पेठा उत्तर भारत की एक पारदर्शी नरम मिठाई है। आमतौर पर आयताकार या बेलनाकार आकृति का यह व्यंजन, एक विशेष सब्जी, सफ़ेद लौकी (या सफेद कद्दू, या बस पेठा) से बनाया जाता है। आगरा नगर से संबंधित होने के कारण इसे अक्सर आगरा का पेठा भी कहा जाता है। बढ़ती मांग और नवाचार के साथ, मूल रूप में तैयार पेठे की अनेक किस्में विकसित हो चुकी हैं। अनेक स्वादिष्ट प्रकार उपलब्ध हैं, जैसे कि केसर पेठा, अंगूरी पेठा आदि। सामग्री के आधार पर कुछ अन्य बदलाव किए जाते हैं, उदाहरणतः नारियल के साथ एक मिश्रित, या केवड़ा सार पेठा को स्वादिष्ट व सुगंधित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।[1] इतिहास[संपादित करें]ऐसा कहा जाता है कि पेठे ने मुगल सम्राट शाहजहां की रसोई में जन्म लिया था। [2] मूल रूप से आगरा में निर्मित होने के कारण यह आगरा का पेठा के नाम से स्थानीय मिठाई प्रमाणित होता है।[3] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पेठा, कुम्हड़ा या कुष्माण्ड (अंग्रेज़ी:winter melon ; वानस्पतिक नाम : बेनिनकेसा हिस्पिडा (Benincasa hispida)), एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां १-२ मीटर तक के फल देती हैं।[1] इसकी अधिकांश खेती भारत सहित दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इससे भारत में एक मिठाई भी बनती है, जिसे पेठा (मिठाई) ही कहते हैं। कुष्मांड या कूष्मांड का फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा, कुम्हड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका लैटिन नाम 'बेनिनकेसा हिस्पिडा' (Benincasa hispida) है। यह लता वार्षिकी, कठिन श्वेत रोमों से आवृत 5-6 इंच व्यास के पत्तों वाली होती है। पुष्प के साथ अंडाकार फल लगते हैं। कच्चा फल हरा, पर पकने पर श्वेत, बृहदाकार होता है। यह वर्षा के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को क्षेत्रकुष्मांड, भतुआ या कोंहड़ा कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में हरा, पर पकने पर पीला हो जाता है। कुष्मांड खेतों में बोया जाता अथवा छप्पर पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। कुष्मांड भारत में सर्वत्र उपजता है। उपयोग[संपादित करें]आयुर्वेद में यह लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, अपस्मार, रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है। इसके सभी भाग-फल, रस, बीज, त्वक् पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं। इसके मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं। इसके फल में जल के अतिरिक्त स्टार्च, क्षार तत्व, प्रोटीन, मायोसीन शर्करा, तिक्त राल आदि रहते हैं। कुष्मांड के फलों के खाद्य अंश के विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं आर्द्रता 94.8; प्रोटीन 0.5; वसा (ईथर निष्कर्ष) 0.1; कार्बोहाइड्रेट 4.3; खनिज पदार्थ 0.3;कैल्सियम 0.1; फास्फोरस 0.3% लोहा 0.6 मि.ग्रा./,100 ग्र. विटामिन सी, 18 मिग्रा. या 100 ग्रा.।कुम्हड़ा के बीजों का उपयोग खाद्य पदार्थों के रूप में किया जाता है। इसके ताजे बीज कृमिनाशक होते हैं। इसलिए इसके बीजों का उपयोग औषधि के रूप में होता है। इसे झारखण्ड/बिहार में जेठ महीना के आरंभ होने से पहले धुला हुआ उरद दाल, थोड़ा चना दाल, गर्म मसाला, के साथ कद्दूकस किया हुआ कुष्मांड (भतुआ) को मिला कर तेज धुप में सुखा कर अदौरी (बड़ी) बनाया जाता है। जिसे सालभर डब्बाबंद रख कर लोग खाते हैं। क्षेत्रीय नाम[संपादित करें]
दीर्घा[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पेठा कितने प्रकार के होते हैं?कुम्हड़ा से बनी पेठा मिठाई
आगरा क्षेत्र में जहां ताजमहल है वहीं इस मिठाई को एक अलग पहचान भी मिली है. आगरे का पेठा न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में मशहूर है. पेठे की मिठाई कई स्वाद और खुशबू में मिलती है, जिसमें से अंगूरी पेठा, नारियल पेठा, सूखा पेठा व काजू पेठा वगैरह इसकी कुछ खास वैरायटी होती हैं.
खाली पेट पेठा खाने से क्या होता है?वहीं, अगर आप रोज़ाना सुबह खाली पेट सफेद पेठे का जूस पीते हैं, तो इससे आपका शरीर डिटॉक्स होता है, जिससे काफी लाभ मिलते हैं। सफेद पेठे में कैलोरी की बेहद कम मात्रा होती है और पानी काफी ज़्यादा होता है। ऐसे में इसका सेवन तेज़ी से वज़न घटाने में मददगार साबित होता है।
सफेद पेठा क्या है?What Is Safed Petha, Its Benefits And Recipe: पेठा सिर्फ एक मिठाई ही नहीं एक सब्जी भी है. इसे हम व्हाइट पंपकिन, एश गार्ड, वैक्स गार्ड या सफेद कद्दू भी बोलते हैं. जो बाहर से हरा और अंदर से सफेद होता है. यह ज्यादा पॉपुलर तो नहीं है लेकिन यह सब्जी, हलवा, मिठाई बनाने में कई जगहों पर उपयोग किया जाता है.
आगरा का पेठा कौन से फल से बनता है?पेठा बनाने के लिए कद्दू का इस्तेमाल किया जाता है। जी हां, कद्दू जिसे कई लोग पसंद नहीं करते उससे पेठा बनता है, लेकिन ये पीला कद्दू नहीं बल्कि सफेद कद्दू होता है जिसे स्थानीय भाषा में कुम्हड़ा या फिर पेठा भी कहा जाता है।
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