विवाह हेतु कानूनी आयु में बढ़ोतरी
यह एडिटोरियल 06/01/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Minding The Gender Gap” लेख पर आधारित है। इसमें विवाह के लिये कानूनी आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष किये जाने के पक्ष और विपक्ष में दिये जा रहे तर्कों की चर्चा की गई है। Show
संदर्भपुरुषों और महिलाओं की विवाह योग्य आयु में एकरूपता लाने के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल का प्रस्ताव निश्चित रूप से ‘सतत् विकास लक्ष्य-5’ को साकार करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है, जहाँ राष्ट्र-राज्यों से लैंगिक समानता की प्राप्ति हेतु नीति-निर्माण की अपेक्षा की गई है। लेकिन केवल अच्छा इरादा ही अनुकूल परिणामों की गारंटी तो नहीं देता। व्यापक सामाजिक समर्थन के बिना लागू किये गए कानून प्रायः अपने उद्देश्यों की पूर्ति में तब भी विफल सिद्ध होते हैं जब उनके घोषित उद्देश्य और तर्क व्यापक सार्वजनिक भलाई का लक्ष्य रखते हों। भारत और न्यूनतम विवाह योग्य आयु
विवाह योग्य कानूनी आयु बढ़ाने के पक्ष में तर्क
विवाह योग्य कानूनी आयु बढ़ाने के विपक्ष में तर्क
आगे की राह
अभ्यास प्रश्न: ‘‘यद्यपि महिलाओं की विवाह योग्य कानूनी आयु को बढ़ाना लैंगिक समानता प्राप्त करने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है, लेकिन मौजूदा नीतिगत ढाँचे और कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान देना अधिक महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिये। भारत में विवाह की कानूनी आयु क्या है 2022?उत्तर – 2022 में एक लड़की की शादी की उम्र लगभग 18 साल होनी चाहिए, क्योंकि यही वह उम्र होती है जब लड़कियां शारीरिक और भावनात्मक रूप से परिपक्वता तक पहुंच जाती हैं।
भारत में विवाह की कानूनी आयु क्या है 2021?वर्तमान कानून: हिंदुओं के लिये, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 विवाह हेतु लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित करता है।
भारत में शादी करने की उम्र क्या है?भारत में विवाह की उम्र
1978 के बाद से, शादी के लिए न्यूनतम कानूनी उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 वर्ष हो गई है।
महिलाओं की विवाह की न्यूनतम आयु क्या है?भारत में विवाह के लिए न्यूनतम आयु की परिभाषा व सीमा अलग-अलग पर्सनल ला में अलग-अलग है। हिंदू विवाह अधिनियम-1955 के अनुसार विवाह के लिए महिला की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। पुरुष के लिए यह आयु 21 वर्ष है।
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