कोमल गात मृदुल वसंत हरे हरे पात शब्दों में कोमल मृदुल हरे हरे शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है? - komal gaat mrdul vasant hare hare paat shabdon mein komal mrdul hare hare shabd vyaakaran kee drshti se kya hai?

Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 ध्वनि was designed by our team of subject expert teachers.

प्रश्न-अभ्यास

कविता से

प्रश्न 1.
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर:
कवि को निम्नलिखित कारणों से ऐसा लमता है कि उसका अंत अभी नहीं होगा

  • कवि आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
  • कवि के उपवन में वसंत का आगमन हुआ है।
  • वह अपने स्वप्न भरे हाथों से कलियों को जगाना

चाहता है और उन्हें अपने जीवन-अमृत से सींचकर हरा-भरा करना चाहता है।

प्रश्न 2.
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
उत्तर:
फूलों को अनंत तक विकसित होने का द्वार दिखाने के लिए कवि निम्नलिखित प्रयास करता है

  • कवि कलियों की निद्रा दूर भगाने का प्रयास करता
  • वह उनका तंद्रालस दूर करने का प्रयास करता है।
  • वह अपने नवजीवन के अमृत से सहर्ष सींचने का प्रयास करता है।

प्रश्न 3.
कवि पुष्यों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर:
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए निम्नलिखित क्रियाएँ करना चाहता है

  • अपने स्वप्न भरे कोमल हाथ उन पर फेरना चाहता
  • पुष्पों को एक नए मनोहर प्रभात का संदेश देना चाहता है।
  • उनका तंद्रालस छीन लेना चाहता है।

कविता से आगे

प्रश्न 1.
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश भारत में साल भर में छः ऋतुएँ आती हैं। इनका सबका अपना अलग-अलग महत्त्व है। इन ऋतुओं में वसंत ऋतु अत्यंत विचित्र एवं निराली है। इसे ऋतुराज के नाम से भी जाना जाता है।

इस ऋतु का आगमन मार्च-अप्रैल में होता है। भारतीय पंचांग के अनुसार यह वसंत पंचमी नामक त्योहार से शुरू होता है। इस ऋतु में पेड़ों पर नए-नए पत्ते आ जाते हैं। वातावरण में न अधिक सर्दी होती है और न अधिक गर्मी। यह ऋतु सभी के लिए स्वास्थ्यवर्धक होती है। चारों ओर खिले फूल, आम के बौर से मादक बना वातावरण, कोयल का मस्ती-भरा गान, खेतों में चारों ओर बिखरे सरसों के फूल तथा उपवन में खिले रंग-बिरंगे फूल इस ऋतु के त्योहार जीवन को उमंग से भर देते हैं। वसंत की इन विशेषताओं के कारण इसे ऋतुराज कहना सर्वथा उचित है।

प्रश्न 2.
वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर . निबंध लिखिए।
उत्तर:
वसंत ऋतु मार्च-अप्रैल अर्थात् फाल्गुन के कुछ दिनों से आरंभ होकर चैत तथा बैसाख के कुछ दिनों अर्थात् कुल दो महीने से अधिक समय तक रहती है। इस ऋतु में मस्ती और रंगों का त्योहार होली, वसंत पंचमी (ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा वसंत पंचमी के दिन ही की जाती है) और खेतों में हरी-भरी एवं पकी फसलों की खुशी में तथा हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले वीर हकीकत राय की याद में मनाया जाने वाला त्योहार बैसाखी धूमधाम एवं उल्लासपूर्वक मनाए जाते हैं।

इन त्योहारों के विषय में छात्र अपने माता-पिता तथा अध्यापक से अधिक जानकारी स्वयं प्राप्त करें। नोट-छात्र होली के निबंध के लिए व्याकरण भाग की पृष्ठ संख्या 68 देखें।

प्रश्न 3.
“ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है”-इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर:
लोगों के जीवन पर ऋतु परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसकी पुष्टि हम निम्नलिखित बातों से कर सकते हैं
(i) खान-पान-हर ऋतु के अपने विशेष खान-पान होते हैं। लोग उन ऋतुओं के अनुसार ही अपने लिए भोजन में खाद्य-वस्तुओं का समायोजन करते हैं।

(ii) पहनावा-हर ऋतु में अलग-अलग प्रकार के परिधानों का प्रयोग किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में हम सूती वस्त्रों का अधिक प्रयोग करते हैं, वहीं शरद ऋतु में ऊनी तथा रंगीन कपड़ों का अधिकाधिक प्रयोग होता है।

(ii) त्योहार-विभिन्न ऋतुओं के अनुसार उन दिनों में पड़ने वाले त्योहार भी अलग-अलग होते हैं। ये त्योहार लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं।

(iv) स्वास्थ्य अनुकूलता-कुछ ऋतुएँ स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उत्तम होती हैं, जैसे-शरद ऋतु एवं वसंत ऋतु। इस प्रकार कह सकते हैं कि ऋतु परिवर्तन का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।
उत्तर:
पढ़ने से पता चलता है कि कविता की इन पंक्तियों में वसंत ऋतु का वर्णन है। इसका कारण यह है कि इनमें आमों में बौर आने तथा होली के त्योहार का उल्लेख किया गया है।

प्रश्न 2.
स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर:
फूलों-पौधों के लिए मैं निम्नलिखित कार्य करना चाहूँगा

  • फूलों-पौधों का अधिक संख्या में रोपण करते हुए उनकी देखभाल करूँगा तथा नष्ट होने से बचाने का प्रयास करूँगा।
  • समय-समय पर इनमें पानी, खाद, निराई आदि की व्यवस्था भी करूंगा।
  • इन फूलों को न मैं तोगा, न किसी को तोड़ने दूंगा।
  • इन फूलों-पौधों को प्यार भरे हाथों से स्पर्श करूँगा।

प्रश्न 3.
कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है। जैसे नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो…।
उत्तर:
कवि के बताए कार्यों का निम्नलिखित संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है –

(क) प्रात:काल पिता के साथ उपवन में गया बालक
(i) फूलों पर बैठी तितलियों को पकड़ने या छूने का प्रयास करता है।
(ii) वह उपवन में चुग रहे पक्षियों को पकड़ने का प्रयास करता है।

(ख) (i) मैं पत्तियों और फूलों पर ओस की बूंदों को हाथ से छूने की क्रिया करूँगा।
(ii) उपवन में उलझी लताओं को सावधानी से अलग करने का प्रयास करूंगा।

(ग) माली उन पौधों की बहुत सावधानी से काट-छाँट कर रहा हो।

(घ) किसान हरे-भरे पौधों को छू रहा हो।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-“तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे-मन का/मनका।।

ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।
उत्तर:
एक ही शब्द की पुनरुक्ति वाले वाक्य –
(i) कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
(ii) काली घटा का घमंड घटा, नभ तारक मंडल वृंद घटे।
(iii) कहैं कवि बेनी, बेनी ब्याल की चुराई लीनी।।
(iv) तू मोहन के उरवशी, है उरवशी समान।
(v) परसों को बिताय दियो बरसों, तरसों निज पाँय पिया परसों।
(vi) दिनभर चलते-चलते वह थककर चूर हो गया था।
(vii) कल से रुक-रुक कर वर्षा हो रही है।
(viii) दिनों-दिन महँगाई बढ़ती ही जा रही है।
(ix) तुम तो पल-पल में अपनी बात बदलते जा रहे हो।
(x) तुम जाते-जाते रुक क्यों गए?

कोमल गात मृदुल वसंत हरे हरे पात शब्दों में कोमल मृदुल हरे हरे शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है? - komal gaat mrdul vasant hare hare paat shabdon mein komal mrdul hare hare shabd vyaakaran kee drshti se kya hai?

प्रश्न 2.
‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’ विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमशः कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्दों से ज्ञात हो रही है। हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
उत्तर:
गुणवाचक विशेषण – वे विशेषण जो विशेष्य के रूप, गुण, आकार, दशा, रंग आदि के बारे में बताते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-अच्छा, ईमानदार, गहरा, पीला, खट्टा आदि।

परिमाणवाचक विशेषण – जो विशेषण विशेष्य की मात्रा । का बोध कराए, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-एक दर्जन केले, दस मीटर कपड़ा, थोड़ा-सा दूध आदि। इसके दो भेद हैं

  • निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जैसे-एक मीटर कपड़ा, दो किलो आम।
  • अनिश्चय परिमाणवाचक विशेषणजैसे-थोड़ा-सा दूध, बहुत से बच्चे।

संख्यावाचक विशेषण – जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का ज्ञान कराए, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-सात आदमी, पाँचवीं संख्या, कई लड़के आदि। इसके दो भेद हैं

  • निश्चय संख्यावाचक विशेषण-दस आम, पहला लड़का।
  • अनिश्चय संख्यावाचक विशेषण-थोड़े लोग, कुछ छात्र।

सार्वनामिक विशेषण – संज्ञा की विशेषता बताने वाले सर्वनाम को सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे कोई आ रहा है। (सर्वनाम) कोई आदमी आ रहा है। (सार्वनामिक विशेषण)|

कुछ करने को

प्रश्न 1.
वसंत पर अनेक सुंदर कविताएं हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।
उत्तर:
वसंत पर कुछ कविताओं का संकलन –
(1) आए महंत बसंत।
मखमल के झूल पड़े, हाथी-सा टीला।
बैठे किंशुक छत्र लगा, बाँध पाग पीला,
चंवर सदृश डोल रहे, सरसों के सर अनंत।
आए महंत बसंत।

श्रद्धानत तरुओं की अंजलि से झरे पात
कोयल के मुंदे नयन, थर-थर-थर पुलक गात,
अगरु धूम लिए, झूम रहे सुमन-दिग्-दिगंत।
आए महंत बसंत।

खड़-खड़ कर ताजा बजा, नाच रही विसुध हवा,
डाल-डाल अलि-पिक के गायन का बंधा समाँ।
तरु-तरु की ध्वजा उठी जय-जय का है न अंत।
आए महंत बसंत।

– सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

(2) डार, द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झुलाबैं केकी-कीर बतरावैं देव,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।
पूरित पराग सो उतारो करै राई नोन,
कजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।

– देव

(3) सखि आयो बसंत, रितून को कंत चहूँ दिसि फूलि सरसों।
बर सीतल-मंद-सुगंध समीर सतावन हार भयो गर सों।
अब सुंदर साँवरौ नंद किसोर, कहैं हरिचंद गयो घर सों
परसों को बिताय दियो बरसों, तरसों निज पाँय पिया परसों।।

– भारतेंदु

(4) कूलन में केलि में कछारन में, कुंजन में,
क्यारिन में कलिन-कलीन किलकत है।
कहैं ‘पद्माकर’ पराग हू में पौन हू में,
पानन में पिकन पलासन पगंत है।।
द्वार में, दिसान में, दुनी में, देस-देसन में,
देखो दीप-दीपन में दीपत दिगंत है।
बीथनि में, ब्रज में, नबेलिन में, बेलिन में,
बनन में बागन में बगर्यो वसंत है।

– पद्माकर

प्रश्न 2.
शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी कॉपी में लिखिए।
उत्तर:
शब्दकोश में ‘वसंत’ शब्द के दो अर्थ हैं –
(i) वर्ष की छः ऋतुओं में से एक ऋतु।
(ii) फूलों का गुच्छा।
शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त अन्य निम्नलिखित जानकारियाँ भी मिल सकती हैं
(1) व्याकरणिक संक्षेप चिह्न और शब्द भेद –

कोमल गात मृदुल वसंत हरे हरे पात शब्दों में कोमल मृदुल हरे हरे शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है? - komal gaat mrdul vasant hare hare paat shabdon mein komal mrdul hare hare shabd vyaakaran kee drshti se kya hai?

(2) भाषा स्रोत के संक्षेप चिह्न –
कोमल गात मृदुल वसंत हरे हरे पात शब्दों में कोमल मृदुल हरे हरे शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है? - komal gaat mrdul vasant hare hare paat shabdon mein komal mrdul hare hare shabd vyaakaran kee drshti se kya hai?

(3) विषयों के संक्षेप चिह्न –
कोमल गात मृदुल वसंत हरे हरे पात शब्दों में कोमल मृदुल हरे हरे शब्द व्याकरण की दृष्टि से क्या है? - komal gaat mrdul vasant hare hare paat shabdon mein komal mrdul hare hare shabd vyaakaran kee drshti se kya hai?

(4) अन्य – लोकोक्तियाँ, मुहावरे, आगत शब्द, माप, नाप-तौल की सारणियाँ आदि।

कोमल गात रेखांकित शब्द में कौन सा विशेषण है?

यह एक गुणवाचक विशेषण है। कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात' विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं।

मृदुल वसंत शब्द में कौनसा विशेषण है?

यह गुणवाचक विशेषण है।

हरे हरे पत्ते में हरे हरे शब्द क्या है?

कविता के 'हरे-हरे ये पात' वाक्यांश में 'हरे-हरे' शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ 'पात' शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे- वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा।

हरे हरे में कौन सा विशेषण है?

Answer: "हरे हरे" शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुआ है ,यहां हरे हरे शब्द की पुनरावृति हुई है । यहां गुणवाचक विशेषण का प्रयोग हुआ है।