हुगली को विश्वासघाती नदी क्यों कहा जाता है? - hugalee ko vishvaasaghaatee nadee kyon kaha jaata hai?

नदी अपवाह क्षेत्र
**************
भारत के नदी तंत्र को मुख्य रूप से दो तथा सामान्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता हैं।
(1) बंगाल की खाड़ी का नदी तंत्र
(2) अरब सागर का नदी तंत्र
(3) अंतरिक (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान)
(1) बंगाल की खाड़ी का नदी तंत्र:- बंगाल की खाड़ी से गिरने वाली नदियों को उद्गम की दृष्टि से
दो भागों में बांटा जाता हैं।
(A) हिमालय से निकलकर बंगाल की खाड़ी में।
(B) प्रायद्विपीय पठार से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों।
(C) हिमालय:- बंगाल की खाड़ी, गंगा, ब्रहृमपुत्र, यमुना, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक, कोसी।
(1) गंगा: –
गौमुख (गंगोत्री) ग्लेशियर, इसका उद्गम स्थल हैं उत्तरांचल में स्थित। गंगा नदी वास्तव में भागीरथी और
अलकनंदा का सम्मिलित रूप हैं। टिहरी बांध, भागीरथी पर हैं। अलकनंदा व भागीरथी का संगम देवप्रयाग नामक
स्थान पर होता हैं। देवप्रयाग के बाद इसे गंगा कहते हैं, देवप्रयाग से पहले इसे भागीरथी कहते हैं।
गंगा का बहाव:-
उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल व बंगाल की खाड़ी के जाकर गिरती हैं। पश्चिम बंगाल में
इसकी एक शाखा बंगलादेश में जाती हैं जिसे पद्मा कहते हैं। पष्चिम बंगाल में गंगा को हुगली कहते हैं।
हुगली का मुहाना विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा हैं। जिसे सुन्दरवन का डेल्टा कहते हैं।
इस क्षेत्र में सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं। ये ज्वारीय वन हैं। हुगली नदी को विश्वासघाती नदी कहते हैं।
(विश्व की सबसे अधिक)। कलकत्ता हुगली नदी के किनारे स्थित एक बंदरगाह हैं। जिसे पूर्व का लंदन कहते हैं।
गंगा की सहायक नदी:-
– (उत्तर दिशा से) बांयी ओर से मिलने वाली सहायक नदियां रामगंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक, कोसी।
– रामगंगा:- नैनीताल के पास कुमायु की पहाड़ी से निकलती हैं।
– गोमती:- पीली भीत (नेपाल) सें
– शारदा (काली):- नेपाल के हिमालय से निकलती हैं।
– घाघरा:- नेपाल हिमालय से निकलती हैं। (सहायक नदियां राप्ती व शारदा)
– गण्डक:- नेपाल के उत्तर में तिब्बत व नेपाल की सीमा से निकलती हैं। नेपाल में इसको नारायणी कहते
हैं।
– कोसी:- तिब्बत वे नेपाल की सीमा से ये नदी बाढ़ के लिये जानी जाती हैं। बिहार का शोक कहलाती हैं।
दांयी ओर से मिलने वाली नदियां:-

(1) यमुना:- गंगा की सबसे महत्वपूर्ण व सहायक नदी जो उत्तराखंड से यमनोत्री ग्लेशियर से नकलती हैं।
बहाव:- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, इलाहबाद में गंगा में मिलती हैं। गंगा की सबसे बड़ी सहायक
नदी जिसकी लम्बाई 1300 कि.मी. हैं। चंबल (बेतवा, केन, सोन) यमुना में दायंी ओर से मिलने वाली सहायक
नदियां हैं। ये तीनो मध्य प्रदेश में बहती हैं (चम्बल के अलावा)।
(2) ब्रहृमपुत्र नदी:- तिब्बत के कैलाश पर्वत में मानसरोवर झील से निकलती हैं।
बहाव:- तिब्बत से अरूणाचल प्रदेश, असम, बंग्लादेश, तिब्बत में इसे सांगकों, अरूणाचल प्रदेश में दिहागें, असम
में ब्रहृमपुत्र, बांग्लादेश में जमुना, मेघना, व पद्मा। (जमुना व मेघना बांग्लादेश की दो नदियां हैं। पद्मा-
बांग्लादेश में गंगा का ही एक नाम है।)
ब्रहृमपुत्र की सहायक नदियां:- सुबनसिरी, कामेरा, मानस, मोरा, गंगाधर, धनसिरी कोनार, कालंग, बुड़ी दिहांग
– झारखण्ड = खनिजो का अजायबघर
– ब्रहृमपुत्र की लम्बाई = 2960 किलोमीटर/ 2900 किलोमीटर
– माजुली:- असम में ब्रहृमपुत्र नदी में स्थित विष्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप जो वैष्णव धर्म का तीर्थ
स्थल हैं। गंगा, ब्रहृपुत्र दोनों नदियां मिलकर डेल्टा बनाती हैं। जिसे वुगल डेल्टा कहते हैं।
प्रायद्वीपीय पठार से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां:-
(1) महानदी:-
– इसका उद्गम स्थल छत्तीसगढ़ में रायपुर से होता हैं।
– छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में बहती हैं।
– इसकी लम्बाई 2500 किलोमीटर हैं।
– सहायक नदियां:-
बांयी ओर से मिलने वाली सहायक नदियां:-
(A) शिवनाथ (B) हसदेव (C) माडेब
दांयी ओर से मिलने वाली सहायक नदियां:-
(A) जौग (B) ओग (C) टेल
इस नदी में पूर्व में बाढ़ आती थी, वर्तमान में इस नदी पर हिराकुंड बांध बना हुआ हैं, इसलिये बाढ़ नही आती।
(2) दामोदर नदी:-
– झारखण्ड में छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती हैं। झारखण्ड व पश्चिम बंगाल में बहती हैं।
– इसकी लम्बाई 540 किलोमीटर हैं।
– पहले ये बंगाल का शोक कहलाती थी क्योंकि इसमं बंगाल में बाढ़ आती थी।
– पश्चिम बंगाल मं इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना स्थापित करने के बाद बाढ़ की समस्या नहीं रहीं।
यह परियोजना भारत की पहली बहुउद्देश्ययी परियाजना थी।

– बहुउद्देश्ययी परियोजना अमेरिका की टेनेसी नदी घाटी योजना से प्रेरित हैं।
– सहायक नदिया:- गारटस, बाराकर, जमुनिया, कोनार
(3) गोदावरी:-
– इसका उद्गम महाराष्ट्र के नासिक के पास महादेव की पहाड़ियों यंम्बकेश्वर (शिव मंदिर) से होता हैं।
– यह महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश में बहती हुई बंगाल की खाड़ी मंे गिरती हैं, दक्षिण भारत की सबसे
लंबी नदी हैं।
– इसकी लम्बाई 1465 या 1450 किलोमीटर हैं।
– दक्षिण भारत की अपवाह की दृष्टि से सबसे चौड़ी नदी हैं।
– इसे दक्षिण भारत की बोड़ी गंगा (दक्षिण गंगा) भी कहते हैं।
– प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी हैं (पूर्व की तरफ)।
– इस नदीं पर आंध्रप्रदेश में ‘निजाम सागर’ बांध हें।
सहायक नदियां:-
(A) पेन गंगा (B) बेन गंगा (C) इंद्रावती
(D) वरदा (E) वर्धा (F) प्राणहिता
(G) प्रवरा (H) पूरना (I) झवरी
(J) मनेर
(4) कृष्णा:-
– यह कर्नाटक में त्रयबंकोट की पहाड़ियों से निकलती हैं व महाराष्ट्र का महाबलेश्वर से होती हैं।
– इसकी लम्बाई 1400 किलोमीटर हैं।
– इसका बहाव महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में होता हैं।
– अपवाह की दृष्टि से दूसरी सबसे बड़ी नदी हैं।
सहायक नदियां:-
(A) भीमा (B) तुंगभद्रा (C) घाट प्रभा
(D) माल प्रभा (E) मुसी (F) कोयना
(5) कावेरी:-
– इसका उद्गम कर्नाटक में ब्रहृमगिरी की पहाड़ियों से निकलती हैं।
– इसकी लम्बाई 800 किलोमीटर हैं।
– इसका बहाव केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु में होता हैं।
सहायक नदियां:-
(A) हेरंगी (B) हेमवती (C) अमरावती
(D) भवानी (E) सिमसा (F) कबानी
– कावेरी को दक्षिण की गंगा कहते हैं।
– कावेरी नदी के किनारे स्थित कुंभकोणम में कुंभ का मेला लगता हैं।
अरब सागर में गिरने वाली नदियां
हिमालय से निकलकर अरब सागर में गिरने वाली नदियां
(1) सिंधु (2) झेलम (3) चेनाब
(4) रवि-व्यास (5) सतलज
(1) सिंधु:-
– इसका उद्गम तिब्बत से मानसरोवर के पष्चिमी भाग में जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान में बहते हुयें अरब सागर
में गिरती हैं।
– इसकी लम्बाई भारत में 709 किलोमीटर हैं।
– इसकी कुल लम्बाई 2880 किलोमीटर हैं।
– इसका अपवाह क्षेत्र 11 लाख 65 हजार वर्ग किलोमीटर हैं।

इसका अपवाह क्षेत्र भारत में 3 लाख 21 हजार 200 वर्ग किलोमीटर हैं।
सहायक नदियां:-
दायी ओर से मिलने वाली नदियां
(A) जास्कर (B) अस्तर (C) श्योक
(D) काबूल (E) गिलगिट (F) कुर्रम
(G) द्रास (H) स्वात
बायीं ओर से मिलती हैं।
(A) झेलम (B) चेनाब
(C) रावि-व्यास (D) सतलज
– यूनानी, सिंधु नदी को इण्डस कहते हैं।
(2) झेलम
– इसका वैदिक नाम वितस्ता हैं।
– इसका उद्गम जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल श्रेणी में वेरीनावा झील से होता हैं।
– इसकी कुल लम्बाई 724 किलोमीटर हैं।
– भारत में इसकी लम्बाई 400 किलोमीटर हैं।
– यह कश्मीर की प्रमुख नदी हैं, कष्मीर घाटी में बहती हैं। वुलर झील में गिरती हैं।
– पाकिस्तान में सतलुज में मिलती हैं।
(3) चेनाब नदी:-
– इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश में कुल्लु की पहाड़ियों से होता हैं।
– सिंधु की सहायक नदियों में सबसे बड़ी नदी हैं।
– इसकी कुल लम्बाई 1800 किलोमीटर हैं।
– हिमाचल प्रदेश के चंबा के पास, पीरपंजाल की पहाड़ियां से होकर बहते हुये पाकिस्तान में सिंधु में
मिलती हैं।
(4) रावि नदी:-
– यह हिमाचल प्रदेश में कुल्लु की पहाड़ियों से निकलती हैं।
– इसकी लम्बाई 725 किलोमीटर हैं।
– पाकिस्तान मंे ये चेनाब में मिलती हैं।
(5) व्यास नदी
– यह कुल्लु की पहाड़ियों के पास रोहतांग दर्रे से निकलती हैं।इसकी लम्बाई 460 किलोमीटर हैं।
– यह सम्पूर्ण रूप से भारत में बहती हैं।
– यह पंजाब में सतलज में मिलती हैं।
– राजस्थान को पानी इंदिरा गांधी नहर के द्वारा व्यास नदी से मिलता हैं।
(6) सतलज नदी
– यह राकस ताल झील से (तिब्बत में कैलाश की पहाड़ियों से) निकलती हैं।
– इसकी लम्बाई भारत में 1050 किलोमीटर हैं।
– हिमाचल प्रदेश व पंजाब में बहती हैं।
– पाकिस्तान में सिंधु नदी में मिलती हैं।
– यह सिंधु की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी हैं।
– सिंधु, सतलज, ब्रहृमपुत्र पूर्ववर्ती नदियां हैं (ये नदियां हिमालय निर्माण से पहले भी उसी रास्ते पर
बहती थी जैसे आज बहती हैं। इसलिये ये नदियां गॉर्ज बनाती हैं)
– परवर्ती :- जो हिमालय के निर्माण के बाद से बहती हैं।
– सतलज नदी शिप-की-ला दर्रे से होकर हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती हैं।
प्रायद्विपीय पठार से अरब सागर में
(1) नर्मदा नदी

इसका उद्गम स्थल विन्ध्याचल प्रदेश में अमरकण्टक से हैं।
– विशेषतायें:-
> नर्मदा पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी हैं।
> तापी पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली दूसरी सबसे लंबी नदी हैं।
> दोनो नदियां भंरश/दरारी घाटी में बहती हैं।
> दोनो नदियां सीधी रेखा में बहती हैं।
> भारत की अन्य नदियों की विपरित दिशा में बहती हैं। (पूर्व से पश्चिम)।
> दोनो नदियां डेल्टा नहीं बनाती, इस्चुरी बनाती हैं। जब कोई नदी अलग-अलग धाराओं में ना गिरकर एक
धारा में गिरे तो उसे इस्चुरी कहते हैं।
(2) पेरियार:- केरल की प्रमुख नदी, केरल में बहती हैं और अरब सागर मं गिरती हैं।
आंतरिक अपवाह तंत्र
(1) घग्घर (2) हिन्डन (3) कांतली
(4) कांकनी/कग्नेय (5) रूपारेल (6) साबी
ऐसी नदियां जो सागर में ना गिरकर लुप्त हो जायें।
सिंचाई व बहुउद्देशीय परियोजनायें
वे परियोजनायें जिसमं सिंचाई की सुविधा के अलावा निम्न उद्देश्यों की पूर्ति करे उसे बहुउद्देश्यीय
परियोजना कहते हैं।
> बाढ़ नियंत्रण > पेय जल आपूर्ति > विद्युत उत्पादन
> चारगाह > विकास > मछली पालन
> वनीकरण/वृक्षारोपण > पर्यटन
सिंचाई की दृष्टि से परियोजनाओं को तीन भागों में बांटा जाता हैं:-
(1) लघु सिंचाई परियोजना:-
ऐसी योजना जिससे 2000 हेक्टेयर से कम क्षेत्र में सिंचाई होती हैं। भारत मे 62 % सिंचाई आपूर्ति लघु
सिंचाई परियोजना से होती हैं।
(2) मध्यम सिंचाई परियोजना:-
2000-10,000 हेक्टयर की सिंचाई, ऐसी सिंचाई परियोजना में नहरी सिंचाई प्रमुख होती हैं।
(3) वृहत् सिंचाई परियोजना:-
10,000 हेक्टयर से अधिक की सिंचाई। इसमें बांधों का येागदान सर्वाधिक होता हैं। देश की 18 % सिंचाई
इसी से होती हैं।
> शारदा परियोजना:- घाघरा पर (उत्तर प्रदेश) में सिंचाई हेतु।
> रामगंगा परियोजना:- सिंचाई व विद्युत परियोजना। यह उत्तरप्रदेश से संबधित हैं।
> बाण सागर परियोजना:- यह मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार में सोन नदी पर स्थापित एक सिंचाई
परियोजना हैं।
> भारत में सर्वप्रथम जल विद्युत परियोजना शिवसमुन्द्रम में 1902 में शुरू हुयी थी।
दामोदर नदी घाटी परियोजना

– तिल्यथा, मेथन त्र बराव, कोनार त्र कोनार, पंचेत त्र दामोदर
– स्वतंत्र भारत की प्रथम परियोजना हैं। इस पर चार बांध हैं।
– इस परियोजना के अंतर्गत बाराकर, कोनार, दामोदर नदियों पर बांध बनाये गये है। ये परियोजना झारखण्ड
व पष्चिम बंगाल में फैली हुई हैं।
– अमेरिका की टेनेसी नदी परियोजना के आधार पर सन् 1948 में दामोदर नदी घाटी निगम
की स्थापना की गई थी।
– इस परियोजना में दामोदर व उसकी सहायक नदियों पर विद्युत घर और बांध बनाये गयें हैं।
– इस परियोजना से झारखण्ड, पश्चिम बंगाल व बिहार के उद्योगों को बिजली, पानी प्राप्त होता हैं।
– मृदा अपरदन की रोकथाम, वनों का विकास, मत्स्य पालन, उद्योगो को जल हेतु इसका उपयोग होता हैं।
(व्यापारिक दृष्टि से परिवहन नहीं होता हैं)
भांखड़ा नांगल परियोजना (1963)
– यह सतलज नदी पर स्थापित परियोजना हैं। जो हिमाचल प्रदेश व पंजाब के बीच स्थित हैं।
– भांखड़ा बांध हिमाचल प्रदेश में व नांगल पंजाब में स्थित हैं।
– हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर गोविन्द सागर जलाषय (कृत्रिम झील) स्थित हैं।
– यह विश्व का सबसे ऊँचा गुरूत्व बांध हैं।
– इसकी ऊँचाई धरातल से 226 मीटर हैं।
– इस परियोजना से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली को बिजली मिलती हैं। लेकिन यह
परियोजना राजस्थान, पंजाब, हरियाणा की संयुक्त भागीदारी से निर्मित हैं।
– भांखड़ा नागल बांध को नेहरू जी ने चमत्कारी वस्तु कहा था।
– 1300 डट विद्युत उत्पादन, सिंचाई केवल हिमाचल प्रदेष में तथा विद्युत का उपयोग पंजाब, हरियाणा,
राजस्थान करता हैं।
– इस पर तीन विद्युत उत्पादन संयंत्र, गंगुवाल, कोटला, रोपड़ हैं।
– चुक्का परियोजना:- सिंचाई व विद्युत उत्पादन हेतु। महान हिमालय के मध्य स्थित भारत व भूटान
की संयुक्त परियोजना।
थीन बांध परियोजना (1985)
– परियोजना पठानकोट के पास स्थापित हैं।
– यह परियोजना पंजाब में स्थित रावि नदी पर स्थापित हैं।
– इस परियोजना से सिंचाई व जल विद्युत उत्पादन होता हैं।
– इस बांध से कुछ पानी पाकिस्तान को भी दिया जाता हैं।
– इस परियोजना से 600 डट विद्युत का उत्पादन किया जाता हैं।
– रावी नदी का पानी लगभग पूरा उपयोग में आता हैं।
(1) दुल-हस्ती जल विद्युत परियोजना:-
– 600 डट जल-विद्युत उत्पादन की क्षमता, सिंचाई भी की जाती हैं।

– यह चेनाब नदी में जम्मू कश्मीर में स्थित हैं।
(2) सलाल नदी परियोजना:-
– जम्मू कश्मीर में चेनाब नदी पर।
– इससे केवल जल विद्युत उत्पादन होता हैं।
हीराकुंड परियोजना
– महानदी की सहायक नदी-तिरकपाड़ा पर हैं।
– महानदी पर उड़ीसा में स्थित सिंचाई व जल विद्युत परियोजना हैं।
– यह विश्व का सबसे लंबा बांध हैं।
रीहंद गोविन्द वल्लभ सागर बांध
– 300 डट विद्युत उत्पादन। इसके नीचे निरीक्षण करने हेतु 4 सुरंग बनाई गई हैं।
– उत्तर प्रदेश में ‘सोन’ नदी की सहायक नदी रीहंद पर स्थित हैं।
– इस बांध में जल विद्युत सिंचाई होती हैं।
– विद्युत, पानी उत्तरप्रदेश को मिलता हैं।
– यह उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के बीच स्थित हैं। यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील हैं।
व्यास परियोजना
– यह व्यास नदी पर स्थापित हैं।
– इससे पोग बांध द्वारा राजस्थान, पंजाब, हरियाण, हिमाचल प्रदेष में सिंचाई होती हैं।
– पोंग बांध मुख्य रूप से राजस्थान नहर को जलापूर्ति करता हैं,सिंचाई के लियें।
– यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की संयुक्त परियोजना हैं।
गण्डक परियोजना
– गण्डक नदी पर स्थापित हैं।
– इसका उद्देश्य बिहार में वाल्मिकी नगर में सिंचाई करना, उत्तरप्रदेश में तथा नेपाल में सिंचाई करना। यह
मुख्यतः बिहार व उत्तरप्रदेश की योजना हैं। जिससे नेपाल को भी सिंचाई व विद्युत सुविधा मिलती हैं।
कोसी परियोजना
– कोसी नदी पर विद्युत उत्पादन, सिंचाई, यातायात, मृदा संरक्षण हेतु स्थापित की गई है।
– यह बिहार व नेपाल की संयुक्त परियोजना हैं।
सरदार सरोवर
– यह नर्मदा नदी पर स्थापित परियोजना हैं।
– यह मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना हैं।
– इस नदी व इसकी सहायक नदियों पर 30 बड़े, 135 मध्यम, 3000 छोटे बांध बनाये जा रहें।
– यह विश्व की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना हैं।
– इस नदी का 86% अपवाह क्षेत्र मध्यप्रदेश में, 12 % महाराष्ट्र में, 2 % गुजरात में हैं।
– इस परियोजना में इंदा सरोवर व महेश्वर बांध प्रमुख हैं।
– इस परियेजना से 1400 डट विद्युत का उत्पादन होता हैं। सर्वांधिक बिजली मध्यप्रदेश को 57%,
महाराष्ट्र को 27 %, गुजरात को 16 % प्राप्त होती हैं।
– विवाद:-
(1) पुनर्वास की समस्या:-

इस परियोजना से 200 गांव डूब गये हैं। जिससे 1 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गये हैं।
(2) पर्यावरण असंतुलन:-
लगभग 39 हजार हेक्टर भूमि जलमग्न हो जायेगी। लगभग 14 हजार हेक्टर वन क्षेत्र, 11 हजार हेक्टर
कृषि भूमि इसी क्षेत्र में आयेगी।
(3) जनजातियों पर दुष्प्रभाव:-
गोड, भील, बेशा सर्वाधिक प्रभावित होती हैं।
(4) इस बांध की ऊँचाई 455 फीट हैं। जिसे 19 फीट कम करने का सुझाव दिया गया हैं। इसमें 30% भूमि व
40,000 लोग सुरक्षित रहेगें। जबकि गुजरात सरकार इसका विरोध कर रहीं हैं।
(5) इस परियोजना का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता निम्न हैं
> मेघा पाटकर > अरूधंती राय > अशोक सिंह > आमीर खान
नागार्जुन सागर जल विद्युत परियोजना
– कृष्णा नदी पर आंध्रपदेश में
– जल विद्युत परियोजना व सिंचाई परियोजना
तुंगभद्रा परियोजना
– कर्नाटक मे कृष्णा की सहायक नदी तुंगभद्रा पर स्थित विद्युत व सिंचाई परियोजना।
– आंध्र प्रदेश व कर्नाटक की संयुक्त परियोजना
भीमा परियोजना
– कृष्णा की सहायक नदी भीमा पर स्थित नदी (महाराष्ट्र में)
– जल विद्युत परियोजना
टाटा जल विद्युत परियोजना
– इंद्रावती नदी महाराष्ट्र मंे।
– जल विद्युत परियोजना एवं सिंचाई परियोजना हैं।
कोयना जल विद्युत परियोजना
– कृष्णा की सहायक नदी कोयना पर।
– सिंचाई व जल विद्युत परियोजना।
मंटूर परियोजना
– कावेरी नदी पर तमिलनाडु में
– यह तमिलनाडु और कर्नाटक की संयुक्त परियोजना हैं।
शिव समुन्द्रम परियोजना
– कावेरी नदी पर कर्नाटक में।
– कोलार सोने की खान को बिजली मिलती हैं।
इडूक्की परियोजना
– केरल की कक्की नदीं पर।
– विद्युत और सिंचाई परियोजना।
सरावती परियोजना
– सरावती नदी पर कर्नाटक में।
– जोग जल प्रपात का उपयोग जल विद्युत उत्पादन करने में किया जाता हैं।
माता टीला परियोजना
– बेतवा नदी पर मध्य प्रदेश में स्थित।
– उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना।
– सिंचाई व जल विद्युत परियोजना।

– इसका उद्देश्य बंगाल सरंक्षण करना हैं। इस योजना के तहत जहांगीरपुर में भागीरथी पर बैराज बनाने के
लिये और करक्कार रेल का पुल निर्माण जिससे असम व पश्चिम बंगाल शेष भारत से जुड़ जाते हैं।
उकाई परियोजना
– तापी नदी में गुजरात पर
– सिंचाई परियोजना
– पश्चिम बंगाल में मयूराक्षी नदी पर (मयूराक्षी परियोजना)।
– इसका निर्माण सिंचाई व विद्युत हेतु किया गया हैं।

Advertisement

इसे शेयर करे:

  • Twitter
  • Facebook

Like this:

पसंद करें लोड हो रहा है…

हुगली नदी को विश्व की सबसे विश्वासघाती नदी क्यों कहते हैं?

हुगली नदी (Hooghly River), जिसे भागीरथी-हुगली नदी (Bhāgirathi-Hooghly) भी कहा जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बहने वाली एक नदी है। कुछ स्रोतों में इसे गंगा नदी की वितरिका बताया जाता है। इसको विश्व का सबसे अधिक विश्वास घाति नदी कहते है। इसी के तट पर कोलकाता बन्दरगाह स्थित है।

विश्व की सबसे अधिक विश्वासघाती नदी कौन सी है?

विश्व की सर्वाधिक विश्वासघाती नदी किस नदी को माना जाता है ? - Quora. चीन की ह्वांगहो नदी को सर्वाधिक विश्वासघाती नदी माना गया है क्योंकि प्रत्येक वर्ष यह नदी अपना प्रवाह परिवर्तित करती है और विनाशकारी बाढ़ लाती है ।

गंगा नदी को हुगली क्यों कहा जाता है?

गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने के पूर्व कई शाखाओं में विभाजित हो जाती है । इनमें से एक शाखा हुगली नदी कहलाती है ।

हुगली नदी पर क्या बना है?

पश्चिम बंगाल का मुख्य पोर्ट 'कोलकाता बन्दरगाह' हुगली नदी के तट पर ही बना हुआ है, जो कि कोलकाता को समुद्र से जोड़ता है. इसकी सहायक हल्दी (कसई) नदी के तट पर हल्दिया बन्दरगाह स्थित है. वहीं हावड़ा में बना हुआ प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज भी इसी नदी के किनारे बना हुआ है.