प्राचीन कालीन भारतीय सिक्कों का इतिहास लिखिए - praacheen kaaleen bhaarateey sikkon ka itihaas likhie

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  1. पुरातात्विक स्रोतों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि 7वीं शताब्दी ई० पू० के लगभग पश्चिमी एशिया के अन्तर्गत यूनानी नगरों में सर्वप्रथम सिक्के प्रचलन में आये।
  2. वैदिक ग्रंथों में आये ‘निष्क‘ और ‘शतमान‘ का प्रयोग वैदिक काल में सिक्कों के रूप में भी होता था।
  3. भारत में धातु के सिक्के सर्वप्रथम गौतमबुद्ध के समय में प्रचलन में आये, जिसका समय 500 ई० पू० के लगभग माना जाता है।
  4. बुद्ध के समय पाये गये सिक्के’ आहत सिक्के‘ (Punch Marked) कहलाये। इन सिक्कों पर पेड़, मछली, साँड़, हाथी, अर्द्धचंद्र आदि की आकृति बनी होती थी। ये सिक्के अधिकांशतः चाँदी के तथा कुछ ताँबे के बने होते थे। ठप्पा मार कर बनाये जाने के कारण इन सिक्कों को ‘आहत सिक्का’ कहा गया।
  5. आहत सिक्कों का सर्वाधिक पुराना भण्डार पूर्वी उत्तर प्रदेश और मगध से प्राप्त हुआ है।
  6. मौर्यकाल में सोने के सिक्के के रूप में ‘निष्क’ तथा ‘सुवर्ण’ का, चाँदी के सिक्के के रूप में ‘कार्षापण’ या ‘ धरण’ का, ताँबे के सिक्के के रूप में ‘मापक’ तथा ‘काकण’ का प्रयोग होता था।
  7. भारत में सर्वप्रथम भारतीय यूनानियों ने सोने के सिक्के जारी किये।
  8. सोने के सिक्के सर्वप्रथम बड़े पैमाने पर कुषाण शासक कडफिसस द्वितीय द्वारा चलाये गये।
  9. कनिष्क ने अधिक मात्रा में ताँबे के सिक्के जारी किये।
  10. मौर्योत्तर काल में सोने के निष्क, सुवर्ण तथा पल, चाँदी का शतमान, ताँबे का काकिनी सिक्का प्रचलन में था।
  11. चार धातुओं सोना, चाँदी, ताँबा तथा सीसे के मिश्रण से ‘कार्षापण’ सिक्का बनाया जाता था।
  12. गुप्तकाल में सर्वाधिक सोने के सिक्के जारी किये गये परन्तु इनकी शुद्धता पूर्वकालीन कुषाणों के सिक्के की तुलना में कम थी।
  13. गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के ‘दीनार’ कहे जाते थे। दैनिक लेन-देन में ‘कौड़ियों का प्रयोग किया जाता था।
  14. कुषाणकालीन सोने के सिक्के 124 ग्रेन के तथा गुप्तकालीन स्वर्ण सिक्के 144 ग्रेन के होते थे।
  15. सोने, चाँदी, ताँबा, पोटिन तथा काँसा द्वारा बने सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल में जारी किये गये।
  16. 650 ई० से 1000 ई० के बीच सोने के सिक्के प्रचलन से बाहर हो गये।
  17. 9 वीं सदी में प्रतिहार शासकों के कुछ सिक्के मिलते हैं। 7 वीं सदी से 11 वीं सदी के मध्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, एवं गुजरात में ‘गधैया सिक्के‘ पाये गये। इन सिक्कों पर अग्निवेदिका का चित्रण है।
  18. ग्रीक शासकों के ड्रामा तांबे के सिक्कों के तर्ज पर प्रतिहार एवं पाल शासकों ने चांदी ‘द्रम्म’ सिक्के जारी किये।

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प्राचीन कालीन भारतीय सिक्कों का इतिहास क्या है?

भारत में धातु के सिक्के सर्वप्रथम गौतमबुद्ध के समय में प्रचलन में आये, जिसका समय 500 ई० पू० के लगभग माना जाता है। बुद्ध के समय पाये गये सिक्के' आहत सिक्के' (Punch Marked) कहलाये। इन सिक्कों पर पेड़, मछली, साँड़, हाथी, अर्द्धचंद्र आदि की आकृति बनी होती थी। ये सिक्के अधिकांशतः चाँदी के तथा कुछ ताँबे के बने होते थे।

प्राचीन कालीन भारतीय सिक्कों का क्या महत्व है?

सिक्के पिछले राज्यों और शासकों के सामाजिक-राजनीतिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक पहलुओं को समझने में मदद करते हैं। वे तारीखों को निर्धारित करने के लिए पुरातत्व में भी काफी मदद करते हैं। धार्मिक इतिहास के क्षेत्र में, भारतीय सिक्के समान रूप से पर्याप्त भूमिका निभाते हैं।

सिक्कों का प्रचलन भारत में कब हुआ?

भारत में जब आया सिक्का साल 1950 में पहला सिक्का ढाला गया था. भारत साल 1947 में आजाद हुआ लेकिन ब्रिटिश सिक्के साल 1950 तक देश में चलन में थे, उसी समय भारत में सिक्कों का प्रचलन हुआ था. 1 रुपया 16 आना या 64 पैसे का मिलकर बनता था. 1 आना मतलब 4 पैसा होता था.

प्राचीन भारत का सबसे पुराना सिक्का कौन था?

दोस्तों हमारे भारत का सबसे पुराना सिक्का पंच चिन्हित सिक्का है इसको पुराण करशापान या पान भी कहा जाता है ! इस सिक्के को छठी शब्ताब्दी में बनाया गया था !