राजे ने अपनी रखवाली की कविता का रचनाकार कौन है? - raaje ne apanee rakhavaalee kee kavita ka rachanaakaar kaun hai?

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा;
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं ।
चापलूस कितने सामन्त आए ।
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए ।
कितने ब्राह्मण आए
पोथियों में जनता को बाँधे हुए ।
कवियों ने उसकी बहादुरी के गीत गाए,
लेखकों ने लेख लिखे,
ऐतिहासिकों ने इतिहास के पन्ने भरे,
नाट्य-कलाकारों ने कितने नाटक रचे
रंगमंच पर खेले ।
जनता पर जादू चला राजे के समाज का ।
लोक-नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं ।
धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ ।
लोहा बजा धर्म पर, सभ्यता के नाम पर ।
ख़ून की नदी बही ।
आँख-कान मूंदकर जनता ने डुबकियाँ लीं ।
आँख खुली-- राजे ने अपनी रखवाली की ।

राजे ने अपनी रखवाली की कविता के रचनाकार कौन हैं?

राजे ने अपनी रखवाली की / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

राजे ने अपनी रखवाली की कविता का प्रकाशन वर्ष क्या है?

1896 - 1961 मिदनापुर , भारत

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रसिद्ध कविता कौन सी है?

सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी, १८९९ - १५ अक्टूबर, १९६१) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। ... सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'.

राजे ने अपनी रखवाली की कविता में निराला ने किसकी आलोचना की है?

प्रसंग - प्रस्तुत कविता में कविवर निराला ने राजतन्त्र पर व्यंग्य किया है। कवि कहते हैं कि राजा देश की रक्षा के नाम पर विभिन्न उपाय करता है पर वह व्यवस्था वस्तुतः स्वयं उसकी अपनी रक्षा के लिए होती है। व्याख्या - इन सबका यह परिणाम हुआ कि राजा और उसके समर्थक वर्ग का जादू जनता पर चल गया हैं। वह उन्हें महान् समझने लगे हैं।