जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर सरकारी तंत्र की जो हालत है उसे आप क्या मानते हैं *? - jorj pancham kee naak ko lekar sarakaaree tantr kee jo haalat hai use aap kya maanate hain *?

रानी एलिजाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?


रानी एलिज़ाबेथ के दरजी की परेशानी का कारण रानी की वेशभूषा थी। वह उसकी नई पोशाकों को बनाने के लिए परेशान था। दरजी यह सोच कर परेशान हो रहा था की भारत-पाकिस्तान और नेपाल यात्रा के समय रानी किस अवसर पर क्या पहनेंगी। दरजी की परेशानी तर्कसंगत थी। यह इसलिए क्योंकि रानी इस यात्रा पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहीं थी। अर्थात् उनके कपड़ों का उनकी मर्यादा के अनुकूल होना जरूरी था। रानी की वेशभूषा तैयार करने में यदि उससे कोई चूक हो जाती, तो उसे रानी के क्रोध का सामना करना पड़ता।

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जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?


मूर्तिकार के द्वारा किए गए यत्न निम्नलिखित हैं -
(क) मूर्ति के पत्थर के प्रकार आदि का पता न चलने पर व्यक्तिगत रूप से नाक लगाने की ज़िम्मेदारी लेते हुए देश भर के पहाड़ों और पत्थर की खानों का तूफ़ानी दौरा किया।
(ख) उसने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेताओं की मूर्ति की नाक से पंचम की लाट की नाक का मिलान किया ताकि उस मूर्ति से नाक निकालकर पंचम लाट पर नाक लगाई जा सके। परन्तु; दुर्भाग्य से सभी की नाक ज़ार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली।
(ग) आखिर जब उसे नाक नहीं मिली तो हताश मूर्तिकार और चिन्तित एवम् आतंकित हुक्मरानों ने ज़िंदा इनसान की नाक लगवाने का परामर्श दिया और प्रयत्न भी किया।

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आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है -
इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?


आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान सम्बंधि आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है वह न केवल अनावश्यक है, बल्की समाज की उन्नति के लिए बाधक भी है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है, जो समाज के अधिकारों के प्रहरी के रूप में समाज तथा राष्ट्र दोनों के विकास मैं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किन्तु इस प्रकार की पत्रकारिता जिससे सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ता, न ही इससे आम आदमी के जीवन में कोइ लेना-देना है, समाज को सिर्फ हानि पहुँचाती है। यह व्यक्ति-विशेष की निजी जीवन में अनुचित ताक-झाँक है जो हमारी सभ्यता व संस्कृति के विपरीत है।

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सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है। 


सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम और औपनिवेशिक मानसिकता को प्रकट करती है। सरकारी लोग उस जॉर्ज पंचम के नाम से चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाते हैं। सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।

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आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?


इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर अत्यंत नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव डालती है। इस तरह की पत्रकारिता नौजवान पीढ़ी को नकल करने की ही शिक्षा दे रही है। यह युवा पीढ़ी के चारों ओर चर्चित हस्तियों की जीवन-शैली का ऐसा भ्रम-जाल बुन देती है, जिसमें उलझकर युवा पीढ़ी और आम जनता अपने लक्ष्यों और कर्तव्यों से भटककर अपराध के दल-दल में फँस जाती है। राष्ट्र को सही दिशा में चलाने के लिए यह आवश्यक है कि पत्रकारिता का प्रत्येक विषय समस्त नागरिकों के हित में हो न की लोगों को पथ भ्रष्ट करने के लिए हो।

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जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर सरकारी तंत्र में क्या व्याप्त था?

'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में जिस सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को दर्शाया गया है वह बड़ी ही संकीर्ण सोच को व्यक्त करती है | सरकारी तंत्र परतंत्रता की मानसिकता से ग्रस्त है। किसी भी कार्य के प्रति सरकारी तंत्र जागरूक नहीं है। अवसर आने पर ही उनकी निद्रा खुलती है। सरकारी कार्यप्रणाली में मीटिंगें प्रमुख हैं।

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में सरकारी सुरक्षा तंत्र पर मज़ाक उड़ाया गया है कैसे?

Solution : इस पाठ में सरकारी सुरक्षा-तंत्र की खुली मजाक उड़ाई गई है। कैसा आश्चर्य है कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति के इर्द-गिर्द उनकी नाक की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात हैं। लगातार गश्त चल रही है। फिर भी जॉर्ज की नाक कट जाती है और किसी को खबर नहीं होती ।

जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक का न होना सरकारी तंत्र के लिए विकट समस्या क्यों बन गया था?

रानी एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था। यदि जॉर्ज पंचम की नाक नहीं लगाई जाती तो ब्रिटिश सरकार के नाराज हो जाने का डर था

सरकारी तंत्र में जार्ज पंचम की नाक के विषय में क्या चर्चा थी?

सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह सदियों की परतंत्रता की छाप है। चाटुकारिता उनके तन-मन में विद्यमान है और जहाँ चाटुकारिता का भाव होता है वहाँ अपने सम्मान का कोई महत्त्व नहीं होता है। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए।