कॉब डगलस उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं? - kob dagalas utpaadan phalan se aap kya samajhate hain?

प्रश्न 23: काब डगलस उत्पादन फलन के विशेष संदर्भ में उत्पादन फलन की परिभाषा व स्वभाव दीजिए। इसकी कौन सी मान्यतायें हैं?

उत्तर - उत्पादन फलन से आशय

उत्पादन करने के लियें उत्पत्ति के साधनों, जैसे श्रम, भूमि, पूंजी, प्रबन्ध तथा साहस आदि की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, उत्पादन उत्पत्ति के साधनों के अनुपात पर निर्भर होता है । इस अध्याय में हम उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में अध्ययन करेंगे।

वस्तु का उत्पादन उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के आदर्श संयोग द्वारा होता है । अर्थशास्त्र की भाषा में जिस वस्तु का उत्पादन किया जाता है, उसे उत्पाद तथा जिन साधनों द्वारा उत्पादन होता है, उन्हें हम पड़त या आदा कहते हैं। इस प्रकार उत्पादन-फलन (प्रकार्य) उत्पादन तथा पड़त के बीच सम्बन्ध को व्यक्त करता है।

उत्पादन फलन की परिभाषायें

(1) प्रो. लेफ्टविच के अनुसार- “उत्पादन-फलन शब्द उस भौतिक सम्बन्ध के लिये उपयोग में लाया जाता है जो एक फर्म साधनों की इकाइयों (पड़तों) और प्रति इकाई के समयानुसार प्राप्त वस्तुओं एवं सेवाओं (उत्पादों) के बीच पाया जाता है।”

(2) प्रो. साइटवस्की के अनुसार- “किसी भी फर्म का उत्पादन उत्पत्ति के साधनों का फलन है और यदि गणितीय रूप में रखा जाये तो उसे उत्पादन फलन (प्रकार्य) कहते हैं।

(3) प्रो. सेम्युलसन के अनुसार- “उत्पादन-फलन वह प्राविधिक सम्बन्ध है जो यह बतलाता है कि पड़तों (उत्पत्ति के साधनों) के विशेष समूह के द्वारा कितना उत्पाद (उत्पादन) किया जा सकता है। यह किसी दी हुई प्राविधिक ज्ञान की स्थिति के लिये परिभाषित या संम्बन्धित होता है।”

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि उत्पादन फलन किसी उत्पादन क्रिया में उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों का आपसी उत्पादन सम्बन्ध है ।

उत्पादन फलन की विशेषतायें

(1) पारस्परिक सम्बन्ध- उत्पादन फलन, उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों का पारस्परिक सम्बन्ध बतलाता है।

(2) इन्जीनियरिंग समस्या- उत्पादन फलन, इन्जीनियरिंग समस्या है न कि आर्थिक समस्या । अतः इसका अध्ययन उत्पादन इन्जीनियरिंग में होता है।

(3) टेक्नोलोजी द्वारा निर्धारित- प्रत्येक फर्म का उत्पादन-फलेन टेक्नोलोजी द्वारा निर्धारित होता है । टेक्नोलोजी में सुधार होने पर नया उत्पादन-फलन बन जाता है । नये उत्पादन फलन में पूर्ण साधनों से अधिक उत्पादन होता है।

(4) दिये हुये समय या प्रति इकाई समय में- उत्पादन सदा एक दिये हुये समय या प्रति इकाई समय सन्दर्भ में ही व्यक्त होता है।

(5) उत्पत्ति के साधन की मात्रा- किसी भी उत्पत्ति के साधन की मात्रा को उसके कार्य करने की लम्बाई में मापा जाता है, जैसे- श्रम को श्रम घण्टों में, मशीन को मशीन घण्टों में आदि ।

उत्पादन फलन का प्रबन्धकीय उपयोग

यद्यपि उत्पादन फलन बहुत कुछ अवास्तविक प्रतीत होते हैं तथापि वे काफी उपयोगी होते हैं। उनकी उपयोगिता को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। दुग्ध अर्थशास्त्री यह जानना चाहते हैं कि दूध के उत्पादन के सिलसिले में गायों को खिलाने की लागत को न्यूनतम कैसे बनाया जाये। यदि एक गाय को फर्म मान लिया जाये और दाना और मोटा चारा उत्पादन के लागते या साधन मान लिये जायें तो प्रश्न उठता है कि गाय को खिलाने में दाने और मोटे चारे का कौन सा अनुपात मितव्ययितापूर्ण होगा। भूतकाल में इस साल के अनपात बनाया जाता रहा है, परन्तु आर्थिक विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकलता है कि अनुकूलता अनुपात साधनों के मूल्य पर निर्भर करेगा तथा मूल्य परिवर्तन के फलस्वरूप यह भी बदलता जायेगा| इस तरह के आर्थिक विश्लेषण को सहायता से निर्धारित अनुपातों के अनसार खिलाई पर व्यय करके ग्वाले उत्पादन को बढाने का प्रयल कर सकते हैं। यह आवश्यक है कि अधिक जटिल दशाओं में जहाँ कि साधनों की संख्या अधिक होती है, अनुकुलतमकरण की गणित अधिक पेचीदा होती है। पर हाल में, लीनियर प्रोग्रामिंग सम्बन्धी विकास के फलस्वरूप इन जटिल समस्याओं को हल करना भी संभव हो गया है।

उत्पादन फलन का महत्व

उत्पादन फलन का अध्ययन उत्पादन के क्षेत्र में विशेष महत्वपूर्ण है। उत्पादन तथा उत्पत्ति के साधनों के बीच उत्पादन बताते हुये उत्पत्ति के तीनों नियमों की जानकारी देता है | उत्पादन-फलन से ज्ञात होता है कि किसी देश में उत्पादन तकनीकी किस स्तर पर है | यदि कोई देश विश्व की कुशल तकनीक को अपनाकर उत्पादन करता है तो कम साधनों में अभिनय उत्पादन कर सकता है। एक फर्म का उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है जिसके लिये उसे उत्पाद की न्यूनतम लागत करना आवश्यक होता है, इसके लिये फर्म उत्पादन फलन की सहायता लेती हैं। इसलिये बड़े-बड़े कारखानों में इन्जीनियरिंग विभाग नये-नये उत्पादन फलन की सारणी बनाकर, आदर्श उत्पादन-फलन सारणी ज्ञात करके अपनी फर्म को आदर्श फर्म बनाने का प्रयत्न करते रहते हैं ।

कॉब डगलस का उत्पादन फलन

इस उत्पादन फलन का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पॉल एच डगलस तथा सी.डब्ल्यू.कॉब द्वारा दिया गया है। जो इन्हीं के नाम से कॉब डगलस का उत्पादन फलन कहा जाता है। लेकिन इससे पूर्व भी विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने सांख्यिकी विश्लेषण की सहायता से अनेक उत्पादन फलनों का प्रतिपादन किया है। उत्पादन फलन के सम्बन्ध में कॉब एवं डगलस का कहना है कि निर्माणकारी उत्पादन में पूँजी का योगदान 1/2 होता है तथा शेष 3/4 श्रम का। कॉब डगलस उत्पादन फलन रेखीय और सजातीय उत्पादन फलन है, अतः इसका प्रयोग निर्माणकारी उद्योग या सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में किया जा सकता है क्योंकि इसके फलन के द्वारा निकाले गये निष्कर्ष सत्यता के अत्यन्त निकट होते हैं। कॉब डगलस के उत्पादन फलन को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है

Q = KLa C(1-a)

यहाँ पर Q = वस्तु की उत्पादन मात्रा; L = पूंजी की मात्रा; C = पूंजी की मात्रा

a व K = धनात्मक स्थिरांक हैं तथा O < a < 1

यहाँ कॉब डगलस ने यह स्पष्ट किया है कि श्रम और पूँजी की मात्रा जिस अनपात में बढ़ायी जायेगी, उत्पादन में भी उसी अनुपात में भी वृद्धि होगी।

मान लीजिये, श्रम व पूंजी की मात्राओं को स्थिर तत्व g गुना के बराबर बढाते हैं तो इस दशा में कुल उत्पादन इस प्रकार होगा-

कॉब डगलस उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं? - kob dagalas utpaadan phalan se aap kya samajhate hain?

इस प्रकार साधनों को g गुना करने से उत्पादन भी g गुना हो जाता है। इस प्रकार यदि साधनों की मात्रा दुगुनी करते हैं, तो उत्पादन की मात्रा भी दुगुनी हो जायेगी, क्योंकि यहाँ स्थिर प्रतिफल नियम क्रियाशील है।

आलोचना

यद्यपि कॉब डगलस उत्पादन फलन, उत्पादन के नियमों के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध उत्पादन फलन है, फिर भी इसकी निम्न आलोचनायें की गयी हैं -

1. कॉब-डगलस फलने की यह मान्यता है कि कुल उत्पादन के पैमाने में केवल स्थिर प्रतिफल के अनुसार वृद्धि होती है, परन्तु वास्तविकता यह नहीं है क्योंकि प्रत्येक उद्योग में उत्पादन के सभी साधनों को एक अनुपात में बढ़ाकर उत्पत्ति को उसी अनुपात में बढ़ाना सम्भव नहीं है।

2. इस उत्पादन फलन का निर्माण केवल निर्माणकारी उद्योगों के लिये किया गया है। यह कृषि उद्योग में तो बिल्कुल ही लागू नहीं होता। अतः एक कृषि प्रधान देश की अर्थव्यवस्था के लिये यह व्यावहारिक नहीं है।

3. इसमें कुल उत्पादन को केवल पूँजी व श्रम का फलन माना गया है, जो कि उचित नहीं है।

4. यह फलन उद्योगों के मध्य अन्तरों के अध्ययन पर आधारित है, परन्तु उद्योग में स्थित फर्मों के मध्य अन्तरों को इसमें कोई स्थान प्राप्त नहीं है।

5. इसमें श्रम की सभी इकाइयों को समरूप माना गया है, जबकि वास्तव में श्रम की सभी इकाइयाँ समरूप कभी नहीं हो सकती।

कॉब डगलस उत्पादन फलन से क्या प्राप्त होता है?

कॉब डगलस का उत्पादन फलन यहाँ कॉब डगलस ने यह स्पष्ट किया है कि श्रम और पूँजी की मात्रा जिस अनपात में बढ़ायी जायेगी, उत्पादन में भी उसी अनुपात में भी वृद्धि होगी। इस प्रकार साधनों को g गुना करने से उत्पादन भी g गुना हो जाता है।

दीर्घकालीन उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं?

दीर्घकालीन उत्पादन फलन, उत्पादन पर पड़ने वाले उस प्रभाव को बताता है, जब उत्पादन के सभी साधनों को एक साथ तथा एक ही अनुपात में परिवर्तित किया जाता है । इसलिए दीर्घकाल में फर्म के कार्य करने के आकार में विस्तार अथवा संकुचन किया जा सकता है।

उत्पादन फलन से आप क्या समझते हैं?

उत्पादन फलन हमें यह बताता है कि समय की एक निश्चित अवधि में उपादानों के परिवर्तन से उत्पादन के आकार में किस प्रकार और कितनी मात्रा में परिवर्तन होता है। इस प्रकार उपादानों की मात्रा और उत्पादन की मात्रा के भौतिक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।

उत्पादन फलन से क्या समझते हैं उत्पादन फलन की विशेषताएं बताइए?

उत्पादन फलन का अर्थ (utpadan falan kya hai) वस्तु का उत्पादन उत्पति के विभिन्न साधनों के परस्पर संयोग से होता है। जो वस्तु उत्पादित होती है, उसे उत्पाद (ouput) एवं साधनों द्वारा उत्पादन किया जाता है, उसे आगत (input) कहते है। किसी फर्म के उत्पादों एवं आगतों के मध्य के सम्बन्धों को उत्पादन फलन कहते है।