तंबाकू पीने से क्या होता है? - tambaakoo peene se kya hota hai?

पृष्ठभूमि

तंबाकू की लगभग पैंसठ तरह की किस्म बोयी जाती है, जिनसे व्यावसायिक तौर पर अधिकांशत: “निकोटिना टुवैकम” उगाया जाता है। उत्तरी भारत और अफगानिस्तान से आने वाला अधिकांशत: तंबाकू 'निकोटिना रस्टिका किस्म का होता है। विश्व भर में, तंबाकू के बढ़ते उपयोग और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव चिंता का कारण बन गये हैं। गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जैसे कि इस्कीमिक हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, पुरानी सांस की बीमारियां इत्यादि विश्व स्तर पर होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण हैं, जो कि तंबाकू के सेवन के साथ जुड़ी हैं। डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित डेटा के अनुसार, विश्व में हर वर्ष अड़तीस लाख लोग एनसीडी से मर जाते हैं तथा निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग पचासी प्रतिशत लोग एनसीडी से मर जाते हैं।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष २०१० में एनसीडी से होने वाली मृत्यु की संख्या का अनुमान तिरपन प्रतिशत हैं। इन मौतों में से भारत में होने वाली मौतों का सामान्य कारण हृदय रोग और मधुमेह हैं। एनसीडी के अत्यधिक बोझ को तंबाकू के उपयोग को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सभी आयु वर्ग के लोगों को बहुत सारी बीमारियों से प्रभावित करने वाला मुख्य जोखिम का कारण तंबाकू हैं। डब्ल्यूएचओ डेटा द्वारा यह स्पष्ट होता है कि तंबाकू का सेवन करने वाले लगभग छह लाख लोगों की मृत्यु प्रतिवर्ष होती हैं। इन मौतों के परिणामस्वरूप लगभग पांच लाख मौतों का प्रत्यक्ष कारण तंबाकू का सेवन हैं, जबकि अप्रत्यक्ष तंबाकू के सेवन के परिणामस्वरूप साठ लाख लोगों की मृत्यु होती हैं। तंबाकू के कारण हर छह सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं। तंबाकू का सेवन करने वाले लोग तंबाकू से संबंधित रोगों द्वारा सामान्यत: मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।

भारत में स्थिति समान रूप से बुरी/गंभीर हैं। यहाँ पर तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की अनुमानित संख्या सताईस करोड़ उनचास लाख हैं, जहाँ पर तंबाकू के धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या सौलह करोड़ सैंतीस लाख और तंबाकू पीने (धूम्रपान) वालों की संख्या केवल छह करोड़ नवासी लाख तथा ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया (गैट्स) के अनुसार धूम्रपान और धूम्रमुक्त उपयोगकर्ताओं की संख्या बयालीस करोड़ तीन लाख हैं। इसका मतलब यह हैं कि भारत में लगभग पैंतीस प्रतिशत के आसपास वयस्क (सैंतालीस दशमलव नौ प्रतिशत पुरुष और बीस दशमलव तीन प्रतिशत महिलाएं) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। भारत में (इक्कीस प्रतिशत) धूम्रमुक्त तंबाकू का उपयोग सबसे अधिक प्रचलित है।

तंबाकू की संरचना

तंबाकू उत्पादों में लगभग पांच हज़ार जहरीले पदार्थ होते है।

इसमें उपस्थित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण और खतरनाक घटक निम्नलिखित हैं:

  • निकोटीन
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • टार

तंबाकू में मौजूद निकोटीन का सबसे शक्तिशाली प्रभाव व्यवहार पर पड़ता है। यह जहरीला पदार्थ नशे को पैदा करता है। निकोटीन, तंबाकू का सेवन करने वालों के व्यवहार को प्रभावित करता हैं तथा प्रभावित व्यवहार को और अधिक सुदृढ़ बनाता हैं। तंबाकू पीने (धूम्रपान) के कारण और इसके अवशोषण के बाद, निकोटीन तेज़ी से मस्तिष्क में पहुंचता हैं तथा सेकंड के बाद, तुरंत मनोवैज्ञानिक गतिविधियाँ सक्रिय हो जाती हैं। इसके बाद यह स्थितियां और अत्यधिक प्रबल हो जाती हैं। निकोटीन मस्तिष्क में रिसेप्टर्स को बांधता हैं, जहां पर यह मस्तिष्क के चयापचय को प्रभावित करता है। निकोटीन अधिकतर पूरे शरीर, कंकाल मांसपेशियों में वितरित हो जाता है। व्यक्ति में नशे की अन्य आदतों वाले पदार्थों द्वारा गतिविधियों में सहनशीलता विकसित होती हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड रक्त में लेकर जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता हैं। यह सांस लेने में तकलीफ़ का कारण बनता है। टार एक चिपचिपा अवशेष हैं, जिसमें बेन्जोपाइरीन होता है, जो कि घातक कैंसर होने वाले “कारक एजेंटों” के नाम से जाना जाता हैं। अन्य यौगिकों में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, अस्थिर नाइट्रोस्माइंस, हाइड्रोजन साइनाइड, अस्थिर सल्फर युक्त यौगिकों, अस्थिर हाइड्रोकार्बन, एल्कोहल, एल्डीहाइड और कीटोन शामिल हैं। इन यौगिकों में से कुछ यौगिकों को शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर के कारणों के लिए जाना जाता है।

क्रियाविधि की प्रणाली

निकोटीन की संरचना शारीरिक न्यूरो ट्रांसमीटर एसीटाइलकोलीन के सामान होती हैं, जो कि एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन को हस्तांतरित करता हैं। एसीटाइलकोलीन, बहुत महत्वपूर्ण मानसिक और शारीरिक उत्तेजना, सीखने और स्मृति तथा भावना के कई पहलुओं से संबंधित प्रणालियों में शामिल न्यूरो ट्रांसमीटर है। शरीर में एसीटाइलकोलीन के लिए अन्य रिसेप्टर्स होते हैं। सिऐप्स/सूत्रयुग्मन के अलावा और भी रिसेप्टर्स होते हैं। यह तंत्रिकाओं के संयोजन, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं तथा कुछ ग्रंथियों में भी पाए जाते हैं। पूरे शरीर में एसीटाइलकोलीन रिसेप्टर्स को पारंपरिक रूप से निकोटीन रिसेप्टर्स (जो कि निकोटीन के प्रति उत्तरदायी हैं) और मस्करिन रिसेप्टर्स (जो किमस्करिन के प्रति उत्तरदायी हैं) में वर्गीकृत किया जाता हैं। एसीटाइलकोलीन रिसेप्टर्स के साथ निकोटीन की संयुक्त क्षमता का मतलब यह हैं कि यह कार्यों जैसे कि सभी सिऐप्स/सूत्रयुग्मन में एसीटाइलकोलीन को लागू कर सकता हैं, जहाँ पर निकोटीन एसीटाइलकोलीन रिसेप्टर्स (nAChRs) मौजूद होता हैं और आवेगों को गति प्रदान कर सकता हैं।

तंबाकू का सेवन विभिन्न तरह से किया जाता हैं :

सिगरेट। सामान्य और सबसे अधिक हानिकारक होता है। 

बीड़ी। आमतौर पर भारत में उपयोग किए जाने वाला सबसे सामान्य प्रकार है। 

सिगार 

हुक्का (हुक्का गुड़गुडाना)

सीसा 

तंबाकू चबाना

क्रेटेक्स (लौंग सिगरेट)

सुंघनी/नसवार - नम और सूखी

ई-सिगरेट - हाल ही में अतिक्रमी ई-सिगरेट की सूची।

जब धूम्रपान न करने वाला व्यक्ति, निकोटीन युक्त धूम्रपान और धूम्रपान करने वालों द्वारा उत्सर्जित जहरीले रसायनों के संपर्क में आता हैं तो इसे निष्क्रिय धूम्रपान अथवा या सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आना कहा जाता है।

तंबाकू की शुरुआत के लिए उत्तरदायी ज़ोखिम

तंबाकू के सेवन के लिए प्रभावित करने वाले पूर्वाभिरुचि कारक निम्नलिखित है :

जैविक:

किशोरों के समूहों में तंबाकू का सेवन विकसित होने वाले पहलुओं में निम्नलिखित शामिल है -

(क) स्वतंत्रता और स्वायत्तता की स्थापना।

(ख) सुसंगत आत्म-पहचान बनाने और

(ग) शारीरिक परिपक्वता के साथ जुड़ा मनोवैज्ञानिक सामाजिक परिवर्तन का समायोजन शामिल है।

लिंग: भारत में तंबाकू का सेवन पुरुषों के बीच सामान्य है।

मनोवैज्ञानिक: तंबाकू उपयोगकर्ताओं में सामान्यत: जोखिम लेने वाला व्यवहार और भावनात्मक स्थिरता में कमी पायी जाती हैं। तंबाकू उपयोगकर्ताओं में मानसिक विकारों का ख़तरा पैदा और बढ़ने की संभावना अधिक होती है।

सामाजिक और पर्यावरण: माता पिता का प्रभाव, शिक्षा के स्तर में कमी, रोल मॉडल के प्रति आकर्षण और सांस्कृतिक प्रथाओं आदि का प्रभाव पड़ता है।

तंबाकू” सेवन के घातक परिणाम: तंबाकू का सेवन करने वालों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं :

  • आर्थिक हानि 
  • स्वास्थ्यगत हानि 
  • पर्यावरण की हानि

तंबाकू को गैर संचारी रोगों के मुख्य व्यवहारिक जोखिम के कारक के रूप में जाना जाता है, जो कि मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। हृदय रोग (कार्डीओवैस्क्यलर) और कैंसर के उपचार का अधिकतम वित्तीय बोझ व्यक्ति और उसके परिवार पर पड़ता हैं। जंगलों को तंबाकू की फसल की खेती के लिए नष्ट किया जा रहा हैं। वातावरण में तंबाकू का सेवन बहुत सारे विषैले पदार्थों को पैदा करता है। तंबाकू का विनिर्माण, पैकेजिंग और परिवहन भी पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण है। 

कैंसर तंबाकू के साथ जुड़ा है -

तंबाकू का सेवन श्वसन तंत्र के कैंसर, फेफड़े, संपूर्ण ऊपरी जठरांत्र संबंधी, यकृत (लीवर), अग्न्याशय, गुर्दा, मूत्राशय, मौखिक कैविटी (गुहा), नाक  कैविटी (गुहा), गर्भाशय ग्रीवा, आदि से समस्याओं से जुड़ा होता हैं। धुंआ रहित तंबाकू (तंबाकू,चबाना और सूंघनी/नसवार आदि) मौखिक कैविटी (गुहा) के कैंसर का प्रमुख कारण है।

तंबाकू द्वारा कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ता है :

(क) तंबाकू के सेवन की अवधि।

(ख) प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों के उपयोग की संख्या में वृद्धि होना। 

(ग) साँस लेने का स्तर।

हृदय रोग (कार्डीओवैस्क्यलर)

१.आघात एक मस्तिष्क रोग है। इसका कारण तंबाकू का रक्त वाहिकाओं में संकुचित होना अथवा इसके परिणामस्वरूप संचेतना में ख़राबी और पक्षाघात हो तक सकता हैं।

२.तंबाकू, हृदय की कोरोनरी वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिसकी वज़ह से प्रमुखत: हृदय में रक्त की आपूर्ति में कमी हो जाती हैं अथवा हृदय की मांसपेशियां समाप्त हो सकती हैं, जिसे इस्कीमिक या कोरोनरी हृदय रोग के नाम से जाना जाता है।

३.यह हृदय में खिंचाव का कारण बनता है। धूम्रपान करने से उच्च कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप द्वारा कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) जैसी बीमारियों के ज़ोखिम का खतरा बढ़ जाता है।

श्वसन रोग

१.क्रोनिक प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग: इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति शामिल हैं। 

२.अस्थमा: धूम्रपान अस्थमा के तीव्र हमलों के साथ जुड़ा है।

३.क्षय रोग/तपेदिक

गर्भावस्था पर प्रभाव और इसका परिणाम

१.गर्भावस्था के दौरान रक्त स्राव।

२.अस्थानिक गर्भावस्था।

३.गर्भस्राव/गर्भपात।

४.बच्चे का समय से पहले जन्म। 

५.मृत जन्म।

६.नाल/प्लेसेंटा की असामान्यताएँ।

नवजात शिशुओं और बचपन पर प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान मातृ तंबाकू सेवन और बचपन में बच्चों के सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आने के कारण उत्पन्न होने वाली ज़ोखिमपूर्ण स्थितियों के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-

१.मातृ धूम्रपान बच्चों में जन्मजात विकृतियों जैसे कि कटी आकृतियों, अंदर की ओर मुड़ी पैर की उंगलियों और आलिंद-सेप्टल दोष के साथ जुड़ा है।

२.एलर्जी का ख़तरा बढ़ जाता हैं। 

३.बचपन में उच्च रक्तचाप।

४.मोटापे में वृद्धि की संभावना।

५.अवरुद्ध विकास।

६.फेफड़ों की ख़राब प्रक्रिया।

७.अस्थमा के विकास में वृद्धि की संभावना।

विविध

यदि आप तंबाकू का सेवन करते हैं तो आपके शरीर की निम्नलिखित स्थितियां ख़राब होने के लिए जानी जा सकती हैं :

  • संधिवातीयशास्त्र स्थितियां : संधिशोथ।
  • गुर्दों की क्षति।
  • नेत्र रोग: उम्र से संबंधित आँखों में धब्बे की उपस्थिति।
  • दंत रोग जैसे कि दांतों का क्षरण।
  • मधुमेह।
  • आंत्र में सूजन का रोग।
  • स्तंभन दोष।

चित्र १ : धूम्रपान से होने वाले ज़ोखिमों के प्रकार - धूम्रपान शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचा सकता हैं।

स्रोत:

यह चित्र रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र द्वारा निर्मित किया गया हैं, जो कि स्वास्थ्य और मानव सेवा, संयुक्त राज्य अमेरिका विभाग का अंग हैं अथवा यह चित्र सरकारी कर्मचारी के कर्तव्यों के निर्वहन के अंतर्गत बनाया गया हैं। यह चित्र अमेरिका की संघीय सरकार द्वारा बनाया गया हैं इसलिए यह सार्वजनिक क्षेत्र की सम्पति बन गया है।

तंबाकू नशा उन्मूलन हेतु व्यक्तिगत स्तर पर उपचार।

तंबाकू नशा उन्मूलन हेतु उपचार को मोटेतौर पर दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है: क) औषधीय और ख) गैर-औषधीय।

क) औषधीय

१. निकोटीन प्रतिस्थापन उपचार: निकोटीन प्रतिस्थापन उपचार का सामान्य सिद्धांत रोगी को प्रत्यक्ष संकेतों और तंबाकू छोड़ने पर उत्पन्न होने वाले लक्षणों तथा तीव्र इच्छा को दूर करने हेतु निकोटीन का अधिक उपचारात्मक प्रबंधन और सुरक्षा प्रदान करने वाला सिद्धांत हैं। निकोटीन गम चबाना एक सामान्य उपाय है। निकोटीन वितरण अन्य प्रणालियां उपलब्ध है :

  • निकोटीन के माध्यम से पूरे शरीर की त्वचा पर धब्बों हो जाते है। 
  • अनुनासिक निकोटीन समाधान।
  • निकोटीन भाप इनहेलर (धूम्रमुक्त तंबाकू)।
  • निकोटीन प्रतिस्थापन उपचार हेतु निकोटीन विषमकोण और उप- जिह्वा गोलियाँ भी उपलब्ध हैं। इन उपकरणों द्वारा बिना प्रणाली पर ध्यान दिए लगभग १.५ से २ गुणा की दर से छोड़ने में वृद्धि हुई है।

२. अन्य औषधीय चिकित्सा (गैर-औषधीय) :

इसमें विरोधी अवसाद और रोगसूचक उपचार भी शामिल है। औषधीय रणनीतियां तंबाकू छोड़ने पर होने वाले लक्षणों को समाप्त करने में उपयोगी भूमिका का निर्वाह कर सकती है।

(ख) व्यावहारिक उपचार: तंबाकू नशा उन्मूलन के प्रबंधन हेतु बहुत सारी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

१. मनोवैज्ञानिक शिक्षा, तंबाकू के मानव शरीर पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करती है। निकोटीन के सेवन के कारण होने वाले परिवर्तन के बारे में उपयोगकर्ता को सूचित करें और उनसे चर्चा करें। इसके द्वारा रोगी को सुधारात्मक पद्धति स्वीकार करने में सहायता मिलती है।

२. घृणा चिकित्सा: घृणा चिकित्सा के माध्यम से रोगी को बिजली के झटको के साथ अरुचिकर काल्पनिक चित्रों के विचार आते हैं अथवा रोगी धूम्रपान करते समय अरुचिकर भाव पैदा करता हैं। इस तकनीकों का उपयोग सिगरेट और सिगरेट के धुएं की प्रभावी प्रतिक्रियाओं के प्रति घृणा जैसे कि अरुचि, घृणा, भय, अथवा नाराज़गी पैदा करवाने के लिए किया जाता है। इस तरह की प्रतिक्रियाएं धूम्रपान कम करने को प्रोत्साहन देती है।

३. सामाजिक समर्थन: धूम्रपान करने वाले पति-पत्नी दोनों को धूम्रपान छोड़ने वाले कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए ताकि उन्हें धूम्रपान छोड़ने वाले कार्यक्रम के माध्यम से धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सकें।

पूर्व तंबाकू का सेवन करने वालों के लिए उपचार : तंबाकू का सेवन करने वालों में बीमारी के पुनरावर्तन की रोकथाम।

सभी रोगियों, जिन्होंने हाल ही में तंबाकू का सेवन छोड़ने का सफ़ल प्रयास किया हैं, उन्हें बीमारी के पुनरावर्तन की रोकथाम के लिए उपचार प्रदान किए जाने की ज़रूरत होती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में उच्च दर के साथ असाधारण पुनरावर्तन की संभावना होती हैं इसलिए रोगी के धूम्रपान छोड़ने के निर्णय को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है, जिससे कि तंबाकू छोड़ने से उत्पन्न होने वाली अवशिष्ट समस्याओं का समाधान किया जा सके। रोगियों के साथ न्यूनतम पुनरावर्तन रोकथाम की सफ़लता हेतु  उत्साहजनक संयम जारी रखें और तंबाकू छोड़ने के लाभों के बारे में चर्चा करें तथा तंबाकू छोड़ने के दौरान सामने आने वाली समस्याओं और पूर्वानुमानित चुनौतियों के दौरान संयम के साथ व्यवहार करें।

भारत में तंबाकू नियंत्रण के लिए नीतियों।

कानून।

भारत सरकार ने तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरह के कानूनों अधिनियमित किये हैं। वर्तमान में भारत सरकार ने मई २००३ में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया गया, जिसे (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) "सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम" का नाम दिया गया। यह अधिनियम तंबाकू युक्त उत्पादों के किसी भी रूप अर्थात् सिगरेट, सिगार, बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, खैनी, नास आदि सभी पर लागू होता है।

इस अधिनियम की निम्नलिखित धाराएँ है:

धारा चार : "सभी सार्वजनिक स्थानों जैसे कि होटल, रेस्तरां, कॉफी हाउस, पब, बार और हवाई अड्डे के प्रतीक्षालयों तथा आम जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले कार्यस्थलों, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, शैक्षिक संस्थानों और पुस्तकालयों, अस्पतालों और सभागार व खुले सभागार, मनोरंजन केन्द्रों, स्टेडियम, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप आदि पर धूम्रपान निषेध/वर्जित हैं।

धारा पांच : यह तंबाकू के सभी उत्पादों के विज्ञापनों के संवर्धन और प्रायोजन पर प्रतिबंध लगाता है; यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से विज्ञापन ऑडियो, विजुअल और प्रिंट मीडिया के सभी माध्यमों द्वारा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों का निषिद्ध करता है। यह सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद कंपनियों द्वारा किसी भी तरह के प्रलोभन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रायोजन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।

धारा छह (क) : यह नाबालिगों (अठारह वर्ष की उम्र से कम उम्र के व्यक्ति) पर तंबाकू की बिक्री करने पर प्रतिबंध लगाता है।

धारा छह (ख) : शिक्षण संस्थानों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाता है। किसी भी शैक्षणिक संस्थान के सौ गज के दायरे के भीतर किसी भी तंबाकू उत्पाद की बिक्री का निषिद्ध करता है।

धारा सात : सभी तंबाकू उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनी का लेबल लगाए जाने निर्दिष्ट किया जाएँ।

धारा सात (पांच) : हर तंबाकू के पैकेज में अधिकतम अनुमेय सीमा के साथ निकोटीन और टार सामग्री होनी चाहिए। निर्दिष्ट चेतावनी को तंबाकू पैकेज पर दर्शाया जाना चाहिए।

भारत को तंबाकू मुक्त करने की पहल।

इस महत्वपूर्ण पहल के तहत, भारत में तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक की स्थापना की गई हैं। वर्ष २००१-०२ के दौरान, उपयोगकर्ताओं द्वारा तंबाकू का सेवन छोड़ने के साथ-साथ कैंसर के उपचार हेतु अस्पतालों, मनोरोग अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और  गैर सरकारी संगठनों आदि हेतु देश भर के १२ राज्यों में १३ तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लिनिक स्थापित किए गए थे। सरकार द्वारा वर्ष २०११ में तम्बाकू निर्भरता उपचार हेतु राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को प्रसारित किया गया तथा तम्बाकू नशा उन्मूलन में स्वास्थ्य पेशेवरों के प्रशिक्षण की सुविधा को सुगम बनाया गया हैं।

विभिन्न हस्तक्षेप और अनुसंधान अध्ययनों द्वारा समुदाय आधारित तंबाकू नशा उन्मूलन मॉडल को विकसित करने का समर्थन किया गया है। 

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम।

राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम का शुभारंभ वर्ष २००७-०८ में तंबाकू के सेवन के हानिकारक प्रभाव और तम्बाकू नियंत्रण कानून के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता प्रसारित करने के साथ-साथ तंबाकू नियंत्रण कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की सुविधा के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार मंत्रालय द्वारा किया गया। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ (एनटीसीसी) समग्र नीति निर्माण, योजना, निगरानी और मूल्यांकन की विभिन्न गतिविधियों हेतु उत्तरदायी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता प्रसारित करने और व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु जन-जागरूकता/जनसंचार अभियान की योजना बनाई गई है।

इस मॉड्यूल की सामग्री, प्रो. जुगल किशोर, सामुदायिक चिकित्सा विभाग, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज द्वारा दिनांक २७/१०/२०१४ को प्रमाणित की गई है।

संदर्भ:

1. WHO. Non-communicable Diseases Country Profiles.  2014. Available from  

5. Talhout R, Schulz T, Florek E , Benthem J, Wester P, Opperhuizen A. Hazardous Compounds in Tobacco Smoke. Int. J. Environ. Res. Public Health 2011;8:613-28.

Atlanta: U.S. Department of Health and Human Services, Centers for Disease Control and Prevention, National Center for Chronic Disease Prevention and Health Promotion, Office on Smoking and Health, 2014 [accessed 2014 Apr 24].

7. Kishore J. National health programs of India: National Policies and legislation related to health. 11th Edn. 2014. New Delhi: Century Publications.

8. Government of India. Ministry of Health & Family Welfare. Directorate General of Health Services. Tobacco Dependence Treatment Guidelines. 2011.

  • PUBLISHED DATE : Mar 01, 2016
  • PUBLISHED BY : Zahid
  • CREATED / VALIDATED BY : Sunita
  • LAST UPDATED BY : Mar 01, 2016

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तंबाकू खाने से पेट पर क्या असर पड़ता है?

तंबाकू उत्पाद पेट की लाइनिंग को डैमेज करता है। दवा लेने पर भी कम असर करता है। शराब का सेवन करने वाले अमूमन गैस्ट्राइटिस से पीड़ित हो रहे हैं। उन्हें पेट में जलन, पेट का फूलना, कब्जियत की शिकायत रहती है।

तंबाकू खाने से क्या क्या लाभ है?

क्या आप जानते हैं कि तंबाकू (बीडी, सिगरेट, खैनी, गुटखा आदि) का लगातार सेवन लगभग शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है साथ ही स्वास्थ्य सबंधि परेशानियों को जोखिम भी बढ़ाता है। इसमें मौजूद केमिकल दिल की धडक़न व ब्लड प्रेशर बढ़ा देते हैं।

अचानक तंबाकू छोड़ने से क्या होता है?

मुझे लगता है कि मैं आसानी से इसका सेवन बंद कर सकता हूं। तंबाकू छोड़ते ही यह फायदें - तंबाकू छोड़ने पर 20 मिनट में ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है। - 8 घंटे बाद खून में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर घटकर और ऑक्सीजन का स्तर बढ़कर सामान्य हो जाता है। - 24 घंटे बाद हार्टअटैक की संभावनाएं कम हो जाती है।

चूना और तंबाकू खाने से क्या होता है?

व्यक्ति को पता चल भी जाता है कि तम्बाकू का सेवन करना हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत नहीं छूटता है और धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन शक्ति भी कम होता जाता है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले कर देता है। तंबाकू खाने से मुंह के कैंसर की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। L.