हमें अपने मन की व्यथा दूसरों को क्यों नहीं बतानी चाहिए? - hamen apane man kee vyatha doosaron ko kyon nahin bataanee chaahie?

Question 2: हमें अपना दुख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

उत्तर: जब हम अपना दुख दूसरों को बताते हैं तो दूसरे हमारा दुख बाँटने की बजाय उसका मजाक ही उड़ाते हैं। इसलिए हमें अपना दुख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए।

Question 3: रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

उत्तर: कीचड़ में जल की अल्प मात्रा होती है फिर भी इस जल से कई जीवों की प्यास बुझती है। लेकिन सागर का जल विशाल मात्रा में होने के बावजूद किसी की प्यास नहीं बुझा पाता। इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा है।

Question 4: एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

उत्तर: जिस तरह से जड़ को सींचने से ही पेड़ में फूल और फल लगते हैं उसी तरह से एक को साधने से सब सध जाता है। एक काम के पूरा होने से अन्य कार्यों के लिए रास्ता अपने आप खुल जाता है।

Question 5: जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

उत्तर: कमल के लिए जल ही संपत्ति है। जल के बिना कमल को जरूरी पोषण नहीं मिलेगा। ऐसे में सूर्य भी उसकी रक्षा नहीं कर पाएगा, बल्कि कमल सूर्य की तपिश में झुलसकर मर जाएगा।

Question 6: अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

उत्तर: अवध नरेश को उनके पिता ने बनवास की आज्ञा दी थी। इसलिए अवध नरेश को चित्रकूट जाना पड़ा था। अन्यथा कोई भी व्यक्ति अनुकूल समय में चित्रकूट जैसे स्थान पर रहने के लिए नहीं जाता है।

Question 7: ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

उत्तर: नट को कुंडली मारने में महारत हासिल होती है। वह कुंडली मारकर अपने शरीर को किसी भी मुद्रा में मोड़ सकता है। इसी कारण वह आसानी से ऊपर चढ़ जाता है।

Question 8: ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: पानी के अभाव में मोती का निर्माण संभव नहीं है। बिना पानी के आदमी एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकता। घर की पुताई के लिए चूना बनाने के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है।

(ख) हमें अपना दु:ख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए। कारण यह है कि लोग दु:ख की बात सुनकर प्रसन्न ही होते हैं। वे उसे बाँटने को तैयार नहीं होते। उनका व्यवहार मित्रों जैसा नहीं, अपितु बेगानों जैसा हो जाता है।

(ग) रहीम ने सागर को धन्य इसलिए नहीं कहा क्योंकि उसका जल खारा होता है। वह किसी की प्यास नहीं बुझा पाता। उसकी तुलना में पंक का जल धन्य होता है क्योंकि उसे पीकर कीट-पतंगे अपनी प्यास बुझा लेते हैं।

(घ) एक परमात्मा को साधने से अन्य सारे काम अपने-आप सध जाते हैं। कारण यह है कि परमात्मा ही सबको मूल है। जैसे मूल अर्थात् जड़ को सींचने से फल-फूल अपने-आप उग आते हैं, उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलतापूर्वक संपन्न हो जाते हैं।

(ङ) कमल की मूल संपत्ति है-जल। उसी के होने से कमल जीवित रहता है। यदि वह न रहे तो सूर्य भी कमल को जीवन नहीं दे सकता। सूर्य बाहरी शक्ति है। जल भीतरी शक्ति है। इसी भीतरी शक्ति से ही जीवन चलता है।

(च) अवध नरेश अर्थात् श्रीराम को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा क्योंकि उन्हें माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए चौदह वर्षों तक वनवास भोगना था। उसी वनवास के दौरान उन्हें चित्रकूट जैसे रमणीय वन में रुकने का अवसर मिला।

(छ) नट स्वयं को समेटकर, सिकोड़कर तथा संतुलित करने के कारण कुंडली में से निकल जाता है और तार पर चढ़ जाता है।

(ज) ‘मोती’ के संदर्भ में ‘पानी’ का अर्थ है-चमक। रहीम का कहना है कि चमक के बिना मोती का कोई मूल्य नहीं होता।
‘मानुष’ के संदर्भ में ‘पानी’ का अर्थ है-आत्म-सम्मान। रहीम का कथन है कि आत्म-सम्मान के बिना मनुष्य का कोई मूल्य नहीं होता।
‘चून’ के संदर्भ में पानी का महत्त्व सर्वोपरि है। बिना पानी के आटे की रोटी नहीं बनाई जा सकती। इसलिए वहाँ पानी का होना अनिवार्य है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सचिबो, फूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद :रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।
उत्तर-
(क) भाव यह है कि प्रेम का बंधन अत्यंत नाजुक होता है। इसमें कटुता आने पर मन की मलिनता कहीं न कहीं बनी ही रह जाती है। प्रेम का यह बंधन टूटने पर सरलता से नहीं जुड़ता है। यदि जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है।

(ख) भाव यह है कि जब हम सहानुभूति और मुद्रदै पाने की आशा से अपना दुख दूसरों को सुनाते हैं तो लोग सहानुभूति दर्शाने और मदद करने की अपेक्षा हमारा मजाक उड़ाना शुरू कर देते हैं। अतः दूसरों को अपना दुख बताने से बचना चाहिए।

(ग) भाव यह है कि किसी पेड़ से फल-फूल पाने के लिए उसके तने, पत्तियों और शाखाओं को पानी देने के बजाय उसकी जड़ों को पानी देने से ही वह खूब हरा-भरा होता है और फलता-फूलता है। इसी तरह एक समय में एक ही काम करने पर उसमें सफलता मिलती है।

(घ) भाव यह है कि किसी वस्तु का आकार ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता है, महत्त्व होता है उसमें निहित अर्थ का। दोहे का महत्त्व इसलिए है कि वह कम शब्दों में गूढ़ अर्थ समेटे रहता है।

(ङ) भाव यह है कि प्रसन्न होने पर मनुष्य ही नहीं, पशु भी अपना तने तक दे देते हैं परंतु कुछ मनुष्य पशुओं से भी बढ़कर पशु होते हैं। वे धन के लिए अपना सब कुछ दे देते हैं।

(च) भाव यह है कि वस्तु की महत्ता उसके आकार के कारण नहीं, बल्कि उसकी उपयोगिता के कारण होती है। छोटी से छोटी वस्तु का भी अपना महत्त्व होता है, क्योंकि जो काम सुई कर सकती है उसे तलवार नहीं कर सकती है।

(छ) भाव यह है कि मनुष्य को सदैव पानी बचाकर रखना चाहिए क्योंकि पानी (चमक) जाने पर मोती साधारण पत्थर, सी रह जाती है, पानी (इज्जत) जाने पर मनुष्य स्वयं को अपमानित-सा महसूस करता है और पानी (जल) न रहने पर आटे से रोटियाँ नहीं बनाई जा सकती हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-

  1. जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
  2. कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
  3. पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।

उत्तर-

  1. जा पर विपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
  2. बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
  3. रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

प्रश्न 4.
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण : कोय – कोई, जे – जो

  1. ज्यों – ……….
  2. कछु – ………
  3. नहीं – ………
  4. कोय – ……..
  5. धनि – ……….
  6. आखर – ………
  7. जिय – ……….
  8. थोरे – ……..
  9. होय – ………
  10. माखन – ……….
  11. तरवारि – ………..
  12. सचिबो – ………….
  13. मूलहिं – ……….
  14. पिअत – ……….
  15. पियासो – ……….
  16. बिगरी – ……….
  17. आवे – ………
  18. सहाय – ……….
  19. ऊबरै – ………..
  20. बिनु – ………
  21. बिया – ……….
  22. अठिलैहैं – ………..
  23. परिजाय – ………..

उत्तर

  1. ज्यों – जैसे
  2. कुछ – कछु
  3. नहिं – नहीं
  4. कोय – कोई
  5. धनि – धनी
  6. आखर – अक्षर
  7. जिय – जी
  8. थोरे – थोडे
  9. होय – होना
  10. माखन – मक्खन
  11. तरवारि – तलवार
  12. सींचिबो – सिंचाई करना
  13. मूलहिं – मूल
  14. पिअत – पीना
  15. पियासो – प्यासा
  16. बिगरी – बिगड़ी
  17. आवे – आए
  18. सहाय – सहायक
  19. ऊबरै – उबरना
  20. बिनु – बिना
  21. बिथा – व्यथा
  22. अठिलैहैं – अठखेलियाँ
  23. परिजाय – पड़ जाए

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘सुई की जगह तलवार काम नहीं आती’ तथा ‘बिन पानी सब सून’ इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
चित्रकूट’ किस राज्य में स्थित है, जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
चित्रकूट’ उत्तर प्रदेश राज्य के दक्षिणी छोर पर स्थित बाँदा जनपद में स्थित है। अयोध्या से लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास जाते समय राम ने यहाँ कुछ दिन बिताया था। तब से इसकी गणना तीर्थ स्थान के रूप में की जाती है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
नीति संबंधी अन्य कवियों के दोहे/कविता एकत्र कीजिए और उन दोहों/कविताओं को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर-
छात्र अन्य कवियों के नीति संबंधी दोहे/कविताओं को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका स्वयं तैयार करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मिले गाँठ परिजाय’-ऐसा रहीम ने किस संदर्भ में कहा है और क्यों?
उत्तर-
‘मिले गाँठ परिजाय’ ऐसा रहीम ने ‘प्रेम संबंधों के बारे में कहा है, क्योंकि प्रेम संबंधों की डोर बड़ी नाजुक होती है। एक बार टूट जाने पर जब इसे जोड़ा जाता है तो मन में मलिनता और पिछली बातों की कड़वाहट होने के कारण एक गाँठ-सी बनी रहती है।

प्रश्न 2.
बिगरी बात क्यों नहीं बन पाती है? इसके लिए कवि ने क्या दृष्टांत दिया है?
उत्तर-
जब मेन में मतभेद और कड़वाहट उत्पन्न होती है, तब बात बिगड़ जाती है और यह बात पहले-सी नहीं हो पाती है। इसके लिए रहीम ने यह दृष्टांत दिया है कि जिस तरह दूध फट जाने पर उससे मक्खन नहीं निकाला जा सकता है, उसी प्रकार बात को पुनः पहले जैसा नहीं बनाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कुछ मनुष्य पशुओं से भी हीन होते हैं। पठित दोहे के आधार पर हिरन के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हिरन शिकारी की आवाज़ सुनकर उसे दूसरे हिरनों की आवाज़ समझ बैठता है और खुश हो जाता है। वह अपनी सुधि बुधि खोकर उस आवाज़ की ओर आकर अपना तन दे देता है परंतु मनुष्य खुश होकर भी दूसरों को कुछ नहीं देता है। इस तरह कुछ मनुष्य पशुओं से भी हीन होते हैं।

प्रश्न 4.
रहीम का मानना है कि व्यक्ति को अपनी पीड़ा छिपाकर रखनी चाहिए, ऐसा क्यों?
उत्तर-
रहीम का मानना है कि व्यक्ति को अपने मन की पीड़ा छिपाकर रखनी चाहिए, क्योंकि सहानुभूति और मदद पाने की अपेक्षा से हम अपनी पीड़ा दूसरों के सामने प्रकट तो कर देते हैं परंतु लोग हमारी मदद करने के बजाय हँसी उड़ाते हैं।

प्रश्न 5.
‘रहिमन देखि बड़ेन को … दोहे में मनुष्य को क्या संदेश दिया गया है? इसके लिए उन्होंने किस उदाहरण का सहारा लिया है?
उत्तर-
‘रहिमन देखि बडेन को …’ दोहे में मनुष्य को यह संदेश दिया गया है कि बड़े लोगों को साथ पाकर छोटे-लोगों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। छोटे लोगों का काम बड़े लोग उसी प्रकार नहीं कर सकते हैं जिस प्रकार सुई का काम तलवार नहीं कर सकती है।

प्रश्न 6.
‘अवध नरेश’ कहकर किसकी ओर संकेत किया गया है? उन्हें चित्रकूट में शरण क्यों लेनी पड़ी?
उत्तर-
‘अवध नरेश’ कहकर श्रीराम की ओर संकेत किया गया है। उन्हें चित्रकूट में इसलिए शरण लेनी पड़ी, क्योंकि वे अपने पिता के वचनों के पालन के लिए लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास जा रहे थे। वनवास को कुछ समय उन्होंने चित्रकूट में बिताया था।

प्रश्न 6.
रहीम ने मूल को सींचने की सीख किस संदर्भ में दी है और क्यों?
उत्तर-
कवि रहीम ने मनुष्य को यह सीख दी है कि वह तना, पत्तियाँ, शाखा, फूल आदि को पानी देने के बजाय उसकी जड़ों को ही पानी दे। इससे पौधा खूब फलता-फूलता है। यह सीख कवि ने एक बार में एक ही काम पर मन लगाकर परिश्रम करने के संदर्भ में दी है।

प्रश्न 7.
नट किस कला में पारंगत होता है? रहीम ने उसका उदाहरण किसलिए दिया है?
उत्तर-
नट कुंडली मारकर अपने शरीर को छोटा बनाने की कला में पारंगत होता है। रहीम ने उसका उदाहरण दोहे की विशेषता बताने के संदर्भ में दिया है। दोहा अपने कम शब्दों के कारण आकार में छोटा दिखाई देता है परंतु वह अपने में गूढ अर्थ छिपाए होता है।

प्रश्न 8.
व्यक्ति को अपने पास संपत्ति क्यों बचाए रखना चाहिए? ऐसा कवि ने किसके उदाहरण द्वारा कहा है?
उत्तर-
व्यक्ति को अपने पास संपत्ति इसलिए बचाए रखना चाहिए क्योंकि उसकी अपनी संपत्ति ही विपत्ति में उसके काम आती है। इसके अभाव में अपना कहलाने वाले भी काम नहीं आते हैं। कवि ने इसके लिए जलहीन कमल और सूर्य का उदाहरण दिया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आज की परिस्थितियों में रहीम के दोहे कितने प्रासंगिक हैं? किन्हीं दो उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रहीम द्वारा रचित दोहे नीति और आदर्श की शिक्षा देने के अलावा मनुष्य को करणीय और अकरणीय बातों का ज्ञान देते हुए कर्तव्यरत होने की प्रेरणा देते हैं। समाज को इन बातों की अपेक्षा इन दोहों के रचनाकाल में जितनी थी, उतनी ही। आज भी है। आज भी दूसरों का दुख सुनकर समाज उसे हँसी का पात्र समझता है। इसी प्रकार अपने पास धन न होने पर व्यक्ति की सहायता कोई नहीं करता है। ये तथ्य पहले भी सत्य थे और आज भी सत्य हैं। अत: रहीम के दोहे आज भी पूर्णतया प्रासंगिक हैं।

प्रश्न 2.
रहीम ने अपने दोहों में छोटी वस्तुओं का महत्त्व प्रतिपादित किया है। इसे सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि रहीम को लोक जीवन का गहरा अनुभव था। वे इसी अनुभव के कारण जीवन के लिए उपयोगी वस्तुओं की सूक्ष्म परख रखते थे। उन्होंने अपने दोहे में मनुष्य को सीख दी है कि वह बड़े लोगों का साथ पाकर छोटे लोगों की उपेक्षा और तिरस्कार न करें, क्योंकि छोटे लोगों द्वारा जो कार्य किया जा सकता है, वह बड़े लोग उसी प्रकार नहीं कर सकते हैं; जैसे सुई की सहायता से मनुष्य जो काम करता है उसे तलवार की सहायता से नहीं कर सकता है। सुई और तलवार दोनों का ही अपनी-अपनी जगह महत्त्व है।

प्रश्न 3.
पठित दोहे के आधार पर बताइए कि आप तालाब के जल को श्रेष्ठ मानते हैं या सागर के जल को और क्यों?
उत्तर-
रहीम ने अपने दोहे में सागर में स्थित विशाल मात्रा वाले जल और तालाब में स्थित लघु मात्रा में कीचड़ वाले जल का वर्णन किया है। इन दोनों में मैं भी तालाब वाले पानी को श्रेष्ठ मानता हूँ। यद्यपि समुद्र में अथाह जल होता है, परंतु उसके किनारे जाकर भी जीव-जंतु प्यासे के प्यासे लौट आते हैं। दूसरी ओर तालाब में स्थित कीचड्युक्त पानी विभिन्न प्राणियों की प्यास बुझाने के काम आता है। अपनी उपयोगिता के कारण यह पंकिल जल सागर के खारे जल से श्रेष्ठ है।

 

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हमें अपने मन की व्यथा को दूसरों के सामने प्रकट क्यों नहीं करना चाहिए?

Answer: हमें अपना दुख दूसरों के सामने नहीं प्रकट करना चाहिए क्योंकि इससे लोगों को हमारी कमजोरी का पता चल जाता है और वक्त बेवक्त वे हमारी ही समस्या के बारे में हमसे बातें करके हमारे दुख को और भी दोगुना कर देते हैं।

हमें अपने मन की व्यथा दूसरों को क्यों नहीं बतानी चाहिए कोई चार वाक्य लिखिए?

अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है? हमें अपना दु ख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसार उसका मजाक उड़ाता है। हमें अपना दुःख अपने मन में ही रखना चाहिएअपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।

रहीम के अनुसार अपनी व्यथा दूसरों को क्यों नहीं बतानी चाहिए?

Answer. Answer: रहीम के अनुसार अपनी व्यवस्था इसलिए नहीं कहनी चाहिए क्यूंकि वे हमारी व्यवस्था को सुनकर हमारे सामने तो नाटक करेंगे और बाद में हमारा मजाक उड़ाएं जी। वे हमारे दुख को बात भी नहीं सकते है।

प्रेम का धागा टूटने पर वह पहले जैसा क्यों नहीं रहता?

Question 1: प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता? उत्तर: जैसे टूटे हुए धागे को जोड़ने से उसमें गाँठ पड़ जाती है और वह पहले की तरह नहीं हो पाता, उसी तरह से रिश्ते के टूटने के बाद रिश्तों को फिर जोड़कर पहले की तरह नहीं बनाया जा सकता।