मकर संक्रांति पर कौन से भगवान की पूजा की जाती है? - makar sankraanti par kaun se bhagavaan kee pooja kee jaatee hai?

मकर संक्रांति भगवान सूर्य के मकर में आने का पर्व है। इस पर्व के साथ देवलोक में रात्रि काल समाप्त होता है और दिन का आरंभ होता है। इसलिए इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का शास्त्रों में विधान बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि मकर संक्रांति अगर मध्य रात्रि के बाद हो तो अगले दिन सूर्योदय के समय पवित्र जल में स्नान करके सूर्य की उपासना करनी चाहिए।

इस तरह करें मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा
मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य जब मकर राशि में आते हैं तो शनि महाराज भी उनका तिल से पूजन करते हैं इसलिए मकर संक्रांति के अवसर पर तांबे के पात्र में जल, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर उगते सूर्य को जलार्पण करना चाहिए। इस अवसर में नदी स्नान कर रहे हों तो अंजुली में जल लेकर सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार ‘ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः’ सूर्याय नमः मंत्र बोलते हुए जल दें।

Makar Sankranti Puja Vidhi : मकर संक्रांति पूजा विधि, इस तरह पूजा से पाएंगे भोग और मोक्ष

मकर संक्रांति पर तिल से पूजा का महत्व
मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है। शास्त्रों और पुराणों में कहा गया है कि माघ मास में नित्य तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने वाला पाप मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। अगर पूरे महीने तिल से नारायण की पूजा नहीं कर पाते हैं तो मकर संक्रांति के दिन नारायण की तिल से पूजा करनी चाहिए। घी का दीप जलाकर भगवान से प्रार्थना करें कि जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति प्रदान करें।

मकर संक्रांति के खास उपाय, आजमाकर देखिए खूब हैं फायदे

मकर संक्रांति पूजा पाठ प्रसाद
इस दिन श्रीनारायण कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बड़ा ही उत्तम माना गया है। मकर संक्रांति पर भग वान सूर्य की पूजा करने के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़, सब्जी कुछ धन अगर संभव हो तो वस्त्र किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए और बाह्मण भोजन करवाना चाहिए ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

सूर्य पुराण और व्रत शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति दान-पुण्य, स्नान का पर्व मात्र नहीं है, बल्कि यह जीवन में परिवर्तन लाने का भी पर्व है। इस दिन हमें पंचशक्ति साधना करने का अवसर मिलता है, जो सम्पूर्ण वर्ष मनोवांछित फल प्रदान करता है।

मकर संक्रांति के दिन गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, महालक्ष्मी और सूर्य की साधना संयुक्त रूप से करने का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विस्तार से मिलता है। पंचशक्ति की साधना से ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने का पर्व मकर संक्रांति है।

मकर संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में नित्य कर्म से निवृत्त होकर शुद्ध स्थान पर कुशासन पर बैठें और पीले वस्त्र का आसन बिछा कर सवा किलो चावल और उड़द की दाल का मिश्रण कर पीले वस्त्र के आसन पर सम भाव से पांच ढेरी रखें। फिर दाहिने क्रम से पंचशक्तियों की मूर्ति, चित्र या यंत्र को ढेरी के ऊपर स्थापित कर सुगंधित धूप और दीपक प्रज्ज्वलित करें।

इसके बाद एकाग्रचित हो एक-एक शक्ति का स्मरण कर चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, फल अर्पित कर पंचोकार विधि से पूजन सम्पन्न करें। आम की लकड़ी हवन कुंड में प्रज्ज्वलित कर शक्ति मंत्र की 108 आहुति अग्नि को समर्पित कर पुन: एक माला मंत्र जाप करें।

वेद, पुराण के मतानुसार यदि किसी भी देवी-देवता की साधना में उस शक्ति के गायत्री मंत्र का प्रयोग किया जाए तो सर्वाधिक फलित माना जाता है। इसलिए पंचशक्ति साधना में इसका प्रयोग करना चाहिए।

मंत्र

श्री गणेश गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्


श्री शिव गायत्री मंत्र- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात


श्री विष्णु गायत्री मंत्र- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात


महालक्ष्मी गायत्री मंत्र- ॐ महालक्ष्मयै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात


सूर्य गायत्री मंत्र- ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात


ऐसे करें पंचशक्तियों का पूजन

पंचज्योति के साथ आरती करें और पुष्पांजलि अर्पित कर तिल के लड्डू, फल, मिष्ठान्न, खिचड़ी, वस्त्र आदि का सामर्थ्य के अनुसार सुपात्र को दान दें। 

यदि दान की वस्तुओं की संख्या 14 हो तो विशेष शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के पुण्य काल में गंगा सागर में स्नान करने का विशेष महत्व है। 

लेकिन किसी नदी, सरोवर आदि में स्नान करने से भी पुण्य मिलता है। इस साधना से शरीर के सुप्त तत्व जाग्रत हो जाते हैं। जीवन की अशुभता का दमन और शुभत्व का संचार होने लगता है।

Makar Sankranti 2022 : पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को मकर संक्रांति है. इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेगे. मकर संक्रांति के दिन से ही मौसम में बदलाव आरंभ हो जाता है. माना जाता है कि मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है. सर्दी कम होने लगती है.

शास्त्रों में सूर्य देव को संसार का मित्र बताया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान महादेव के तीन नेत्रों में से एक नेत्र को सूर्य की उपमा दी गई है. इस संसार में सूर्य देव ही है जो प्रत्यक्ष हमें दिखाई देते हैं. 

जिन लड़कियों की कुंडली में ये ग्रह होते हैं शुभ, उन्हें मिलता है सपनों का राजकुमार

सनातन धर्म में पंचदेव उपासना है, सर्वोपरि भगवान गणेश उपासना, शिव उपासना, विष्णु उपासना, देवी दुर्गा उपासना और सूर्य उपासना. किसी भी देव की उपासना से पूर्व सूर्य उपासना को अति आवश्यक है. मान्यता है कि बिना सूर्य की आराधना करें बिना किसी भी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. सूर्य भगवान की पूजा और अर्घ्य नित्य देना चाहिए. भगवान सूर्य अर्घ्य प्रिय हैं. सूर्य की पूजा प्रतिदिन करने पर बल दिया गया है. सूतक काल के समय में भी सूर्य को मानसिक रूप से भी जल देना की बात शास्त्रों में कही गई है. सूर्य पूजा के लिए मकर संक्रांति का दिन सबसे अच्छा माना गया है. इस दिन सूर्य उपासना भी आरंभ कर सकते हैं.

सूर्य पूजन कहां और कैसे करना चाहिए
सूर्यनारायण को अर्घ्य जलाशय, नदी इत्यादि के आस-पास देना चाहिए. यदि जलाशय या नदी तक रोज नहीं पहुंच सकते तो साफ-सुथरी भूमि में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. घर की छत या बालकनी जहां से सूर्य दिखाई दें, वहां खड़े होकर सूर्य पूजन कर सकते हैं.

सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि
शास्त्रों के अनुसार सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय दोनों हाथों की अंजलि के माध्यम से देना चाहिए लेकिन अर्घ्य देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हाथ की तर्जनी उंगली और अंगूठा एक-दूसरे से न छुए. ऐसा होने की स्थिति में पूजा का कोई फल नहीं मिलता है क्योंकि इस मुद्रा को राक्षसी मुद्रा कहा गया है.

सूर्य को कितनी बार अर्घ्य देना चाहिए
तांबे या कांसे का लोटा प्रयोग अर्घ्य देने का प्रावधान है. गंगाजल, लाल चंदन, पुष्प इत्यादि जल में डालना चाहिए. इससे जल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है. सूर्य को तीन बार अर्घ्य देना चाहिए और प्रत्येक बार अर्घ्य देते समय प्रत्येक बार परिक्रमा करनी चाहिए. ऐसा करने से ईश्वर की हमेशा आप पर कृपा बनी रहती है और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य पूरे होते हैं.

सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र-
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।

इन बातों का ध्यान रखें

  1. प्रातःकाल सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय दांयी एड़ी को उठाकर और उगते सूर्य को जल की धारा के बीच से देखते हुए अर्घ्य देना अति शुभकारी होता है.
  2. पूर्व की ओर मुख करके ही अर्घ्य देना चाहिए, चाहे किसी कारणवश आपको वह प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देते फिर भी मानसिक रूप से प्रत्यक्ष मानकर अर्घ्य देना चाहिए.
  3. अर्घ्य देने के बाद जल को अपनी आंखों में जरूर लगाना चाहिए. कुछ लोग तुलसी के गमले के ऊपर जल छोड़ते हैं. लेकिन ऐसा करना अत्यधिक नुकसान देने वाला होता है.
  4. अर्घ्य देते समय जल के छींटे शरीर और पैर में न पड़े, इसका ध्यान रखना चाहिए.
  5. उगते हुए सूर्य को जल देना ही फलदायी होता है अर्थात सूर्य उदय होने के 2 घंटे तक ही जल देना चाहिए.
  6. अर्घ्य देने बाद नमस्कार सीधे खड़े होकर सिर झुकाकर नमस्कार करना चाहिए.
  7. अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यधिक फलदायी होता है. कम से कम सूर्य पूजन में 3 परिक्रमा या फिर 7 परिक्रमा करनी चाहिए.
  8. किसी भी कपड़े से अंग को पोछकर और उसी कपड़े को पहनकर देव पूजन नहीं करना चाहिए. 

यह भी पढ़े:
Makar Sankranti 2022 : ग्रहों के राजा 'सूर्य' की इन राशियों पर बरसने जा रही है कृपा, जानें अपनी राशिफल

Astrology : नहीं पता है आपको अपनी राशि, तो यहां करें क्लिक, नाम के पहले अक्षर से लगाएं राशि का पता

मकर संक्रांति में किसकी पूजा करनी चाहिए?

मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के अनुसार दान दिया जाता है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होता है इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन तीर्थ या गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति का पूजा कैसे होता है?

मकर संक्रांति पूजन विधि भगवान विष्णु का पूजन करें. स्तोत्र का पाठ करें. फिर सूर्य भगवान को नमस्कार कर तिल सहित जल अर्पण करें. फिर शुद्ध घी, कंबल, तिल, गुड़, लड्डू, खिचड़ी, सहित भोजन का ज़रुरतमंदों को दान करें.

मकर संक्रांति में क्या क्या चढ़ाया जाता है?

इस दिन खरीफ की फसलों चावल, चना, मूंगफली, गुड़, तिल उड़द इन चीजों से बनी सामग्री से भगवान सूर्य और शनि देव की पूजा की जाती है। मकर संक्रांति के दिन चावल और उड़द की दाल से खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में लोग एक दूसरे के घर भेजते हैं और खाते भी हैं।

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?

मकर संक्रांति के दिन ये कार्य न करें (Makar sankranti ke din ye kaam na karen):.
पुण्यकाल में दंत मंजन करना।.
अपशब्द या कटु वचन बोलना।.
फसल या वृक्ष काटना।.
सहवास करना।.
गाय या भैंस का दूध निकालना।.
तामसिक भोजन करना। ... .
शराब, सिगरेट, गुटका या किसी भी प्रकार का नशा करना।.
काले कपड़े पहनना।.