झारखण्ड (अंग्रेजी: Jharkhand) भारत का एक राज्य है। राँची इसकी राजधानी है। झारखण्ड की सीमाएँ पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार, और दक्षिण में ओड़िशा को छूती हैं। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है। बिहार के दक्षिणी भाग को विभाजित कर झारखण्ड प्रदेश का सृजन किया गया था। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं।[6] नामांकरण[संपादित करें]विभिन्न इंडो-आर्यन भाषाओं में "झार" शब्द का अर्थ है 'जंगल' और "खंड" का अर्थ 'भूमि' है, इस प्रकार "झारखंड" का अर्थ वन भूमि है। "छोटानागपुर पठार" में बसा होने के कारण इसे "छोटानागपुर प्रदेश" भी बोलते हैं। झारखण्ड को "जंगलों का प्रदेश" भी कहा जाता है। मुग़ल काल में इस क्षेत्र को कुकरा नाम से जाना था।। मध्यकाल में इस क्षेत्र को झारखंड के नाम से जाना जाता था। भविष्य पुराण (1200 CE) के अनुसार, झारखंड सात पुण्ड्रा देश में से एक था। यह नाम पहली बार पूर्वी गंगवंश के नरसिंह देव द्वितीय के शासनकाल से ओडिशा क्षेत्र के केंद्रपाड़ा में 13 वीं शताब्दी की तांबे की प्लेट पर पाया गया है। बैधनाथ धाम से पुरी तक की वन भूमि झारखंड के नाम से जानी जाती थी। अकबरनामा में, पूर्व में पंचेत से लेकर पश्चिम में रतनपुर तक, उत्तर में रोहतासगढ़ और दक्षिण में ओडिशा की सीमा को झारखंड के रूप में जाना जाता था। इतिहास[संपादित करें]प्राचीन काल झारखण्ड के हजारीबाग जिले में लगभग 5000 साल पुराना गुफा चित्र मिला है। इस राज्य में ईसा पूर्व 1400 काल के लोहे के औज़ार और मिट्टी के बर्तन के अवशेष मिले हैं। 325 ईसा पूर्व में भारत के उत्तरी इलाके बिहार से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। फणि मुकुट राय ने छोटानागपुर में नागवंशी वंश की स्थापना की थी। मध्यकाल मध्यकाल में इस क्षेत्र में चेरो राजवंश और नागवंशी राजवंश राजाओं का शासन था। मुगल प्रभाव इस क्षेत्र में सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान पहुंचा जब 1574 में राजा मानसिंह ने इस पर आक्रमण किया था। दुर्जन साल मध्य काल में छोटानागपुर महान नागवंशी राजा थे, उनके शासन काल में वे मुगल शासक जहांगीर के समकालीन के सेनापति ने इस क्षेत्र में आक्रमण किया था। राजा मेदिनी राय ने, 1658 से 1674 तक पलामू क्षेत्र पर शासन किया। चेरो राजवंश के कमजोर होने के साथ ईस्ट इण्डिया कम्पनी का इस क्षेत्र में दखल हुआ। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने चेरो के पालामू किले पर कब्जा कर लिया। आधुनिक काल 1765 के बाद यहां ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रभाव पड़ा। आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद छोटा नागपुर पठार के कई राज्य ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन हो गए। उनमें नागवंश रियासत, रामगढ़ रियासत, गागंपुर, खरसुआं, साराईकेला, जाशपुर, सरगुजा आदि शामिल थे। ब्रिटिश दासता के अधीन यहाँ काफी अत्याचार हुए और अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों का काफी दबदबा हो गया था। इस कालखंड में इस प्रदेश में ब्रिटिशों के खिलाफ बहुत से विद्रोह हुए, इनमें से कुछ प्रमुख विद्रोह थे:-
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, टिकैत उमराँव सिंह, शेख भिखारी एवं बुधु बीर का सिपाही विद्रोह के दौरान आंदोलन
इन सभी विद्रोहों के भारतीय ब्रिटिश सेना द्वारा फौजों की भारी तादाद से निष्फल कर दिया गया था। इसके बाद 1914 में जातरा भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था जिससे प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने आजादी के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया था। झारखण्ड राज्य की मांग का इतिहास लगभग सौ साल से भी पुराना है जब 1938 इसवी के आसपास जयपाल सिंह जो भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे और जिन्होंने खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान का भी दायित्व निभाया था, ने पहली बार तत्कालीन बिहार के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड राज्य बनाने का विचार रखा था। लेकिन यह विचार 2 अगस्त सन 2000 में साकार हुआ जब संसद ने इस संबंध में एक बिल पारित किया। राज्य की गतिविधियाँ मुख्य रूप से राजधानी राँची और जमशेदपुर, धनबाद तथा बोकारो जैसे औद्योगिक केन्द्रों से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। सन 2000, 15 नवम्बर को झारखंड राज्य ने मूर्त रूप ग्रहण किया और भारत के 28 वें प्रांत के रूप में प्रतिस्थापित हुआ । भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु[संपादित करें]प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा छोटानागपुर पठार का हिस्सा है जो कोयल, दामोदर, ब्रम्हाणी, खड़कई, एवं स्वर्णरेखा नदियों का उद्गम स्थल भी है जिनके जलक्षेत्र ज्यादातर झारखण्ड में है। प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा वन-क्षेत्र है, जहाँ हाथियों एवं बाघों की बहुतायत है। मिट्टी के वर्गीकरण के अनुसार, प्रदेश की ज्यादातर भूमि चट्टानों एवं पत्थरों के अपरदन से बनी है। जिन्हें इस प्रकार उप-विभाजित किया जा सकता है:-
वानस्पतिकी एवं जैविकी[संपादित करें]झारखंड वानस्पतिक एवं जैविक विविधताओं का भंडार कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रदेश के अभयारण्य एवं वनस्पति उद्यान इसकी बानगी सही मायनों में पेश करते हैं। बेतला राष्ट्रीय अभयारण्य (पलामू), जो डाल्टेनगंज से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, लगभग 250 वर्ग किमी में फैला हुआ है। विविध वन्य जीव यथा बाघ, हाथी, भैंसे सांभर, सैकड़ों तरह के जंगली सूअर एवं 20 फुट लंबा अजगर चित्तीदार हिरणों के झुंड, चीतल एवं अन्य स्तनधारी प्राणी इस पार्क की शोभा बढ़ाते हैं। इस पार्क को 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। जनसांख्यिकी[संपादित करें]झारखण्ड की आबादी लगभग 32.98 मिलियन है।जो भारत की कुल जनसंख्या का2.72% हैं। यहाँ का लिंगानुपात 948 स्त्री प्रति 1000 पुरुष है। प्रतिवर्ग किलोमीटर जनसंख्या का घनत्व लगभग 414 है। झारखंड क्षेत्र विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों एवं धर्मों का संगम क्षेत्र कहा जा सकता है। द्रविड़, आर्य, एवं आस्ट्रो-एशियाई भाषायें यहां बोली जाती है। हिंदी,बंगाल नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुड़मालि यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं। इसके अलावा यहां कुड़ुख, संथाली, मुंडारी, हो, भूमिज बोली जाती है।[8] झारखंड में बसनेवाले स्थानीय आर्य भाषी लोगों को सादान काहा जाता है। झारखंड मॆं कई जातियां और जनजातियां हैं। यहाँ की आबादी में 26% अनुसूचित जनजाति, 12% अनुसूचित जाति शामिल हैं। राज्य की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू धर्म (लगभग 67.8%) मानती है। दूसरे स्थान पर (14.5%) इस्लाम धर्म है। राज्य की लगभग 12.8% आबादी सरना धर्म एवं 4.1% आबादी ईसाइयत को मानती है। यहाँ की साक्षरता दर 64.4%है। जिसमें से पुरुष साक्षरता दर 76.8% तथा महिला साक्षरता दर 55.4% है। सरकार एवं राजनीति[संपादित करें]झारखण्ड के मुखिया यहाँ के राज्यपाल हैं जो राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं परंतु वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ मुख्यमंत्री के हाथों में केन्द्रित होती है जो अपनी सहायता के लिए एक मन्त्रिमण्डल का भी गठन करता है। राज्य का प्रशासनिक मुखिया राज्य का मुख्य सचिव होता है जो प्रशासनिक सेवा द्वारा चुनकर आते हैं। न्यायिक व्यस्था का प्रमुख राँची स्थित उच्च न्यायलय के प्रमुख न्यायाधीश होता है। झारखण्ड भारत के उन तेरह राज्यों में शामिल है जो नक्सलवाद की समस्या से बुरी तरह जूझ रहा है। अभी हाल ही में 5 मार्च 2007 को चौदहवीं लोकसभा से जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो, की नक्सवादी उग्रवादियों द्वारा गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी।[9] प्रशासनिक जिला इकाइयाँ[संपादित करें]राज्य का निर्माण होने के समय झारखण्ड में 18 जिले थे जो पहले दक्षिण बिहार का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से कुछ जिलों को पुनर्गठित करके छह नये जिले सृजित किए गये :- लातेहार, सराईकेला खरसाँवा, जामताड़ा, खूँटी एवं रामगढ़। वर्तमान में राज्य में चौबीस जिले हैं झारखंड के जिले:
जिले[संपादित करें]झारखंड में 24 जिले हैं जो इस प्रकार हैं:- कोडरमा जिला, गढवा जिला, गिरीडीह जिला, गुमला जिला, चतरा जिला, जामताड़ा जिला, दुमका जिला, देवघर जिला, गोड्डा जिला, धनबाद जिला, पलामू जिला, पश्चिमी सिंहभूम जिला (मुख्यालय:चाईबासा), पूर्वी सिंहभूम जिला (मुख्यालय: जमशेदपुर), बोकारो जिला, पाकुड़ जिला, राँची जिला, लातेहार जिला, लोहरदग्गा जिला, सराइकेला खरसावाँ जिला, साहिबगंज जिला, सिमडेगा जिला, हजारीबाग जिला, खूंटी जिला और रामगढ़ जिला। यह भी देखें:झारखंड का जिलेवार मानचित्र अर्थतंत्र[संपादित करें]झारखण्ड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनिज और वन संपदा से निर्देशित है। लोहा, कोयला, माइका, बाक्साइट, फायर-क्ले, ग्रेफाइट, कायनाइट, सेलीमाइट, चूना पत्थर, युरेनियम और दूसरी खनिज संपदाओं की प्रचुरता की वजह से यहाँ उद्योग-धंधों का जाल बिछा है। खनिज उत्पादों के खनन से झारखंड को सालाना तीस हजार करोड़ रुपये की आय होती है। झारखंड न केवल अपने उद्योग-धंधों में इसका इस्तेमाल करता है बल्कि दूसरे राज्यों को भी इसकी पूर्ति करता है। 2000 में बिहार से विभाजन के पश्चात झारखंड का जीडीपी 2004 में चौदह बिलियन डालर आंका गया था। उद्योग-धंधे[संपादित करें]झारखण्ड में भारत के कुछ सर्वाधिक औद्योगिकृत स्थान यथा - जमशेदपुर, राँची, बोकारो एवं धनबाद इत्यादि स्थित हैं। झारखंड के उद्योगों में कुछ प्रमुख हैं :
कला और संस्कृति[संपादित करें]पर्व-त्यौहार[संपादित करें]झारखण्ड के कुछ प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं:- 1. आखाँइन (पहीला माघे) 2. सिझानो (पथिपुजा) 3. सरहुल (फुल परब) 4. गाजन (चइत सांकराइत ले रहइन) 5. रहइन ( 13 दिन जेठ) 6. जांताड़/मनसा पुजा (आसाङ ले सराबन) 7. करमा (श्रृजन परब) 8. जितिया ( सस्टी मायेक पुजा ) 9. छाता ( भादर सांकराइत ) 10. जिहुड़ ( आसिन सांकराइत ) 11. दिनीमाञ (अघन सांकराइत ) 12. बांदना ( गाय गोरूक पुजा ) 13. टुस ( अगहन सांकराइत ले एक महिना ) झारखण्ड के लोकनृत्य[संपादित करें]झुमइर, डमकच, पाइका, छऊ, जदुर, नाचनी, नटुआ, अगनी, चौकारा, जामदा, घटवारी, फिरकाल, मतहा, झूमर सिनेमा[संपादित करें]झारखण्ड में अनेक भाषाओं में चलचित्र बनते हैं। इनमें मुख्य रूप से नागपुरी सिनेमा का निर्माण है। इसके अलावा खोरठा भाषा एवं संथाली में भी फिल्में बनती हैं। झारखंड के सिनेमा को झॉलीवुड कहा जाता है। इसके अलावा झारखण्ड में मुण्डारी, हो और भूमिज भाषाओं में एल्बम बन चुकी है। शिक्षा संस्थान[संपादित करें]झारखण्ड की शिक्षा संस्थाओं में कुछ अत्यंत प्रमुख शिक्षा संस्थान शामिल हैं। जनजातिय प्रदेश होने के बावज़ूद यहां कई नामी सरकारी एवं निजी कॉलेज हैं जो कला, विज्ञान, अभियांत्रिकी, मेडिसिन, कानून और मैनेजमेंट में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं। झारखण्ड की कुछ प्रमुख शिक्षा संस्थायें हैं : विश्वविद्यालय
अन्य प्रमुख संस्थान
यातायात[संपादित करें]झारखण्ड की राजधानी राँची संपूर्ण देश से सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा काफी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2, 27, 33 इस राज्य से होकर गुजरती है। इस प्रदेश का दूसरा प्रमुख शहर टाटानगर (जमशेदपुर) दिल्ली कोलकाता मुख्य रेलमार्ग पर बसा हुआ है जो राँची से 120 किलोमीटर दक्षिण में बसा है। राज्य का में एकमात्र अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा राँची का बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के प्रमुख शहरों; मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और पटना से जुड़ा है। इंडियन एयरलाइन्स और एयर सहारा की नियमित उड़ानें आपको इस शहर से हवाई-मार्ग द्वारा जोड़ती हैं। सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाषचंद्र बोस हवाई अड्डा है। संचार एवं समाचार माध्यम[संपादित करें]राँची एक्सप्रेस एवं प्रभात खबर जैसे हिन्दी समाचारपत्र राज्य की राजधानी राँची से प्रकाशित होनेवाले प्रमुख समाचारपत्र हैं जो राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध होते हैं। हिन्दी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले देश के अन्य प्रमुख समाचारपत्र भी बड़े शहरों में आसानी से मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, खबर मन्त्र, आई नेक्स्ट, उदितवाणी, चमकता आईना, उत्कल मेल, स्कैनर इंडिया, इंडियन गार्ड तथा आवाज जैसे हिन्दी समाचारपत्र भी प्रदेश के बहुत से हिस्सों में काफी पढ़े जाते हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया की बात करें तो झारखंड को केंद्र बनाकर खबरों का प्रसारण ई टीवी बिहार-झारखंड, सहारा समय बिहार-झारखंड, जी बिहार झारखंड, साधना न्यूज, न्यूज 11 कशिश न्यूज आदि चैनल करते हैं। रांची में राष्ट्रीय समाचार चैनलों के ब्यूरो कार्यालय कार्यरत हैं। जोहार दिसुम खबर झारखंडी भाषाओं में प्रकाशित होने वाला पहला पाक्षिक अखबार है। इसमें झारखंड की 10 आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं तथा हिन्दी सहित 11 भाषाओं में खबरें छपती हैं। जोहार सहिया राज्य का एकमात्र झारखंडी मासिक पत्रिका है जो झारखंड की सबसे लोकप्रिय भाषा नागपुरी में प्रकाशित होती है। इसके अलावा झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा और गोतिया झारखंड की आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाली महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएं हैं। राँची और जमशेदपुर में लगभग पांच रेडियो प्रसारण केन्द्र हैं और आकाशवाणी की पहुँच प्रदेश के हर हिस्से में है। दूरदर्शन का राष्ट्रीय प्रसारण भी प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में पहुँच रखता है। झारखंड के बड़े शहरों में लगभग हर टेलिविजन चैनल उपग्रह एवं केबल के माध्यम से सुलभता से उपलब्ध है। लैंडलाइन टेलीफोन की उपलब्धता प्रदेश में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), टाटा टेलीसर्विसेज (टाटा इंडिकॉम) एवं रिलायंस इन्फोकॉम द्वारा हर हिस्से में की जाती है। मोबाइल सेवा प्रदाताओं में बीएसएनएल, एयरसेल, आइडिया, वोदाफोन, रिलायंस, यूनिनॉर एवं एयरटेल प्रमुख हैं। झारखण्ड के पर्यटन स्थल[संपादित करें]
झारखण्ड के प्रसिद्ध व्यक्ति[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
झारखंड की सीमा कितने राज्यों के साथ लगती है?झारखण्ड की सीमाएँ पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार, और दक्षिण में ओड़िशा को छूती हैं। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है।
झारखंड में कुल कितने राज्य हैं?झारखंड 6 राज्यों घिरा हुआ राज्य है।
झारखंड का कौन सा जिला जो दूसरे राज्यों से सीमा नहीं बनाता है?Notes: झारखंड की सीमा 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल को स्पर्श करती है।
झारखंड का पुराना नाम क्या है?झारखंड का शाब्दिक अर्थ
मुगल काल में इस क्षेत्र को 'कुकरा' नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश काल में यह झारखंड नाम से जाना जाने लगा। पुराण कथाओं को भी इतिहास का हिस्सा मानने वाले इतिहासकारों के अनुसार वायु पुराण में छोटानागपुर को मुरण्ड तथा विष्णु पुराण में मुंड कहा गया।
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