हल्दी घाटी की कहानी क्या है राजपूतों ने छोड़ साथ महाराणा प्रताप ने संभाली कमान महाराणा प्रताप का जीवन धीरबाई का बेटा जगमाल सिंह ग्वालियर के राम सिंह और महाराणा प्रताप के नाना अखेराज सोनगरा को पता चला कि जगमाल महल में हैं और उनके अभिषेक की तैयारी चल रही है। दोनों राजमहल पहुंचे और जगमाल को गद्दी से हटा दिया। जिसके बाद महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक कराया गया। महाराणा प्रताप के सत्ता संभालने के चार साल बाद मुगल और राजपूत आमने-सामने आए। अकबर दिल्ली से चलकर अजमेर आया, उसने महाराणा प्रताप के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए मान सिंह के नेतृत्व में एक बड़ी सेना गोगुंदा की तरफ रवाना की। इस सेना ने राजसमंद के मोलेला में अपना डेरा डाला। दूसरी तरफ महाराणा प्रताप के नेतृत्व में मेवाड़ की सेना लोशिंग में डेरा डाले हुए थी। किसकी हुई थी जीत Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें हल्दीघाटी के युद्ध में पराजय किसकी हुई थी?हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप का समर्थन करने वाले घुड़सवारों और धनुर्धारियों और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लडा गया था जिसका नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था। इस युद्ध में महाराणा प्रताप को मुख्य रूप से भील जनजाति का सहयोग मिला ।
महाराणा प्रताप की सेना कौन थी?महाराणा प्रताप ने लगभग 3,000 घुड़सवारों और 400 भील धनुर्धारियों के बल को मैदान में उतारा। मुगलों का नेतृत्व आमेर के राजा मान सिंह ने किया था, जिन्होंने लगभग 5,000-10,000 लोगों की सेना की कमान संभाली थी।
हल्दीघाटी का युद्ध कब तक चला?जयपुर। हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था।
महाराणा प्रताप ने कितने युद्ध लड़े थे?मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने कई प्रयास किए।
महाराणा प्रताप ने भी अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं किया था। अजमेर को अपना केंद्र बनाकर अकबर ने प्रताप के विरुद्ध सैनिक अभियान शुरू कर दिया। महाराणा प्रताप ने कई वर्षों तक मुगलों के सम्राट अकबर की सेना के साथ संघर्ष किया।
|