि है। रात के सन्नाटे से है। 

प्रश्न (ख) चुपचाप मधुर विद्रोह-बीज बोने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तरः मानों मधुर कंठ से गाने वाली कोकिला रोकर एवं चीख कर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह के लिए तैयार रहने की प्रेरणा दे रही है।

प्रश्न (ग) कोयल कवि को किस प्रकार के विद्रोह की प्रेरणा देती है ? 
उत्तरः कोयल क्रूर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह करने की प्रेरणा दे रही है।

5. काली तू, रजनी भी काली
शासन की करनी भी काली
काली लहर कल्पना काली
मेरी काल कोठरी काली
टोपी काली, कमली काली
मेरी लौह श्रृंखला काली
पहरे की हुंकृति की ब्याली
तिस पर है गाली, ऐ आली
इस काले संकट-सागर पर
मरने की मदमाती। (C.B.S.E. 2014, 12, 10 Term I, Set R, B1, 023 A1)

प्रश्न (क) कवि किस चीज को काली बताता है?
उत्तरः कवि कोयल, रात, शासन की करनी, कल्पना, काल-कोठरी, टोपी, कम्बल, लोहे की हथकड़ी पहरेदार की हुंकार आदि को काली बताता है।

प्रश्न (ख) ये काली चीजें केसा वातावरण निर्मित कर रही हैं? 
उत्तरः ये काली चीजें निराशाजनक एवं भयप्रद वातावरण निर्मित कर रही हैं।

प्रश्न (ग) इस वातावरण में कोयल क्या कर रही है? 
उत्तरः इस वातावरण में कोयल मदमाती प्रतीत हो रही है। शायद वह मर-मिटने का संदेश देना चाहती है।

अथवा

प्रश्न (क) कवि ने अपने आस-पास के वातावरण की तुलना किन वस्तुओं से की है?
उत्तरः कवि ने अपने आस-पास के वातावरण की तुलना काली वस्तुओं से की है यथा-काली कोठरी, काली टोपी, काली कमली, काली लौह शृंखला आदि।

प्रश्न (ख) कवि को पहरेदारों की हुंकार कैसी लगती है? 
उत्तरः पहरेदारों की हुंकार कवि को सर्पिणी जैसी अर्थात् सर्पिणी की फुंकार जैसी लगती है।

प्रश्न (ग) पहरेदार कैसा व्यवहार करते हैं ? 
उत्तरः पहरेदार स्वतंत्रता सेनानियों को बात-बात पर गाली देकर उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं।

6. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली !
तेरा नभ-भर में संचार,
मेरा दस फुट का संसार !
तेरे गीत कहावे वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह !
देख, विषमता तेरी-मेरी,
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो !
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ ?
कोकिल बोलो तो।
बजा रही जिस पर रणभेरी !

प्रश्न (क) कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर है? 
उत्तरः कवि का संसार सीमित है जबकि कोयल का संसार असीमित है, वह खुले आकाश में विचरण करती है।

प्रश्न (ख) कोयल की हुँकार पर कवि क्या करना चाहता है? 
उत्तरः कोयल की हुँकार से प्रेरित होकर कवि ओजपूर्ण काव्य-रचना करना चाहता है।

प्रश्न (ग) ‘मोहन के व्रत पर’ पंक्ति से क्या तात्पर्य है? 
उत्तरः मोहन के व्रत पर’ पंक्ति से तात्पर्य है-मोहनदास करमचंद गाँधी (महात्मा गाँधी) का यह व्रत है कि मैं अहिंसा के बल पर देश को आजाद करा दूँगा।

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कैदी और कोकिला कविता का सार यहाँ पढ़ें।   

कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर?

प्रश्न (क) कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर है? उत्तरः कवि का संसार सीमित है जबकि कोयल का संसार असीमित है, वह खुले आकाश में विचरण करती है। प्रश्न (ख) कोयल की हुँकार पर कवि क्या करना चाहता है? उत्तरः कोयल की हुँकार से प्रेरित होकर कवि ओजपूर्ण काव्य-रचना करना चाहता है।

कवि ने कोयल को क्या कहा है?

Answer: (क) मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज़ से है। उसकी आवाज़ में मिठास होने के बाद भी जब वह वेदना पूर्ण आवाज़ में चीख़ उठती है तो कवि उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है। (ख) अंग्रेज़ी सरकार कवि से पशुओं के समान परिश्रम करवाते हैं।

कवि कोयल को बावली क्यों कहते है?

कवि स्वतंत्रता के आंदोलन में शामिल होकर जेल चला गया है । वहाँ उस पर बहुत अत्याचार किया जाता है । उसे बिलकुल उम्मीद नहीं है कि ब्रिटिश अत्याचार कभी खत्म होगा । अतः वह रात के समय कूकने वाली कोयल से कहता है कि हे कोयल!

कवव और कोई में क्या अंतर है?

नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए- ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी, तब 'समझ' ने यों मुझे ताने दिए ।