हनुमान जी की उत्पत्ति कैसे हुई? - hanumaan jee kee utpatti kaise huee?

हनुमान जी की उत्पत्ति कैसे हुई? - hanumaan jee kee utpatti kaise huee?

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परंपरागत रूप से हनुमान को बल, बुद्धि, विद्या, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक माना जाता है। संकटकाल में हनुमानजी का ही स्मरण किया जाता है। वह संकटमोचन कहलाते हैं।

हनुमान को शिवावतार अथवा रुद्रावतार भी माना जाता है। रुद्र आँधी-तूफान के अधिष्ठाता देवता भी हैं और देवराज इंद्र के साथी भी। विष्णु पुराण के अनुसार रुद्रों का उद्भव ब्रह्माजी की भृकुटी से हुआ था। हनुमानजी वायुदेव अथवा मारुति नामक रुद्र के पुत्र थे।

'हनुमान' शब्द का ह ब्रह्मा का, नु अर्चना का, मा लक्ष्मी का और न पराक्रम का द्योतक है।

हनुमान जी कैसे उत्पन्न हुए?

वेदों और पुराणों के अनुसार, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म चैत्र मंगलवार के ही दिन पूर्णिमा को नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। इनके पिता का नाम वानरराज राजा केसरी थे। इनकी माता का नाम अंजनी थी। रामचरितमानस में हनुमान जी के जन्म से संबंधित बताया गया है कि हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ था।

हनुमान जी का इतिहास क्या है?

ज्योतिषीयों की गणना के अनुसार बजरंगबली जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थी। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते है।

हनुमान जी का जन्म कब और कहां कैसे हुआ?

Lord Hanuman Birth Story: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के पूर्णिमा में मंगलवार के दिन हुआ था। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था। हनुमान जी को संकट मोचन और पवन पुत्र के नाम से भी पुकारा जाता है। भगवान श्री राम की पूजा आराधना करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है।

हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?

उसी समय ग्रामदेवी की भेंट पवनपुत्र से हुई। उन्‍होंने पहचान लिया कि यह तो श्रीराम के सेवक है। इसके बाद ग्रामदेवी हनुमानजी के गले में बैठ गई जिससे हनुमानजी का गला प्यास से सूखने लगा। पवनपुत्र ने जलपान किया और जल ग्रहण करते ही उनके पूरे शरीर में विष फैल गया और उन्‍होंने अपने प्राण त्‍याग दिए।