पशुआहार (Pashu Aahar) शब्द जैसा की नाम से ही पता चला रहा है की पशु आहार यानी की पशुओ की 24 घंटो में दी जाने वाली आहार ऐसा आहार जो पशुओ को आवश्य्क पोषक तत्वों , प्रोटीन , वसा , कार्बोहाइड्रेट , खनिज लवण , विटामिनयुक्त का उचित अनुपात और उचित मात्रा में दी जाने वाली आहार जो पशु की बढ़वार , स्वस्थ्य , अधिक दुग्ध उत्पादन , प्रजनन आदि को बनाये रखता है उसे संतुलित पशु आहार कहते है संतुलित आहार पशुओ के लिए बहुत जरुरी है क्योकि संतुलित आहार पशुओ की दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ पशुओ को स्वस्थ्य भी रखता है अधिकतर देखा गया है की ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओ को भरपूर मात्रा में पोषण नहीं देते है जिससे पशुओ की शारीरिक विकास तो रुकता है ही है लेकिन साथ साथ वह रोगी भी हो जाते है और उनके शरीर में रोगो से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है । Show नमस्कार बंधुओ मैं आज आपको बताऊंगा की आप पशु आहार (Animal feed) का प्रयोग आप अपने पशुओ की अधिक दुग्ध उत्पादन में कैसे करेंगे तथा साथ में आपको ये भी पता होगा की आप पशुआहार कैसे बना सकते है , पशुआहार में क्या क्या विटामिन्स होता है , पशुआहार का क्या फायदा है , आप पशुआहार कहा खरीद सकते है , पशुआहार का आप सही इस्तेमाल कैसे कर सकते है आदि सभी जानकारी आपको इस पोस्ट में मिल जाएगी अतः आप इस पोस्ट के साथ अंत तक बने रहिये और पूरा पढ़िए । इसे भी पढ़े- नाबार्ड पशुपालन लोन योजना
भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में पशुपालको ने अपने पशुओ को स्वस्थ्य और आधी दुग्ध उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने के लिए पशुओ को दी जाने वाली एक विशेष प्रकार की पौस्टिक चारा या दाना जिसे पशु को खिलाने के बाद वह स्वस्थ्य और अधिक दुग्ध उतपादन की मात्रा बढ़ जाता है इसका उपयोग करने से और पशु की सही रख रखाव से और उन्हें उचित मात्रा में सब कुछ देने से किसान की आय में सकारात्मक यानी की सही तरीके से बढ़ोत्तरी का प्रभाव पड़ता है पशुआहार अनेक प्रकार के तत्वों से मिलाकर बना होता है जो की पशुओ के लिए बहुत ही फायदे मंद होता है आईये जानते है की पशुआहार कैसे बनता है । पशुआहार कैसे बनता है | How Animal Feed is Made
पशुआहार बनाते समय किन-किन बातो पर ध्यान देना चाहिए –
पशुआहार में पाए जाने वाले तत्व –यदि आप रासायनिक सरंचना के आधार पर लेते है तो उसमे कार्बोहाइड्रेट , वासा , विटामिन , खनिज लवण और प्रोटीन भोजन के प्रमुख है डेयरी पशु शाकाहारी होते है अतः ये सब तत्व पेड़ पौधे व हरे चारे और दाने से प्राप्त होता है । कार्बोहाइड्रेट – कार्बोहाइड्रेट की बात करे तो यह मुख्य रूप से शरीर में ऊर्जा का उत्पादन करता है अतः पशुओ के लिए यह अति महत्वपूर्ण है यह कार्बोहाइड्रेट हरे चारा , भूसा व सभी प्रकार के अनाजों में पाया जाता है यह पशुओ के चारे में अधिक पाया जाता है अतः इसका अधिक उपयोग पशुओ के लिए किया जाता है । प्रोटीन – प्रोटीन शरीर की सरंचना के लिए प्रमुख तत्व है यह शरीर की वृद्धि में सहायक होती है और दुग्ध उतपादन में इसका अति महत्ववपूर्ण योगदान रहता है यह कोशिकाओं के टूट फुट जाने में बहुत ज्यादा ही लाभदायक होता है पशुओ के लिए प्रोटीन हरे चारे , दाल व बरसीम में अधिक मात्रा में पाया जाता है । वसा – वसा की बात करे तो यह पानी में न घुलने वाले चिकने पदार्थ जैसे घी , तेल आदि ये सब वसा कहलाते है यह कोशिकाओं के निर्माण में इनका अति महत्वपूर्ण योगदान रहता है यह त्वचा के निचे या अन्य स्थानों में एकत्रित होकर ऊर्जा का निर्माण करता है और भोजन की कमी होने पर काम में आता है पशुओ के आहार में लगभग 3-5 प्रतिशत तक वसा की जरूरत होती है जो आसानी से उसे चारे और दाने के रूप में मिलजाता है अतः इसे अलग अलग देने की कोई जरूरत नहीं है वासा मुख्य रूप से तिलहन के तेल में और बिनौल के खले में पायी जाती है । विटामिन – बिटामिन की बात करे तो यह पशुओ के शरीर के लिए क्रियाशील होने के लिए विभिन्न प्रकार की विटामिन की जरूरत पड़ती है ये विटामिन हरे चारे से पर्याप्त मात्रा में पशुओ के लिए मिल जाता है यदि पशुओ में विटामिन की कमी होती है तो पशुपालको को विभिन्न प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ेगा जैसे की गर्भपात । अंधापन , चमड़ी की सूखापन आदि । खनिज लवण – खनिज लवण मुख्यतः दांतो की सरंचना के लिए बहुत ही उपयोगी है तथा यह पशुओ की दूध उत्पादन की मात्रा में बहुत ही ज्यादा स्रवित होता है यह शरीर में एंजाइम और विटामिन के निर्माण के काम में आता है यदि पशुआहार में खनिज लवणों की मात्रा कम है तो आप इसे अलग से भी खिला सकते है । पशुआहार का उपयोग | Use of Pashu Aaharपशुआहार Pashu Aahar का उपयोग पशुपालको को अच्छी तरह से पता होता है की इसक उपयोग कैसे करते है यदि आप पशुओ को पशुहार देते है तो इसका सीधा प्रभाव विकास दर , उतपादन क्षमता , स्वस्थ्य की स्थिति पर पड़ता है किसान पशुओ के दूध , उन , मांस प्राप्त करने के लिए रखते है संतुलित भोजन के बिना पशु विकास नहीं कर पाते है और उन्हें अनेक प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ता है जैसे की दूध उत्पादन में कमी होना , शरीर स्वस्थ्य नहीं होना , बच्चे को सही से पैदा नहीं करना आदि । पशुआहार के फायदे –पशुआहार की बात करे तो यह पशुओ के लिए बहुत ही जरुरी है क्योकि इसी के कारण पशुए अधिक दूध और स्वस्थ रहते है पशुआहार पशुओ के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद है क्योकि कार्य – शरीर की सामान्य वृद्धि, पशु को स्वास्थ्य रखना, पाचन शक्ति एवं भूख में वृद्धि करना, प्रजनन क्षमता बनाये रखना, रोग रोधक शक्ति पैदा करना आदि ये पशुआहार के फायदे है । आहार कैसा होना चाहिए –1.संतुलित आहार रूचिकर होना
चाहिए। पशुआहार का मार्केटिंग कैसे करे –दोस्तों पशु आहार Animal Feed को आप अपने आस – पास के डेरी फार्म वालों को बेंच सकते हैं इसके आलवा अगर आप गाँव- देहात में निवास करते हैं तो आप अपने गाँव में जो लोग पशु को दूध के लिए रखे हुए हैं उनको सेल कर सकते हैं साथ ही आप अपने बाजार में दुकानदारों को होलसेल रेट में बेंच सकते हैं। आप अपनी कंपनी का logo अपने बैग पर छपवा सकते हैं जिससे आपका प्रचार-प्रसार होता रहेगा। इसे भी पढ़े- एग्रीकल्चर हेल्प लाइन नंबर पशुआहार का प्राइस लिस्ट –
सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न- Pashu Aahar in Hindiपशुआहार से क्या होता है ? पशुआहार से पशुओ को काफी मात्रा में फायदा होता है जैसे की शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया, परिवहन, श्वसन, उत्सर्जन, , दुग्ध उत्पादन की क्षमता बढ़ता है और पशुए स्वस्थ्य रहते है पशुआहार से पशुपालको को भी काफी हद तक फायदा होता है उन्हें एक ही जगह पर जैसे की कार्बोहाइड्रेट , वसा , प्रोटीन , विटामिन आदि ये सब पशुआहार से ही मिल जाता है जिससे पशुपालक अपने पशुओ को खिलाते है और उनके पशु स्वस्थ्य रहते है । पशुआहार घर पर बैठे कैसे बना सकते है ? खली (सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल) की मात्रा आप उचित मात्रा में मिला सकते है जैसे की आप कितनी मात्रा में पशुआहार बना रहे है ,. चोकर(गेंहू का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रेन,) ये सब चीजों को आप एक उचित मात्रा में मिला दीजिये ,खली की बात करे तो आप इसमें सरसो की खली , बिनौल की खली , मूंगफली की खली , अलसी की खली आदि आप उचित मात्रा में मिला सकते है , खनिज लवण में आप उचित मात्रा में नमक को मिला लीजिये बस आपका पशुआहर बनकर तैयार हो गया है । संतुलित पशुआहार क्या है ? ऐसा आहार जो पशुओ को आवश्य्क पोषक तत्वों , प्रोटीन , वसा , कार्बोहाइड्रेट , खनिज लवण , विटामिनयुक्त का उचित अनुपात और उचित मात्रा में दी जाने वाली आहार जो पशु की बढ़वार , स्वस्थ्य , अधिक दुग्ध उत्पादन , प्रजनन आदि को बनाये रखता है उसे संतुलित पशु आहार कहते है। पशुआहार Pashu Aahar से क्या फायदे है ? पशुआहार की फायदे की बात करे तो यह पशुओ के लिए बहुत ही फायदेमंद है क्योकि इसी के कारण पशुए अधिक दूध देती है और कार्य – शरीर की सामान्य वृद्धि, पशु को स्वास्थ्य रखना, पाचन शक्ति एवं भूख में वृद्धि करना, प्रजनन क्षमता बनाये रखना, रोग रोधक शक्ति पैदा करना आदि ये सब पशुआहर से ही प्राप्त होते है । पशुआहार Pashu Aahar में प्रमुख कितने तत्व पाए जाते है ? रासायनिक सरंचना के आधार पर लेते है तो उसमे कार्बोहाइड्रेट , वासा , विटामिन , खनिज लवण और प्रोटीन भोजन के प्रमुख है ये सब तत्व पशुआहार में प्रमुख रूप से पाए जाते है । सबसे अच्छा पशु आहार कौन सा है?दुधारू पशुओं के आहार संतुलित दाना मिश्रण कैसे बनायें ?. मक्का/जौ/जर्इ 40 किलो मात्रा बिनौले की खल 16 किलो मूंगफली की खल 15 किलो ... . जौ 30 किलो सरसों की खल 25 किलो बिनौले की खल 22 किलो ... . मक्का या जौ 40 किलो मात्रा मूंगफली की खल 20 किलो दालों की चूरी 17 किलो ... . गेहूं 32 किलो मात्रा सरसों की खल 10 किलो मूंगफली की खल 10 किलो. कपिला खिलाने से क्या होता है?कपिला पशुआहार सम्पूर्ण संतुलित होने से कपिला पशु आहार पशु की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है और अन्य पशु आहारों (खली चुनी) से सस्ता होने से दूध की प्रति लीटर लागत को कम करता है। पशुओं का ऋतु चक्र नियमित होकर पशु समय पर गाभिन होते हैं। पशुओं को बीमारियों से बचाने के शक्ति बढ़ाकर उन्हें स्वस्थ रखता है।
दूध देने वाली गाय को क्या खिलाना चाहिए?दाना (मक्का, जौ, गेंहू, बाजरा) इसकी मात्रा लगभग 35 प्रतिशत होनी चाहिए। चाहें बताए गए दाने मिलाकर 35 प्रतिशत हो या अकेला कोई एक ही प्रकार का दाना हो तो भी खुराक का 35 प्रतिशत दे। खली(सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल) की मात्रा लगभग 32 किलो होनी चाहिए।
पशुओं का वजन कैसे बढ़ाएं?प्रोटीन की प्राप्ति अरहर, चना, मटर, लोबिया, सोयाबीन, उड़द, मूंग, मसूर आदि दालों वाली फसलों से होती है। 2. पशु को जो आहार दिया जाय वह संतुलित तथा नियमित हो उसे दिन में दो बार चारा-दाना 8-10 घंटे के अन्तराल पर देना उचित होता है, जिससे पशु की पाचनक्रिया ठीक रहती है और बीच में जुगाली/पगुरी करने का समय मिल जाता है।
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