माना प्रताप का घोड़े का नाम क्या था? - maana prataap ka ghode ka naam kya tha?

हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच जमकर संग्राम चला था। इस युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप का बड़ा सहयोगी माना जाने वाला उनका घोड़ा 'चेतक' भी हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।

माना जाता है की चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था। हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सेना से अपने स्वामी महाराणा प्रताप की जान की रक्षा के लिए चेतक 25 फीट गहरे दरिया से कूद गया था।

हल्दीघाटी में बुरी तरह घायल होने पर महाराणा प्रताप को रणभूमि छोड़नी पड़ी थी और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो कर उसकी मृत्यु हो गई। आज भी चेतक का मंदिर वहां बना हुआ है और चेतक की पराक्रम कथा वर्णित है।

हिंदी साहित्य में चेतक के बारे में कई रचनाएं हुई। वास्तव में चेतक काफी उत्तेजित और फुर्तीला था और वो खुद अपने मालिक को ढूंढ़ता था, चेतक ने महाराणा प्रताप को ही अपने स्वामी के रूप में चुना था। कहा जाता है की महाराणा प्रताप और चेतक के बीच एक गहरा संबंध था। वास्तव में यदि देखा जाए तो महाराणा प्रताप भी चेतक को बहुत चाहते थे। वह केवल इमानदार और फुर्तीला ही नही बल्कि निडर और शक्तिशाली भी था।

उस समय चेतक की अपने मालिक के प्रति वफादारी किसी दूसरे राजपूत शासक से भी ज्यादा बढ़कर थी। अपने मालिक की अंतिम सांस तक वह उन्ही के साथ था और युद्धभूमि से भी वह अपने घायल महाराज को सुरक्षित रूप से वापस ले आया था। इस बात को देखते हुए हमें इस बात को वर्तमान में मान ही लेना चाहिए की भले ही इंसान वफादार हो या ना हो, जानवर हमेशा वफादार ही होते हैं।

चेतक के मुंह पर हाथी का मुखौटा का क्यों लगाया जाता था(Chetak Ke Muh Par Hathi Ka Mukhauta Kyun Lagaya Jata Tha)?

1.1.1 चेतक घोड़ा किससे संबंधित है(Chetak Ghoda Kisase Sambandhit Hai)?

1.1.2 महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि कहां पर स्थित है(Maharana Pratap Ke Ghode Chetak Ki Samadhi Kahan Sthit Hai)?

1.1.3 महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक किस युद्ध में मारा गया( Maharana Pratap Ka Ghoda Kis Yudh Me Mara Gaya?

1.1.3.1 चेतक घोड़ा, महाराणा प्रताप पर कविता (Chetak Ghoda, Maharana Pratap Par Kavita)-

चेतक घोड़ा, का इतिहास (Chetak Ghode Ka Itihas) –

स्वामी भक्ति की वजह से “चेतक घोड़ा” को दुनिया का सबसे अच्छा घोड़ा माना जाता है। चेतक बहुत ही बुद्धिमान और फुर्तीला था। चेतक की वजह से ही महाराणा प्रताप रणभूमि से सुरक्षित बाहर निकलने में सफल हुए थे। महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच में हुए हल्दीघाटी के युद्ध में इसको लेने अपना शौर्य दिखाया था।

चेतक घोड़ा ईरानी मुल का घोड़ा था, साथ ही महाराणा प्रताप की आंख का तारा था। चेतक घोड़े के दो भाई थे एक का नाम अटक और दूसरे का नाम त्राटक था।

काठियावाड़ी नस्ल के यह घोड़े गुजरात का एक व्यापारी लेकर मेवाड़ आया था। देखने में बहुत ही ताकतवर, सुंदर और बुद्धिमान लगते थे इसी विशेषता के चलते महाराणा प्रताप ने इन तीनों घोड़ों को अपने पास रख लिया।

त्राटक महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह को सौंप दिया गया जबकि चेतक घोड़े को महाराणा प्रताप ने स्वयं रखा। हालांकि यह तीनों घोड़े बहुत तेज थे मगर इन सब में महाराणा प्रताप का चेतक घोड़ा बुद्धिमान और फुर्तीला था।

1576 की बात महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध लड़ा गया। इसी युद्ध में चेतक ने अपना पराक्रम दिखाया था और ऐसी स्वामी भक्ति दिखाई कि आज भी वह विश्व में प्रसिद्ध है।

चेतक घोड़ा बहुत तेज और फुर्तीला था इसके आगे हाथी की सूंड लगाई जाती थी। हाथी की सूंड लगी होने की वजह से दुश्मन भी भ्रमित हो जाते थे कि कोई हाथी कैसे इतना फुर्तीला और तेज हो सकता हैं।

साथ ही बड़े-बड़े हाथी भी चेतक के पास आने से डरते थे, यही वजह थी कि इनके आगे हाथी की सूंड लगाई जाती थी।

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चेतक घोड़ा ने अपने दोनों पैर हाथी की सूंड पर रख दिए जिससे हाथी के ऊपर सवार मानसिंह पर महाराणा प्रताप ने प्राणघातक हमला किया और मानसिंह वहीं धराशायी हो गया, लेकिन हाथी की सूंड में जो तलवार थी वह चेतक के पैर पर लग गई।

चेतक घोड़ा लड़खड़ाते हुए चलने लगा। मगर इस समय चीते की रफ्तार और बढ़ गई और महाराणा प्रताप ने इस युद्ध में बहुत मार काट मचाई।

 बिजली की रफ्तार से दौड़ने वाला यह घोड़ा पूरी युद्ध भूमि में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था। इस दौरान महाराणा प्रताप की युद्ध में घायल हो गए और जब वह घायल हो गए तो चेतक ने ही उनको रणभूमि से सुरक्षित बाहर निकाला था।

महाराणा प्रताप युद्ध भूमि से बाहर जा रहे थे मुगल सेना उनका पीछा कर रही थी। अपनी तीन टांगों के दम पर दौड़ते हुए चेतक ने एक बरसाती नाले जो कि 26 फीट चौड़ा था तो एक ही झटके में पार कर लिया और महाराणा प्रताप को सुरक्षित अपने महल तक पहुंचा दिया।

इसी त्याग बलिदान और स्वामी भक्ति की वजह से चेतक घोड़ा इतिहास में अमर हो गया। जब चेतक की मृत्यु हुई तब स्वयं महाराणा प्रताप और उनके छोटे भाई शक्ति सिंह ने किस को दफनाया था।

चेतक के मुंह पर हाथी का मुखौटा का क्यों लगाया जाता था(Chetak Ke Muh Par Hathi Ka Mukhauta Kyun Lagaya Jata Tha)?

चेतक के मुंह पर हाथी का मुखौटा इसलिए लगाया जाता था ताकि दुश्मन की सेना के हाथियों को कंफ्यूज किया जा सके।  साथ ही दुश्मन सैनिक और सेनापति इस कन्फ्यूजन में रहे कि भला कोई हाथी इतना तेज और फुर्तीला कैसे हो सकता है।

चेतक घोड़ा किससे संबंधित है(Chetak Ghoda Kisase Sambandhit Hai)?

चेतक घोड़ा महाराणा प्रताप से संबंधित है। 1576 में हल्दीघाटी युद्ध में इस घोड़े ने अपनी फुर्ती बुद्धिमता और स्वामी भक्ति दिखाई थी और साथ ही महाराणा प्रताप की जान बचाई थी।

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि कहां पर स्थित है(Maharana Pratap Ke Ghode Chetak Ki Samadhi Kahan Sthit Hai)?

महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि हल्दीघाटी (बालची) में स्थित है।

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक किस युद्ध में मारा गया( Maharana Pratap Ka Ghoda Kis Yudh Me Mara Gaya?

1576 में अकबर की मुगल सेना और मेवाड़ की सेना के बीच हो गई युद्ध में चेतक घायल हो गया था लेकिन इस युद्ध में उसकी मौत नहीं हुई थी वह महाराणा प्रताप को सुरक्षित अपने घर तक ले गया उसके कुछ दिनों के बाद चेतक ने दम तोड़ दिया था।

चेतक घोड़ा, महाराणा प्रताप पर कविता (Chetak Ghoda, Maharana Pratap Par Kavita)-

दोस्तों 90 के दशक में जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो चेतक घोड़े पर बनी श्याम नारायण पांडे की कविता पाठ्यक्रम में शामिल थी। लेकिन इतिहास को दबाने के लिए इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है, इस पूरी कविता का श्रेय श्याम नारायण पांडे जी को जाता है।

प्रताप का घोड़ा का नाम क्या था?

आज की कड़ी में, महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में। चें तक अरि ने बोल दिया, चेतक के भीषण वारों से। कभी न डरता था दुश्मन की लहू भरी तलवारों से।

राणा प्रताप सिंह के घोड़े का नाम क्या था?

महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय और प्रसिद्ध नीलवर्ण ईरानी मूल के घोड़े का नाम चेतक था। चेतक अश्व गुजरात के चारण व्यापारी काठियावाड़ी नस्ल के तीन घोडे चेतक,त्राटक और अटक लेकर मेवाड़ आए। अटक परीक्षण में काम आ गया।

राणा प्रताप के घोड़े की क्या विशेषता थी?

माना जाता है की चेतक बहुत ही समझदार और वीर घोड़ा था। हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सेना से अपने स्वामी महाराणा प्रताप की जान की रक्षा के लिए चेतक 25 फीट गहरे दरिया से कूद गया था। हल्दीघाटी में बुरी तरह घायल होने पर महाराणा प्रताप को रणभूमि छोड़नी पड़ी थी और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो कर उसकी मृत्यु हो गई।

महाराणा प्रताप के घोड़े का रंग कौन सा था?

महाराणा प्रताप और चेतक का संबंध अनूठा था। वह महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय धोड़ा था। नीले रंग के चेतक में संवेदनशीलता, वफ़ादारी और बहादुरी कूट-कूटकर भरी हुई थी।