मौसम के अनुसार भोजन में परिवर्तन कर आहार लेने वाले लोग सर्वथा स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहते हैं, उन्हें बीमार होने का भय नहीं रहता। हम आपकी जानकारी के लिए यहाँ ऋतु अनुसार भोजन बता रहे हैं, साथ ही यह भी कि किस ऋतु में क्या खाएँ व क्या न खाएँ - शिशिर ऋतु (जनवरी से मार्च)इस मौसम में घी, सेंधा नमक, मूँग की दाल की खिचड़ी, अदरक व कुछ गरम प्रकृति का भोजन करना चाहिए। Show कड़वे, तिक्त, चटपटे, ठंडी प्रकृति के व बादीकारक भोजन से परहेज रखें। बसंत ऋतु (मार्च से मई) पुराना अन्न, मोठ, कटु, रूखे, शीतल प्रकृति के पदार्थ न लें। भोजन अल्प मात्रा में न करें।
"गर्मी" यहाँ पुनर्प्रेषित होता है। भौतिकी की संकल्पना के लिए, ऊष्मा देखें।
ग्रीष्म ऋतु, वर्ष की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। साल की अन्य प्रमुख ऋतु हैं - शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, वसन्त ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु। भारत में यह अप्रैल से जुलाई तक होती है। ज्येष्ठ और आषाढ़ के महीने ग्रीष्म ऋतु होती है। इन मासों में सूर्य की किरणें इतनी तेज होती हैं कि प्रातःकाल में भी उन्हें सहन करना सरल नहीं होता। सूर्य के पृथ्वी के निकट आ जाने से यह ऋतु उत्पन्न होती है | इस ऋतु मैं प्रायः भारत के सभी स्थानों का तापमान बढ़ जाता है | सामान्यतः गुजरात और राजस्थान मैं गर्म हवायें चलती है जिन्हें लू कहा जाता है | राजस्थान एक मरुस्थलीय इलाका है जहां तापमान सबसे अधिक होता है | तापमान ५० डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है | इस ऋतु मैं वर्षा भी होती है | इस मौसम मैं कुछ खरीफ की फसलें बोई जाती है | गर्मी से हमें लाभ भी बहुत हैं। यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा भी खूब होती है। गर्मी के कारण ही अनाज पकता है और खाने योग्य बनता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद निराला होता है। भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में यह 48 सें.गे. तक पहुँच जाता है। इस समय उत्तरी भारत अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम वायुदाब के क्षेत्र में परिवर्तित होने लगता है। उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित थार मरुस्थल पर मिलने वाला न्यूनतम वायुदाब क्षेत्र बढ़कर सम्पूर्ण छोटा नागपुर पठार को भी आवृत कर लेता है, जिसके कारण स्थानीय एवं सागरीय आर्द्र हवाओं का परिसंचरण इस ओर प्रारम्भ हो जाता है और स्थानीय प्रबल तूफानों का जन्म होता है। मूसलाधर वर्षा एवं ओलों के गिरने यहाँ तीव्रगति वाले प्रचण्ड तूफान भी बन जाते हैं, जिनका कारण स्थलीय गर्म एवं शुष्क वायु का सागरीय आर्द्र वायु से मिलना है। उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को 'लू' कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आँधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आँधियों का अभाव पाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में क्या आता है?इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद निराला होता है। भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है।
ग्रीष्म ऋतु की विशेषता क्या है?ये धूलभरी आंधियाँ तापमान घटाकर लोगों को राहत पहुँचाती हैं। आँधियों के बाद ठण्डी हवा चलती है और कभी-कभी हल्की वर्षा भी होती है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान कभी-कभी तेज हवाओं के साथ गरजवाली मूसलधारे वर्षा भी होती है। कभी-कभी वर्षा के साथ ओला वृष्टि भी होती है।
ग्रीष्म ऋतु में क्या नहीं खाना चाहिए?ग्रीष्म ऋतु (मध्य मई से मध्य जुलाई)
इस मौसम में पाचन क्रिया इतनी मजबूती से काम नहीं करती है इसलिए आपको गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ऐसा मौसम भी न करें, जिससे गर्मी का अनुभव होता है। आपको ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आप दही, लस्सी, सत्तू, नीबू पानी जैसी चीजों का इस्तेमाल करें।
ग्रीष्मकाल में हमें कैसे भोजन करना चाहिए और क्यों?गर्मियों में क्या खाएं
गर्मियों के मौसम में हल्का, चिकना, आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। ठंडे तरल पदार्थों का सेवन करना इस मौसम में अधिक लाभकारी होता है। इसके लिए चीनी, घी, दूध व मट्ठे का सेवन करें। छाछ में पिसा जीरा व थोड़ा नमक मिलाकर पीना गर्मियों के मौसम में बहुत लाभकारी होता है।
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