किसी निश्चित क्षेत्र में किसी निश्चित समय अंतराल में लोगों की में होने वाले परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। जनसंख्या वृद्धि को जनसंख्या परिवर्तन भी कहा जाता है। जनसंख्या में परिवर्तन दो तरह से होती है। पहला धनात्मक परिवर्तन और दूसरा ऋणात्मक परिवर्तन। Show
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धनात्मक वृद्धि (परिवर्तन)जनसंख्या वृद्धिधनात्मक परिवर्तन में किसी क्षेत्र की जनसंख्या में एक निश्चित समय अवधि में बढ़ोतरी हो जाती है। उसमे और जनसंख्या जुड़ या बढ़ जाती है। जैसे किसी क्षेत्र में वर्ष 2011 की जनसंख्या एक लाख थी और वर्ष 2021 में बढ़कर यह एक लाख दस हजार हो गई तो इस क्षेत्र में दस वर्ष की अवधि में दस हजार व्यक्तियो की संख्या बढ़ गई या कहे की एक लाख जनसंख्या में दस हजार व्यक्ति जुड़ गए। यही दस हजार व्यक्ति धनात्मक परिवर्तन है। ऋणात्मक वृद्धि (परिवर्तन)ऋणात्मक परिवर्तन का तातपर्य किसी क्षेत्र की जनसंख्या में कमि होने से होता है। जैसे किसी क्षेत्र में वर्ष 2011 में एक लाख जनसंख्या थी जो वर्ष 2021 आते-आते नब्बे हजार हो गई इस स्थिति में जनसंख्या दस वर्ष में दस हजार घट गई। इस घटी हुई जनसंख्या को ऋणात्मक परिवर्तन कहा जाता है। सकारात्मक या धनात्मक परिवर्तन किसी क्षेत्र के लिए हितकर होता है। और जनसंख्या में ऋणात्मक परिवर्तन किसी क्षेत्र के लिए हितकर नही होता है। इसको निरपेक्ष संख्या अथवा सापेक्ष संख्या (प्रतिशत) में व्यक्त किया जाता है। इसे एक उदहारण से अच्छी तरह से समझा जा सकता है। जैसे भारत की जनसंख्या वर्ष 2001 में 102.70 करोड़ थी और वर्ष 2011 में बढ़कर 121.08 करोड़ हो गई। इस वृद्धि को निरपेक्ष वृद्धि और सापेक्ष (प्रतिशत) वृद्धि में निम्न विधि से निकल सकते है। निरपेक्ष वृद्धि = 121.08 – 102.70 = 18.38 करोड़ सापेक्ष वृद्धि (प्रतिशत) = {(121.08 – 102.70)/102.70} x 100 = 17.89 % इस तरह से देखते है कि 2011में भारत के निरपेक्ष जनसंख्या वृद्धि 18.38 करोड़ थी जिसे प्राप्त करने के लिए साधारण रूप से पूर्व समय की जनसंख्या को बाद के समय कि जनसंख्या में घटा दिया जाता है। जबकि सापेक्ष जनसंख्या या प्रतिशत ज्ञात करने के लिए बाद के समय कि जनसंख्या को पूर्व के समय कि जनसंख्या में घटाकर प्राप्त संख्या को पूर्व के समय कि जनसंख्या से भाग दिया जाता है। और भागफल में 100 से गुणा कर प्राप्त किया जाता है। किसी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि या जनसंख्या परिवर्तन उस क्षेत्र के बहुत सारी जानकारियां या विशेषताओं को व्यक्त करता है। जैसे: क्षेत्र कि आर्थिक प्रगति, सामाजिक उत्थान, ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्टभमि इत्यादि। आधरभूत संकल्पनाएँजनसंख्या की वृद्धिसमय के दो अंतरालों के बिच एक क्षेत्र विशेष में होने वाली जनसंख्या में परवर्तन को जनसंख्या की वृद्धि कहा जाता है। जनसंख्या वृद्धि दरयह जनसंख्या में परवर्तन है जो प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धिकिसी क्षेत्र में दो समय अंतरालों में जन्म और मृत्यु के अंतर से बढ़ने वाली जनसंख्या को उस क्षेत्र की जनसंख्या की प्राकृतक वृद्धि कहते है। जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि = जन्म – मृत्यु जनसंख्या की वास्तविक वृद्धियह जनसंख्या का वह वृद्धि होती है। जिसमे किसी क्षेत्र में निश्चित समय अंतराल में जीवित जन्म और अप्रवास को जोड़ा जाता है जबकि मृत्यु और उत्प्रवास को घटाया जाता है। जनसंख्या की वस्तविक वृद्धि = जन्म – मृत्यु +अप्रवास – उत्प्रवास जनसंख्या की धनात्मक वृद्धियह वृद्धि तब होती है। जब दो समय अंतरालों के बिच जन्म दर मृत्यु दर से अधिक हो या जब अन्य देशो से लोग स्थाई रूप से उस देश में प्रवास कर जाएँ जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धियदि दो समय अंतराल के बिच जनसंख्या कम हो जय तो उसे जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि कहते है। यह तब होती है जब जन्म दर मृत्यु दर से कम हो जय या लोग अन्य देशो में प्रवास कर जाएं। घटक या जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक/कारणकिसी क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि (परिवर्तन) को प्रभावित करने वाले घटक तीन है। जन्म, मृत्यु, और प्रवास जन्म या उत्पादकता या प्रजनन (Fertility )उत्पादकता या प्रजनन का सम्बन्ध जन्म से होता है। उत्पादकता या प्रजनन को मापने के लिए कई विधयों को अपनाया जाता है। जैसे: अपरिष्कृत(अशोधित) जन्म दर, शिशु-स्त्री अनुपात, सामान्य उतपादकता दर, उत्पादकता-अनुपात इत्यादि।इन सब में अशोधित जन्म दर सबसे सरलतम और लोकप्रिय विधि है।
अशोधित जन्म दर = (किसी वर्ष विशेष में जीवित जन्म / किसी क्षेत्र विशेष में वर्ष के मध्य जनसंख्या) x 1000 मृत्यु अथवा मर्त्यता (Mortality )संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 1953 ने मृत्यु की परिभषा दी है। इसके अनुसार जन्म के बाद किसी भी समय जीवन के सभी परमाणु के स्थाई रूप से लोप हो जाने को मृत्यु कहते है। जन्म दर की भांति मृत्यु दर को मापने की कई विधियाँ है। जैसे: अशोधित(अपरिष्कृत) मृत्यु-दर, आयु विशिष्ट मृत्यु-दर, शिशु मृत्यु दर, मातृ-मृत्यु दर, इत्यादि। इनमे से सबसे आसान और लोकप्रिय विधि अशोधित मृत्यु-दर है।
अशोधित मृत्यु-दर = (किसी वर्ष विशेष में मृतकों की संख्या /उस वर्ष के मध्य में अनुमानित जनसंख्या) x 1000 लोगों की संख्या में वार्षिक बढ़ोतरी अथवा ह्रास की दर,जन्म तथा मृत्यु दर पर निर्भर करती है। यदि जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक है तो जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि होगा। इसके विपरीत यदि मृत्यु दर, जन्म दर से अधिक होगी तो जनसंख्या में ऋणात्मक वृद्धि होगी।किसी क्षेत्र के जन्म दर और मृत्यु दर कई बातो पर निर्भर करती है। जैसे: जन्मदर को प्रभावित करने वाले कारकजन्म दर को प्रभावित करने वाले कारको में जैविक कारक (प्रजाति, प्रजनन-क्षमता, शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य इत्यादि), जनसंख्यिकीय कारक (आयु-लिंग संघटन, नगरीकरण, विवाहित जीवन काल, स्त्रियो की कार्यशीलता और अकार्यशीलता का स्तर इत्यादि ), सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (धार्मिक पृष्टभूमि, शिक्षा का स्तर, विवाह के समय आयु, रीति-रिवाज व्यक्ति विशेष की प्रमुखता इत्यादि ), आर्थिक कारक (आय-स्तर से जीवन-स्तर तथा पोषण घनिष्ट रूप से संबंधित है।) मृत्युदर को प्रभावित करने वाले कारकमृत्यु दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है। — महामारियाँ, दीर्घकालीन आकाल, असाध्य रोग, छूआछूत वाली बीमारियाँ, प्राकृतिक प्रकोप, साफ सफाई, शिक्षा का स्तर, आर्थिक कारक, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धि, पोषण की सामान्य अवस्था इत्यादि। जनसंख्या वृद्धि कितने प्रकार की होती है?जनसंख्या वृद्धि को जनसंख्या परिवर्तन भी कहा जाता है। जनसंख्या में परिवर्तन दो तरह से होती है। पहला धनात्मक परिवर्तन और दूसरा ऋणात्मक परिवर्तन।
जनसंख्या वृद्धि के तीन कारक कौन कौन से हैं?विश्व जनसंख्या एवं वितरण. उच्चावच / भू-आकृति. जल कि उपलब्धता. जलवायु. मृदाएँ. जनसंख्या के कितने प्रकार के होते हैं?Solution : जनसंख्या घनत्व अपरिष्कृत एवं पारिस्थितिकीय प्रकार का होता है।
जनसंख्या वृद्धि दर का मुख्य कारण क्या है?किसी क्षेत्र कि जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि (परिवर्तन) का मुख्य कारण किसी क्षेत्र में जन्मदर, मृत्युदर से अधिक रहने से होता है। जिससे किसी क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष जनसंख्या जुड़ती जाती है। और एक निश्चित समय के बाद उस क्षेत्र की जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि हो जाती है।
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