हाल ही में किसी भी प्रत्याशी के एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए चुनाव आयोग ने 'एक उम्मीदवार-एक सीट' पर चुनाव लड़ने का समर्थन किया। Show मामला क्या है?
क्या है चुनाव आयोग का रुख?
चुनाव कौन लड़ सकता है?
चुनाव सुधारों पर विधि आयोग की रिपोर्ट
अपनी इस रिपोर्ट में विधि आयोग ने जिन चुनाव सुधारों के बारे में विचार किया, उनमें चुनाव का सरकार की ओर से वित्त-पोषण, राजनीति में साम्प्रदायिकता, नकारात्मक मतदान, उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड के विषय शामिल थे। (टीम दृष्टि इनपुट) टी.एस. कृष्णमूर्ति ने भी सुझाए थे चुनाव सुधार के उपाय
चुनाव सुधारों पर गठित विभिन्न समितियों की प्रमुख सिफारिशें तारकुंडे समिति
दिनेश गोस्वामी समिति
इंद्रजीत गुप्त समिति
के. संथानम समिति
(टीम दृष्टि इनपुट) गौरतलब है कि कई बड़े दिग्गज नेता एक बार में दो जगह से चुनाव लड़ते हैं। जैसे-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के आम चुनाव में वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़ा था। उन्होंने दोनों जगहों से जीत दर्ज की थी, लेकिन वाराणसी सीट को अपने पास रखा था। इसके अलावा पूर्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सहित कई बड़े नेता दो जगहों से चुनाव लड़ चुके हैं। प्रायः देखा यही गया है कि विशेषकर वही नेता दो सीटों पर चुनाव लड़ते हैं, जो मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जैसे बड़े पद के दावेदार होते हैं। चुनाव सुधारों में न्यायपालिका का योगदान
(टीम दृष्टि इनपुट) निष्कर्ष: भारत ने संसदीय प्रणाली की सरकार की ब्रिटिश वेस्टमिन्सटर प्रणाली अपनाई है। हमारे जन प्रतिनिधित्व कानून में यह अधिकार दिया गया है कि कोई व्यक्ति लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव या फिर उपचुनाव में एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। 1996 से पहले दो से अधिक स्थानों पर चुनाव उम्मीदवारी की छूट थी और कोई व्यक्ति कितनी भी सीटों से चुनाव लड़ सकता था। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के मकसद से 1996 में जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करके अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ने का नियम बनाया गया। मगर इससे भी निर्वाचन आयोग को छोड़ी गई सीटों पर दुबारा चुनाव कराने के लिये बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार दोबारा वही प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है, फिर से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। प्रशासन को नाहक अपना तय कामकाज रोक कर चुनाव प्रक्रिया में भाग−दौड़ करनी पड़ती है। आम जनता भी इससे परेशान होती है, इसलिये लंबे समय से मांग की जाती रही है कि इस नियम में बदलाव कर एक उम्मीदवार-एक सीट का सिद्धांत लागू होना चाहिये। अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये दो स्थानों से चुनाव लड़ना और जीत जाने के बाद किसी एक स्थान से इस्तीफा दे देना हमारी चुनाव प्रक्रिया की बड़ी खामी है, जिस पर रोक लगाने से लोकतंत्र और मज़बूत होगा। भारत में कुल सांसदों की संख्या कितनी है?वर्तमान मे लोकसभा के सदस्यों की संख्या 543 है तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या कितनी है?राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की निर्वाचन क्षेत्रों की सूची. लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या कितनी होती है?संविधान में व्यवस्था है कि सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 होगी – 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे, 20 सदस्य संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इण्डियन समुदाय से नामित किया जाएगा।
भारत में अनुसूचित जाति हेतु लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र कितने हैं?एह में से कुल 131 सीट (24.03%)अनुसूचित जाति (84) आ अनुसूचित जनजाति (47) खाती आरक्षित बा।
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