एक तारा पृथ्वी से 3.4 प्रकाश वर्ष दूर है इसका क्या अर्थ है? - ek taara prthvee se 3.4 prakaash varsh door hai isaka kya arth hai?

प्रकाश-वर्ष

एक तारा पृथ्वी से 3.4 प्रकाश वर्ष दूर है इसका क्या अर्थ है? - ek taara prthvee se 3.4 prakaash varsh door hai isaka kya arth hai?

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प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

225 संबंधों: चित्रा तारा, चील नीहारिका, ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी, ट्रैपिस्ट-१, ऍचडी १०१८०, ऍनजीसी १९८०, ऍनजीसी ६८२२, ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा, ऍप्सिलन पॅगासाई तारा, ऍप्सिलन महाश्वान तारा, ऍप्सिलन सिगनाए तारा, ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा, ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा, ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा, ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा, ऍप्सिलन कराइनी तारा, ऍस२ तारा, ऍस॰ऍन॰१८५, एचडी २१७१०७ बी, एटा ऍरिडानी तारा, एटा महाश्वान तारा, एटा सॅन्टौरी तारा, एटा कराइनी तारा, एबेल एस४०७० गैलेक्सी समुह, एंटीमैटर, एक्रक्स तारा, ऐन्तलिया तारामंडल, ऐस्टेरोपी तारा, डॅल्टा महाश्वान तारा, डॅल्टा सरसिनाए तारा, डॅल्टा सिगनाए तारा, डॅल्टा स्कोर्पाए तारा, डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा, डॅल्टा वलोरम तारा, तारा गुच्छ, तारायान, तितली तारागुच्छ, त्रिशंकु तारामंडल, त्रिशंकु शिर तारा, त्रिकोण तारामंडल, तीस मीटर टेलीस्कोप, थेटा स्कोर्पाए तारा, थेटा सॅन्टौरी तारा, दक्षिणकिरीट तारामंडल, दूरदर्शी, देवयानी तारामंडल, धनु ए, धनु ए*, ध्रुव तारा, ध्रुवमत्स्य तारामंडल, ..., पारसैक, पाल तारामंडल, पुनर्वसु-पॅलक्स तारा, पुनर्वसु-कैस्टर तारा, पुलस्त्य तारा, पुलह तारा, प्रस्वा तारा, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी, पी ऍरिडानी तारा, पी॰ऍस॰आर॰ बी1257+12, फ़ुमलहौत बी, बड़ा मॅजलॅनिक बादल, बर्नार्ड-तारा, बिल्ली लोचन नीहारिका, ब्रह्महृदय तारा, ब्रह्माण्ड, ब्रेकथ्रू स्टारशॉट, ब्लैक होल (काला छिद्र), बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा, बेटा ध्रुवमत्स्य तारा, बेटा पॅगासाई तारा, बेटा सॅटाए तारा, बेटा सॅफ़ॅई तारा, बेटा ग्रुईस तारा, बेटा कैसिओपिये तारा, बेटा अक्विलाए तारा, बॅलाट्रिक्स तारा, बीटा टाओरी तारा, बीटा महाश्वान तारा, बीटा जिराफ़ तारा, बीटा कराइनी तारा, भट्टी तारामंडल, मन्दाकिनी, महापृथ्वी, मापन, मायावती तारा, मारीचि तारा, मित्र तारा, मघा तारा, मॅसिये 77, मॅसिये 87, मॅसिये ७४, मॅजलॅनिक बादल, मोर तारामंडल, मीनास्य तारा, ययाति तारामंडल, राजन्य तारा, रिक्ति (खगोलशास्त्र), रज्जु (मात्रक), रोहिणी तारा, लाम्डा वलोरम तारा, लालांड २११८५ तारा, शिशुमार तारामंडल, शिकारी-हन्स भुजा, शकट चक्र गैलेक्सी, श्रवण तारा, सप्तर्षि तारामंडल, सबसे रोशन तारों की सूची, सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इन्टेलीजेन्स, सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा, सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक, सुपरमैन (फ़िल्म), स्थानीय समूह, स्रोतास्विनी तारामंडल, स्वाति तारा, स्कल्प्टर गैलेक्सी, सूंस तारामंडल, सीटस तारामंडल, हिन्दू मापन प्रणाली, हिन्दू लम्बाई गणना, हिन्दी तारामंडल, हंस तारा, हेलिक्स नेब्यूला, जलसर्प तारामंडल, ज़ेटा पपिस तारा, ज़ेटा ओरायोनिस तारा, जिराफ़ तारामंडल, ज्येष्ठा तारा, जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह, वर्णक्रम, वर्णक्रमीय रेखा, वशिष्ठ और अरुंधती तारे, विश्वकद्रु तारामंडल, वुल्फ़ ३५९ तारा, व्याध तारा, वृषपर्वा तारामंडल, वैन मानॅन का तारा, वेदी तारामंडल, वॉयेजर प्रथम, वी वाई महाश्वान, खगोलभौतिक फौवारा, खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, खगोलीय ठंडा धब्बा, खगोलीय दूरी, खगोलीय वस्तु, खुला तारागुच्छ, गामा ऍरिडानी तारा, गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा, गामा ड्रेकोनिस तारा, गामा ध्रुवमत्स्य तारा, गामा पॅगासाई तारा, गामा लियोनिस तारा, गामा सिगनाए तारा, गामा जॅमिनोरम तारा, गामा कैसिओपिये तारा, गिरगिट तारामंडल, गिगामीटर, गुरुत्वीय तरंग, ग्लाइस सूचीपत्र, ग्लीज़ 581सी, ग्लीज़ १, ग्लीज़ २२९, ग्लीज़ ४४५, ग्लीज़ ५८१, गैलेक्सियों के रेशे, गेक्रक्स तारा, गोल तारागुच्छ, और्ट बादल, आणविक बादल, आयोटा ओरायोनिस तारा, आयोटा कराइनी तारा, आर्द्रा तारा, आर॰ऍस॰ पपिस, आकरनार तारा, आकाशगंगा, कबूतर तारामंडल, कापा स्कोर्पाए तारा, कापा वलोरम तारा, कापा ओरायोनिस तारा, कालपुरुष तारामंडल, क्रतु तारा, कृत्तिका तारागुच्छ, केप्लर-452, केप्लर-452बी, केओआई ९६१, कॅप्लर-१० तारा, कॅप्लर-१०बी, कॅप्लर-१६ तारा, कॅप्लर-१६बी, कॅप्लर-२० तारा, कॅप्लर-२०ऍफ़, कॅप्लर-२२ तारा, कॅप्लर-२२बी, कॅप्लर-६९ तारा, अत्रि तारा, अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली, अभिजित तारा, अम्बा तारा, अलफ़र्द तारा, अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा, अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा, अल्फ़ा परसई तारा, अल्फ़ा पैवोनिस तारा, अल्फ़ा पॅगासाई तारा, अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा, अल्फ़ा लूपाई तारा, अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा, अल्फ़ा ग्रुईस तारा, अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा, अल्फ़ा कैसिओपिये तारा, अल्फ़ा अरायटिस तारा, अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा, अश्वशाव तारामंडल, अगस्ति तारा, अंतरिक्ष विज्ञान, अंगिरस तारा, उत्तर फाल्गुनी तारा, उत्सर्जन वर्णक्रम, छल्ला नीहारिका, छोटा मॅजलॅनिक बादल, १ स्कोर्पाए तारा, १३ ट्राऐंगुलाए तारा, ३ सॅन्टौरी तारा, ५९ कन्या तारा। सूचकांक विस्तार (175 अधिक) »

चित्रा तारा

आसमान में चित्रा तारा ढूँढने का तरीक़ा - स्वाती तारे (आर्कट्युरस) से सीधी लक़ीर खेंचे चित्रा या स्पाइका (Spica), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा वर्जिनिस" (α Virginis या α Vir) है, कन्या तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से पंद्रहवाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। चित्रा वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसका मुख्य तारा एक नीला दानव तारा है और छोटा तारा एक मुख्य अनुक्रम तारा है।, Elizabeth Howell, 20 जुलाई 2013, SPACE.com, Accessed: 19 Aug 2013,...

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चील नीहारिका

चील नीहारिका चील नीहारिका (अंग्रेजी: Eagle nebula, ईगल नॅब्युला) सर्प तारामंडल में स्थित नवजात तारों का एक खुला तारागुच्छ है जिसके इर्द-गिर्द एक चील की आकृति की नीहारिका फैली हुई है। इसी निहारिका में "सृष्टि के स्तम्भ" नामक क्षेत्र है जिसकी तस्वीरें हबल अंतरिक्ष दूरबीन ने ली थीं और विश्व-भर में प्रसिद्ध हो गई। चील निकरिका की खोज झ़ों-फ़ीलीप द शेसो (Jean-Philippe de Cheseaux, 'झ़' के उच्चारण का ध्यान रखें) ने सन् १७४५-४६ में की थी। चील नीहारिका पृथ्वी से लगभग ६,५०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। इसमें स्थित सबसे रोशन तारे का मैग्नीट्यूड +८.२४ है और यह दूरबीन के द्वारा आसानी से देखा जा सकता है। इसे मॅसिये वस्तुओं की सूची में भी शामिल किता गया था, जहाँ इसका नामांकन मॅसिये १६ (M16) है। .

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ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी

ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी (अंग्रेज़ी: Triangulum Galaxy) पृथ्वी से ३० लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक सर्पिल गैलेक्सी है जो हमारे स्थानीय समूह की तीसरी सब से बड़ी सदस्या है (एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी और हमारी अपनी गैलेक्सी आकाशगंगा के बाद).

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ट्रैपिस्ट-१

ट्रैपिस्ट-१ (TRAPPIST-1), जिसे 2MASS J23062928-0502285 भी नामांकित करा जाता है, कुम्भ तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक अतिशीतल बौना तारा है जो हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से ज़रा बड़ा है। यह सूरज से लगभग 39.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल है और फ़रवरी 2017 तक इस मंडल में सात स्थलीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा करते पाए गए थे जो किसी भी अन्य ज्ञात ग्रहीय मंडल से अधिक हैं। .

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ऍचडी १०१८०

ऍचडी १०१८० तारा ऍचडी १०१८० के ग्रहीय मंडल का काल्पनिक वीडियो चित्रकार की कल्पना से बनी तस्वीर जिसमें ऍचडी १०१८० डी (d) ग्रह से उसका तारा देखा जा रहा है - इसमें ऍचडी १०१८० बी (b) और ऍचडी १०१८० सी (c) भी छोटे-से दूर नज़र आ रहे हैं ऍचडी १०१८० (HD 10180) पृथ्वी से अनुमानित १२७ प्रकाश वर्ष दूर नर जलसर्प तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G1V श्रेणी का सूर्य-जैसा मुख्य अनुक्रम तारा है। इसके इर्द-गिर्द कम-से-कम ७ ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए ज्ञात हुए हैं और सम्भव है कि इन ग्रहों की कुल संख्या ९ भी हो। अभी तक यह सभी ज्ञात ग्रहीय मंडलों में सबसे अधिक ग्रहों वाला मंडल है और इसमें सम्भवतः हमारे सौर मंडल से भी ज़्यादा ग्रह हैं।, Mikko Tuomi, Astronomy & Astrophysics (Journal), 6 अप्रैल 2012 .

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ऍनजीसी १९८०

ऍनजीसी १९८० (NGC 1980), जो ओसीऍल ५२९ (OCL 529), कॉलिंडर ७२ (Collinder 72) और कालपुरुष का खोया रत्न (The Lost Jewel of Orion) भी कहलाता है, कालपुरुष तारामंडल के दक्षिणी छोर में स्थित एक खुला तारागुच्छ है। यह आयोटा ओरायोनिस तारे के इर्द-गिर्द स्थित है। .

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ऍनजीसी ६८२२

ऍनजीसी ६८२२ (NGC 6822), जिसे बरनार्ड की गैलेक्सी (Barnard's Galaxy) और आईसी ४८९५ (IC 4895) भी कहा जाता है, एक डन्डीय सर्पिल गैलेक्सी है जिसका आकार थोड़ा बेढंगा है। यह गैलेक्सियों के स्थानीय समूह की सदस्य है और आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) के पास स्थित है। अपने ढाँचे और तारों के हिसाब से यह छोटे मॅजलॅनिक बादल नामक गैलेक्सी से काफ़ी मिलती-जुलती है। आकाश में यह धनु तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है और हमसे क़रीब १६ लाख प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा

काल्पनिक चित्र जिसमें ऍप्सिलन ऍरिडानी तारे के इर्द-गिर्द दो ग्रह और दो क्षुद्रग्रह घेरे परिक्रमा करते दिखाए गए हैं ऍप्सिलन ऍरिडानी (बाएँ) और सूरज (दाएँ) की तुलना ऍप्सिलन ऍरिडानी (बायर नाम: ε Eridani या ε Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 10.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (यानि सापेक्ष कान्तिमान) 3.73 मैग्नीट्यूड मापी गई है। यह एक नारंगी रंग का K2 श्रेणी वाला मुख्य अनुक्रम तारा है जिसका सतही तापमान लगभग 5,000 कैल्विन है। इसका द्रव्यमान (मास) और व्यास (डायामीटर) सूरज से थोड़े छोटे हैं। वैज्ञानिक पिछले 20 साल से ऍप्सिलन ऍरिडानी की हिलावट का अध्ययन कर रहें हैं और इस से उन्होंने अंदाज़ा लगाया है के इसके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसा एक गैस दानव ग्रह तारे से 3.4 खगोलीय इकाईयों (ख॰इ॰) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "बी" रखा है। उनका यह भी अनुमान है के इस तारे के इर्द-गिर्द दो क्षुद्रग्रहों (ऐस्टेरोईड) के घेरे हैं - एक 3 ख॰इ॰ की दूरी पर और दूसरा 20 ख॰इ॰ की दूरी पर। यह भी मुमकिन है के एक और भी ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा हो, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "सी" रखा है। अभी तक जितने भी तारों के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह मिले हैं, ऍप्सिलन ऍरिडानी उन सब में पृथ्वी के सब से पास है। .

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ऍप्सिलन पॅगासाई तारा

ऍप्सिलन पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (ε Pegasi या ε Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८२वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४ मैग्नीट्यूड है। ऍप्सिलन पॅगासाई हमसे लगभग ७०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल (हिन्दी नामों के साथ) - ऍप्सिलन महाश्वान तारा ("अधारा") कुत्ते की आकृति के निचले पाऊँ पर स्थित है ऍप्सिलन महाश्वान या अधारा, जिसका बायर नाम "ऍप्सिलन कैनिस मेजोरिस" (ε Canis Majoris या ε CMa) है, महाश्वान तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौबीसवा सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक द्वितारा मंडल है। .

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ऍप्सिलन सिगनाए तारा

हंस (सिग्नस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (ε Cygni या ε Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.५ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ७२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ऍप्सिलन स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें ऍप्सिलन स्कोर्पाए 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन स्कोर्पाए (ε Sco, ε Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७६वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ६५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ तारा "ε Sgr" से नामांकित है ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Sgr या ε Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १४४.६४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। इसका एक बहुत ही धुंधला साथी तारा भी है जिसे ऍप्सिलन सैजिटेरियाइ बी बुलाया जाता है। .

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ऍप्सिलन सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ε' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है ऍप्सिलन सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (ε Centauri या ε Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ३८० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२९ है। .

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ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा

नीले महादानव ऍप्सिलन ओरायोनिस तारे की भयंकर रौशनी और विकिरण से इर्द-गिर्द का ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल उजागर है कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कालपुरुष की आकृति के कमरबंद के बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस (ε) है कालपुरुष के कमरबंद का नज़दीकी दृश्य - बीच का तारा ऍप्सिलन ओरायोनिस है ऍप्सिलन ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Ori या ε Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक नीला महादानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १३०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७० है। इस तारे का वर्णक्रम बहुत शुद्ध माना जाता है और खगोलशास्त्री इस से उत्पन्न हुए प्रकाश का प्रयोग अंतरतारकीय माध्यम (उर्फ़ "इन्टरस्टॅलर मीडयम", यानि तारों के बीच का व्योम जिसमें गैस, प्लाज़्मा और खगोलीय धूल मिलती है) का अध्ययन करने के लिए करते हैं। ऍप्सिलन ओरायोनिस के चंद लाख सालों में लाल महादानव बनकर महानोवा (सुपरनोवा) धमाके में फटने की संभावना है। वर्तमान में इसके इर्द-गिर्द एक ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल है जो इस तारे के विकिरण (रेडियेशन) से दमकता है। .

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ऍप्सिलन कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में ऍप्सिलन कराइनी तारा ऍप्सिलन कराइनी द्वितारे के दोनों तारों का काल्पनिक चित्रण ऍप्सिलन कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ε Car या ε Carinae) है, कराइना तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +१.८६ है और यह पृथ्वी से लगभग ६३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। .

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ऍस२ तारा

सोर्स २ (Source 2) या ऍस२ (S2) या ऍस०–२ (S0–2) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित खगोलीय रेडियो स्रोत धनु ए* के समीप स्थित एक तारा है। खगोलशास्त्री धनु ए* को एक विशालकाय कालाछिद्र मानते हैं और यह तारा उसकी 15.56 ± 0.35 वर्षों की कक्षीय अवधि से परिक्रमा कर रहा है। इसकी कक्षा का अर्ध दीर्घ अक्ष लगभग 970 ख॰इ॰ है और कालेछिद्र से अपकेन्द्र लगभग 17 प्रकाश घंटे है। इसका द्रव्यमान (यानि सौर द्रव्यमान का 14 गुना) अनुमानित करा गया है। परिक्रमा करते हुए इसका चरम वेग ५,००० किमी/सैकंड है, जो प्रकाशगति का १/६० है।। .

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ऍस॰ऍन॰१८५

आर॰सी॰डब्ल्यू॰ ८६ (RCW 86) नामक गैस का छल्ला जो ऍस॰ऍन॰१८५ (SN 185) महानोवा धमाके का अवशेष माना जाता है ऍस॰ऍन॰१८५ (SN 185) एक महानोवा (सुपरनोवा) विस्फोट था जो सन् १८५ ईसवी में मित्र तारे की दिशा में परकार और नरतुरंग तारामंडलों के बीच देखा गया था। चीनी खगोलशास्त्रियों ने "पश्चात हान की पुस्तक" में इसे "मेहमान तारा" का नाम दिया और संभव है कि रोमन साहित्य में भी इसका वर्णन किया गया हो। इसे आठ महीने तक आसमान में देखा जा सका था और माना जाता है कि यह पहला महानोवा धमाका था जिसका वर्णन लिखित रूप में किया गया। माना जाता है कि आर॰सी॰डब्ल्यू॰ ८६ (RCW 86) नामक गैस का छल्ला इस महानोवा का बचा-कुचा अवशेष है। इसका अध्ययन करके पता लगा है कि जिस महानोवा का वर्णन इतिहास में किया गया है, यह छल्ला उस से मेल खाता है। यह छल्ला हमसे लगभग ९,१०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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एचडी २१७१०७ बी

एचडी २१७१०७ मीन तारामंडल का एक असौरीय ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग ६४ प्रकाश-वर्ष दूर है। इस ग्रह का अनवेषण एचडी २१७१०७ नामक तारे की लगभग हर सात दिन परिक्रमा करते हुए हुआ था, जिससे यह एक उष्ण बृहस्पति ग्रह के रूप में वर्गीकृत हो गया। ग्रह की किंचित केंद्रभ्रष्ट ग्रहपथ के कारण वैज्ञानिक प्रणाली के भीतर एक और ग्रह (एचडी २१७१०७ सी) की पुष्टि करने में सक्षम रहे। .

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एटा ऍरिडानी तारा

एटा ऍरिडानी (Eta Eridani) या आझ़ा (Azha), जिसका बायर नाम η ऍरिडानी (η Eridani, η Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक दानव तारा है। यह हमारे सौर मंडल से लगभग 137 प्रकाशवर्ष दूर है। .

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एटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में स्थित एटा महाश्वान तारा एटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "एटा कैनिस मेजोरिस" (η Canis Majoris या η CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। यह हमसे ३,००० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४५ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक +२.३८ से +२.४८ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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एटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'η' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है एटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (η Centauri या η Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३३ है। .

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एटा कराइनी तारा

एटा कराइनी (Eta Carinae, η Carinae, η Car), जिसका बायर नाम भी यही है, कराइना तारामंडल में स्थित एक तारकीय मंडल है जिसमें कम-से-कम दो तारे हैं जिनकी मिली-जुली तेजस्विता हमारे सूरज से ५० लाख गुना है। यह हमारे सौर मंडल से ७,५०० प्रकाशवर्ष दूर है। १९वीं शताब्दी में एटा कराइनी का सापेक्ष कांतिमान ४ के आसपास आंका गया था लेकिन सन् १८३७-१८५६ काल में इसकी चमक में अचानक बढ़त होने लगी और ११ से १४ मार्च १८४३ काल में यह आकाश का दूसरे सबसे चमकदार तारा हो गया। इस घटना को महान विस्फोट (Great Eruption) कहा जाता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे फीका पड़ने लगा और फिर दूरबीन के बिना दिखना बन्द हो गया। १९४० के बाद इसकी चमक फिर बढ़ने लगी और इसका सापेक्ष कांतिमान २०१४ में ४.५ पहुँच चुका था। पृथ्वी पर एटा कराइनी ३०° दक्षिण अक्षांश (लैटिट्यूड) से दक्षिण में परिध्रुवी है यानि लगभग ३०° उत्तर से ऊपर रहने वाले लोग इसे कभी नहीं देख सकते। .

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एबेल एस४०७० गैलेक्सी समुह

हब्बल द्वारा ली गई तस्वीर) एबेल एस४०७० एक अदभुत गैलेक्सियों का एक समुह है। यह पृथ्वी से ४५ करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है और आकाश में नरतुरंग तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आता है।, अंतरिक्ष हब्बल द्वारा ली गयी तस्वीर के मध्य मे अंडाकार गैलेक्सी ईएसओ ३२५-जी००४ है। इस में गैलेक्सियों के अलावा कुछ तारे भी बिखरे-बिखरे से नजर आते रहे हैं। महाकाय अंडाकार गैलेक्सी लगभग १००,००० प्रकाश वर्ष चौड़ी है और इसमे १०० अरब तारे है, लगभग हमारी अपनी गैलेक्सी आकाशगंगा के समान है। .

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एंटीमैटर

एंटीमैटर क्लाउड कण भौतिकी में, प्रतिद्रव्य या एंटीमैटर (antimatter) वस्तुतः पदार्थ के एंटीपार्टिकल के सिद्धांत का विस्तार है। दूसरे शब्दों में, जिस प्रकार पदार्थ कणों का बना होता है उसी प्रकार प्रतिद्रव्य प्रतिकणों से मिलकर बना होता है। उदाहरण के लिये, एक एंटीइलेक्ट्रॉन (एक पॉज़ीट्रॉन, जो एक घनात्मक आवेश सहित एक इलेक्ट्रॉन होता है) एवं एक एंटीप्रोटोन (ऋणात्मक आवेश सहित एक प्रोटोन) मिल कर एक एंटीहाईड्रोजन परमाणु ठीक उसी प्रकार बना सकते हैं, जिस प्रकार एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटोन मिल कर हाईड्रोजन परमाणु बनाते हैं। साथ ही पदार्थ एवं एंटीमैटर के संगम का परिणाम दोनों का विनाश (एनिहिलेशन) होता है, ठीक वैसे ही जैसे एंटीपार्टिकल एवं कण का संगम होता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च-ऊर्जा फोटोन (गामा किरण) या अन्य पार्टिकल-एंटीपार्टिकल युगल बनते हैं। वैसे विज्ञान कथाओं और साइंस फिक्शन चलचित्रों में कई बार एंटीमैटर का नाम सुना जाता रहा है। एंटीहाइड्रोजन परमाणु का त्रिआयामी चित्र एंटीमैटर केवल एक काल्पनिक तत्व नहीं, बल्कि असली तत्व होता है। इसकी खोज बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में हुई थी। तब से यह आज तक वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। जिस तरह सभी भौतिक वस्तुएं मैटर यानी पदार्थ से बनती हैं और स्वयं मैटर में प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन होते हैं, उसी तरह एंटीमैटर में एंटीप्रोटोन, पोसिट्रॉन्स और एंटीन्यूट्रॉन होते हैं।। नवभारत टाइम्स। १२ नवम्बर २००८। हिन्दुस्तान लाइव। ५ मार्च २०१० एंटीमैटर इन सभी सूक्ष्म तत्वों को दिया गया एक नाम है। सभी पार्टिकल और एंटीपार्टिकल्स का आकार एक समान किन्तु आवेश भिन्न होते हैं, जैसे कि एक इलैक्ट्रॉन ऋणावेशी होता है जबकि पॉजिट्रॉन घनावेशी चार्ज होता है। जब मैटर और एंटीमैटर एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो दोनों नष्ट हो जाते हैं। ब्रह्मांड की उत्पत्ति का सिद्धांत महाविस्फोट (बिग बैंग) ऐसी ही टकराहट का परिणाम था। हालांकि, आज आसपास के ब्रह्मांड में ये नहीं मिलते हैं लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड के आरंभ के लिए उत्तरदायी बिग बैंग के एकदम बाद हर जगह मैटर और एंटीमैटर बिखरा हुआ था। विरोधी कण आपस में टकराए और भारी मात्रा में ऊर्जा गामा किरणों के रूप में निकली। इस टक्कर में अधिकांश पदार्थ नष्ट हो गया और बहुत थोड़ी मात्रा में मैटर ही बचा है निकटवर्ती ब्रह्मांड में। इस क्षेत्र में ५० करोड़ प्रकाश वर्ष दूर तक स्थित तारे और आकाशगंगा शामिल हैं। वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार सुदूर ब्रह्मांड में एंटीमैटर मिलने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के खगोलशास्त्रियों के एक समूह ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के गामा-किरण वेधशाला से मिले चार साल के आंकड़ों के अध्ययन के बाद बताया है कि आकाश गंगा के मध्य में दिखने वाले बादल असल में गामा किरणें हैं, जो एंटीमैटर के पोजिट्रान और इलेक्ट्रान से टकराने पर निकलती हैं। पोजिट्रान और इलेक्ट्रान के बीच टक्कर से लगभग ५११ हजार इलेक्ट्रान वोल्ट ऊर्जा उत्सर्जित होती है। इन रहस्यमयी बादलों की आकृति आकाशगंगा के केंद्र से परे, पूरी तरह गोल नहीं है। इसके गोलाई वाले मध्य क्षेत्र का दूसरा सिरा अनियमित आकृति के साथ करीब दोगुना विस्तार लिए हुए हैं।। याहू जागरण। १४ जनवरी २००९ एंटीमैटर की खोज में रत वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लैक होल द्वारा तारों को दो हिस्सों में चीरने की घटना में एंटीमैटर अवश्य उत्पन्न होता होगा। इसके अलावा वे लार्ज हैडरन कोलाइडर जैसे उच्च-ऊर्जा कण-त्वरकों द्वारा एंटी पार्टिकल उत्पन्न करने का प्रयास भी कर रहे हैं। पार्टिकल एवं एंटीपार्टिकल पृथ्वी पर एंटीमैटर की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रयोगशालाओं में बहुत थोड़ी मात्रा में एंटीमैटर का निर्माण किया है। प्राकृतिक रूप में एंटीमैटर पृथ्वी पर अंतरिक्ष तरंगों के पृथ्वी के वातावरण में आ जाने पर अस्तित्व में आता है या फिर रेडियोधर्मी पदार्थ के ब्रेकडाउन से अस्तित्व में आता है। शीघ्र नष्ट हो जाने के कारण यह पृथ्वी पर अस्तित्व में नहीं आता, लेकिन बाह्य अंतरिक्ष में यह बड़ी मात्र में उपलब्ध है जिसे अत्याधुनिक यंत्रों की सहायता से देखा जा सकता है। एंटीमैटर नवीकृत ईंधन के रूप में बहुत उपयोगी होता है। लेकिन इसे बनाने की प्रक्रिया फिल्हाल इसके ईंधन के तौर पर अंतत: होने वाले प्रयोग से कहीं अधिक महंगी पड़ती है। इसके अलावा आयुर्विज्ञान में भी यह कैंसर का पेट स्कैन (पोजिस्ट्रान एमिशन टोमोग्राफी) के द्वारा पता लगाने में भी इसका प्रयोग होता है। साथ ही कई रेडिएशन तकनीकों में भी इसका प्रयोग प्रयोग होता है। नासा के मुताबिक, एंटीमैटर धरती का सबसे महंगा मैटेरियल है। 1 मिलिग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख डॉलर रुपये तक लग जाते हैं। एंटीमैटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है। 1 ग्राम एंटीमैटर की कीमत 312500 अरब रुपये (3125 खरब रुपये) है। .

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एक्रक्स तारा

एक्रक्स एक्रक्स, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा क्रूसिस" (α Crucis या α Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 321 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। एक्रक्स वास्तव में एक बहु तारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। .

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ऐन्तलिया तारामंडल

ऐन्तलिया तारामंडल ऐन्तलिया (अंग्रेज़ी: Antlia) दक्षिणी आकाश में स्थित एक तारामंडल है। इसके तारे काफ़ी धुंधले हैं और इस तारामंडल को 18वी सदी में एक फ़्रांसिसी खगोलशास्त्री ने घोषित किया था। यूनानी भाषा में "ऐन्तलिया" (ἀντλία) शब्द का अर्थ पम्प (pump) होता है और इसके नामकरण के समय के आसपास ही यूरोप में हवाई पम्प का आविष्कार हुआ था। ऐन्तलिया तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई 88 तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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ऐस्टेरोपी तारा

ऐस्टेरोपी (Asterope) या स्टेरोपी (स्टेरोपी) वृष तारामंडल में स्थित एक दोहरा तारा है। इसके दो तारे २१ टाओरी (21 Tauri) और २२ टाओरी (22 Tauri) हैं। यह हमारे सूरज से ४४० प्रकाशवर्ष दूर स्थित है और कृत्तिका नामक खुले तारागुच्छ के सदस्य हैं। यह दो तारे कभी-कभी स्टेरोपी I (Sterope I) और स्टेरोपी II (Sterope II) भी कहलाते हैं। .

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डॅल्टा महाश्वान तारा

डॅल्टा महाश्वान तारा डॅल्टा महाश्वान, जिसका बायर नाम "डॅल्टा कैनिस मेजोरिस" (δ Canis Majoris या δ CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ३७वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे १,८०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८३ है। .

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डॅल्टा सरसिनाए तारा

डॅल्टा सरसिनाए (Delta Circini) या δ सरसिनाए (δ Cir) परकार तारामंडल में स्थित एक बहु तारा मंडल है। इसे ऍचाआर ५६६४ (HR 5664) और ऍचडी १३५२४० (HD 135240) के नाम से भी जाना जाता है। इसका सापेक्ष कांतिमान +५.०९ है और यह हमारे सूरज से ७७० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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डॅल्टा सिगनाए तारा

डॅल्टा सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (δ Cygni या δ Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.८७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग १६५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह हंस तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा है। .

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डॅल्टा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें डॅल्टा स्कोर्पाए 'δ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है डॅल्टा स्कोर्पाए (δ Sco, δ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७५वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४०२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है। .

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डॅल्टा सॅफ़ॅई तारा

डॅल्टा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (δ Cephei या δ Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक द्वितारा मंडल है जो पृथ्वी से क़रीब ८८७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) उसके और पृथ्वी के बीच गैस और धूल की मौजूदगी के कारण ०.२३ कम दिखता है। इसमें ५.३६६३४१ दिनों के काल में चमक ३.४८ से ४.३७ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है, यानि यह एक परिवर्ती तारा है। इस तारे के आधार पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी बनाई गई थी जिसे सॅफ़ॅई परिवर्ती कहा जाता है। .

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डॅल्टा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें डॅल्टा वलोरम "δ" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ स्थित तारा है डॅल्टा वलोरम, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (δ Vel या δ Velorum) दर्ज है, आकाश में पाल तारामंडल में स्थित एक तारों का मंडल है जिसमें दो द्वितारे दिखाई दिए हैं। इसका सब से रोशन तारा "डॅल्टा वलोरम ए" +२.०३ मैग्निट्यूड की चमक (सापेक्ष कांतिमान) रखता है और पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले तारों में से ४९वाँ सब से रोशन तारा है। अगर डॅल्टा वलोरम के सभी तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.९५ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। यह तारे पृथ्वी से लगभग ७९.७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर हैं। .

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तारा गुच्छ

पहलवान तारामंडल में स्थित मॅसिये ९२ नाम का गोल तारागुच्छा तारागुच्छ (star cluster, स्टार क्लस्टर) या तारामेघ तारों के विशाल समूह को कहते हैं। विशेष रूप से दो तरह के तारागुच्छ पायें जाते है -.

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तारायान

सन् १९७८ में डेडलस परियोजना में प्रस्तावित तारायान का चित्रण तारायान ऐसे अंतरिक्ष यान को कहते हैं जो एक तारे से दुसरे तारे तक यात्रा करने में सक्षम हो। ऐसे यान वर्तमान में केवल काल्पनिक हैं और विज्ञान कथा साहित्य में इनपर आधारित बहुत कहानियाँ मिलती हैं। हक़ीक़त में, मनुष्यों ने सौर मंडल के अन्दर यात्रा कर सकने वाले तो कई यान बनाए हैं लेकिन सूरज से किसी अन्य तारे तक जा सकने वाले कोई यान नहीं बनाए। केवल वॉयेजर प्रथम, वॉयेजर द्वितीय, पायोनीअर १० और पायोनीअर ११ ही सूरज के वातावरण से निकलकर अंतरतारकीय दिक् (इन्टरस्टॅलर स्पेस, यानि तारों के बीच का व्योम) में दाख़िल होने की क्षमता रखने वाले मानवों द्वारा निर्मित यान हैं। लेकिन इनमें स्वचालन शक्ति नहीं है और न ही इनमें कोई मनुष्य यात्रा कर रहे हैं। यह केवल अपनी गति से व्योम में बहते जा रहे हैं, इसलिए इन्हें सही अर्थों में तारायान नहीं कहा जा सकता। सूरज के बाद, पृथ्वी का सब से निकटतम तारा प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी है जो मित्र तारे के बहु तारा मंडल में मिलता है और हमसे ४.२४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। वॉयेजर प्रथम मानवों द्वारा बनाया गया सब से तेज़ गति का यान है और इसका वेग वर्तमान में प्रकाश की गति का १/१८,००० हिस्सा है (यानि १८ हज़ार गुना कम)। अगर इस गति पर मनुष्य पृथ्वी से प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी जाने का प्रयास करें, तो उन्हें ७२,००० साल लगेंगे। इसलिए यदि मनुष्य कभी कोई तारायान बनाते हैं तो उन्हें नयी तकनीकों का आविष्कार करने की ज़रुरत है जिनकी गति वॉयेजर प्रथम से बहुत अधिक होगी। बिना इसके मनुष्यों का किसी अन्य सौर मंडल में पहुँच पाने का कोई ज्ञात ज़रिया नहीं है। .

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तितली तारागुच्छ

तितली तारागुच्छ (उर्फ़ बटरफ़्लाए तारागुच्छ) तितली तारागुच्छ या बटरफ़्लाए तारागुच्छ, जिसे मॅसिये वस्तु ६ भी कहा जाता है, वॄश्चिक तारामंडल में स्थित एक खुला तारागुच्छ (तारों का समूह) है। इसका आकार एक तितली से ज़रा-बहुत मिलता है, जिस से इसका यह नाम पड़ा। यह पृथ्वी से लगभग १,६०० प्रकाश वर्षों की दूरी पर स्थित है और इस गुच्छे की चौड़ाई १२ प्रकाश वर्ष अनुमानित की गई है। .

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त्रिशंकु तारामंडल

त्रिशंकु (क्रक्स) तारामंडल त्रिशंकु तारामंडल त्रिशंकु या क्रक्स (अंग्रेज़ी: Crux) तारामंडल अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची का सब से छोटा तारामंडल है। अंग्रेज़ी में इसे कभी-कभी "सदर्न क्रॉस" (Southern cross, दक्षिणी काँटा) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में सर्दियों और बसंत के मौसम में गुजरात से दक्षिणी क्षेत्रों में देखा जा सकता है, लेकिन उत्तर भारत से नहीं। पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़ेयर) से यह किसी भी मौसम में देखा जा सकता है। .

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त्रिशंकु शिर तारा

त्रिशंकु शिर, इस चित्र का सब से रोशन तारा (दाँई तरफ) त्रिशंकु शिर, जिसका बायर नाम "बेटा क्रूसिस" (β Crucis या β Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 350 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। त्रिशंकुशिर वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसके मुख्य तारे की श्रेणी B0.5IV है। त्रिशंकु शिर कर्क रेखा के दक्षिण में ही देखा जा सकता है इसलिए उत्तर भारत के अधिकाँश भाग में और यूरोप-वग़ैराह में नहीं देखा जा सकता। मध्य और दक्षिण भारत में इसे देखा जा सकता है। .

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त्रिकोण तारामंडल

त्रिकोण तारामंडल त्रिकोण या ट्राऐंगुलम (अंग्रेज़ी: Triangulum) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसका नाम इसके तीन सबसे रोशन तारों से आता है जिनको कालपनिक लकीरों से जोड़ने से एक पतला सा समद्विबाहु (आसोसिलीज़) त्रिकोण बनता है। .

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तीस मीटर टेलीस्कोप

तीस मीटर टेलीस्कोप, माउना कीआ, हवाई मे स्थापित होने जा रहा दुनिया का सबसे बड़ा ऑप्टिकल टेलीस्कोप है | हवाई के बोर्ड ऑफ नेचुरल रिसोर्स (बीएलएनाआर) ने इसके निर्माण की मंजुरी दी है | अगली पीढ़ी के इस टेलीस्कोप में तीस मीटर का दर्पण लगा होगा | इसी कारण इसका नाम तीस मीटर टेलीस्कोप यानी टीएमटी रखा गया है | यह स्पष्ट तस्वीरों को लेने के लिए अल्ट्रावायलट इमेज को मिड-इंफ्रारेड वेवलैंथ की मदद से खिंचेगा | इसके निर्माण में 54 अरब रुपए खर्च होने का अनुमान है | टीएमटी 13 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशीय पिंडो की तस्वीर ले सकने में सक्षम होगा | माना जाता है कि इससे कुछ अधिक दूरी पर ब्रह्मांड का दूसरा छोर है | टीएमटी मौजुदा ऑप्टिकल टेलीस्कोप की तुलना में नौ गुना बड़ा होगा और उससे तीन गुना अधिक स्पष्ट तस्वीरें ले सकेगा | यह परियोजना पांच देशों अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन और भारत के शैक्षणिक संस्थानो और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग का नतीजा है | टीएमटी 2021 तक अध्ययन करना शुरु कर देगा | .

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थेटा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें थेटा स्कोर्पाए 'θ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा स्कोर्पाए (θ Sco, θ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३९वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग २७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८६ है। .

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थेटा सॅन्टौरी तारा

नरतुरंग (सॅन्टौरस) तारामंडल में 'ϑ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है थेटा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम भी यही (θ Centauri या θ Cen) है, नरतुरंग तारामंडल का एक तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ६०.९४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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दक्षिणकिरीट तारामंडल

दक्षिणकिरीट (कोरोना ऑस्ट्रेलिस) तारामंडल दक्षिणकिरीट तारामंडल में R CrA तारे का क्षेत्र दक्षिणकिरीट या कोरोना ऑस्ट्रेलिस एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे शामिल किया था और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इसे "दक्षिणकिरीट" इसलिए बुलाया जाता है ताकि इसे उत्तरकिरीट तारामंडल से भिन्न बताया जा सके। .

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दूरदर्शी

न्यूटनीय दूरदर्शी का आरेख दूरदर्शी वह प्रकाशीय उपकरण है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देख्नने के लिये किया जाता है। दूरदर्शी से सामान्यत: लोग प्रकाशीय दूरदर्शी का अर्थ ग्रहण करते हैं, परन्तु दूरदर्शी विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अन्य भागों मै भी काम करता है जैसे X-रे दूरदर्शी जो कि X-रे के प्रति संवेदनशील होता है, रेडियो दूरदर्शी जो कि अधिक तरंगदैर्घ्य की विद्युत चुंबकीय तरंगे ग्रहण करता है। दूरदर्शी साधारणतया उस प्रकाशीय तंत्र (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएँ बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, अथवा जिसकी सहायता से दूरवर्ती वस्तुओं के साधारण और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं। दूरवर्ती वस्तुओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आजकल रेडियो तरंगों का भी उपयोग किया जाने लगा है। इस प्रकार का यंत्र रेडियो दूरदर्शी (radio telescope) कहलाता है। बोलचाल की भाषा में दूरदर्शी को दूरबीन भी कहते हैं। दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्य की सीमित दृष्टि को अत्यधिक विस्तृत बना दिया है। ज्योतिर्विद के लिए दूरदर्शी की उपलब्धि अंधे व्यक्ति को मिली आँखों के सदृश वरदान सिद्ध हुई है। इसकी सहायता से उसने विश्व के उन रहस्यमय ज्योतिष्पिंडों तक का साक्षात्कार किया है जिन्हें हम सर्पिल नीहारिकाएँ (spiral nebulae) कहते हैं। ये नीहारिकाएँ हमसे करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं। आधुनिक ज्योतिर्विज्ञान (astronomy) और ताराभौतिकी (astrophysics) के विकास में दूरदर्शी का महत्वपूर्ण योग है। दूरदर्शी ने एक ओर जहाँ मनुष्य की दृष्टि को विस्तृत बनाया है, वहाँ दूसरी ओर उसने मानव को उन भौतिक तथ्यों और नियमों को समझने में सहायता भी दी है जो भौतिक विश्व के गत्यात्मक संतुलन (dynamic equilibirium) के आधार हैं। .

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देवयानी तारामंडल

देवयानी तारामंडल बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) उर्फ़ मिराक तारा देवयानी या ऐन्ड्रौमेडा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। देवयानी तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित है। एण्ड्रोमेडा आकाशगंगा भी आकाश में इसी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। .

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धनु ए

धनु ए या सैजीटेरियस ए (Sagittarius A या Sgr A) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के केन्द्र में स्थित एक खगोलीय रेडियो स्रोत है। यह खगोलीय धूल के विशाल बादलों द्वारा प्रत्यक्ष वर्णक्रम में दृष्टि से छुपा हुआ है। इसके पश्चिमी भाग के बीच में धनु ए* (Sagittarius A*) नामक एक बहुत ही प्रचंड और संकुचित रेडियो स्रोत है, जिसे वैज्ञानिक एक विशालकाय काला छिद्र मानते हैं। धनु ए आकाश में धनु तारामंडल के क्षेत्र में स्थित है। .

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धनु ए*

धनु ए* (Sagittarius A, Sgr A) हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग के केन्द्र में स्थित एक संकुचित और शक्तिशाली रेडियो स्रोत है। यह धनु ए नामक एक बड़े क्षेत्र का भाग है और आकाश के खगोलीय गोले में धनु तारामंडल में वॄश्चिक तारामंडल की सीमा के पास स्थित है। बहुत से खगोलशास्त्रियों के अनुसार यह एक विशालकाय काला छिद्र है। माना जाता है कि अधिकांश सर्पिल और अंडाकार गैलेक्सियों के केन्द्र में ऐसा एक भीमकाय कालाछिद्र स्थित होता है। धनु ए* और पृथ्वी के बीच खगोलीय धूल के कई बादल हैं जिस कारणवश घनु ए* को प्रत्यक्ष वर्णक्रम में नहीं देखा जा सका है। फिर भी धनु ए* की तेज़ी से परिक्रमा कर रहे ऍस२ (S2) तारे के अध्ययन से धनु ए* के बारे में जानकारी मिल सकी है और उसके आधार पर धनु ए* का विशालकाय कालाछिद्र होने का भरोसा बहुत बढ़ गया है। धनु ए* हमारे सौर मंडल से २६,००० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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ध्रुव तारा

ध्रुव मंडल के कुछ तारे, जिनमें से ध्रुव ए (A) मुख्य तारा है कैमरे का लेंस रात्री में लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो प्रतीत होता है कि सारे तारे ध्रुव तारे के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं ध्रुव तारा, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा उर्साए माइनोरिस" (α Ursae Minoris या α UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ४५वां सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४३४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हालांकि की पृथ्वी से यह एक तारा लगता है, यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है, जिसका मुख्य तारा (ध्रुव "ए") F7 श्रेणी का रोशन दानव तारा या महादानव तारा है। वर्तमान युग में ध्रुव तारा खगोलीय गोले के उत्तरी ध्रुव के निटक स्थित है, यानि दुनिया में अधिकतर जगहों से ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर स्थित प्रतीत होता है। इस कारण से तारों से मार्गदर्शन लेते हुए समुद्र या रेगिस्तान जैसी जगहों से निकलने वाले यात्री अक्सर ध्रुव तारे का प्रयोग करते हैं। पृथ्वी के घूर्णन (रोटेशन) से रात्री में आकाश के लगभग सभी तारे धीरे-धीरे घुमते हुए लगते हैं, लेकिन ध्रुव तारा उत्तर की ओर स्थिर लगता है। अगर किसी कैमरे का लेंस लम्बे अरसे तक खुला रख कर रात में आसमान का चित्र खींचा जाए, तो तस्वीर में ऐसा प्रतीत होता है की सारे तारे ध्रुव के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। .

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ध्रुवमत्स्य तारामंडल

ध्रुवमत्स्य तारामंडल ध्रुव तारे के बहु तारा मण्डल का एक काल्पनिक चित्र ध्रुवमत्स्य या अरसा माइनर एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। ध्रुवमत्स्य तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित है। ध्रुव तारा भी आकाश में इसी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। .

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पारसैक

एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक (चिन्ह pc) लम्बाई की खगोलीय इकाई है। यह 30 ट्रिलियन किलोमीटर के लगभग होती है। पारसैक का प्रयोग खगोलशास्त्र में होता है। इसकी लम्बाई त्रिकोणमितीय दिग्भेद पर आधारित है, जो कि सितारों के बीच दूरी नापने का प्राचीन तरीका है। इसका नाम दिग्भेद के अंग्रेजी नाम पैरेलैक्स या "'''par'''allax और '''sec'''ond of arc" यानि आर्कसैकिण्ड, से बना है। एक पारसैक पॄथ्वी से किसी खगोलीय पिण्ड की दूरी होती है, जब वह पिण्ड एक आर्कसैकिण्ड के दिग्भेद कोण पर होता है। पारसैक की वास्तविक लम्बाई लगभग 30.86 पीटामीटर, 3.262 प्रकाश-वर्ष या के बराबर होती है .

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पाल तारामंडल

पाल (वीला) तारामंडल पाल महानोवा अवशेष की नीहारिका के अन्दर स्थित पल्सर अपने तेज़ घूर्णन में पृथ्वी की ओर गामा किरणों का प्रकाश बार-बार फेंकता है पाल या वीला (अंग्रेज़ी: Vela) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक नौका के पाल की आकृति बनाई जा सकती है। पाल हवा पकड़कर नौका धकेलने वाली चादर होती है, जिसे अंग्रेज़ी में "सेल" (sail) कहते हैं। "वीला" लातिनी भाषा में "पाल" के लिए शब्द है। .

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पुनर्वसु-पॅलक्स तारा

पुनर्वसु-पॅलक्स और सूरज की तुलना - पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी रंग का दानव तारा है पुनर्वसु-पॅलक्स या सिर्फ़ पॅलक्स, जिसका बायर नाम "बेटा जॅमिनोरम" (β Geminorum या β Gem) है, मिथुन तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सत्रहवा सब से रोशन तारा है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-कैस्टर तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-पॅलक्स पृथ्वी से लगभग 34 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। इसके इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी दानव तारा है। .

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पुनर्वसु-कैस्टर तारा

पुनर्वसु-कैस्टर तारा पुनर्वसु-कैस्टर या सिर्फ़ कैस्टर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा जॅमिनोरम" (α Geminorum या α Gem) है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-पॅलक्स तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-कैस्टर पृथ्वी से लगभग 49.8 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वैज्ञानिकों को पता चला है के यह वास्तव में एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें चार तारे हैं। फिर उन्हें ज्ञात हुआ के इसमें एक और धुंधला-सा दिखने वाला द्वितारा भी गुरुत्वाकर्षण से बंधा हुआ है, यानि कुल मिलकर पुनर्वसु-कैस्टर मंडल में छह तारे हैं। इस तीसरे द्वितारे के दोनों सदस्य मुख्य अनुक्रम के बौने तारे हैं - यह असाधारण बात है क्योंकि द्वितारों में ज़्यादातर एक तारा दानव या महादानव तारा होता है। .

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पुलस्त्य तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलस्त्य तारे (γ UMa) का स्थान पुलस्त्य, जिसका बायर नामांकन "गामा अर्से मॅजोरिस" (γ UMa या γ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का छठा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ८६वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.४१ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलस्त्य पर रखा गया है। .

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पुलह तारा

सप्तर्षि तारामंडल में पुलह तारे (β UMa) का स्थान पुलह, जिसका बायर नामांकन "बेटा अर्से मॅजोरिस" (β UMa या β Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का पाँचवा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ७९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३४ है। इस तारे का नाम महर्षि पुलह पर रखा गया है। .

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प्रस्वा तारा

हीनश्वान तारामंडल में प्रस्वा का स्थान प्रस्वा या प्रोसीयन, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा कैनिस माइनौरिस" (α Canis Minoris या α CMi) है, हीनश्वान तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से सातवा सब से रोशन तारा है। बिना दूरबीन के आँखों से यह एक तारा लगता है पर दरअसल द्वितारा है, जिनमें से एक "प्रस्वा ए" नाम का सफ़ेद मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी F5 VI-V है और दूसरा "प्रस्वा बी" नामक धुंधला-सा सफ़ेद बौना तारा है जिसकी श्रेणी DA है। वैसे तो प्रस्वा कोई ख़ास चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) नहीं रखता लेकिन पृथ्वी के पास होने से ज़्यादा रोशन लगता है। यह पृथ्वी से ११.४१ प्रकाश-वर्ष दूर है। भारतीय नक्षत्रों में प्रस्वा पुनर्वसु नक्षत्र का भाग माना जाता था, लेकिन उस नक्षत्र में और भी तारे शामिल हैं। .

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी

प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी या मित्र सी, जिसका बायर नाम α Centauri C या α Cen C है, नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। हमारे सूरज के बाद, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे ४.२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है।, Pierre Kervella and Frederic Thevenin, ESO, 15 मार्च 2003 फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता।, Govert Schilling, स्प्रिंगर, 2011, ISBN 978-1-4419-7810-3,...

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प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी

प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी (Proxima Centauri b), जिसे केवल प्रॉक्सिमा बी (Proxima Centauri b) भी कहते हैं, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी नामक लाल बौने तारे के वासयोग्य क्षेत्र में उस तारे की परिक्रमा करता हुआ एक ग़ैर-सौरीय ग्रह (यानि बहिर्ग्रह) है। हमारे सौर मंडल से लगभग ४.२ प्रकाशवर्ष (यानि एक ट्रिलियन या दस खरब किलोमीटर) दूर स्थित प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी तारा सूरज के बाद पृथ्वी का सबसे समीपी तारा है और मित्र तारे (उर्फ़ अल्फ़ा सेन्टॉरी, Alpha Centauri) के त्रितारा मंडल में से एक है और हमारे अपने सौर मंडल के बाद सबसे समीपी ग्रहीय मंडल है। पृथ्वी में ऊपर देखने पर मित्र तारा आकाश के नरतुरंग तारामंडल क्षेत्र में दिखता है। प्रॉक्सिमा बी ग्रह मिलने यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला ने अगस्त २०१६ में की थी। .

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पी ऍरिडानी तारा

पी ऍरिडानी (बायर नाम: p Eridani या p Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से २६ प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है और सन् १८२५ में दूरबीन से देखने पर इसका वास्तव में द्वितारा (दो तारों का मंडल) होना ज्ञात हुआ था। .

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पी॰ऍस॰आर॰ बी1257+12

पी॰ऍस॰आर॰ बी१२५७+१२ पल्सर के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रहों का काल्पनिक चित्रण इस पल्सर के 'ए', 'बी' और 'सी' ग्रहों का काल्पनिक चित्रण पी॰ऍस॰आर॰ बी१२५७+१२ (अंग्रेज़ी: PSR B1257+12) पृथ्वी से लगभग २,००० प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक पल्सर है। आकाश में यह कन्या तारामंडल के क्षेत्र में स्थित है। सन् २००७ में ज्ञात हुआ के इसके इर्द-गिर्द ३ ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा कर रहें हैं। वैज्ञानिकों को एक चौथे ग्रह की मजूदगी पर भी शक है। .

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फ़ुमलहौत बी

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) फ़ुमलहौत तारे के इर्द-गिर्द की धूल में फ़ुमलहौत बी का एक काल्पनिक चित्र फ़ुमलहौत बी पृथ्वी से २५ प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है जो दक्षिण मीन तारामंडल के फ़ुमलहौत तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसे २००८ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीरों के ज़रिये ढूँढा गया था। यह अपने तारे की ११५ खगोलीय इकाई की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है। .

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बड़ा मॅजलॅनिक बादल

बड़ा मॅजलॅनिक बादल (ब॰मॅ॰बा॰) एक बेढंगी गैलेक्सी है जो हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह है। यह पृथ्वी से क़रीब १६०,००० प्रकाश-वर्ष दूर है और आकाशगंगा से तीसरी सब से समीप वाली गैलेक्सी है। इसका कुल द्रव्यमान (मास) हमारे सूरज से लगभग १० अरब गुना है और इसका व्यास (डायामीटर) १४,००० प्रकाश-वर्ष है। तुलना के लिए आकाशगंगा का द्रव्यमान बड़े मॅजलॅनिक बादल से सौ गुना अधिक है और उसका व्यास १००,००० प्रकाश-वर्ष है। आसपास की ३० गैलेक्सियों के स्थानीय समूह में ब॰मॅ॰बा॰ एण्ड्रोमेडा, आकाशगंगा और ट्राऐन्गुलम के बाद चौथी सब से बड़ी गैलेक्सी है। .

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बर्नार्ड-तारा

बारनर्ड का तारा अपना आकाश में स्थान बदलता रहता है - यह तस्वीर उसका हर पाँचवे साल का स्थान दर्शा रहा है बारनर्ड का तारा सर्पधारी तारामंडल में नज़र आने वाला एक बहुत ही कम द्रव्यमान (मास) वाला लाल बौना तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 6 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। मित्र तारे के मंडल के तीन तारों के बाद बारनर्ड का तारा ही पृथ्वी का सब से समीपी तारा है। यह एक M4 श्रेणी का तारा है और पृथ्वी से इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) को 9। 54 मैग्नीट्यूड पर मापा गया है। आकाश में यह अपना स्थान बदलता रहता है इसलिए इसे "बारनर्ड का भागता तारा" भी कहते हैं। .

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बिल्ली लोचन नीहारिका

बिल्ली लोचन नीहारिका (१९९४ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) बिल्ली लोचन नीहारिका का परिष्कृत चित्रण, जिसमें इसकी परतों के साथ-साथ कुछ धारें भी दिख रहीं हैं जो केन्द्रीय तारे से उभरते सामग्री के फव्वारे हो सकते हैं बिल्ली लोचन नीहारिका या बिल्ली की आँख नीहारिका (अंग्रेज़ी: Cat's Eye Nebula, कैट्स आय नॅब्युला), जिसे ऍन॰जी॰सी॰ ६५४३ और कैल्डवॅल ६ भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह ज्ञात नीहारिकाओं में बहुत ही पेचदार मानी जाती है और हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा जांच में इसके अंदर बहुत से गाँठ, फव्वारे, बुलबुले और चाप (आर्क) जैसे ढाँचे दिखें हैं। नीहारिका के केंद्र में एक रोशन और गरम तारा स्थित है। लगभग १००० वर्ष पूर्व इस तारे ने अपनी बाहरी परते खो दीं जो अब नीहारिका बनकर इसके इर्द-गिर्द स्थित हैं। बिल्ली लोचन नीहारिका के जटिल उलझेपन को देखकर कुछ वैज्ञानिकों की सोच है कि शायद केन्द्रीय तारा एक तारा नहीं बल्कि द्वितारा हो, हालांकि इसके लिए अभी कोई प्रमाण नहीं मिला है। .

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ब्रह्महृदय तारा

ब्रह्महृदय के चार तारों और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज नीचे बीच का पीला वाला गोला है ब्रह्महृदय या कपॅल्ला, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऑराइगे" (α Aurigae या α Aur) है, ब्रह्मा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। बिना दूरबीन के एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में दो द्वितारों का मंडल है, यानि इसमें कुल मिलकर चार तारे हैं जो पृथ्वी से एक ही प्रतीत होते हैं। पहले द्वितारे के दोनों तारे G श्रेणी के दानव तारे हैं और दोनों के व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास के लगभग दस गुना हैं। दुसरे द्वितारे के दोनों तारे छोटे और धुंधले से लाल बौने हैं। ब्रह्महृदय मंडल पृथ्वी से लगभग 42.2 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सिया, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91 अरब प्रकाश-वर्ष) है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और ये अनंत हो सकता है। .

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ब्रेकथ्रू स्टारशॉट

एक कल्पित सौर पाल ब्रेकथ्रू स्टारशॉट (Breakthrough Starshot) एक अनुसंधान और अभियान्त्रिकी परियोजना है जिसका ध्येय प्रकाश पाल (light sail) से चलने वाले अंतरिक्ष यानों का एक बेड़ा विकसित करना है जो पृथ्वी से ४.३७ प्रकाशवर्ष दूर स्थित मित्र तारे (Alpha Centauri) के बहु तारा मंडल तक पहुँच सके। इन परिकल्पित अंतरिक्ष यानों का नाम "स्टारचिप" (StarChip) रखा गया है और इन्हें प्रकाश की गति का १५% से २०% तक का वेग देने का प्रस्ताव है। इस रफ़्तार से वे लगभग २० से ३० वर्षों में मित्र तारे के मंडल तक पहुँच सकेंगे और वहाँ से पृथ्वी को सूचित करेंगे। इतनी दूरी पर उनसे प्रसारित संकेतों को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग ४ साल लगेंगे। यह यान इतनी तेज़ी से चल रहे होंगे की वे केवल कुछ देर के लिये मंडल में रहकर आगे अंतरिक्ष में निकल जाएँगे। प्रस्तावकों की चेष्टा है कि इस अंतराल में यह यान अगस्त २०१६ में मिले प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी बी (Proxima Centauri b) नामक स्थलीय ग्रह (जो पृथ्वी से ज़रा बड़ा ग़ैर-सौरीय ग्रह है) के समीप से भी उड़ें और उसकी तस्वीरें खींचकर पृथ्वी भेजें। .

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ब्लैक होल (काला छिद्र)

बड़े मैग्लेनिक बादल के सामने में एक ब्लैक होल का बनावटी दृश्य। ब्लैक होल स्च्वार्ज़स्चिल्ड त्रिज्या और प्रेक्षक दूरी के बीच का अनुपात 1:9 है। आइंस्टाइन छल्ला नामक गुरुत्वीय लेंसिंग प्रभाव उल्लेखनीय है, जो बादल के दो चमकीले और बड़े परंतु अति विकृत प्रतिबिंबों का निर्माण करता है, अपने कोणीय आकार की तुलना में. सामान्य सापेक्षता (जॅनॅरल रॅलॅटिविटि) में, एक ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है। ब्लैक होल के चारों ओर एक सीमा होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता। इसे "ब्लैक (काला)" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता, थर्मोडाइनामिक्स (ऊष्मप्रवैगिकी) में ठीक एक आदर्श ब्लैक-बॉडी की तरह। ब्लैक होल का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान और हॉकिंग विकिरण होता है। अपने अदृश्य भीतरी भाग के बावजूद, एक ब्लैक होल अन्य पदार्थों के साथ अन्तः-क्रिया के माध्यम से अपनी उपस्थिति प्रकट कर सकता है। एक ब्लैक होल का पता तारों के उस समूह की गति पर नजर रख कर लगाया जा सकता है जो अन्तरिक्ष के खाली दिखाई देने वाले एक हिस्से का चक्कर लगाते हैं। वैकल्पिक रूप से, एक साथी तारे से आप एक अपेक्षाकृत छोटे ब्लैक होल में गैस को गिरते हुए देख सकते हैं। यह गैस सर्पिल आकार में अन्दर की तरफ आती है, बहुत उच्च तापमान तक गर्म हो कर बड़ी मात्रा में विकिरण छोड़ती है जिसका पता पृथ्वी पर स्थित या पृथ्वी की कक्षा में घूमती दूरबीनों से लगाया जा सकता है। इस तरह के अवलोकनों के परिणाम स्वरूप यह वैज्ञानिक सर्व-सम्मति उभर कर सामने आई है कि, यदि प्रकृति की हमारी समझ पूर्णतया गलत साबित न हो जाये तो, हमारे ब्रह्मांड में ब्लैक होल का अस्तित्व मौजूद है। सैद्धांतिक रूप से, कोई भी मात्रा में तत्त्व (matter) एक ब्लैक होल बन सकता है यदि वह इतनी जगह के भीतर संकुचित हो जाय जिसकी त्रिज्या अपनी समतुल्य स्च्वार्ज्स्चिल्ड त्रिज्या के बराबर हो। इसके अनुसार हमारे सूर्य का द्रव्यमान ३ कि.

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बेटा ऐन्ड्रौमिडे तारा

बेटा ऐन्ड्रौमिडे (β And) देवयानी (ऐन्ड्रौमेडा) तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (β Andromedae या β And) है, देवयानी तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५५वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। वैज्ञानिकों को बेटा ऐन्ड्रौमिडे का एक परिवर्ती तारा होने का शक़ है क्योंकि पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०१ से २.१० के बीच बदलता रहता है।, database entry, table of suspected variable stars, Combined General Catalog of Variable Stars (GCVS4.2, 2004 Ed.), N. N. Samus, O. V. Durlevich, et al., Centre de Données astronomiques de Strasbourg ID.

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बेटा ध्रुवमत्स्य तारा

ध्रुवमत्स्य (अरसा माइनर) तारामंडल में बेटा ध्रुवमत्स्य 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ध्रुवमत्स्य, जिसका बायर नाम "बेटा उर्साए माइनोरिस" (β Ursae Minoris या β UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५६वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.०७ मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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बेटा पॅगासाई तारा

बेटा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (β Pegasi या β Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८५वाँ सब से रोशन तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है और पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.३१ से +२.७४ मैग्नीट्यूड के दरम्यान बदलती रहती है। बेटा पॅगासाई हमसे लगभग १९९ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बेटा सॅटाए तारा

नासा के चंद्रा ऍक्स-रे दूरबीन से ली गई बेटा सॅटाए की तस्वीर सीटस तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें बेटा सॅटाए "β" के चिह्न वाला दाएँ नीचे की तरफ़ नामांकित तारा है बेटा सॅटाए, जिसका बायर नाम भी यही (β Cet, β Ceti) है, सीटस तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ५०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.०४ है। आकाश के जिस क्षेत्र में यह नज़र आता है उसमें और कोई रोशन तारे नहीं हैं, जिस वजह से इसे आसानी से देखा जा सकता है। .

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बेटा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (β Cephei या β Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह हमसे क़रीब ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +३.१४ है, हालांकि यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक ऊपर-नीचे होती रहती है। इस तारे के नाम पर परिवर्ती तारों की एक विशेष श्रेणी का नामकरण किया गया है जिसके सददास्यों को बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारे बुलाया जाता है। .

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बेटा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमें बेटा ग्रुईस 'β' द्वारा नामांकित तारा है बेटा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (β Gru या β Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६०वाँ सब से रोशन तारा है। बेटा ग्रुईस हमसे १७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.१३ है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक २.० और २.३ मैग्निट्यूड की सीमाओं के बीच बदलती रहती है। .

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बेटा कैसिओपिये तारा

बेटा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'β' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है बेटा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (β Cassiopeiae या β Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७१वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२७ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग ५४ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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बेटा अक्विलाए तारा

गरुड़ तारामंडल में बेटा अक्विलाए β द्वारा नामांकित तारा है बेटा अक्विलाए, जिसका बायर नाम भी यही (β Aquilae या β Aql) है, गरुड़ तारामंडल का एक तारा है। यह एक G8IV श्रेणी का उपदानव तारा है। बेटा अक्विलाए का वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) इतना स्थाई है कि १९४३ से अन्य तारों का श्रेणीकरण अक्सर इस से तुलना कर के किया जाता है।, R. F. Garrison, Bulletin of the American Astronomical Society, Page 1319, volume 25, 1993, Accessed 2012-02-04 यह तारा पृथ्वी से लगभग ४४.७ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और यहाँ से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कांतिमान) +३.७१ मैग्नीट्यूड है। यह एक प्रतीत होने वाला तारा दूरबीन से देखने पर दोहरा तारा नज़र आता है। इसका साथी तारा बेटा अक्विलाए बी (β Aquilae B) कहलाता है और १२वे मैग्नीट्यूड की बहुत धुंधली चमक रखता है (याद रहे कि मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। .

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बॅलाट्रिक्स तारा

बॅलाट्रिक्स (बाएँ का नीला तारा) सूरज (बीच का पीला तारा) से बहुत बड़ा है - दाएँ का लाल तारा ऐल्गोल बी है बॅलाट्रिक्स, जिसका बायर नाम "गामा ओरायोनिस" (γ Orionis या γ Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २७वा सब से रोशन तारा भी है। यह एक परिवर्ती तारा है और इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) १.५९ से १.६४ मैग्निट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह पृथ्वी से २४५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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बीटा टाओरी तारा

काल्पनिक रेखाओं से बनी वृष तारामंडल की आकृति - बीटा टाओरी इस आकृति का सबसे ऊपर-दाई तरफ़ का तारा है मंगल और चन्द्रमा के बीच लटकते बीटा टाओरी (एल्नैट) की एक निशाकालीन तस्वीर बीटा टाओरी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Tau या β Tauri) दर्ज है, वृष तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से १३० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २८वा सब से रोशन तारा भी है। .

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बीटा महाश्वान तारा

महाश्वान तारामंडल में 'β' द्वारा नामांकित बीटा महाश्वान तारा बीटा महाश्वान, जिसका बायर नाम "बीटा कैनिस मेजोरिस" (β Canis Majoris या β CMa) है, महाश्वान तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों से ४६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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बीटा जिराफ़ तारा

बीटा जिराफ़ या बीटा कमॅलपार्डलिस (β Camelopardalis या β Cam) आकाश में जिराफ़ तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G-श्रेणी का पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक दोहरा तारा है। इसका सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +४.०३ है, जिसके दो तारों की अलग-अलग चमक लगभग +४.० और +७.४ मापी गई है (ध्यान दें कि मैग्निट्यूड एक ऐसा उल्टा माप होता है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह पृथ्वी से लगभग १,००० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। .

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बीटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में बीटा कराइनी तारा बीटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन में भी यही नाम (β Car या β Carinae) दर्ज है, कराइना तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.६८ है और यह पृथ्वी से ११० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से २९वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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भट्टी तारामंडल

भट्टी (फ़ॉरनैक्स) तारामंडल भट्टी तारामंडल में दिखने वाला ग़ैर-सौरीय ग्रह हिप १३०४४ बी क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) में नहीं जन्मा था (काल्पनिक चित्र) बिग बैंग महाविस्फोट में हुए ब्रह्माण्ड के जन्म के ५० करोड़ वर्षों के अन्दर-अन्दर दिखती होगी भट्टी या फ़ॉरनैक्स खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में की गई थी और अब यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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मन्दाकिनी

समान नाम के अन्य लेखों के लिए देखें मन्दाकिनी (बहुविकल्पी) जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है मन्दाकिनी या गैलेक्सी, असंख्य तारों का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, आकाश के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। भारत में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं। हमारी पृथ्वी और सूर्य जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं। ब्रह्माण्ड में सौ अरब गैलेक्सी अस्तित्व में है। जो बड़ी मात्रा में तारे, गैस और खगोलीय धूल को समेटे हुए है। गैलेक्सियों ने अपना जीवन लाखो वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया और धीरे धीरे अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया। प्रत्येक गैलेक्सियाँ अरबों तारों को को समेटे हुए है। गुरुत्वाकर्षण तारों को एक साथ बाँध कर रखता है और इसी तरह अनेक गैलेक्सी एक साथ मिलकर तारा गुच्छ में रहती है। प्रारंभ में खगोलशास्त्रियों की धारणा थी कि ब्रह्मांड में नई गैलेक्सियों और क्वासरों का जन्म संभवत: पुरानी गैलेक्सियों के विस्फोट के फलस्वरूप होता है। लेकिन यार्क विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्रियों-डॉ॰सी.आर.

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महापृथ्वी

पृथ्वी और "कॅप्लर-१०बी" नामक महापृथ्वी ग्रह के आकारों की तुलना व्यास (r) और द्रव्यमान (m) एक सीमा में संतुलन में होने से कोई ग्रह महापृथ्वी बनता है - नीली लकीर पर स्थित ग्रह पूरे बानी और बर्फ़ के होंगे और लाल लकीर वाले ग्रह लगभग पूरे लोहे के होंगे - इन दोनों के बीच में महापृथ्वियाँ मिलती हैं वरुण के आकारों की तुलना महापृथ्वी ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रह को कहा जाता है जो पृथ्वी से अधिक द्रव्यमान (मास) रखता हो लेकिन सौर मंडल के बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से काफ़ी कम द्रव्यमान रखे।Valencia et al., Radius and structure models of the first super-Earth planet, September 2006, published in The Astrophysical Journal, February 2007 .

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मापन

मापन के चार उपकरण किसी भौतिक राशि का परिमाण संख्याओं में व्यक्त करने को मापन कहा जाता है। मापन मूलतः तुलना करने की एक प्रक्रिया है। इसमें किसी भौतिक राशि की मात्रा की तुलना एक पूर्वनिर्धारित मात्रा से की जाती है। इस पूर्वनिर्धारित मात्रा को उस राशि-विशेष के लिये मात्रक कहा जाता है। उदाहरण के लिये जब हम कहते हैं कि किसी पेड़ की उँचाई १० मीटर है तो हम उस पेड़ की उचाई की तुलना एक मीटर से कर रहे होते हैं। यहाँ मीटर एक मानक मात्रक है जो भौतिक राशि लम्बाई या दूरी के लिये प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार समय का मात्रक सेकण्ड, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम आदि हैं। .

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मायावती तारा

द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है ययाति (पर्सियस) तारामंडल में मायावती (अलग़ोल) तारा 'β' द्वारा नामांकित है मायावती या अलग़ोल, जिसका बायर नाम बेटा परसई (β Persei या β Per) है, ययाति तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५९वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह एक ऐसा द्वितारा है जिसके मुख्य तारे के इर्द-गिर्द घूमता साथी तारा कभी तो उसके और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी नहीं। इस से यह पृथ्वी से एक परिवर्ती तारा लगता है जिसकी चमक बदलती रहती है। वैदिक काल में इसकी मायावी बदलती प्रकृति के कारण ही इसका नाम "मायावती" पड़ा। इसे पश्चिम और अरब संस्कृतियों में एक दुर्भाग्य का तारा माना जाता था। यह पृथ्वी से लगभग ९३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) वैसे तो +२.१० मैग्नीट्यूड पर रहती है लेकिन हर २ दिन २० घंटे और ४९ मिनटों के बाद इसकी चमक गिरकर +३.४ हो जाती है (याद रखें कि मैग्नीट्यूड एक ऐसा उल्टा माप है कि यह जितना कम हो रोशनी उतनी अधिक होती है)। .

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मारीचि तारा

सप्तर्षि तारामंडल में मारीचि तारे (η UMa) का स्थान मारीचि, जिसका बायर नामांकन "एटा अर्से मॅजोरिस" (η UMa या η Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का दूसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३८वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८५ है। .

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मित्र तारा

मित्र मंडल के तीन तारों और हमारे सूरज के आकारों और रंगों की आपस में तुलना शक्तिशाली दूरबीन के ज़रिये मित्र तारे का एक दृश्य (बीच का सब से रोशन तारा) मित्र "बी" की परिक्रमा करते ग़ैर-सौरीय ग्रह का काल्पनिक चित्रण मित्र या अल्फ़ा सॅन्टौरी, जिसका बायर नाम α Centauri या α Cen है, नरतुरंग तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से चौथा सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से एक दिखने वाला मित्र तारा वास्तव में तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इनमें से दो तो एक द्वितारा मंडल में हैं और इन्हें मित्र "ए" और मित्र "बी" कहा जाता है। तीसरा तारा इनसे कुछ दूरी पर है और उसे मित्र "सी" या "प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी" का नाम मिला है। सूरज को छोड़कर, प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी हमारी पृथ्वी का सब से नज़दीकी तारा है और हमसे 4.24 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। फिर भी प्रॉक्सिमा सॅन्टौरी इतना छोटा है के बिना दूरबीन के देखा नहीं जा सकता। अक्टूबर २०१२ में वैज्ञनिकों ने घोषणा करी कि मित्र तारा मंडल के एक तारे (मित्र "बी") के इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। इस ग्रह का नाम 'मित्र बी-बी' (Alpha Centauri Bb) रखा गया और यह पृथ्वी से सब से नज़दीकी ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है लेकिन यह अपने तारे के बहुत पास है और वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता।, Mike Wall, 16 अक्टूबर 2012, NBC News, Accessed: 19 अक्टूबर 2012,...

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मघा तारा

मघा (रॅग्युलस) तारा मघा या रॅग्युलस​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लियोनिस" (α Leonis या α Leo) है, सिंह तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से बाईसवा सब से रोशन तारा है। मघा हमारे सौर मंडल से लगभग 77.5 प्रकाश-वर्ष दूर है। वास्तव में मघा एक तारा नहीं बल्कि दो द्वितारों का मंडल है, यानि कुल मिलकर चार तारे हैं। .

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मॅसिये 77

मॅसिये 77 सीटस तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आने वाली एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है। यह पृथ्वी से लगभग 4.7 करोड़ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसका केन्द्रीय हिस्सा एक डंडे के अकार में है इसलिए यह एक डन्डीय सर्पिल गैलेक्सी मानी जाती है। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 1,70,000 प्रकाश-वर्ष है। इस गैलेक्सी से ऍक्स किरणे उत्पन्न होती हुई मिली हैं। .

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मॅसिये 87

मॅसिये 87 (Messier 87), जिसे वर्गो ए (Virgo A), ऍनजीसी 4486 (NGC 4486) और ऍम87 (M87) भी कहा जाता है एक भीमकाय अंडाकार गैलेक्सी है। यह आकाश में कन्या तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है और पृथ्वी से लगभग 5.35 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है। यह हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग, के समीप स्थित सबसे विशाल गैलेक्सियों में से एक है। इसमें गोल तारागुच्छ की संख्या असाधारण है - जहाँ क्षीरमार्ग की केवल 150–200 गोल तारागुच्छ परिक्रमा कर रहें हैं, वहाँ ऍम87 में 12,000 हैं। ऍम87 अपने केन्द्र से उभरते हुए विशाल खगोलभौतिक फौवारे के लिए भी प्रसिद्ध है जो 4,900 प्रकाशवर्ष लम्बा है और जिसमें पदार्थ आपेक्षिक गतियों से यात्रा कर रहा है। In "Source List", click "Row no.

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मॅसिये ७४

मॅसिये 74 मॅसिये 74 मीन तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आने वाली एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है। यह पृथ्वी से लगभग 3.2 करोड़ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसकी चमक पृथ्वी से कम प्रतीत होती है और सारी मॅसिये वस्तुओं में यह ग़ैर-पेशेवर खगोलशास्त्रियों द्वारा देखने में सब से मुश्किल मानी जाती है। इसकी दो साफ़ सर्पिल भुजाएँ हैं और माना जाता है के इस पूरी गैलेक्सी में क़रीब 100 अरब तारे हैं। .

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मॅजलॅनिक बादल

बड़ा और छोटा मॅजलॅनिक बादल मॅजलॅनिक बादल (Magellanic Clouds), हमारी मंदाकिनी से लगी हुई अनियमित आकार की दो पडोसी बौनी आकाशगंगाएं है। बड़ा मॅजलॅनिक बादल (LMC) हमसे 1,60,000 प्रकाश वर्ष दूर है और छोटा मॅजलॅनिक बादल (SMC) हमसे 1,80,000 प्रकाश वर्ष दूर है। दोनों को ही दक्षिणी अर्धगोलार्ध मे नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इनकी उपस्थिति को पहली बार 1519 मे पुर्तगाली अन्वेषक फर्डीनैंड मॅजलॅन (Ferdinand Magellan) द्वारा दर्ज किया गया था। बाद मे वें उन्हीं पर नामित हो गये। मॅजलॅनिक बादल दो बेढंगी बौनी गैलेक्सियाँ हैं जो हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह हैं और हमारी समीपी गैलेक्सियों के स्थानीय समूह के सदस्य हैं। इन्हें पृथ्वी के आकाश में सिर्फ़ दक्षिणी गोलार्ध (हॅमिस्फ्येर) से देखा जा सकता है। इन दो गैलेक्सियों के नाम हैं -.

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मोर तारामंडल

मोर (पेवो) तारामंडल पेवो तारामंडल के क्षेत्र में तीन "भिड़ती" गैलेक्सियाँ है मोर या पेवो तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसमें कुछ मुख्य तारों को लकीरों से जोड़कर एक काल्पनिक मोर (पक्षी) की आकृति बनाई जा सकती है। "पेवो" (Pavo) लातिनी भाषा में "मोर" के लिए शब्द है। इसकी परिभाषा औपचारिक रूप से सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी हालांकि इसके नाम का प्रयोग १५९७-१५९८ से ही शुरू हो चूका था। .

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मीनास्य तारा

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) मीनास्य या फ़ुमलहौत, जिसे बायर नामांकन के अनुसार α पाइसिस ऑस्ट्राइनाइ (α PsA) कहा जाता है, दक्षिण मीन तारामंडल का भी सब से रोशन तारा है और पृथ्वी के आकाश में नज़र आने वाले तारों में से भी सब से ज़्यादा रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ेयर) में पतझड़ और सर्दी के मौसम में शाम के वक़्त दक्षिणी दिशा में आसमान में पाया जाता है। यह पृथ्वी से २५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इस से अत्यधिक अधोरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसका अर्थ यह है के यह एक मलबे के चक्र से घिरा हुआ है। ग़ैर-सौरीय ग्रहों की खोज में फ़ुमलहौत का ख़ास स्थान है क्योंकि यह पहला ग्रहीय मण्डल है जिसके एक ग्रह (फ़ुमलहौत बी) की तस्वीर खीची जा सकी थी।, Chris Kitchin, Springer, 2011, ISBN 978-1-4614-0643-3,...

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ययाति तारामंडल

ययाति (पर्सियस) तारामंडल अलग़ोल (बेटा परसई) तारे की चमक तब घटती है जब मुख्य तारे के आगे एक कम रोशन साथी तारा आ जाता है ययाति या पर्सियस (अंग्रेज़ी: Perseus) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। ययाति तारामंडल में अलग़ोल (बायर नाम: β Per) नाम का मशहूर परिवर्ती तारा स्थित है। वार्षिक पर्सिड उल्कापिंडों की बौछार भी आकाश के इसी क्षेत्र में होती है। .

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राजन्य तारा

राजन्य और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज बाएँ पर है राजन्य या राइजॅल, जिसका बायर नाम "बेटा ओरायोनिस" (β Orionis या β Ori) है, कालपुरुष तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से छठा सब से रोशन तारा भी है। इसकी चमक (या सापेक्ष कान्तिमान) 0.18 मैग्निट्यूड पर मापी गयी है। यह पृथ्वी से 700-900 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। राजन्य एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज के द्रव्यमान से 17 गुना द्रव्यमान (मास) है। इसकी अंदरूनी चमक (या निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की चमक की 85,000 गुना है। .

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रिक्ति (खगोलशास्त्र)

रेशे, महागुच्छे और रिक्तियाँ देखे जा सकते हैं खगोलशास्त्र में रिक्तियाँ गैलेक्सियों के रेशों के बीच के ख़ाली स्थान होते हैं जिनमें या तो गैलेक्सियाँ होती ही नहीं या बहुत कम घनत्व में मिलती हैं। इनकी खोज सब से पहले सन् १९७८ में की गयी थी। रिक्तियाँ आम तौर से ३ से ५० करोड़ प्रकाश-वर्ष का व्यास (डायामीटर) रखती हैं। किसी बहुत बड़ी अकार की रिक्ति को महारिक्ति कहा जाता है। .

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रज्जु (मात्रक)

एक रज्जु या राजलोक वह दूरी है जो कोई देव 2,057,152 योजन प्रति समय के वेग से चलकर ६ मास में तय करता है। यह दूरी लगभग 2,047,540,985,856,000 किलोमीटर या 216.5 प्रकाशवर्ष के बराबर है। १००० भार वाली एक लौह गेंद को स्वर्ग से स्वतन्त्रतापूर्वक छोड़ने पर ६ मास में वह एक रज्जु की दूरी तय करती है। ७ रज्जु की दूरी को एक जगश्रेणी कहते हैं। श्रेणी:जैन दर्शन श्रेणी:प्राचीन भारतीय मात्रक.

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रोहिणी तारा

रोहिणी और सूरज के आकारों और रंगों की तुलना रोहिणी या ऐल्डॅबरैन, जिसे बायर नामांकन में ऐल्फ़ा टौ (α Tau) कहते हैं, पृथ्वी से ६५ प्रकाश-वर्ष दूर वृष तारामंडल में स्थित एक नारंगी दानव तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) ०.८७ है और यह अपने तारामंडल का सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से भी दिखने वाले सारे तारों में से इसकी चमक सब से अधिक रोशन तारों में गिनी जाती है। संस्कृत में रोहिणी का अर्थ "लाल हिरण" होता है जो इस तारे की लालिमा की ओर इशारा है। .

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लाम्डा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें लाम्डा वलोरम "λ" के चिह्न वाला तारा है लाम्डा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (λ Velorum या λ Vel) है, पाल तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५७० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का चमकीला दानव या महादानव तारा है। लाम्डा वलोरम एक परिवर्ती तारा भी है जिसकी चमक समय के साथ-साथ +२.१४ से +२.३० मैग्नीट्यूड के बीच चढ़ती-उतरती रहती है। .

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लालांड २११८५ तारा

लालांड २११८५ (Lalande 21185) सप्तर्षि तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। यह हमसे ८.३१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) ७.५२ है। इसके केवल दूरबीन से ही देखा जा सकता है। मित्र तारे के तीन तारों वाले मंडल, बारनर्ड के तारे और वुल्फ़ ३५९ तारे के बाद यह पृथ्वी का चौथा सबसे नज़दीकी पड़ोसी तारा है। खगोलशास्त्रीय अध्ययनों में इसे बीडी+३६ २१४७ (BD+36 2147), ग्लीज़ ४११ (Gliese 411) और एचडी ९५७३५ (HD 95735) के नामों से भी जाना जाता है। .

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शिशुमार तारामंडल

शिशुमार (ड्रेको) तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गई शिशुमार तारामंडल में स्थित पी॰जी॰सी॰ ३९०५८ नामक बौनी गैलेक्सी की तस्वीर शिशुमार या ड्रेको तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है, जिसके तारे पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़्येअर) में रहने वाले बहुत से स्थानों पर परिध्रुवीय हैं (यानि हर रात को पूरी रात के लिए नज़र आते हैं)। यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी उनमें भी शामिल था। .

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शिकारी-हन्स भुजा

शिकारी शाख (ओरायन स्पर) में सूरज और अन्य खगोलीय वस्तुओं का स्थान शिकारी-हन्स भुजा हमारी गैलेक्सी (आकाशगंगा) की एक सर्पिल (स्पाइरल) भुजा है। यह लगभग ३,५०० प्रकाश वर्ष चौड़ी और १०,००० प्रकाश वर्ष लम्बी है, लेकिन आकाशगंगा के महान आकार के हिसाब से एक छोटी बाज़ू समझी जाती है। पृथ्वी, हमारा सूरज और हमारा पूरा सौर मंडल इसमें स्थित है, इसलिए इस भुजा को "स्थानीय भुजा" (अंग्रेज़ी में "लोकल आर्म") भी कहा जाता है। कभी-कभी इसे "शिकारी शाख" (ओरायन स्पर) भी कहते हैं। इस बाज़ू का औपचारिक नाम शिकारी-हन्स भुजा इसलिए पड़ा क्योंकि आसमान में देखने पर इसके तारे अधिकतर शिकारी तारामंडल और हंस तारामंडल के क्षेत्रों में नज़र आते हैं। शिकारी-हंस भुजा आकाशगंगा की दो अन्य बाज़ुओं के बीच स्थित है: कराइना-धनु भुजा (Carina–Sagittarius Arm, कराइना-सैजीटेरियस आर्म) और ययाति भुजा (पर्सियस आर्म, Perseus Arm)। हमारा सौर मंडल शिकारी-हंस भुजा के बीच में है और क्षीरमार्ग के केंद्र से लगभग २६,००० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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शकट चक्र गैलेक्सी

शकट चक्र गैलेक्सी (Cartwheel Galaxy), जो ईऍसओ 350-40 (ESO 350-40) भी कहलाती है, हमारे सौर मण्डल से लगभग 50 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर स्थित एक लेंसनुमा गैलेक्सी है। पृथ्वी की सतह से देखें जाने पर यह आकाश के भास्कर तारामंडल क्षेत्र में दिखती है। इस गैलेक्सी का व्यास लगभग 1,50,000 प्रकाशवर्ष है (यानि हमारी गैलेक्सी, क्षीरमार्ग से ज़रा बड़ा) और इसका अनुमानित द्रव्यमान 2.9 – 4.8 × 109सौर द्रव्यमान है। यह 217 किमी/सैकंड की गति से घूर्णन कर रही है। खगोलज्ञों का मानना है कि इसका टकराव एक छोटी गैलेक्सी से हुआ था, जिसके कारण इसके केन्द्रीय भाग से बाहर एक चक्र बन गया, ठीक उसी तरह जैसे पानी में पत्थर फेंकने से पानी में लहर से चक्र बन जाते हैं। .

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श्रवण तारा

श्रवण और सूरज के आकारों की तुलना - सूरज पीला वाला गोला है तेज़ घूर्णन से श्रवण ध्रुवों पर पिचक गया है श्रवण या ऐल्टेयर, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा अक्विला" (α Aquila या α Aql) है, गरुड़ तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से बारहवाँ सब से रोशन तारा है। यह एक A श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। श्रवण बहुत तेज़ी से घूर्णन करता है (यानि अपने अक्ष पर घूमता है) - इसकी मध्य रेखा पर इसके घूर्णन की रफ़्तार 286 किलोमीटर प्रति सैकिंड है, जिस वजह से इसका गोल अकार ध्रुवों पर पिचक गया है।Resolving the Effects of Rotation in Altair with Long-Baseline Interferometry, D. M. Peterson et al., The Astrophysical Journal 636, #2 (January 2006), pp.

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सप्तर्षि तारामंडल

सप्तर्षि मंडल अँधेरी रात में आकाश में सप्तर्षि तारामंडल के सात तारे धार्मिक ग्रंथों में पृथ्वी के ऊपर के सभी लोक सप्तर्षि तारामंडल पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हेमीस्फ़ेयर) के आकाश में रात्रि में दिखने वाला एक तारामंडल है। इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण-भाद्र महीने तक आकाश में सात तारों के समूह के रूप में देखा जा सकता है। इसमें चार तारे चौकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक प्रश्न चिन्ह का आकार प्रतीत होता है। इन तारों के नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखे गए हैं। ये क्रमशः क्रतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरस, वाशिष्ठ तथा मारीचि हैं। इसे एक पतंग का आकार भी माना जा सकता है जो कि आकाश में डोर के साथ उड़ रही हो। यदि आगे के दो तारों को जोड़ने वाली पंक्ति को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन 48 तारामंडलों की सूची बनाई थी यह तारामंडल उनमें भी शामिल था। .

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल इन्टेलीजेन्स

SETI@home, के लिये बने एक स्क्रीनसेवर का स्क्रीनशॉट। ये एक वितरित संगणन परियोजना थी, जिसमें लोगों ने स्वेच्छा से अपने खाली पड़े कंप्यूटरों को परा-पार्थिव बुद्धिमता चिह्नों की खोज हेतु दान किये थे। सेटी (अंग्रेज़ी:सर्च फॉर एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल इंटेलीजेंस) अमरीका में सुदूर ब्रह्मांड में जीवन की खोज करने की सामूहिक क्रिया-कलापों को कहते हैं। तलाशने के काम में लगा है। इस कार्य के लिए सेटी रेडियो संकेतों का प्रयोग करता है। इसके अलावा, ऑप्टीकल दूरदर्शी और अन्य विधियों को प्रयोग किए जाने की भी सिफारिशें की गई हैं। सेटी अपने प्रयासों में व्यस्त रहता है और किसी अन्य ग्रह पर बौद्धिक जीवन के बारे में सूचनाओं की खोज करता रहता है। विश्व की शक्तिशाली वेधशालाओं और दूरदर्शियों की मदद से सेटी ब्रह्मांड के कोने कोने से आने वाले रेडियो संप्रेषणों को एकत्रित कर उनका विश्लेषण करती है। अभी तक अभी तक की गणना के अनुसार ब्रह्मांड में हम अकेले हैं।। हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१० एक पृथ्वी स्थित सिस्टम से दिखती माइक्रोवेव विंडो। स्रोत:नासा रिपोर्ट: SP-419: अंतरिक्ष में निर्वात होने के कारण वह अपने आप में कोई विशेष शक्तिशाली रेडियो संकेतवाहक नहीं है। सेटी के वैज्ञानिकों के अनुसार यदि सुदूर अंतरिक्ष में कोई अनजान सभ्यता पृथ्वी से भेजे गए रेडियो संकेतों को पकड़ती है तो उसे उत्तर में अंतरिक्ष में सूचनाएं छोड़नी चाहिए जैसे कि हम रेडियो और टीवी स्टेशनों के माध्यम से सूचनाएं छोड़ते हैं। यदि अंतरिक्ष में कोई सभ्यता है तो उनके लिए इन संदेशों को पकड़ना भी अच्छा-खासा चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इनका मानना है कि जिस तरह से हमारे पास कई लाख प्रकाश वर्ष की दूरी तक अपने संदेश पहुंचाने की क्षमता और तकनीक है वैसी ही तकनीक किसी दूसरे ग्रह के लोगों (यदि कोई हैं तो) के पास भी हो सकती है। जैसे पृथ्वी से रेडियो, टीवी, राडार के संकेत निकलकर अंतरिक्ष में फैलते हैं वैसे ही अन्य ग्रहों के रेडियो संकेत भी अंतरिक्ष में होंगे। इन संकेतों को पकड़कर दूसरी दुनिया के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। सेटी द्वारा हो रहे इस अध्ययन को आरंभ में अमरीका ने वित्तीय मदद दी लेकिन बाद में इसे बन्द कर दिया। सेटी के अनेक शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि किसी बाहरी सभ्यता की खोज के लिए हमें मध्यम आवृत्ति भेजी जानी चाहिए और सौरमंडल से बाहर भेजा जाने वाला कोई भी संदेश अंतरिक्ष में किसी एक स्थान पर स्थित ही रहना चाहिए। इसके लिए सेटी के खगोलविदों ने विशालकाय सुपरकंप्यूटरों द्वारा संदेशों को स्कैन करने का काम किया है, जिसके बाद अंतत:यह कार्य एक विकेंद्रीकृत कंप्यूटिंग नेटवर्क, SETI@home को दे दिया गया। वैसे अभी तक किसी अन्य खगोलीय सभ्यता के कोई लक्षण सामने नहीं आए हैं। अनेक खगोलविदों के अनुसार कोई भी बाहरी सभ्यता रेडियो संदेशों का आदान-प्रदान नहीं करेगी, चूंकि बहुत संभव है कि वह पृथ्वी की सभ्यता से कहीं आगे होगी। इसलिए खगोलविद् अंतरिक्ष में लेजर किरणों की भी खोज कर रहे हैं। यदि अंतरिक्ष में सूचनाएं भेजने का यह प्रयास अंतत: विफल रहता है तो सेटी को कोई यान ही भेजना पड़ेगा, जो इससे भी कहीं कठिन कार्य होगा। .

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सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा

धनु तारामंडल में सिग्मा सैजिटेरियाइ तारा "σ Sgr" से नामांकित है सिग्मा सैजिटेरियाइ जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (σ Sgr या σ Sagittarii) दर्ज है, आकाश में धनु तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे २२८ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक

सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक (active galactic nucleus) या स॰गै॰ना॰ (AGN) किसी गैलेक्सी के केन्द्र में ऐसा एक संकुचित क्षेत्र होता है जिसमें असाधारण तेजस्विता हो। यह विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के पूर्ण या ऐसे भाग में हो सकता है जिस से स्पष्ट हो जाए कि इस तेजस्विता का स्रोत केवल तारे नहीं हो सकते। इस प्रकार का विकिरण रेडियो, सूक्ष्मतरंग (माइक्रोवेव), अवरक्त (इन्फ़्रारेड), प्रत्यक्ष (ओप्टीकल), पराबैंगनी (अल्ट्रावायोलेट), ऍक्स किरण और गामा किरण के तरंगदैर्घ्य में पाया गया है। सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक रखने वाली गैलेक्सी को सक्रीय गैलेक्सी (active galaxy) कहा जाता है। खगोलशास्त्रियों का मानना है कि सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक से उत्पन्न होने वाला विकिरण ऐसी गैलेक्सियों के केन्द्र में उपस्थित विशालकाय ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एकत्रित होने वाले पदार्थ से पैदा होता है। अक्सर ऐसे सक्रीय गैलेक्सीय नाभिकों से मलबे के विशालकाय खगोलभौतिक फौवारे निकलते हुए दिखते हैं, मसलन ऍम87 नामक सक्रीय गैलेक्सी के नाभिक से एक 5000 प्रकाशवर्ष लम्बा फौवारा निकलता हुआ देखा जा सकता है। बहुत ही भयंकर तेजस्विता रखने वाले सक्रीय गैलेक्सीय नाभिक को क्वेसार (quasar) कहते हैं। .

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सुपरमैन (फ़िल्म)

सुपरमैन (सुपरमैन: द मूवी के रूप में भी विख्यात) समनाम वाले डीसी कॉमिक्स के चरित्र पर आधारित 1978 की एक सुपरहीरो फ़िल्म है। फ़िल्म के निर्देशक थे रिचर्ड डॉनर, जिसमें सुपरमैन की भूमिका में क्रिस्टोफ़र रीव और साथ में जीन हैकमैन, मार्गट किडर, मार्लोन ब्रैंडो, ग्लेन फ़ोर्ड, फ़िलिस थैक्सटर, जैकी कूपर, मार्क मॅकक्लूर, वैलरी पेरीन तथा नेड बेट्टी ने अभिनय किया। फ़िल्म सुपरमैन की उत्पत्ति, क्रिप्टोन के काल-एल के रूप में उसका शैशव और स्मॉलविले में उसके पलने-बढ़ने का चित्रण करता है। संवाददाता क्लार्क केंट के रूप में प्रच्छन्न, वह मेट्रोपोलिस में सौम्य-व्यवहार दृष्टिकोण अपनाता है और खलनायक लेक्स लूथर के साथ जूझते समय, लोइस लेन के प्रति उसके मन में प्रेम जगता है। 1973 में इल्या साल्किंड द्वारा फ़िल्म की कल्पना की गई थी। निर्देशन का काम डॉनर को सुपुर्द करने से पहले परियोजना से कई निर्देशक, विशेषकर गइ हैमिल्टन और पटकथा-लेखक (मारियो प्यूज़ो, डेविड और लेज़ली न्यूमैन तथा रॉबर्ट बेंटन) जुड़े थे। डॉनर ने यह महसूस करते हुए कि पटकथा कुछ ज़्यादा खेमे से जुड़ा है, टॉम मैनक्यूविक्ज़ को दुबारा पटकथा लिखने का काम सौंपा.

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स्थानीय समूह

सॅक्सटॅन्स गैलेक्सी हमसे ४३ लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बेढंगी गैलेक्सी है जो हमारे स्थानीय समूह की सदस्य है स्थानीय समूह या लोकल ग्रुप गैलेक्सियों का एक समूह है जिसमें हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा, भी शामिल है। इस समूह में ३० से ज़्यादा गैलेक्सियाँ शामिल हैं जिनमें से बहुत सी बौनी गैलेक्सियाँ हैं। स्थानीय समूह का द्रव्यमान केंद्र आकाशगंगा और एण्ड्रोमेडा गैलेक्सी के बीच में कही स्थित है और यह दोनों ही समूह की सब से बड़ी गैलेक्सियाँ हैं। कुल मिलाकर स्थानीय समूह का व्यास (डायामीटर) एक करोड़ प्रकाश-वर्ष तक फैला हुआ है। इसमें तीन सर्पिल गैलेक्सियाँ हैं - क्षीरमार्ग, एण्ड्रोमेडा और ट्राऐन्गुलम गैलेक्सी। .

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स्रोतास्विनी तारामंडल

स्रोतास्विनी तारामंडल ऍप्सिलन ऍरिडानी तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता बृहस्पति-जैसा ग्रह - काल्पनिक चित्र स्रोतास्विनी (संस्कृत अर्थ: नहर, नदी या प्रवाह) या इरिडनस एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। .

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स्वाति तारा

सूरज की तुलना में स्वाति का व्यास लगभग 25 गुना है स्वाति या आर्कट्युरस (अंग्रेजी: Arcturus) ग्वाला तारामंडल में स्थित एक नारंगी रंग का दानव तारा है। इसका बायर नाम "अल्फ़ा बोओटीस" (α Boötis) है। यह आकाश का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका सापेक्ष कान्तिमान (चमक) -0.04 मैग्निट्यूड है। स्वातिपृथ्वी से 36.7 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और हमारे सूरज से 25.7 गुना व्यास (डायामीटर) रखता है। इसका सतही तापमान 4,300 कैल्विन अनुमानित किया जाता है। स्वाति के अध्ययन से यह शंका पैदा हो गयी है के इसका द्वितारा होने की सम्भावना है जिसमें इसका साथी तारा इस से 20 गुना कम चमक वाला है, लेकिन यह अभी पूरी तरह प्रमाणित नहीं हुआ है। .

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स्कल्प्टर गैलेक्सी

ऍनजीसी २५३, उर्फ़ स्कल्प्टर गैलेक्सी ऍनजीसी २५३, जिसे स्कल्प्टर गैलेक्सी (Sculptor Galaxy) भी कहा जाता है, भास्कर तारामंडल के क्षेत्र में दिखने वाली एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है। इसमें वर्तमान काल में बहुत तेज़ी से नए तारे जन्मे जा रहे हैं। यह हमसे लगभग १.१४ करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है।, Robert Gendler, Timothy Ferris, Voyageur Press, 2006, ISBN 978-0-7603-2642-8 .

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सूंस तारामंडल

सूंस (डॅल्फ़ाइनस) तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गई सूंस तारामंडल में दिखने वाले ऍन॰जी॰सी॰ ६९३४ नामक गोल तारागुच्छ की तस्वीर सूंस या डॅल्फ़ाइनस तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है जो खगोलीय मध्यरेखा के काफ़ी समीप पड़ता है। यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी उनमें भी शामिल था। .

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सीटस तारामंडल

सीटस तारामंडल हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा खींची गयी माएरा तारे की तस्वीर सीटस (अंग्रेज़ी: Cetus) एक तारामंडल है। सीटस का अर्थ व्हेल मछली होता है। .

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हिन्दू मापन प्रणाली

हिन्दू समय मापन (लघुगणकीय पैमाने पर) गणित और मापन के बीच घनिष्ट सम्बन्ध है। इसलिये आश्चर्य नहीं कि भारत में अति प्राचीन काल से दोनो का साथ-साथ विकास हुआ। लगभग सभी प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने अपने ग्रन्थों में मापन, मापन की इकाइयों एवं मापनयन्त्रों का वर्णन किया है। ब्रह्मगुप्त के ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त के २२वें अध्याय का नाम 'यन्त्राध्याय' है। संस्कृत कें शुल्ब शब्द का अर्थ नापने की रस्सी या डोरी होता है। अपने नाम के अनुसार शुल्ब सूत्रों में यज्ञ-वेदियों को नापना, उनके लिए स्थान का चुनना तथा उनके निर्माण आदि विषयों का विस्तृत वर्णन है। .

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हिन्दू लम्बाई गणना

पृथ्वी की लम्बाई हेतु सर्वाधिक प्रयोगित इकाई है योजन। धार्मिक विद्वान भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने अपने पौराणिक अनुवादों में सभी स्थानों पर योजन की लम्बाई को 8 मील (13 कि॰मी॰) बताया है।। अधिकां भारतीय विद्वान इसका माप 13 कि॰मी॰ से 16 कि॰मी॰ (8-10 मील) के लगभग बताते हैं। .

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हिन्दी तारामंडल

हिन्दी तारामंडल हिन्दी या इन्डस (अंग्रेज़ी: Indus) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक तारामंडल है। .

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हंस तारा

हंस तारा हमारे सूरज से 200 गुना से भी ज़्यादा बड़ा है हंस या डॅनॅब​, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा सिगनाए" (α Cygni या α Cyg) है, हंस तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से उन्नीसवा सब से रोशन तारा है। हंस तारे की अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) बहुत भयंकर है और इसका माप -7.0 मैग्नीट्यूड है। यह सूरज से 60,000 गुना ज़्यादा चमकीला है। .

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हेलिक्स नेब्यूला

हेलिक्स नेब्यूला अथवा हेलिक्स निहारिका (Helix Nebula) एक ग्रहीय निहारिका है। जिसकी खोज कार्ल हार्डिंग ने सन् १८२४ में की थी। यह पृथ्वी से कुछ सबसे नज़दीकी निहारिकाओं में से एक है जो ७०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। इसका रूप आखों के समान है जिसके कारण इसकी उच्च धार्मिक महत्ता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे "ईश्वर की आँख" अथवा "सोरोन की आँख" भी कहते हैं। .

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जलसर्प तारामंडल

जलसर्प तारामंडल जलसर्प तारामंडल में ऍम८३ नामक डन्डीय सर्पिल आकाशगंगा है जलसर्प या हाइड्रा एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है और उस सूची का खगोलीय गोले में सब से बड़े क्षेत्र वाला तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। .

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ज़ेटा पपिस तारा

ज़ेटा पपिस का एक काल्पनिक चित्रण ज़ेटा पपिस, जिसका बायर नाम भी यही (ζ Puppis या ζ Pup) है, पपिस तारामंडल का सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६२वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १,०९० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक O श्रेणी का अत्यंत गरम नीला महादानव तारा है। .

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ज़ेटा ओरायोनिस तारा

ज़ेटा ओरायोनिस एक नीला महादानव तारा है जो हमारे सूरज से बहुत बड़ा है ज़ेटा ओरायोनिस कालपुरुष तारामंडल में आंच नीहारिका (फ़्लेम नेब्युला) के समीप नज़र आता है ज़ेटा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ζ Ori या ζ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक तीन तारों का बहु तारा मंडल है। इसका मुख्य तारा (जिसे "ज़ेटा ओरायोनिस ए" कहा जाता है) एक अति-गरम नीला महादानव तारा है और यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०४ है। अगर तीनों तारों को इकठ्ठा देखा जाए तो इनकी मिली-जुली चमक १.७२ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड एक विपरीत माप है और यह जितना कम हो चमक उतनी ही ज़्यादा होती है। .

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जिराफ़ तारामंडल

जिराफ़ तारामंडल जिराफ़ या कमॅलपार्डलिस (अंग्रेज़ी: Camelopardalis) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक अकार में बड़ा लेकिन धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १६१२ या १६१३ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। इसका अंग्रेज़ी नाम दो हिस्सों का बना है: कैमल (यानि ऊँट) और लेपर्ड (यानि धब्बों वाला तेंदुआ)। लातिनी में कैमलेपर्ड का मतलब था "वह ऊँट जिसपर तेंदुएँ जैसे धब्बे हों", यानि की जिराफ़। .

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ज्येष्ठा तारा

स्वाती (आर्कत्युरस) भी दिखाया गया है ज्येष्ठा या अन्तारॅस, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा स्कोर्पाए" (α Scorpii या α Sco) है, वॄश्चिक तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सोलहवा सब से रोशन तारा है। ज्येष्ठा समय के साथ अपनी चमक कम-ज़्यादा करने वाला एक परिवर्ती तारा है जिसकी औसत चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +1.09 मैग्नीट्यूड है। यह पृथ्वी से लगभग 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। .

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जी॰जे॰ ५०४ बी ग्रह

जी॰जे॰ ५०४ बी (GJ 504 b) कन्या तारामंडल के ५९ कन्या तारे (उर्फ़ ५९ वर्जिनिस या जी॰जे॰ ५०४) की परिक्रमा करता हुआ एक गैस दानव ग्रह है। अगस्त २०१३ में मिले इस ग्रह का द्रव्यमान (मास) हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से लगभग ४ गुना अनुमानित किया गया है। अन्दाज़ा लगाया जाता है कि यदि इस ग्रह को आँखों द्वारा सीधा देखा जा सकता तो इसका रंग गाढ़ा गुलाबी प्रतीत होता। ५९ कन्या तारा सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है और जिस समय जी॰जे॰ ५०४ बी की खोज हुई थी वह सूरज-जैसे तारों के ग्रहीय मंडलों में तब तक पाए गए ग्रहों में से सबसे कम द्रव्यमान रखता था।, August 06, 2013, Space.com,...

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वर्णक्रम

एक इन्द्रधनुष के अनगिनत रंग एक वर्णक्रम में व्यवस्थित होते हैं एक तारे के प्रकाश के वर्णक्रम से उस तारे का तापमान और बनावट अनुमानित किया जा सकता है वर्णक्रम या स्पॅकट्रम (spectrum) किसी चीज़ की एक ऐसी व्यवस्था होती है जिसमें उस चीज़ की विविधताएँ किसी गिनती की श्रेणियों में सीमित न हों बल्कि किसी संतात्यक (कन्टिन्यम) में अनगिनत तरह से विविध हो सके। "स्पॅकट्रम" शब्द का इस्तेमाल सब से पहले दृग्विद्या (ऑप्टिक्स) में किया गया था जहाँ इन्द्रधनुष के रंगों में अनगिनत विविधताएँ देखी गयीं। .

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वर्णक्रमीय रेखा

वर्णक्रमीय रेखा (spectral line) किसी सतत वर्णक्रम में उपस्थित हलकी या गाढ़ी रेखा को कहते हैं। यह एक विशेष आवृत्ति (फ़्रीक्वेन्सी) के प्रकाश के उत्सर्जन (emission) या अवशोषण (absorption) के कारण बनती हैं। वर्णक्रमीय रेखाओं के द्वारा अक्सर परमाणुओं और अणुओं की पहचान की जाती है। हमसे लाखों प्रकाशवर्ष दूर स्थित तारों व ग्रहों की रासायनिक संरचना का अनुमान उनसे आने वाले प्राकश में उपस्थित वर्णक्रमीय रेखाओं से लगाया जा सकता है, जो कि इनके बिना असम्भव होता। .

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वशिष्ठ और अरुंधती तारे

वशिष्ठ और अरुंधती तारे सप्तर्षि तारामंडल में ध्यान से देखने पर वशिष्ठ के पास अरुंधती तारा धुंधला-सा नज़र आता है वशिष्ठ, जिसका बायर नामांकन "ज़ेटा अर्से मॅजोरिस" (ζ UMa या ζ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का चौथा सब से रोशन तारा है, जो पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७०वाँ सब से रोशन तारा भी है। शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात हुआ है कि यह वास्तव में ४ तारों का एक मंडल है। इसके बहुत पास इस से काफ़ी कम रोशनी वाला अरुंधती तारा (बायर नाम: ८० अर्से मॅजोरिस, 80 UMa) दिखता है जो स्वयं एक द्वितारा है। इन दोनों के मिलकर जो ६ तारे हैं वे एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण से बंधे हुए हैं और पृथ्वी से लगभग ८१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। वशिष्ठ का चार-तारा मंडल और अरुंधती का द्वितारा एक दूसरे से अनुमानित १.१ प्रकाश वर्ष की दूरी रखते हैं। वशिष्ठ की पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२३ है लेकिन इसके सबसे रोशन तारे की चमक +२.२७ मैग्निट्यूड है। ध्यान रहे कि मैग्निट्यूड एक उल्टा माप है और यह जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन लगता है। .

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विश्वकद्रु तारामंडल

विश्वकद्रु तारामंडल कोर करोली द्वितारा विश्वकद्रु या कैनीज़ विनैटिसाए (अंग्रेज़ी: Canes Venatici) खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १७वी सदी में योहानॅस हॅवॅलियस (Johannes Hevelius) नामक जर्मन खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। इस तारामंडल के तारे धुंधले होने से दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने अपनी ४८ तारामंडलों की सूची में इसे अलग स्थान देने के बजाए इसे आकाश में इसके पड़ोस में स्थित सप्तर्षि तारामंडल का ही भाग बना डाला था। .

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वुल्फ़ ३५९ तारा

इस सन् २००९ में ली गई तस्वीर में वुल्फ़ ३५९ मध्य में ऊपर की तरफ़ स्थित नारंगी तारा है वुल्फ़ ३५९ (Wolf 359) सिंह तारामंडल में क्रांतिवृत्त के पास स्थित एक लाल बौना तारा है। यह हमसे ७.८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १३.५ है। इसके केवल एक बड़ी दूरबीन से ही देखा जा सकता है। मित्र तारे के तीन तारों वाले मंडल और बारनर्ड के तारे के बाद यह पृथ्वी का तीसरा सबसे नज़दीकी पड़ोसी तारा है। वुल्फ़ ३५९ सभी ज्ञात तारों में सबसे कम रोशनी और सबसे कम द्रव्यमान (मास) वाले तारों में है। इसका सतही तापमान केवल २,८०० केल्विन है, जिसमें बहुत से रसायन बनकर स्थाई रह सकते हैं। जब इसके वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) का अध्ययन किया जाता है तो उससे इसके वातावरण में पानी और टाईटेनियम डायोक्साइड​ की मौजूदगी का पता चलता है। इसका चुम्बकीय क्षेत्र हमारे सूरज से अधिक शक्तिशाली है। यह एक धधकने वाला तारा है जिसमें अचानक कुछ मिनटों के लिए चमक बढ़ जाती है। इन हादसों के दौरान यह तारा तीखे ऍक्स प्रकाश और गामा प्रकाश का विकिरण (रेडियेशन) छोड़ता है जिसे अंतरिक्ष-स्थित दूरबीनों से देखा जा चुका है। यह एक कम आयु वाला तारा है और इसकी उम्र एक अरब वर्षों से कम अनुमानित की गई है। इसका कोई साथी तारा नहीं मिला है और न ही इसके इर्द-गिर्द कोई ग़ैर-सौरीय ग्रह या मलबा चक्र परिक्रमा करता हुआ मिला है। .

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व्याध तारा

व्याध एक द्वितारा है जिसके "व्याध ए" और "व्याध बी" तारे इस तस्वीर में देखे जा सकते हैं (व्याध बी नीचे बाएँ पर स्थित बिंदु है) व्याध तारा(Sirius) पृथ्वी से रात के सभी तारों में सब से ज़्यादा चमकीला नज़र आता है। इसका सापेक्ष कान्तिमान -१.४६ मैग्निट्यूड है जो दुसरे सब से रोशन तारे अगस्ति से दुगना है। दरअसल जो व्याध तारा बिना दूरबीन के आँख से एक तारा लगता है वह वास्तव में एक द्वितारा है, जिसमें से एक तो मुख्य अनुक्रम तारा है जिसकी श्रेणी A1V है जिसे "व्याध ए" कहा जा सकता है और दूसरा DA2 की श्रेणी का सफ़ेद बौना तारा है जिसे "व्याध बी" बुलाया जा सकता है। यह तारे महाश्वान तारामंडल में स्थित हैं। व्याध पृथ्वी से लगभग ८.६ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। व्याध ए सूरज से दुगना द्रव्यमान रखता है जबकि व्याध बी का द्रव्यमान लगभग सूरज के बराबर है। .

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वृषपर्वा तारामंडल

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल वृषपर्वा या सिफ़ियस (अंग्रेज़ी: Cepheus) तारामंडल खगोलीय गोले के उत्तरी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। "वृषपर्वा" का नाम दैत्यों के एक राजा पर रखा गया है, जबकि अंग्रेज़ी नाम "सिफ़ियस" इथियोपिया के एक मिथिक राजा पर रखा गया है। .

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वैन मानॅन का तारा

वैन मानॅन का तारा मीन तारामंडल में स्थित एक सफ़ेद बौना तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 14.1 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और व्याध तारे और प्रस्वा तारे के मंडलों में मौजूद सफ़ेद बौने तारों के बाद हमारे सौर मंडल के तीसरा सब से पास वाला सफ़ेद बौना है। यह पहला सफ़ेद बौना मिला था जो किसी बहु तारा मंडल में किसी अन्य तारे के साथ गुरुत्वाकर्षक बंधन में नहीं बंधा है। .

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वेदी तारामंडल

वेदी तारामंडल वेदी या ऍअरा (अंग्रेज़ी: Ara) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में वॄश्चिक और दक्षिण त्रिकोण तारामंडल के बीच स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके कुछ मुख्य रोशन तारों को कालपनिक लकीरों से जोड़ने पर एक पूजा की वेदी का चित्र बनता है जिसपर इसका नाम पड़ा है। .

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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वी वाई महाश्वान

वी वाई महाश्वान हमारे सूरज से लगभग दो हज़ार गुना बड़ा है वी वाई महाश्वान (बायर नाम: VY CMa) महाश्वान तारामंडल में स्थित एक लाल परमदानव तारा जो पूरे पूरे ब्रह्माण्ड में अब तक सब से बड़ा मिला तारा है। इसका व्यास (डायामीटर) १८०० से २१०० सौर व्यास के बराबर है, यानी हमारे सूरज के व्यास से लगभग दो हज़ार गुना। वी वाई महाश्वान पृथ्वी से ४,९०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। यह तारा इतना बड़ा है के अगर पृथ्वी के सौर मंडल से सूरज हटाकर इसे रख दिया जाए तो शनि की कक्षा तक की जगह इसी तारे के अन्दर हो जाए। .

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खगोलभौतिक फौवारा

खगोलभौतिक फौवारा (astrophysical jet) एक खगोलीय परिघटना होती है जिसमें किसी घूर्णन करती हुई खगोलीय वस्तु के घूर्णन अक्ष की ऊपरी और निचली दिशाओं में आयनीकृत पदार्थ फौवारों में तेज़ गति से फेंका जाता है। कभी-कभी इन फौवारों में पदार्थ की गति प्रकाश की गति के समीप आने लगती है और यह आपेक्षिक फौवारे (relativistic jets) बन जाते हैं, जिनमें विशिष्ट आपेक्षिकता के प्रभाव दिखने लगते हैं।Morabito, Linda A.; Meyer, David (2012).

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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खगोलीय ठंडा धब्बा

डब्ल्यू मैप शोधयान द्वारा ली गयी तस्वीर में खगोलीय ठंडा धब्बा नज़र आ रहा है (नीले रंग में) खगोलीय ठंडा धब्बा आकाश में एक ऐसा बड़ा स्थान है जहाँ पर सूक्ष्मतरंगी विकिरण (माइक्रोवेव रेडियेशन) बहुत कम है। अंतरिक्ष में हर दिशा में देखने पर ब्रह्माण्ड के धमाकेदार जन्म के समय में पैदा हुआ विकिरण हर जगह देखा जा सकता है और इसकी वजह से हर जगह औसतन 2.7 कैल्विन का तापमान रहता है जो आम तौर पर इस औसत से 18 माइक्रोकैल्विन (यानि 0.000018 कैल्विन) ही कम-ज़्यादा होता है। खगोलीय ठन्डे धब्बे में तापमान इस औसत से 70 माइक्रोकैल्विन कम है। वैज्ञानिकों को इसका ठीक कारण अभी ज्ञात नहीं है। इस धब्बे को अंग्रेज़ी में "सी ऍम बी कोल्ड स्पोट" (CMB cold spot) और "डब्ल्यू मैप कोल्ड स्पोट" (WMAP cold spot) भी कहा जाता है। "डब्ल्यू मैप" विल्किनसन सूक्ष्मतरंग शोधयान के अंग्रेज़ी नाम पर डाला गया है। इस धब्बे का आकार बहुत बड़ा है और 50 करोड़ से 1 अरब प्रकाश वर्ष का व्यास (डायामीटर) रखता है। यह आकाश में स्रोतास्विनी तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आता है जिसका अंग्रेज़ी नाम "इरिडनस तारामंडल" है। कुछ वैज्ञानिक समझते हैं के इस क्षेत्र में ठण्ड इसलिए है क्योंकि यह एक महारिक्ति है (यानि एक ख़ाली जगह)। इसलिए कभी-कभी इस धब्बे को "इरिडनस महारिक्ति" (इरिडनस सुपरवोइड) भी कहा जाता है। .

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खगोलीय दूरी

खगोलीय दूरियाँ बाहरी अंतरिक्ष की दूरियां होती हैं, जो पॄथ्वी के ऊपर की दूरियों के मुकाबले काफ़ी अधिक बडी़ होती हैं। जैसे कि हमारे सौर मंडल के निकटतम तारे, प्रॉक्सिमा सेन्टॉरी पृथ्वी से लगभग 40,000,000,000,000 किलोमीटर है। इस कारण खगोलीय दूरियों के लिये प्रकाश वर्ष का प्रयोग होता है। अतएव किसी खगोलीय वस्तु की दूरी बताने हेतु प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की जाने वाली दूरी की संख्या में बताते हैं। जैसे सूर्य पृथ्वी से 150,000,000 कि॰मी॰ दूर है, या 8 प्रकाश मिनट दूर है। अल्फा सेन्टॉरी .

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खगोलीय वस्तु

आकाशगंगा सब से बड़ी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं - एन॰जी॰सी॰ ४४१४ हमारे सौर मण्डल से ६ करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष के व्यास की आकाशगंगा है खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी आदि शामिल हैं। .

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खुला तारागुच्छ

वृष तारामंडल में स्थित कृत्तिका तारागुच्छ (अंग्रेज़ी में "प्लीअडीज़") एक मशहूर खुला तारागुच्छ है खुला तारागुच्छ NGC 2244 खुले तारागुच्छे ("ओपन क्लस्टर") १०-३० प्रकाश वर्ष के चपटे क्षेत्र में फैले चंद सौ तारों के तारागुच्छे होते हैं। इनमे से अधिकतर तारे छोटी आयु वाले (कुछ करोड़ वर्षों पुराने) नवजात सितारे होते हैं। सर्पिल गैलेक्सियों (जैसे की हमारी गैलेक्सी, आकाशगंगा) में यह अक्सर भुजाओं में मिलते हैं। क्योंकि इनमें आपसी गुरुत्वाकर्षक बंधन उतना मज़बूत नहीं होता जितना के गोल तारागुच्छों के सितारों में होता है, इसलिए अक्सर इनके तारे आसपास के विशाल आणविक बादलों और अन्य वस्तुओं के प्रभाव में आकर भटक जाते हैं और तारागुच्छा छोड़ देते हैं। कृत्तिका तारागुच्छ (अंग्रेज़ी में "प्लीअडीज़") इस श्रेणी के तारागुच्छों का एक मशहूर उदहारण है। .

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गामा ऍरिडानी तारा

गामा ऍरिडानी (Gamma Eridani) या ज़ौराक (Zaurak), जिसका बायर नाम γ ऍरिडानी (γ Eridani, γ Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक परिवर्ती तारा है। यह हमारे सौर मंडल से लगभग 203 प्रकाशवर्ष दूर है और पृथ्वी से देखे जाने पर 2.9 का सापेक्ष कांतिमान रखता है। गामा ऍरिडानी एक विकसित लाल दानव तारा है। .

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गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा

गामा ऐन्ड्रौमिडे तारा गामा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (γ And या γ Andromedae) है, देवयानी तारामंडल का तीसरा सब से रोशन तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२६ है और यह पृथ्वी से ३५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६९वाँ सब से रोशन तारा भी है। वैसे पृथ्वी से एक दिखने वाले इस तारे में शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर वास्तव में चार अलग तारे दिखते हैं। कम शक्तिशाली दूरबीन से यह दो तारों सा प्रतीत होता है - एक रोशन पीले रंग का और एक धुंधला सा गहरे नीले रंग का। इन दो अलग रंगों कि वजह से इसे एक सुन्दर दोहरा तारा समझा जाता है। .

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गामा ड्रेकोनिस तारा

शिशुमार तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें गामा ड्रेकोनिस नीचे बाई तरफ स्थित "γ" के चिह्न वाला तारा है गामा ड्रेकोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Draconis या γ Dra) है, शिशुमार तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६४वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२३ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग १४८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। यह एक K श्रेणी का नारंगी दानव तारा है। .

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गामा ध्रुवमत्स्य तारा

ध्रुवमत्स्य (अरसा माइनर) तारामंडल में गामा ध्रुवमत्स्य 'γ' द्वारा नामांकित तारा है गामा ध्रुवमत्स्य, जिसका बायर नाम "गामा उर्साए माइनोरिस" (γ Ursae Minoris या γ UMi) है, ध्रुवमत्स्य तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४८० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) लगभग +३.०३ मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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गामा पॅगासाई तारा

गामा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (γ Pegasi या γ Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.८३ मैग्नीट्यूड है। गामा पॅगासाई हमसे लगभग ३३५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गामा लियोनिस तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में गामा लियोनिस तारा 'γ' द्वारा नामांकित है ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण गामा लियोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Leonis या γ Leo) है, सिंह तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है (जो बिना दूरबीन से देखने पर एक ही तारा प्रतीत होता है)। इस जोड़े का अधिक रोशन तारा पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२८ मैग्नीट्यूड है और दोनों तारों की चमक मिलाकर +१.९८ मैग्नीट्यूड है (ध्यान दें की मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह द्वितारा पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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गामा सिगनाए तारा

गामा सिगनाए आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है, जो इस चित्र में दिखाई गई है गामा सिगनाए​, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cygni या γ Cyg) है, हंस तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६६वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग १,५०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गामा सिगनाए तारा एक आई॰सी॰१३१८ (IC1318) नामक नीहारिका (नॅब्युला) से घिरा हुआ है। .

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गामा जॅमिनोरम तारा

मिथुन तारामंडल (फ़्रांसीसी में) - गामा जॅमिनोरम 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा जॅमिनोरम (γ Gem, γ Geminorum), जिसका बायर नाम में भी यही है, मिथुन तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है (पुनर्वसु-पॅलक्स तारे के बाद)। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १०५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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गामा कैसिओपिये तारा

गामा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'γ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है गामा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (γ Cassiopeiae या γ Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का एक तारा है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२० और +३.४० मैग्नीट्यूड के बीच बदलती रहती है। यह तारा बहुत तेज़ी से अपने अक्ष (ऐक्सिस) पर घूर्णन कर रहा है जिस से एक तो इसका अकार पिचक गया है और दूसरा इसकी सतह से कुछ द्रव्य उखड़-उखड़कर इसके इर्द-गिर्द एक छल्ले के रूप में घूमता है। इसी छल्ले की वजह से इस तारे की चमक कम-ज़्यादा होती रहती है। खगोलशास्त्र में ऐसे सभी तारों की एक श्रेणी बनी हुई है जिसके सदस्यों को इसी तारे के नाम पर "गामा कैसिओपिये परिवर्ती" तारे कहा जाता है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से एक है। गामा कैसिओपिये हमसे लगभग ६१० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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गिरगिट तारामंडल

गिरगिट (कमीलियन) तारामंडल गिरगिट या कमीलियन (अंग्रेज़ी: Chamaeleon) तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। यह बहुत ही छोटा तारामंडल है और इसके सितारे भी कम रोशन हैं। इसकी परिभाषा लगभग ४०० वर्ष पूर्व दो डच नाविकों ने की थी, जिन्होनें पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़्येअर) से नज़र आने वाले १० अन्य तारामंडलों की भी परिभाषा की। .

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गिगामीटर

गिगामीटर (गि॰मी॰, gigametre) लम्बाई का एक माप है जो एक अरब मीटर (यानि दस लाख किलोमीटर) के बराबर होता है। इसका प्रयोग अंतरिक्ष में दूरियाँ मापने के लिये होता है, हालांकि प्रकाशवर्ष और खगोलीय इकाई (ख॰इ॰, astronomical units, AU) का प्रयोग इस से अधिक प्रचलित है। .

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गुरुत्वीय तरंग

thumb लेजर व्यतिकरणमापी का योजनामूलक चित्र भौतिकी में दिक्काल के वक्रता की उर्मिकाओं को गुरुत्वीय तरंग (gravitational waves) कहते हैं। ये उर्मिकाएँ तरंग की तरह स्रोत से बाहर की तरफ गमन करतीं हैं। अलबर्ट आइंस्टाइन ने वर्ष १९१६ में अपने सामान्य आपेक्षिकता सिद्धान्त के आधार पर इनके अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। ११ फरवरी २०१६ को अमेरिका में वाशिंगटन, जर्मनी में हनोवर और कुछ अन्य देशों के शहरों में एक साथ यह घोषणा की गई कि ब्रह्मांड में गुरुत्वीय तरंगों के अस्तित्व का सीधा प्रमाण मिल गया है। खगोलविदों का मानना है कि गुरुत्वीय तरंगों की पुष्टि हो जाने के बाद अब ब्रह्मांड की उत्पत्ति के कुछ और रहस्यों पर से पर्दा उठ सकता है। गुरुत्वीय तरंगों का संसूचन (detection) आसान नहीं है क्योंकि जब वे पृथ्वी पर पहुँचती हैं तब उनका आयाम बहुत कम होता है और विकृति की मात्रा लगभग 10−21 होती है जो मापन की दृष्टि से बहुत ही कम है। इसलिये इस काम के लिये अत्यन्त सुग्राही (sensitive) संसूचक चाहिये। अन्य स्रोतों से मिलने वाले संकेत (रव / noise) इस कार्य में बहुत बाधक होते हैं। अनुमानतः गुरुत्वीय तरंगों की आवृत्ति 10−16 Hz से 104 Hz होती है। .

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ग्लाइस सूचीपत्र

ग्लाइस सूचीपत्र (Gliese Catalogue), बहुधा आधुनिक तारा सूचीपत्र के उन तारों से संदर्भित है जो पृथ्वी के 25 पारसेक (81.54 प्रकाश वर्ष) दायरे में स्थित है। श्रेणी:खगोलशास्त्र.

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ग्लीज़ 581सी

ग्लीज़ 581सी एक सुपर पृथ्वी है और यह अपने सौर मंडल से परे है। यह लाल बौने तारे ग्लीज़ 581 का चक्कर लगाता रहता है। एसा माना गया है कि तारे को घेरने वाले क्षेत्र का तापमान रहन योग्य हो स्कता है और पानी की उपस्थिति की भी संभावना है। यह ग्रह पृथ्वी से 20.5 प्रकाश वर्ष दूर है।.

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ग्लीज़ १

ग्लीज़ १ (Gliese 1) एक लाल बौना तारा है, जो पृथ्वी की सतह से देखे जाने पर आकाश में भास्कर तारामंडल में स्थित है। यह खगोलीय गोले के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिस्फ़ीयर) में स्थित है। ग्लीज़ १ हमारे सूरज के सबसे निकटतम तारों में से एक है और लगभग १४.२ प्रकाशवर्ष की दूरी पर है। समीप होने के कारण इसके भौतिक गुणों और संरचना को ग़ौर से परखा गया है, लेकिन इसका सापेक्ष कांतिमान लगभग ८.५ है, यानि यह बिना दूरबीन के केवल आँखों द्वारा देखा नहीं जा सकता। ग्लीज़ १ की विशेष चाल की गति काफ़ी ऊँची है। .

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ग्लीज़ २२९

ग्लीज़ २२९ तारे के इर्द-गिर्द घूमता हुआ ग्लीज़ २२९बी (छोटा गोला), जो एक भूरा बौना है ग्लीज़ २२९, जिसे जी आई २२९ (GI229) और जी जे २२९ (GJ229) भी कहा जाता है, हमारे सौर मण्डल से १९ प्रकाश-वर्ष दूर ख़रगोश तारामंडल (अंग्रेज़ी में लीपस तारामंडल) में पाया जाने वाला एक लाल बौना तारा है। इसका एक क़रीबी पड़ौसी ग्लीज़ २२९बी है जो एक भूरा बौना है (ग्रह और तारे के बीच की एक वस्तु)। .

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ग्लीज़ ४४५

ग्लीज़ ४४५ (Gliese 445 या Gl 445) एक ऍम-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है जो पृथ्वी के आकाश में जिराफ़ तारामंडल के क्षेत्र में ध्रुव तारे के पास नज़र आता है। वर्तमानकाल में यह हमारे सूरज से १७.६ प्रकाश-वर्ष दूर है और इसका सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १०.८ है। पृथ्वी पर यह कर्क रेखा से उत्तर के सभी क्षेत्रों में रातभर देखा जा सकता है लेकिन इसकी चमक इतनी मंद है कि इसे देखने के लिये दूरबीन आवश्यक है। यह हमारे सूरज का एक-तिहाई द्रव्यमान (मास) रखने वाला एक लाल बौना तारा है और वैज्ञानिक इसके इर्द-गिर्द मौजूद किसी ग्रह पर जीवन होने की सम्भावना कम समझते हैं।Page 168, Planets Beyond: Discovering the Outer Solar System, Mark Littmann, Mineola, New York: Courier Dover Publications, 2004, ISBN 0-486-43602-0.

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ग्लीज़ ५८१

कोई विवरण नहीं।

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गैलेक्सियों के रेशे

पृथ्वी के ५० करोड़ प्रकाश-वर्ष के अन्दर के ब्रह्माण्ड में रेशे, महागुच्छे और रिक्तियाँ खगोलशास्त्र में गैलेक्सियों के रेशे या महान दीवारें ब्रह्माण्ड की सारी वस्तुओं में सब से बड़े ज्ञात ढाँचे होते हैं। यह बहुत ही बड़े रेशेदार ढाँचे होते हैं जिनमें हर रेशे की लम्बाई आम तौर पर १५ से २५ करोड़ प्रकाश वर्ष होती है। इन रेशों में गैलेक्सियाँ होती हैं जो एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षण से बंधी होती हैं। इन रेशों के बीच में ख़ाली स्थान होता है, जिन्हें रिक्तियाँ कहते हैं। रेशों के अन्दर वह जगहे जहाँ गैलेक्सियों का घना जमावड़ा होता है "महागुच्छे" कहलाते हैं। .

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गेक्रक्स तारा

त्रिशंकु तारामंडल के इस चित्र में गेक्रक्स सब से ऊपर का रोशन तारा है गेक्रक्स, जिसका बायर नाम "गामा क्रूसिस" (γ Crucis या γ Cru) है, त्रिशंकु तारामंडल का से स्थित एक लाल दानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ८८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं और पृथ्वी का सब से समीपी लाल दानव तारा है। इसका गहरा लाल-नारंगी रंग खगोलशास्त्रियों में प्रसिद्ध है। गेक्रक्स वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। मुख्य लाल दानव तारे का एक सफ़ेद बौना साथी तारा भी है। .

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गोल तारागुच्छ

धनु तारामंडल में स्थित मॅसिये ६९ नाम का गोल तारागुच्छा गोल तारागुच्छे ("ग्लोब्युलर क्लस्टर") १०-३० प्रकाश वर्ष के गोलाकार क्षेत्र में एकत्रित दस हज़ार से दसियों लाख तारों के तारागुच्छे होते हैं। इनमे से अधिकतर तारे ठन्डे (लाल और पीले रंगों में सुलगते हुए) और छोटे आकार के (ज़्यादा-से-ज़्यादा सूरज से दुगने बड़े) और काफी बूढ़े होते हैं। बहुत से तो पूरी ब्रह्माण्ड की आयु (जो १३.६ अरब वर्ष अनुमानित की गयी है) से चंद करोड़ साल कम के ही होते हैं। इनसे बड़े या अधिक गरम तारे या तो महानोवा (सुपरनोवा) बनकर ध्वस्त हो चुके होते हैं या सफ़ेद बौने बन चुके होते हैं। फिर भी कभी-कभार इन गुच्छों में अधिक बड़े और गरम नीले तारे भी मिल जाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है के ऐसे नीले तारे इन गुच्छों के घने केन्द्रों में पैदा हो जाते हैं जब दो या उसे से अधिक तारों का आपस में टकराव और फिर विलय हो जाता है। आकाशगंगा (मिल्की वे, हमारी गैलेक्सी) में गोल तारागुच्छे आकाशगंगा के केंद्र के इर्द-गिर्द फैले हुए गैलेक्सीय सेहरे में मिलते हैं। .

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और्ट बादल

चित्रकार द्वारा कल्पित और्ट बादल का चित्र - ऊपर बाएँ की और काइपर घेरा दिखाया गया है और्ट बादल या और्ट क्लाउड एक गोले के रूप का धूमकेतुओं का बादल है जो सूर्य से लगभग एक प्रकाश-वर्ष के दूरी पर हमारे सौर मण्डल को घेरे हुए है। इसमें अरबों की संख्या में धूमकेतु हैं। खगोलीय इकाई में एक प्रकाश वर्ष लगभग ५०,००० ख॰ई॰ होता है (१ ख॰ई॰ पृथ्वी से सूरज की दूरी है), यानि और्ट बादल सूरज से पृथ्वी के मुक़ाबले में पचास हज़ार गुना अधिक दूर है। और्ट बादल सौर मण्डल के सब से दूर-तरीन क्षेत्र है। सौर मण्डल के काइपर घेरे और बिखरा चक्र वाले क्षेत्र - जो वैसे बहुत बाहर की ओर माने जाते हैं - दोनों और्ट बादल के हज़ार गुना अधिक सूरज के पास है। यह बात ध्यान योग्य है के वैज्ञानिकों ने और्ट बादल के अस्तित्व के मिल जाने की भविष्यवाणी तो की है लेकिन इसके अस्तित्व का अभी कोई पक्का प्रमाण नहीं मिला है। मानना है के और्ट बादल हमारे सौर मण्डल की गुरुत्वाकर्षक सीमा पर है और उसके बाद सूरज का खिचाव बहुत कम रह जाता है। .

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आणविक बादल

यह धूल और गैस का आणविक बादल कैरीना नॅब्युला का एक टूटा हुआ अंश है और इसके पास नवजात तारे नज़र आ रहे हैं। इन तारों की रोशनी खगोलीय धूल से गुज़रती हुई नीली लगने लगी है क्योंकि यह धूल नीला रंग अधिक फैलती है। इन तारों का कठोर प्रकाश कुछ लाख सालों में इस आणविक बदल को उबल कर ख़तम कर देगा। यह छवि १९९९ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी थी। बार्नार्ड ६८ का विशाल आणविक बादल इतना घना है के यह एक "काले नॅब्युला" की तरह प्रतीत होता है, क्योंकि यह पीछे से आने वाले तारों की रोशनी को एक परदे की तरह रोक रहा है। "सॅफ़्यस बी" नामक आणविक बादल और उसमें नए जन्मे तारे। खगोलशास्त्र में आणविक बादल अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल (इन्टरस्टॅलर क्लाउड) को कहते हैं जिसका घनत्व और और आकार अणुओं को बनाने के लिए पार्यप्त हो। अधिकतर यह अणु हाइड्रोजन (H2) के होते हैं, हालांकि आणविक बादलों में और भी प्रकार के अणु मिलते हैं। आणविक बादलों में मौजूद हाइड्रोजन अणुओं को उनसे उभरने वाली विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) के ज़रिये पहचान लेना मुश्किल है इसलिए इन बादलों में हाइड्रोजन की मात्रा का अनुमान लगाना कठिन होता है। सौभाग्य से, हमारी आकाशगंगा (गैलॅक्सी) में देखा गया है के आणविक बादलों में हाइड्रोजन के साथ-साथ कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के अणु भी मिलते हैं और इस कार्बन मोनोऑक्साइड से उभरती रोशनी उतनी ही प्रबल होती है जितनी उसके इर्द-गिर्द हाइड्रोजन की मात्रा होती है। हालांकि यह हाइड्रोजन की मात्रा को अनुमानित करने का तरीका हमारी आकाशगंगा में तो चल जाता है, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है के कार्बन मोनोऑक्साइड के रोशानपन और हाइड्रोजन की मात्रा का यह सम्बन्ध शायद कुछ दूसरी आकाशगंगाओं में सच न हो। .

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आयोटा ओरायोनिस तारा

आयोटा ओरायोनिस (Iota Orionis) या ι ओरायोनिस (ι Ori), जो हत्स्य (Hatysa) भी कहलाता है, कालपुरुष तारामंडल के ऍनजीसी 1980 नामक खुले तारागुच्छ में स्थित एएक बहु तारा मंडल है। यह उस तारामंडल का आठवाँ सबसे रोशन सदस्य है और +2.77 का सापेक्ष कांतिमान रखता है। अनुमानित है कि यह हमारे सूरज से लगभग 2,300 प्रकाशवर्ष (710 पारसैक) दूर स्थित है। बिना दूरबीन से देखने पर यह एक तारा प्रतीत होता है लेकिन सक्षम दूरबीन से इसमें तीन अलग तारे दिखते हैं, जिन्हें आयोटा ओरायोनिस ए (Iota Orionis A), आयोटा ओरायोनिस बी (Iota Orionis B) और आयोटा ओरायोनिस सी (Iota Orionis C) नामांकित करा गया है। और अधिक शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर ज्ञात होता है कि आयोटा ओरायोनिस ए स्वयं एक द्वितारा है, और इसके दो तारों को आयोटा ओरायोनिस एए (Iota Orionis Aa) तथा आयोटा ओरायोनिस एबी (Iota Orionis Ab) नामांकित करा गया है। .

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आयोटा कराइनी तारा

कराइना तारामंडल में आयोटा कराइनी तारा आयोटा कराइनी, जिसका बायर नामांकन भी यही नाम (ι Car या ι Carinae) है, कराइना तारामंडल का एक तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.२५ है और यह पृथ्वी से ६९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६८वाँ सब से रोशन तारा भी है। .

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आर्द्रा तारा

आर्द्रा या बीटलजूस, जिसका बायर नाम α ओरायनिस (α Orionis) है, कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक लाल महादानव तारा है।, Stephen D. Butz, Cengage Learning, 2002, ISBN 978-0-7668-3391-3,...

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आर॰ऍस॰ पपिस

आर॰ऍस॰ पपिस (RS Puppis), जो संक्षिप्त रूप में आर॰ऍस॰ पप (RS Pup) भी कहलाता है, पपिस तारामंडल में स्थित एक सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा है। यह आकाशगंगा के सबसे चमकदार सॅफ़ॅई परिवर्ती तारों में से एक है और इसकी परिवर्तन-अवधि ४१.४ दिन है जो ऐसे तारों में बहुत अधिक समझी जाती है। यह पृथ्वी से ६५०० ± ९० प्रकाशवर्ष दूर है। .

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आकरनार तारा

बहुत तेज़ी से घूर्णन करने की वजह से आकरनार का आकार पिचका हुआ है आकरनार स्रोतास्विनी तारामंडल के आख़िर में स्थित है - "स्रोतास्विनी" का अर्थ "नहर" होता है और "आकरनार" नाम "आख़िर अन-नहर" का बिगड़ा रूप है आकरनार, जिसका बायर नाम "अल्फ़ा ऍरिडानी" (α Eridani या α Eri) है, स्रोतास्विनी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से नौवा सब से रोशन तारा भी है। आकरनार बहुत गरम है और इसलिए इसका रंग नीला है। हालाँकि यह सूरज की ही तरह का एक मुख्य अनुक्रम तारा है, फिर भी इसकी चमक सूरज की 3,000 गुना है। तारों के श्रेणीकरण के हिसाब से इसे B3 की श्रेणी दी जाती है। यह पृथ्वी से 144 प्रकाश-वर्षों की दूरी पर है। आकरनार की एक सिफ़्त यह है की यह तारा बहुत तेज़ी से घूर्णन कर रहा है (यानि अपने अक्ष पर घूम रहा है) के इसका गोल अकार पिचक गया है और इसके मध्यरेखा की चौड़ाई इसके अक्ष की लम्बाई से 56% ज़्यादा है। पूरी आकाशगंगा (हमारी गैलेक्सी) में जितने तारों का अध्ययन हुआ है यह उन सारों में से सब से पिचका हुआ तारा है। .

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आकाशगंगा

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरबीन से ली गयी आकाशगंगा के केन्द्रीय भाग की इन्फ़्रारेड प्रकाश की तस्वीर। अलग रंगों में आकाशगंगा की विभिन्न भुजाएँ। आकाशगंगा के केंद्र की तस्वीर। ऍन॰जी॰सी॰ १३६५ (एक सर्पिल गैलेक्सी) - अगर आकाशगंगा की दो मुख्य भुजाएँ हैं जो उसका आकार इस जैसा होगा। आकाशगंगा, मिल्की वे, क्षीरमार्ग या मन्दाकिनी हमारी गैलेक्सी को कहते हैं, जिसमें पृथ्वी और हमारा सौर मण्डल स्थित है। आकाशगंगा आकृति में एक सर्पिल (स्पाइरल) गैलेक्सी है, जिसका एक बड़ा केंद्र है और उस से निकलती हुई कई वक्र भुजाएँ। हमारा सौर मण्डल इसकी शिकारी-हन्स भुजा (ओरायन-सिग्नस भुजा) पर स्थित है। आकाशगंगा में १०० अरब से ४०० अरब के बीच तारे हैं और अनुमान लगाया जाता है कि लगभग ५० अरब ग्रह होंगे, जिनमें से ५० करोड़ अपने तारों से जीवन-योग्य तापमान रखने की दूरी पर हैं। सन् २०११ में होने वाले एक सर्वेक्षण में यह संभावना पायी गई कि इस अनुमान से अधिक ग्रह हों - इस अध्ययन के अनुसार आकाशगंगा में तारों की संख्या से दुगने ग्रह हो सकते हैं। हमारा सौर मण्डल आकाशगंगा के बाहरी इलाक़े में स्थित है और आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इसे एक पूरी परिक्रमा करने में लगभग २२.५ से २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं। .

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कबूतर तारामंडल

कबूतर तारामंडल कबूतर या कोलम्बा (अंग्रेज़ी: Columba) खगोलीय गोले पर महाश्वान और ख़रगोश तारामंडलों के दक्षिण में स्थित एक छोटा और धुंधला-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा सन् १५९२ में पॅट्रस प्लैंकियस (Petrus Plancius) नामक डच खगोलशास्त्री ने की थी। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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कापा स्कोर्पाए तारा

बिच्छु के रूप वाले वॄश्चिक तारामंडल का चित्रण, जिसमें कापा स्कोर्पाए 'κ' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है कापा स्कोर्पाए (κ Sco, κ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह पृथ्वी से लगभग ४६० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.३९ है। .

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कापा वलोरम तारा

पाल तारामंडल की एक तस्वीर जिसमें कापा वलोरम "κ" के चिह्न वाला तारा है कापा वलोरम, जिसका बायर नाम भी यही (κ Velorum या κ Vel) है, पाल तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४७ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ५४० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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कापा ओरायोनिस तारा

कालपुरुष (ओरायन) तारामंडल में कापा ओरायोनिस 'κ' द्वारा नामांकित बाएँ नीचे की तरफ वाला तारा है कापा ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (κ Ori या κ Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल का छठा सब से रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५१वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे लगभग ७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। .

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कालपुरुष तारामंडल

कालपुरुष तारामंडल कालपुरुष तारामंडल की एक तस्वीर, जिसमें कालपुरुष के कमरबंद के तीन तारे एक तिरछी लक़ीर में साफ़ नज़र आ रहे हैं कालपुरुष या शिकारी या ओरायन (अंग्रेज़ी: Orion) तारामंडल दुनिया भर में दिख सकने वाला एक तारामंडल है, जिसे बहुत से लोग जानते और पहचानते हैं। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक पुरुष या शिकारी के रूप में दर्शाया जाता था। .

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क्रतु तारा

सप्तर्षि तारामंडल में क्रतु तारे (α UMa) का स्थान क्रतु, जिसका बायर नामांकन "अल्फ़ा अर्से मॅजोरिस" (α UMa या α Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का तीसरा सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १२४ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७९ है। यह वास्तव में एक बहु तारा मंडल है। .

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कृत्तिका तारागुच्छ

कृत्तिका तारागुच्छ अवरक्त प्रकाश (इन्फ़्रारॅड) में कृत्तिका के एक हिस्से का दृश्य - धूल का ग़ुबार साफ़ दिख रहा है कृत्तिका का एक नक़्शा कृत्तिका, जिसे प्लीयडीज़ भी कहते हैं, वृष तारामंडल में स्थित B श्रेणी के तारों का एक खुला तारागुच्छ है। यह पृथ्वी के सब से समीप वाले तारागुच्छों में से एक है और बिना दूरबीन के दिखने वाले तारागुच्छों में से सब से साफ़ नज़र आता है। कृत्तिका तारागुच्छ का बहुत सी मानव सभ्यताओं में अलग-अलग महत्व रहा है। इसमें स्थित ज़्यादातर तारे पिछले १० करोड़ वर्षों के अन्दर जन्में हुए नीले रंग के गरम और बहुत ही रोशन तारे हैं। इसके सबसे रोशन तारों के इर्द-गिर्द धूल भी दमकती हुई नज़र आती है। पहले समझा जाता था कि यह यहाँ के तारों के निर्माण के बाद बची-कुची धूल है, लेकिन अब ज्ञात हुआ है कि यह अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर मीडयम) में स्थित एक अलग ही धूल और गैस का बादल है जिसमें से कृत्तिका के तारे गुज़र रहें हैं। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि इस तारागुच्छ और २५ करोड़ वर्षों तक साथ हैं लेकिन उसके बाद आसपास गुरुत्वाकर्षण कि खींचातानी से एक-दूसरे से बिछड़कर तित्तर-बित्तर हो जाएँगे। कृत्तिका पृथ्वी से ४०० और ५०० प्रकाश वर्ष के बीच की दूरी पर स्थित है और इसकी ठीक दूरी पर वैज्ञानिकों में ४०० से लेकर ५०० प्रकाश वर्षों के बीच के आंकड़ों में अनबन रही है। .

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केप्लर-452

केप्लर-452 नामक तारा एक जी श्रेणी का तारा है जो पृथ्वी से 1400 प्रकाशवर्ष दूर है। यह सिग्नस नामक तारामंडल में स्थित है। इसका तापमान सूर्य के तापमान के लगभग बराबर है। इसकी आयु लगभग ६ अरब वर्ष है और यह सूर्य से 150 करोड़ वर्ष पुराना है और सूर्य की तुलना में यह 20 प्रतिशत अधिक चमकीला है। सूर्य की तुलना में इसका द्रव्यमान ४ गुना और व्यास १०% अधिक है। ग्रह केप्लर-452बी इसकी परिक्रमा करता है जिसे केप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा जुलाई २०१५ में खोजा गया था। वैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन लायक प्रकाश, गर्मी और वातावरण बनाए रखने के लिये ये अपने तारे केप्लर-४५२ से उचित दूरी पर है और इस वजह से यहाँ हमरे ग्रह पृथ्वी जैसे जीवन की संभावना हो सकती है। .

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केप्लर-452बी

केप्लर-452बी यह केप्लर-452 तारे की परिक्रमा करने वाला एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है। इसका खुलासा नासा ने 23 जुलाई 2015 को किया था। यह 1,400 प्रकाश वर्ष दूर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए मानव द्वारा निर्मित अब तक के सबसे अधिक गति के यान के द्वारा 25 करोड़ 80 लाख वर्ष तक का समय लग जाएगा। .

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केओआई ९६१

केओआई ९६१ के ग्रहीय मंडल का एक काल्पनिक चित्रण चंद्रमाओं से के॰ओ॰आई॰ ९६१ (अंग्रेज़ी: KOI-961) एक लाल बौना तारा है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग १३० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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कॅप्लर-१० तारा

कॅप्लर-१० का ग्रहीय मंडल, जिसमें कॅप्लर-१०सी एक गैस दानव ग्रह के रूप में और कॅप्लर-१०बी अपने तारे के आगे एक छोटे से बिंदु के रूप में दर्शाया गया है कॅप्लर-१०बी ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण कॅप्लर-१०, जिसे कॅप्लर-१०ए (Kepler-10a) और केओआई-७२ (KOI-72) के नाम से भी जाना जाता है, पृथ्वी से ५६४ प्रकाश वर्ष दूर शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा बड़ा, द्रव्यमान (मास) में ज़रा छोटा और और तापमान में उस से ठंडा है। २०११ में इस तारे के इर्द-गिर्द हमारे सौर मंडल से बहार मिला सब से पहला पत्थरीला ग्रह परिक्रमा करता पाया गया था।, Richard A. Lovett, National Geographic Society .

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कॅप्लर-१०बी

कॅप्लर-१०बी ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण कॅप्लर-१० का ग्रहीय मंडल, जिसमें कॅप्लर-१०सी एक गैस दानव ग्रह के रूप में और कॅप्लर-१०बी कॅप्लर-१० तारे के आगे एक छोटे से बिंदु के रूप में दर्शाया गया है कॅप्लर-१०बी (Kepler-10b) पृथ्वी से ५६४ प्रकाश वर्ष दूर शिशुमार तारामंडल के क्षेत्र में स्थित कॅप्लर-१० तारे की परिक्रमा करता हुआ एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है। यह १० जनवरी २०११ को मिला था और हमारे सौर मंडल से बहार मिला सब से पहला पत्थरीला ग्रह था (अन्य ग्रह गैस दानव श्रेणी के थे)।, Richard A. Lovett, National Geographic Society वैज्ञानिकों ने इस ग्रह का पता कॅप्लर अंतरिक्ष यान के ज़रिये लगाया था। अंदाज़ा लगाया जाता है कि यह पृथ्वी का १.४ गुना व्यास (डायामीटर) रखता है और इसका द्रव्यमान (मास) पृत्वी के ३.३ से ५.७ गुने के बीच में है। यह अपने तारे का हर ०.८ दिनों में चक्कर काट लेता है और अपने तारे के बहुत पास होने के कारण उसके वासयोग्य क्षेत्र में नहीं पड़ता (यानि यहाँ जीवन की सम्भावना बहुत कम है)। इसका घनत्व पृथ्वी से बहुत ज्यादा है और लोहे के घनत्व से मिलता-जुलता है। यह एक महापृथ्वी श्रेणी का ग्रह है। .

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कॅप्लर-१६ तारा

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६ (Kepler-16) एक द्वितारा मंडल है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके दोनों तारे एक-दूसरे से लगभग ०.२२ खगोलीय इकाईयों की दूरी पर हैं। दोनों ही तारे हमारे सूरज से छोटे बौने तारे हैं: इनमें से मुख्य तारा नारंगी रंग वाला K श्रेणी का तारा है और दूसरा लाल रंग का M श्रेणी का तारा है। सितम्बर २०११ में वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि इस मंडल में हमारे सौर मंडल के शनि के आकार का एक गैस दानव ग्रह मिला है जो इन दोनों तारों की परिक्रमा कर रहा है। यह पहला ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारे की परिक्रमा करता पाया गया है और इसका नामकरण कॅप्लर-१६बी किया गया है। .

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कॅप्लर-१६बी

गैस दानव ग्रह है कॅप्लर-१६बी (Kepler-16b) एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है। यह पृथ्वी से लगभग २०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित कॅप्लर-१६ नामक द्वितारे की परिक्रमा कर रहा है और पहला ऐसा ज्ञात ग्रह है जो किसी द्वितारा के इर्द-गिर्द कक्षा (ऑर्बिट) में हो। अनुमान लगाया जाता है की यह आधा पत्थर और आधा गैस का बना हुआ लगभग शनि के द्रव्यमान (मास) वाला एक गैस दानव ग्रह है। यह ग्रह कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा शोध करने से मिला था और खगोलशास्त्रियों ने इसके पाए जाने की घोषणा सितम्बर २०११ में की थी। .

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कॅप्लर-२० तारा

शुक्र ग्रहों से तुलना कॅप्लर-२० उर्फ़ कॅप्लर-२०ए (Kepler-20a) पृथ्वी से ९५० प्रकाश वर्ष दूर लायरा तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G8 श्रेणी का तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा छोटा है - इसका द्रव्यमान (मास) हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.९१ गुना और इसका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का ०.९४ गुना अनुमानित किया गया है। सम्भव है कि यह एक मुख्य अनुक्रम तारा है हालाँकि वैज्ञानिकों को अभी यह पक्का ज्ञात नहीं हुआ है। पृथ्वी से देखा गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +१२.५१ मैग्नीट्यूड मापी गई है, यानी इसे देखने के लिए दूरबीन आवश्यक है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल मिला है, जिसमें पांच ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा कर रहे हैं। .

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कॅप्लर-२०ऍफ़

शुक्र ग्रहों से तुलना कॅप्लर-२०ऍफ़ (Kepler-20f) एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग ९५० प्रकाश वर्षों की दूरी पर लायरा तारामंडल में स्थित कॅप्लर-२० तारे की परिक्रमा कर रहा है। यह पहला ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है जिसका अकार पृथ्वी से मिलता-जुलता है। इसका व्यास (डायामीटर) पृथ्वी के व्यास का लगभग १.०३ गुना है। यह अपने तारे से १.६ करोड़ किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है, जो सूरज से बुध ग्रह (मरक्युरी) की दूरी से भी कम है। इस वजह से इसका सतही तापमान काफी गरम है और ४२७ °सेंटीग्रेड अनुमानित किया गया है। इस तापमान पर इसकी सतह पर पानी होने की कोई संभावना नहीं है और यह अपने तारे के वासयोग्य क्षेत्र में नहीं है। इस ग्रह की मिल जाने की घोषणा वैज्ञानिकों ने २० दिसम्बर २०११ को की। इस से पहले ब्रह्माण्ड में मिलने वाले सभी ग़ैर-सौरीय ग्रह पृथ्वी से बड़े थे - या तो वे गैस दानव ग्रह थे और या फिर महापृथ्वी के श्रेणी के बड़े ग्रह थे। पृथ्वी के आकार के ग्रह को देख पाने का अर्थ है कि अब वैज्ञानिकों में इस अकार के ग्रह इतनी दूरी पर खोज निकालने की क्षमता विकसित होनी शुरू हो गई है। इस ग्रह का पता कॅप्लर अंतरिक्ष यान के प्रयोग से लगाया गया। कॅप्लर-२० तारे के मंडल में कुल मिलकर पांच ग्रह ज्ञात हुए हैं और कॅप्लर-२०ऍफ़ से भी छोटा एक ग्रह मिला है जो इस तारे के और भी पास परिक्रमा करता है - इस ग्रह का नामकरण कॅप्लर-२०ई (Kepler-20e) किया गया है। .

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कॅप्लर-२२ तारा

कॅप्लर २२ के ग्रहीय मंडल की हमारे सौर मंडल के अंदरूनी भाग से तुलना कॅप्लर-२२ उर्फ़ कॅप्लर-२२ए (Kepler-22a) पृथ्वी से ६०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक G श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह आकार में हमारे सूरज से ज़रा छोटा और तापमान में उस से ठंडा है। .

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कॅप्लर-२२बी

कॅप्लर २२ के ग्रहीय मंडल की हमारे सौर मंडल के अंदरूनी भाग से तुलना कॅप्लर-२२बी (Kepler-22b) पहला ज्ञात ग़ैर-सौरीय ग्रह है जो पृथ्वी जैसा है और एक सूरज जैसे तारे के वासयोग्य क्षेत्र में परिक्रमा कर रहा है। यह पृथ्वी से ६०० प्रकाश वर्ष दूर हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित कॅप्लर-२२ तारे की परिक्रमा कर रहा है।NASA Press Release, "NASA's Kepler Confirms Its First Planet In Habitable Zone", 12/5/2011, http://www.nasa.gov/centers/ames/news/releases/2011/11-99AR.html वैज्ञानिकों ने इस ग्रह का पता कॅप्लर अंतरिक्ष यान के ज़रिये लगाया और इसके अस्तित्व की घोषणा ५ दिसम्बर २०११ को की। BBC NEWS, "Kepler 22-b: Earth-like planet confirmed" 12/5/2011 http://www.bbc.co.uk/news/science-environment-16040655 अंदाज़ा लगाया जाता है कि यह पृथ्वी का २.४ गुना व्यास (डायामीटर) रखता है, लेकिन इसकी सतह कैसी है इसका कोई अनुमान नहीं लग पाया है। अगर इसका घनत्व (डॅन्सिटी) पृथ्वी जैसा हुआ तो इसका द्रव्यमान (मास) पृथ्वी का १३.८ गुना होगा और इसकी सतह पर इसका गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का २.४ गुना होगा। यानि इसकी सतह पर खड़ा ७० किलोग्राम के भार वाला आदमी अपने आप को १६८ किलो का महसूस करेगा। इस श्रेणी के ग्रहों को महापृथ्वी कहा जाता है। इस ग्रह को अपने तारे की एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग २९० दिन लगते हैं। इसकी अपने तारे से दूरी पृथ्वी की सूरज की दूरी से ज़रा कम है लेकिन इसका तारा सूरज से ज़रा छोटा और ठंडा भी है। अगर इस ग्रह पर वायुमंडल ही न हुआ (यानि सतह के ऊपर खुले अंतरिक्ष का ख़ाली व्योम हुआ) तो इसकी सतह का औसत तापमान -११ °सेंटीग्रेड हो सकता है। लेकिन अगर इसका पृथ्वी जैसा वायुमंडल हुआ तो इसकी सतह का औसत तापमान २२ °सेंटीग्रेड के आसपास होगा, जिसमें मनुष्य जैसे जीव रह सकते है। .

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कॅप्लर-६९ तारा

कॅप्लर-६९ (Kepler-69) पृथ्वी से २,७०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर आकाश में हंस तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक हमारे सूरज के जैसा G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। १८ अप्रैल २०१३ को वैज्ञानिकों ने इसके इर्द-गिर्द दो ग्रहों की मौजूदगी ज्ञात होने की घोषणा करी। शुरु में उनका अनुमान था कि इनमें से एक 'कॅप्लर-६९सी' द्वारा नामांकित ग्रह इस ग्रहीय मंडल के वासयोग्य क्षेत्र में स्थित है लेकिन बाद में यह स्पष्ट हुआ कि यह वास-योग्य क्षेत्र से अन्दर है। इसका अर्थ था कि यह हमारे सौर मंडल के शुक्र जैसी परिस्थितियाँ रखता होगा और यहाँ जीवन का पनप पाना बहुत कठिन है। .

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अत्रि तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अत्रि तारे (δ UMa) का स्थान अत्रि, जिसका बायर नामांकन "डॅल्टा अर्से मॅजोरिस" (δ UMa या δ Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सातवा सबसे रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +३.३२ है। इस तारे का नाम महर्षि अत्रि पर रखा गया है। .

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अन्तरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली

अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (संक्षेप में SI; फ्रेंच Le Système International d'unités का संक्षिप्त रूप), मीटरी पद्धति का आधुनिक रूप है। इसे सामान्य रूप में दशमलव एवं दस के गुणांकों में बनाया गया है। यह विज्ञान एवं वाणिज्य के क्षेत्र में विश्व की सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। पुरानी मेट्रिक प्रणाली में कई इकाइयों के समूह प्रयोग किए जाते थे। SI को 1960 में पुरानी मीटर-किलोग्राम-सैकण्ड यानी (MKS) प्रणाली से विकसित किया गया था, बजाय सेंटीमीटर-ग्राम-सैकण्ड प्रणाली की, जिसमें कई कठिनाइयाँ थीं। SI प्रणाली स्थिर नहीं रहती, वरन इसमें निरंतर विकास होते रहते हैं, परंतु इकाइयां अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों के द्वारा ही बनाई और बदली जाती हैं। यह प्रणाली लगभग विश्वव्यापक स्तर पर लागू है और अधिकांश देश इसके अलावा अन्य इकाइयों की आधिकारिक परिभाषाएं भी नहीं समझते हैं। परंतु इसके अपवाद संयुक्त राज्य अमरीका और ब्रिटेन हैं, जहाँ अभी भी गैर-SI इकाइयों उनकी पुरानी प्रणालियाँ लागू हैं।भारत मॆं यह प्रणाली 1 अप्रैल, 1957 मॆं लागू हुई। इसके साथ ही यहां नया पैसा भी लागू हुआ, जो कि स्वयं दशमलव प्रणाली पर आधारित था। इस प्रणाली में कई नई नामकरण की गई इकाइयाँ लागू हुई। इस प्रणाली में सात मूल इकाइयाँ (मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड, एम्पीयर, कैल्विन, मोल, कैन्डेला, कूलम्ब) और अन्य कई व्युत्पन्न इकाइयाँ हैं। कुछ वैज्ञानिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में एस आई प्रणाली के साथ अन्य इकाइयाँ भी प्रयोग में लाई जाती हैं। SI उपसर्गों के माध्यम से बहुत छोटी और बहुत बड़ी मात्राओं को व्यक्त करने में सरलता होती है। तीन राष्ट्रों ने आधिकारिक रूप से इस प्रणाली को अपनी पूर्ण या प्राथमिक मापन प्रणाली स्वीकार्य नहीं किया है। ये राष्ट्र हैं: लाइबेरिया, म्याँमार और संयुक्त राज्य अमरीका। .

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अभिजित तारा

अभिजित या वेगा (Vega), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लायरे" (α Lyrae या α Lyr) है, लायरा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से पाँचवा सब से रोशन तारा भी है। अभिजित पृथ्वी से 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। खगोलशास्त्री हज़ारों सालों से अभिजित का अध्ययन करते आए हैं और कभी-कभी कहा जाता है के यह "सूरज के बाद शायद आसमान में सब से महत्त्वपूर्ण तारा है"। .

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अम्बा तारा

अम्बा तारा कृत्तिका तारागुच्छ में अम्बा सबसे रोशन तारा है अम्बा या ऐलसायनी, जिसका बायर नामांकन एटा टाओरी (η Tau या η Tauri) है, वृष तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह कृत्तिका तारागुच्छ का सब से रोशन तारा भी है और इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड +२.८७ है। कृत्तिका के अन्य तारों की तरह यह भी पृथ्वी से लगभग ३७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। हालाँकि यह बिना दूरबीन के एक ही तारा नज़र आता है वास्तव में यह कई तारों का मंडल है, जिसमें अभी तक एक मुख्य द्वितारा और तीन अन्य साथी तारे (यानि कुल मिलाकर पाँच तारे) ज्ञात हुए हैं। .

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अलफ़र्द तारा

जलसर्प (हाइड्रा) तारामंडल में स्थित 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अलफ़र्द, जिसका बायर नाम में "अल्फ़ा हाइड्रे" (α Hya, α Hydrae) है, जलसर्प तारामंडल का सब से रोशन तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४७वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १७७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९८ है। .

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अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस तारा

दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस बाईं तरफ़ 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ट्राऐंगुलाइ ऑस्ट्रालिस (α TrA, α Trianguli Australis), जिसका बायर नाम में भी यही है, दक्षिण त्रिकोण तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ४२० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९१ है। वैज्ञानिकों को पक्का ज्ञात नहीं है लेकिन इसके दोहरे तारे होने की संभावना है। .

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अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे तारा

अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे देवयानी तारामंडल में अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे का स्थान अल्फ़ा ऐन्ड्रौमिडे, जिसका बायर नाम भी यही (α Andromedae या α And) है, देवयानी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ९७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) २.०६ है। पृथ्वी से एक दिखने वाला यह तारा वास्तव में एक द्वितारा है जिसके दो तारे एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर एक-दूसरे की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें से ज़्यादा रोशन तारे के वातावरण विचित्र है: उसमें बहुत अधिक मात्रा में पारा और मैंगनीज़ पाए गए हैं और वह सब से रोशन ज्ञात पारा-मैंगनीज़ तारा है।See §4 for component parameters and Table 3, §5 for elemental abundances in .

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अल्फ़ा परसई तारा

तारागुच्छ के छोटे तारे भी इसके इर्द-गिर्द नज़र आ रहे हैं अल्फ़ा परसई जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Per या α Persei) दर्ज है, आकाश में ययाति तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३६वाँ सब से रोशन तारा माना जाता है। यह हमसे ५९० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.८२ है। यह एक पीला-सफ़ेद महादानव तारा है। इसके इर्द-गिर्द और भी कई तारों का खुला तारागुच्छ है जिसे "अल्फ़ा परसई तारागुच्छ" कहा जाता है। .

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अल्फ़ा पैवोनिस तारा

मोर तारामंडल (पोलिश भाषा में) - अल्फ़ा पैवोनिस चित्र के ऊपर की तरफ़ 'Peacock' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पैवोनिस (α Pav, α Pavonis), जिसका बायर नाम में भी यही है, मोर तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४२वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १८३ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.९४ है। वास्तव में यह एक द्वितारा है। .

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अल्फ़ा पॅगासाई तारा

अल्फ़ा पॅगासाई पर्णिन अश्व तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा पॅगासाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Pegasi या α Peg) है, पर्णिन अश्व तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ८९वाँ सब से रोशन तारा है। इसकी पृथ्वी से देखी गई चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.४९ मैग्नीट्यूड है। अल्फ़ा पॅगासाई हमसे लगभग १३३ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा फ़ीनाइसिस तारा

अमरपक्षी (फ़ीनिक्स) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा फ़ीनाइसिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Phoenicis या α Phe) है, अमरपक्षी तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७९वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ८५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.४ है। .

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अल्फ़ा लूपाई तारा

वृक (लूपस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा लूपाई, जिसका बायर नाम भी यही (α Lupi या α Lup) है, वृक तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७४वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे क़रीब ५५० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.३ है। .

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अल्फ़ा सॅफ़ॅई तारा

वृषपर्वा (सिफ़ियस) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा सॅफ़ॅई, जिसका बायर नाम भी यही (α Cephei या α Cep) है, वृषपर्वा तारामंडल में स्थित एक तारा है जो पृथ्वी से दिखने वाले सबसे रोशन तारों में से एक है। यह हमसे क़रीब ४९ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) लगभग +२.५ है। .

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अल्फ़ा ग्रुईस तारा

सारस तारामंडल जिसमे अल्फ़ा ग्रुईस 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ग्रुईस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (α Gru या α Gruis) दर्ज है, आकाश में सारस तारामंडल में स्थित एक उपदानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३२वाँ सब से रोशन तारा है। अल्फ़ा ग्रुईस हमसे १०१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७४ है। .

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अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी तारा

सर्पधारी (ऑफ़ीयूकस) तारामंडल में अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी 'α' द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा ऑफ़ीयूकी, जिसका बायर नाम भी यही (α Ophiuchi या α Oph) है, सर्पधारी तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ५८वाँ सब से रोशन तारा भी है। यह पृथ्वी से लगभग ४७ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१० मैग्नीट्यूड पर मापी गई है। .

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अल्फ़ा कैसिओपिये तारा

अल्फ़ा कैसिओपिये शर्मिष्ठा तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा कैसिओपिये, जिसका बायर नाम भी यही (α Cassiopeiae या α Cas) है, शर्मिष्ठा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६७वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस तारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) २.२४ मैग्नीट्यूड है और यह हमसे लगभग २२८ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अल्फ़ा अरायटिस तारा

मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed.

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अल्फ़ा उत्तरकिरीट तारा

उत्तरकिरीट (या कोरोना बोरिऐलिस) तारामंडल में "α" द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा उत्तरकिरीट, जिसका बायर नाम अल्फ़ा कोरोनाए बोरिऐलिस (α Coronae Borealis या α CrB) है, उत्तरकिरीट तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है। इसका बड़ा तारा, जिसे अल्फ़ा उत्तरकिरीट 'ए' (α CrB A) कहा जाता है, पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६५वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इस द्वितारे की चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२१ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ७५ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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अश्वशाव तारामंडल

अश्वशाव (इक्वूलियस) तारामंडल अश्वशाव या इक्वूलियस एक छोटा-सा तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। त्रिशंकु तारामंडल के बाद यह इस सूची का दूसरा सब से छोटा तारामंडल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके सभी तारे काफ़ी धुंधले हैं और उनमें से कोई भी +३.९ मैग्नीट्यूड (चमक या सापेक्ष कान्तिमान) से अधिक रोशन नहीं है। ध्यान रहे कि मैग्नीट्यूड एक विपरीत माप होता है: यह जितना अधिक हो तारे की चमक उतनी ही कम होती है। .

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अगस्ति तारा

अगस्ति तारा एक अत्यंत रोशन तारा है कराइना तारामंडल में अगस्ति तारा अगस्ति या कनोपस कराइना तारामंडल का सबसे रोशन तारा है और और पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से दूसरा सब से रोशन तारा है। यह F श्रेणी का तारा है और इसका रंग सफ़ेद या पीला-सफ़ेद है। इसका पृथ्वी से प्रतीत होने वाले चमकीलापन (यानि "सापेक्ष कान्तिमान") -०.७२ मैग्निट्यूड है जबकि इसका अंदरूनी चमकीलापन (यानि "निरपेक्ष कान्तिमान") -५.५३ मापा जाता है। यह पृथ्वी से लगभग ३१० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। .

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अंतरिक्ष विज्ञान

गैलेक्सी के एक भाग को प्रदर्शित करता हुआ एक तस्वीर अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ "पृथ्वी के अतिरिक्त" तथा "पृथ्वी के वातावरण से बाहर" भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा.

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अंगिरस तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अंगिरस तारे (ε UMa) का स्थान अंगिरस, जिसका बायर नामांकन "ऍप्सिलन अर्से मॅजोरिस" (ε UMa या ε Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७६ है। .

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उत्तर फाल्गुनी तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में उत्तर फाल्गुनी (डॅनॅबोला) तारा 'Denebola' द्वारा नामांकित है उत्तर फाल्गुनी या डॅनॅबोला, जिसका बायर नाम बेटा लियोनिस (β Leonis या β Leo) है, सिंह तारामंडल का दूसरा सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ६१वाँ सब से रोशन तारा भी है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.१४ मैग्नीट्यूड है और यह पृथ्वी से लगभग ३६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्र में यह तारा एक नक्षत्र मना जाता था। यह एक परिवर्ती तारा है जिसकी चमक चंद घंटों के काल में हलकी-सी ऊपर-नीचे होती रहती है। .

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उत्सर्जन वर्णक्रम

उत्सर्जन वर्णक्रम (emission spectrum) किसी रासायनिक तत्व या रासायनिक यौगिक से उत्पन्न होने वाले विद्युतचुंबकीय विकिरण (रेडियेशन) के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) को कहते हैं। जब कोई परमाणु या अणु अधिक ऊर्जा वाली स्थिति से कम ऊर्जा वाली स्थिति में आता है तो वह इस ऊर्जा के अंतर को फ़ोटोन के रूप में विकिरणित करता है। इस फ़ोटोन​ का तरंगदैर्घ्य (वेवलेन्थ​) क्या है, यह उस रसायन पर और उसकी ऊर्जा स्थिति (तापमान, आदि) पर निर्भर करता है। किसी सुदूर स्थित सामग्री से उत्पन्न विकिरण के वर्णक्रम को यदि परखा जाए तो अनुमान लगाया जा सकता है कि वह किन रसायनों की बनी हुई है। यही तथ्य खगोलशास्त्र में हमसे हज़ारों प्रकाश-वर्ष दूर स्थित तारों व ग्रहों की रसायनिक रचना समझने में सहयोगी होता है। .

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छल्ला नीहारिका

छल्ला नीहारिका छल्ला नीहारिका से उत्पन्न होते अवरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश की तस्वीर छल्ला नीहारिका (अंग्रेज़ी: Ring Nebula, रिंग नॅब्युला), जिसे मॅसिये वस्तु ५७ और ऍन॰जी॰सी॰ ६७२० भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में लायरा तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह एक लाल दानव तारे के अवशेषों कि बनी हुई है जिसने अपना जीवन अपने मलबे को आसपास के अंतरतारकीय माध्यम में उगलकर ख़त्म किया। .

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छोटा मॅजलॅनिक बादल

छोटा मॅजलॅनिक बादल छोटा मॅजलॅनिक बादल (छो॰मॅ॰बा॰) एक बौनी गैलेक्सी है जो हमारी अपनी गैलेक्सी, आकाशगंगा, की उपग्रह है। यह पृथ्वी से क़रीब २००,००० प्रकाश-वर्ष दूर है और इसका व्यास ७,००० प्रकाश-वर्ष है। छो॰मॅ॰बा॰ में कई दसियों करोड़ तारे हैं। तुलना के लिए आकाशगंगा का व्यास १००,००० प्रकाश-वर्ष है और उसमें १-४ खरब तारे हैं। छो॰मॅ॰बा॰ हमारी आसपास की ३० गैलेक्सियों के स्थानीय समूह की सदस्य है और बिना दूरबीन के आँखों से दिख सकने वाली सबसे सुदूर खगोलीय वस्तुओं में इसकी गिनती होती है। .

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१ स्कोर्पाए तारा

१ स्कोर्पाए (1 Scorpii) या बी स्कोर्पाए (b Scorpii) वॄश्चिक तारामंडल में स्थित एक तारा है। इसका सापेक्ष कांतिमान 4.63 है, यानि इसे अंधेरी रात में बिना दूरबीन के धुंधला-सा देखा जा सकता है। यह हमारे सौर मंडल से लगभग 490 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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१३ ट्राऐंगुलाए तारा

१३ ट्राऐंगुलाए (13 Trianguli) त्रिकोण तारामंडल में स्थित एक G0 V श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। इसका सापेक्ष कांतिमान 5.86 है और यह हमारे सूरज से 102 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। इसकी आयु हमारे सूरज की आयु से ज़रा अधिक है और 6.45 अरब वर्ष अनुमानित करी गई है। इसके पड़ोस से उत्पन्न अवरक्त विकिरण के अध्ययन से यह अनुमान लगाया जाता है कि इसके इर्द-गिर्द कोई मलबा चक्र नहीं है। .

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३ सॅन्टौरी तारा

३ सॅन्टौरी (3 Centauri) नरतुरंग तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है जो पृथ्वी से ३४० प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। इसका मुख्य तारा एक B-श्रेणी का नीला-श्वेत दानव तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +4.56 है। यह एक परिवर्ती तारा है जिसका मैग्निट्यूड +4.27 से +4.32 के बीच बदलता रहता है। इसका साथी तारा B-श्रेणी का नीला-श्वेत मुख्य अनुक्रम बौना तारा है जिसका सापेक्ष कांतिमान +6.06 है। मुख्य तारे के बारे में यह सम्भव समझा जाता है कि वह स्वयं एक द्वितारा है और यदि ऐसा सच है तो यह वास्तव में एक तीन तारों का मंडल है। .

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५९ कन्या तारा

५९ कन्या तारा का परिचित्रण कन्या राश कि उपयोग कर। ५९ कन्या या ५९ वर्जिनिस (59 Virginis), जिसे ई वर्जिनिस (e Virginis), ग्लीज़ ५०४ (Gliese 504) और जी॰जे॰ ५०४ (GJ 504) भी कहते हैं, एक G-श्रेणी का मुख्य अनुक्रम तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ५७ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और आकाशे में कन्या तारामंडल के क्षेत्र मे नज़र आता है। वैज्ञानिकों को इस तारे में दिलचस्पी है क्योंकि यह हमारे सूरज से मिलता-जुलता G-श्रेणी का तारा है और सन् २०१३ में इसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करता एक ग़ैर-सौरीय ग्रह पाया गया था।Kuzuhara, M.; M. Tamura, T. Kudo, M. Janson, R. Kandori, T. D. Brandt, C. Thalmann, D. Spiegel, B. Biller, J. Carson, Y. Hori, R. Suzuki, A. Burrows, T. Henning, E. L. Turner, M. W. McElwain, A. Moro-Martin, T. Suenaga, Y. H. Takahashi, J. Kwon, P. Lucas, L. Abe, W. Brandner, S. Egner, M. Feldt, H. Fujiwara, M. Goto, C. A. Grady, O. Guyon, J. Hashimoto, Y. Hayano, M. Hayashi, S. S. Hayashi, K. W. Hodapp, M. Ishii, M. Iye, G. R. Knapp, T. Matsuo, S. Mayama, S. Miyama, J.-I. Morino, J. Nishikawa, T. Nishimura, T. Kotani, N. Kusakabe, T. -S. Pyo, E. Serabyn, H. Suto, M. Takami, N. Takato, H. Terada, D. Tomono, M. Watanabe, J. P. Wisniewski, T. Yamada, H. Takami, T. Usuda (2013).

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प्रकाश वर्ष, प्रकाश वर्षों, प्रकाश-वर्षों, प्रकाशवर्ष।

2 एक तारा पृथ्वी से 3.4 प्रकाशवर्ष दूर है इसका क्या अर्थ है?

Solution : एक तारा पृथ्वी से 3-4 प्रकाश वर्ष दूर है इसका अर्थ यह है कि उस तारे के प्रकाश को पृथ्वी में पहुँचने के लिये 3-4 वर्ष का समय लगता है।

3.4 प्रकाश वर्ष दूर है इसका क्या अर्थ है?

यह लगभग 95 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर की होती है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश अपने निर्वात में एक वर्ष में पूरा कर लेता है। यह इकाई मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो तारों या गैलेक्सी जैसी अन्य खगोलीय वस्तुओं की बीच की दूरी मापने में प्रयोग की जाती है।

कोई तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष दूर है इसका क्या तात्पर्य है?

यदि कोई तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष दूर है इसका अर्थ यह है कि वह तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष अर्थात 8 x 300000 x 3600 x 24 x 365= 7600000 करोड़ प्रकाश किलोमीटर रोड किलोमीटर दूर है

सूर्य कितने प्रकाश वर्ष दूर है?

सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है।