हर मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए? - har manushy ko apane jeevan mein kya karana chaahie?

गलतियां स्वीकार करें : खुद की और अपने मित्रों की गलतियां स्वीकार करें। 'खुद की' का मतलब यह कि यदि आपसे घर, कॉलेज, ऑफिस या अन्य कहीं पर गलती हुई है तो उसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। गलतियों पर पर्दा डालने का प्रयास करेंगे तो आप लोगों की नजर में गिरते जाएंगे।

काम करने वाले इंसान से गलतियां होती ही हैं। यह कोई बहुत बड़ा अपराध नहीं लेकिन इसे स्वीकार नहीं करना अपराध होता है। अपने आपको दंड देने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि अपनी गलती मानकर हम सब कुछ भुलाकर एक अच्छी शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि गलती सफलता की ही एक सीढ़ी है जिसे पार किए बिना आप सफलता तक नहीं पहुंच सकते।

इसी तरह यदि आपके किसी मित्र, सहयोगी, परिवार के सदस्य या रिश्‍तेदार से कोई गलती हो जाती है तो उसे भी स्वीकार करके उसको माफ करना जरूरी है। किसी के कारण अगर आपके दिल को ठेस पहुंची है, तो इसे स्वीकार करें और खुद एवं दूसरे को इससे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएं बल्कि इस परिस्थिति से समझौता करें। लोगों से गलतियां होती हैं तथा अपना समझकर उसे स्वीकार करें। इससे आपसी विश्‍वास और प्रेम बढ़ेगा।

अगले पन्ने पर तेरहवां तरीका...

लोगों से आगे रहने के लिए हमें जीवन में क्या करना चाहिए

हमेशा औरों से चार कदम आगे रहना चाहता हूं...

हर मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए? - har manushy ko apane jeevan mein kya karana chaahie?

हमेशा औरों से चार कदम आगे रहना चाहता हूं। कृपया मार्गदर्शन करें कि मैं अपने जीवन में क्या-क्या करूं?

यह सोच सुनने में तो अच्छी लगती है कि हम औरों से सदा चार कदम आगे रहें परन्तु क्या यह सम्भव है? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस प्रकार की सोच बना कर हम जीवन में हर स्थिति कठिन कर लें या कभी-कभी हास्यास्पद कर लें? शायद यह सम्भव भी न हो कि हम हमेशा सब से हर दिशा में आगे रहें। हर व्यक्ति की अपनी Special Abilities हैं। हमसे आगे भी असंख्य लोग रहेंगे और हमसे पीछे भी असंख्य लोग होंगे। जब हम सब कुछ कर नहीं सकते तो औरों से सब विषय में आगे रहना कितना सम्भव हो पाएगा? जैसे-जैसे हम Student Life छोडकर अपनी जॉब या व्यवसाय शुरू करेंगे हम पाएंगे कि समय परस्पर प्रतिस्पर्धा का ही नहीं है पर मिल कर अच्छी टीम बनाते हुए सफलता पाने का भी है। कहां उश्रेश्ची3ी करना है और कहां Compete करना है यह हम उम्र, परिपक्वता एवं परिस्थिति के अनुसार शायद अच्छी प्रकार से कर पाएं। यदि दूसरों से आगे रहने का मतलब स्वयं में निरन्तरSelf Development के प्रयासों का निवेश करना है तो यह बहुत उच्च सोच है। लेकिन यदि ऐसा करते हुए हम दूसरों को नीचा दिखाने का प्रयास कर बैठे या उन्हें नीचा मान बैठे तो यह काफी तुच्छ सोच होगी।

दूसरों से प्रभावित हो कर उन जैसा करना या उनसे भी आगे बढ जाना कोई गलत बात नहीं है। ऐसा करने से आप दो बाते करते हैं-आप अपनी व्यक्तिगत प्रगति की दिशा चुन लेते हैं और दूसरों को मानक स्वरूप मान कर अपने प्रयास प्रारम्भ कर देते हैं। इसके लिए आपको काफी Sincerely अपने प्रयास करने होंगे और इन लगातार प्रयासों के बल पर आप जब भी इन से आगे बढ जाएं तो नए मानक ढूंढिए। आप पाएंगे कि आपके लिए सफलता के मानक काफी ऊंचे और आगे होते जा रहे हैं। घबराइएगा नहीं। सभी कुछ आज तो करना नहीं है। काफी जीवन पडा है हर रोज प्रयास कर आगे बढने के लिए। चलिए कुछ उदाहरण लेते हैं। अगर आप Cricketer बनना चाहते हैं तो सीधे किसे मानक बनाएंगे? मान लेते हैं सचिन को। सचिन तक पहुंचने से पहले भी तो आपको कई और खिलाडियों की बराबरी करनी होगी और फिर उनसे आगे बढना होगा। यह स्कूल स्तर पर, कॉलेज स्तर, स्पो‌र्ट्स क्लब स्तर पर व राज्य स्तर पर होगा और उसके बाद ही आप सचिन व अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाडियों के बारे में सोच सकते हैं। इसमें वर्षो की मेहनत, आपकी क्षमता, प्रतिभा एवं संकल्प का निवेश होगा। यही बात Doctor, Engineer, IAS, Advocate, CA, Actor, Singer इत्यादि बनने पर लागू होती है।

-अपनी दिशा चुनिए अपने मानक समझिए, बनाइए, अनुसरण कीजिए, आगे बढने का मार्ग खोजिए .... यदि आपके पास मक्खन पचास(50) ग्राम है तो कितनी ब्रेड स्लाइस पर लगाएंगे? मजा तो ब्रेड और मक्खन का तभी आएगा जब स्लाइस कम हों और मक्खन अच्छे से लगा हो। हम सबका कार्यकाल भी 40-50 साल का है। कैसे फोकस करते हैं यह हम पर है।

हर मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए? - har manushy ko apane jeevan mein kya karana chaahie?

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हर मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए? - har manushy ko apane jeevan mein kya karana chaahie?
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हर मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए? - har manushy ko apane jeevan mein kya karana chaahie?

आचार्य चाणक्‍य ने बताया मानव जीवन के चार प्रमुख लक्ष्‍य   |  तस्वीर साभार: Representative Image

मुख्य बातें

  • मनुष्‍य को जीवन का लक्ष्‍य हासिल करना जरूरी

  • बिना लक्ष्‍य व कार्य का जीवन मृतक के समान

  • मनुष्‍य के लिए मोक्ष होता है जीवन का अंतिम पड़ाव

Chanakya Niti in Hindi: आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन को सबसे बहुमूल्‍य बताया है। आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में एक साधारण व्‍यक्ति को सफलता प्राप्‍त करने के बहुत सारे उपाय बता गए हैं। आचार्य चाणक्य का मानना है कि इंसान के रूप में हर व्‍यक्ति का जन्‍म इस धरती पर किसी न किसी कारण से हुआ है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिससे लोग उसके जाने के बाद भी उसे याद रखें। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्‍त्र में एक श्लोक के माध्‍यम से जीवन के चार लक्ष्‍य बताएं हैं। आचार्य का मानना है कि मनुष्‍य के जीवन में चार अहम चीज हाती है। अगर किसी मनष्‍यु ने इसमें से एक भी चीज पा ली है तो उसका जीवन व्‍यर्थ नहीं जाता।

श्लोक

धर्मार्थकाममोश्रेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते।

जन्म जन्मानि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्॥

धर्म

आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि मानव का रूप लेने वाला व्‍यक्ति  चाहे जिस धर्म का हो, उसे अपने धर्म का पालन जरूर करना चाहिए। लोगों को उनका धर्म ही जीवन के सही रास्ते पर ले जाता है। इसका पालन करने वाले व्‍यक्ति का कर्म भी अच्छा रहता है।

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काम

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो भी जीव मनुष्‍य के रूप में जन्म लेता है उसे अपने जीवन में कुछ न कुछ काम अवश्य करना चाहिए। जो लोग बगैर कुछ किए अपना जीवन बिताना चाहते हैं, वे अपने परिवार व समाज पर बोझ होते हैं, ऐसे लोग अंत में अपने जीवन के साथ अपने कुल को नष्‍ट कर देते हैं।

धन

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, सुखी जीवन बिताने के लिए मनुष्‍य के जीवन में धन का होना बेहद जरूरी है। धन पाने के लिए व्यक्ति को अपना लक्ष्य तय करना जरूरी होता है। जिस व्यक्ति के पास लक्ष्य नहीं होता है, वह चाुद के लिए धन संचय नहीं कर पाता है।

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मोक्ष

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्‍यक्ति के जीवन का अंतिम पड़ाव मोक्ष होता है। हर व्‍यक्ति अपने लक्ष्य, काम और कर्म से मोक्ष की प्राप्ति करता है। सिर्फ अच्छे कर्म करने वालों को ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)