पहले क्या था नियम? HUF फैमिली और हमवारिस 2005 के संशोधन की बड़ी बातें बेटी कब पैदा हुई, कोई फर्क नहीं पिता की स्वअर्जित संपत्ति अगर
वसीयत लिखे बिना पिता की मौत हो जाती है अगर बेटी विवाहित हो Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें क्या विवाहित बेटी भारत में पिता की संपत्ति का दावा कर सकती है?2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है। यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार रहता है।
बेटी का कितना अधिकार है?' सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में आदेश पारित किया था कि पिता, दादा और परदादा की संपत्ति में बेटियों को भी बेटों के बराबर ही उत्तराधिकार का अधिकार होगा। कोर्ट ने तब के आदेश में इस कानून को 1956 से वैध कर दिया था जब हिंदू पर्सनल लॉ अस्तित्व में आया था। लेकिन, ताजा फैसले ने इसकी समयसीमा 1956 से भी पीछे कर दी है।
उत्तराधिकार में मिले धन को क्या कहते हैं?सामान्यत: किसी भी पुरुष को अपने पिता, दादा या परदादा से उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति, पैतृक संपत्ति कहलाती है.
मनुस्मृति में पैतृक संपत्ति के बंटवारे के संबंध में स्त्रियों के लिए क्या प्रावधान किया गया है?पैतृक संपत्ति में महिलाओं के अधिकार
अब बेटों और बेटियों दोनों को परिवार में सहदायिक माना गया और उनके प्रॉपर्टी में समान अधिकार और देयता हैं. शादी के बाद भी बेटी प्रॉपर्टी में सहदायिक रहेगी. यह कहा गया कि बेटियों के पैतृक संपत्ति में बेटों की तरह समान अधिकार हैं.
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