घर की तलाश की कहानी के लेखक कौन है? - ghar kee talaash kee kahaanee ke lekhak kaun hai?

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३. घर की तलाश, , - राजेंद्र यादव, , , , , , , , अनुक्रम, , उजे, ऊैब्ट, , 3.3, , 3.4, 3.5, 3.6, 3.7, 3.8, , 3.9, , उद्देश्य, , प्रस्तावना, , विषय विवरण |, , 3.3.1 राजेंद्र यादव का परिचय, , 3.3... घर की तलाश' कहानी का परिचय, 3.3.3 घर की तलाश” का कथानक, स्वयं-अध्ययन के लिए प्रश्न, , पारिभाषिक शब्द, शब्दार्थ, , स्वयं-अध्ययन प्रश्नों के उत्तर, , सारांश, स्वाध्याय, क्षेत्रीय कार्य, , 3.10 अतिरिक्त अध्ययन के लिए।

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3.1 उद्देश्य, प्रस्तुत इकाई के अध्ययन के बाद आप1. छात्र आशावादी बन जाएँगे।, 2. छात्रों में आत्मविश्वास जागृत हो जाएगा।, 3. छात्रों के मन में अपने घर-गाँव के प्रति प्रेम जागृत हो जाएगा।, 4. छात्र माता-पिता की अहमियत समझ जाएँगे।, , 3.2 प्रस्तावना, , कहानीकार राजेंद्र यादव लिखित 'घर की तलाश” कहानी एक ऐसे लड़के की कहानी है जो, आजीवन घर की तलाश में रहता है। कहानी के नायक रामू को एक दिन जंगल में पंख, हैं और वहीं पंखों के सहारे उड़ते-उड़ते दूसरे गाँव में पहुँच जाता है। एक किसान उसे पाल, वड़ा करता है और उसकी बेटी राधा से उसकी शादी भी करा देता है;, गाँव में कतई नहीं लगता। एक दिन उसे अपने पंख छिपाने की बात याद आती है; वह राधा को, बता देता है। राधा वह पंख छिपा देती है, ताकि रामू वापस घर न जाए। लेकिन इत्तफाक से जब, वहीं पंख ड्से संदूक में मिल जाते हैं तब राधा की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हो जाता है और वह, घर छाड़ देता है। वह पंख लेकर उड़ने लगता है- अपने माता-पिता के घर की तलाश में। लेकिन, , कब कह पान है और न खुद का घर। लेकिन वह आशावादी है। उसे अपने पंखों, पर पूरा भरोसा है; जिसके सहारे वह घर की तलाश कर है।, , मिल जाते, -पोसकर, मगर उसका मन उस्र घर, 3.3 विषय विवरण, , 3.3.1 राजेंद्र यादव का परिचय, , ह के ख मा मी और आलोचक राजेंद्र यादव का जन्म, 1929 में उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में हुआ। राजेंद्र यादव को तीन भाई और 28 अगस्त,, बहनों में से एक बहन की मौत हो गई। पाँच बहलों में से दो दिल्‍ली , दो कगपुर छह बहने हैं। छह, में स्थायी हो गई। उनके परिवार के सभी सदस्य शिक्षित थे। राजेंद्र यादव की और एक अमेरिका, में हो गई। बचपन में ही नौ-दस वर्ष की उम्र में उनकी टाँग, , दृट जाने की कह बा कल उर्दू, आ गई ; जिससे वे काफी प्रभावित हुए और शारीरिक गतिविधियों से सीमित भी। हलांगता, , बा हू ले 35७७७ जज मका >यातिकीत्त र्त लेखिका

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मन्‍्नू भंडारी से राजेंद्र यादव जी का परिचय हो गया और यह परिचय प्रेम विवाह में तबदिल हो गया।, लेखन, दोनों को एक सूत्र में पिरोनेवाला धागा था। सन्‌ 1961 ई. में उन्हें एक बेटी हुई, जिनका, नाम रचना रखा गया। यह बेटी भी दोनों ही का सृजन थी। सन्‌ 1951 ई. में आगरा विश्वविद्यालय, से हिंदी साहित्य में प्रथम श्रेणी एम.ए. किया। उसके बाद वे हिंदी अध्यापन कार्य करते रहें। नौकरी, करना अपने स्वभाव से प्रतिकूल था, इसलिए वे स्वतंत्र लेखन कार्य में जुड़ गए। 28 अक्तूबर,, 2013 को दिल्ली में उनका देहावसान हो गया।, , छ कृतित्व , कहानीकार राजेंद्र यादव ने नई कहानी के नाम से हिंदी साहित्य में एक नई धार प्रवाहित, करने काय कार्य किया है। प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में 31 जुलाई, 1986 को साहित्यिक पत्रिका, हंस का पुनर्प्रकाशन किया; जिसकी स्थापना उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने सन्‌ 1930 ई. में की थी।, यह पत्रिका सन्‌ 1953 में बंद हो चुकी थी। राजेंद्र यादव जी ने उसे फिर शुरू कर आखरी दम तक, यानी तकरीबन 27 साल तक संपादन किया।, , 0०७ काव्य-संग्रह , देवताओं की मूर्तियाँ' (1951), खेल-खिलौने' (1953), जहाँ लक्ष्मी कैद है! (1957),, “अभिमन्यु की आत्मकथा (1959), छोटे-छोटे ताजमहल' (1961), “किनारे से किनारे तक, (1962), 'टूटना' (1966), 'चौखटे तोड़ते त्रिकोण' (1987), ये जो आतिश गालिब' (2008),, “यहाँ तक: पड़ाव-1, पड़ाव-2' (1989), वहाँ तक पहुँचने की दौड़, “हासिल” आदि।, , ?? उपन्यास , सारा आकाश” (1959), “उखड़े हुए लोग' (1956), 'कुलटा' (1958), 'शह और मात', (1959), 'अनदेखे अनजान पुल” (1963), 'एक इंच मुस्कान! (मन्नू भंडारी के साथ) (1963),, मंत्रविद्धा' (1967), 'एक था छैलेंद्र' (2007)।, , 9 कविता संग्रह , “आवाज तेरी है! (1960)।, , 9. आत्मकथा “हकीर कहो, फकीर कहो।'

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3.3.2 घर की तलाश” कहानी का परिचय, णजेंद्र यादव की बहुचर्चित कहानी घर की तलाश! में व्यक्ति के मन में जात के प्रति, लगाव और घर के आकर्षण को रेखांकित करती है। कहानी का नायक घर से दूर गया है। पर अनेक, सालों के बाद उसे घर की तलाश है और वह उस दिशा में अग्रसर है।, , 3.3.3 'घर की तलाश का कथानक, धघर की तलाश' कहानी सुप्रसिद्ध रचनाकार राजेंद्र यादव लिखित 'प्रतिहिंसा' कहानी संग्रह से, ली गई है। गाँव के किसान परिवार का एक लड़का रामू प्रस्तुत कहानी का नायक है। उस किसान, के पास खेत, बैल, मकान सबकुछ था। रामू खेलता था, पढ़ता था और मन में आए तो थोडा बहुत, काम भी किया करता था। उसी गाँव के बूढ़े हीरा उस रामू को बचपन की कहानियाँ सुनाया करते, थे। कहानियाँ सुनकर रामू का मन सोचा करता कि वह हीरा, जैसा खूब घूमे, जंगल, पहाड़, नदी, और समुद्र देखे। चीलों को उड़ते देख वह सोचता कि यदि उसे पंख होते तो वह भी दिनभर आकाश, में सैर कर शाम को वापस लौट आता।, , एक दिन रामू सुबह-सुबह नहर किनारे भटकते-भटकते काफी दूर चला गया। थककर वह एक, पेड़ के नीचे विश्राम करने बैठ गया। तो उसे वहाँ दो बड़े-बड़े पंख मिल गए। उसने वह पंख डोरियों, से बाँध लिए और उड़ने की कोशिश की तो वह उड़ने भी लगा। खुशी के मारे उसका तन-मन, रोमांचित हो उठा। उसका मन हुआ कि वह उड़ता हुआ घर पहुँचे और अपने माँ-बाप को पंख, दिखाए; मगर माता-पिता द्वारा पंख छीन लिए जाएँगे, इसलिए वह डर गया। उसने यह तय किया, कि पहले आसमान की खूब सैर कर लें और फिर माता-पिता को बताया जाए। वह खुले मन से, उड़ने लगा। नदी एवं पेड़ को देखते-देखते बहुत देर तक वह उड़ता रहा और उड़ते-उड़ते थक गया।, उसे भूख भी लग गयी। उसे ध्यान में आ गया कि अब उसे घर लौटाना चाहिए; मगर लौटता किस, दिशा में? उड़ने की जोश में वह किधर आ गया; उसका ख्याल उसे न रहा। सूरज डूब रहा था, और अंधेरा छा गया था। रामू ने सोच लिया कि अब घर जाना चाहिए। कुछ नीचाई पर आकर, वह अपने घर की तलाश करने लगा; मगर सारे गाँव उसे एक जैसे नजर आने लगे।, , अपना गाँव पहचान नहीं आने से वह डर गया। माता-पिता की परेशानी का ध्यान आते ही, , वह रोने लगा। देर रात अंधेरा बढ़ जाने और रोशनियाँ टिमटिमाने पर रामू को अंधेरे में गाँव तलाशना, असंभव हो गया। तब वह यह सोचकर नीचे आया कि कहीं, , की तलाश करनी चाहिए। इतने में उसे सामने ही झोपड़ी, , “न-कहीं रात बिताकर कल सुबह गाँव, जैसा मकान नजर आया, लेकिन पंख


घर की तलाश कहानी के लेखक कौन हैं?

कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं

राजेंद्र यादव ने कौन सी कहानी लिखी है?

कहानीः स्वरूप और संवेदनाः 1968, प्रेमचन्द की विरासतः 1978, अठारह उपन्यासः 1981 औरों के बहानेः 1981, काँटे की बात (बारह खण्ड)1994, कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः 1996, उपन्यासः स्वरूप और संवेदनाः 1998, आदमी की निगाह में औरतः 2001, वे देवता नहीं हैं: 2001, मुड़-मुड़के देखता हूँ: 2002, अब वे वहाँ नहीं रहते: 2007, मेरे ...

गुमशुदा की तलाश कहानी के पात्र का नाम क्या है?

कहानी के आरंभ में बताया गया कि किस प्रकार गाँव से उखड़े हुए लोग कस्बों में आकर पनाह लेते हैं। कस्बों में रहना वे अपनी प्रतिष्ठा समझते हैं । इस कहानी के मुख्य पात्र राधेलाल इसी प्रवृत्तिवाले व्यक्ति है।

मैं शहर और वे इस कहानी के लेखक कौन है?

शैलेश मटियानी (१४ अक्टूबर १९३१ - २४ अप्रैल २००१) आधुनिक हिन्दी साहित्य-जगत् में नयी कहानी आन्दोलन के दौर के कहानीकार एवं प्रसिद्ध गद्यकार थे।