मंसूरी को का नेता कौन था - mansooree ko ka neta kaun tha

तालिबान नेता मुल्ला मंसूर का पाक से क्या नाता था?

  • एम इलियास ख़ान
  • बीबीसी संवाददाता

22 मई 2016

मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर अफ़ग़ानिस्तान के कंधार प्रांत के प्रभावशाली पश्तून हैं और इस्हाक़ज़ई कबीले के हैं.

शनिवार रात को अमरीकी अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने अफ़ग़ान-पाक सीमा पर कई ड्रोन हमले किए हैं जिनमें संभवत: मुल्ला मंसूर मारे गए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान गुटों के बीच क्या है मुल्ला मंसूर की अहमियत? एक नज़र डालते हैं मुल्ला मंसूर के अब तक के जीवन पर...

कंधार का क्षेत्र अफगानिस्तान में पश्तून समुदाय का राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है.

तालिबान में नेतृत्व की भूमिका से पहले, मुल्ला मंसूर, मुल्ला उमर के समय कार्यवाहक प्रमुख की भूमिका में भी रहे. मुल्ला उमर तालिबान के संस्थापक और आध्यात्मिक प्रमुख थे.

मुल्ला मंसूर तालिबान के उन पहले लड़ाको में से थे जिन्होंने पाकिस्तान से कंधार पर हमला किया था फिर दो साल में ताबड़तोड़ हमले करते हुए पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था. इन तालिबान ने ही अहमद शाह मसूद के नॉदर्न एलायंस को छोड़कर सभी मुजाहिदीन गुटों का सफ़ाया कर दिया था.

मुल्ला उमर की मौत के काफी समय बाद तक भी वह तालिबान की आधिकारिक वेबसाइट पर उनके बयानों को चलाते रहे.

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मुल्ला उमर की मौत के बाद भी मुल्ला मंसूर तालिबान की वेबसाइट पर उनके ऑडियो चलाते रहे

मुल्ला मंसूर की इस हरकत ने शीर्ष तालिबान नेताओं में काफी विवाद पैदा किया था. उन पर ऐसे आरोप भी लगे कि उन्होंने कुछ कबीलों के नेताओं के साथ या फिर पाकिस्तानियों से मिलकर मुल्ला उमर की हत्या की साजिश रची.

उनके कई विरोधियों ने उन पर पाकिस्तानी खुफ़िया तंत्र के हाथों की कठपुतली होने का आरोप भी लगाया था. उन पर ये आरोप भी था कि मुल्ला मंसूर को पाकिस्तानी एजेंसियां सुरक्षा प्रदान करती हैं.

हालांकि, उनके नेतृत्व को मिल रही चुनौती तब ख़त्म होती नज़र आई जब अल-क़ायदा प्रमुख अयमान अल-ज़्वाहिरी ने मुल्ला मंसूर को मुल्ला उमर का वैध उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया.

1980 के दशक में जब तत्कालीन सोवियत संघ ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया और उसकी सेनाएँ वहाँ मौजूद थीं, तब मुल्ला मंसूर अपने परिवार के अन्य सदस्यों की तरह ही मुज़ाहिद्दीन थे और अपने साथ हथियार रखते थे.

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तालिबान लड़ाकों ने उनसे पहले सत्ता पर काबिज़ हुए मुजाहिद्दीन को खदेड़ दिया था

1987 में वो बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा चले गए. वहां उन्होंने अपनी धार्मिक शिक्षा जारी रखी.

मुल्ला मंसूर का जन्म 1963 और 1965 के बीच बंद-ए-तैमूर में, कंधार के मैवंद जिले में हुआ. ये अफगानिस्तान के दक्षिण और पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम बलूचिस्तान के बॉर्डर पर है.

एक स्वतंत्र अफ़गान समाचार एजेंसी पझवॉक के अनुसार, कंधार पर कब्ज़े के बाद तालिबान ने मंसूर को दक्षिणी शहर में हवाई अड्डों की सुरक्षा का प्रभारी बना दिया. बाद में उन्हें 'जेट लड़ाकू विमानों का कमांडर' भी बनाया गया था.

जब तालिबान ने 1996 में काबुल पर कब्जा किया था तब मंसूर अफगान एयरलाइन के निदेशक बनाए गए थे. बाद में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया, इसके साथ ही उन्हें परिवहन और एयरफोर्स की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई.

जब तालिबान सत्ता में आया तो उन पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने खाड़ी देशों में अपने व्यवसाय को स्थापित किया और वो भी अफ़ीम की खेती के इस्तेमाल से.

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पाकिस्तान से आए तालिबान लड़ाकों ने पहले कंधार और फिर काबुल पर कब्ज़ा कर लिया

2001 में जब अमरीका ने अफ़गानिस्तान पर हमला किया तो दूसरे तालिबानी नेताओं की तरह ही मुल्ला मंसूर भी क्वेटा चले गए थे.

2007 में जब पाकिस्तान ने पूर्व सुरक्षा मंत्री और तालिबान के नेता मुल्ला ओबैदुल्ला अख़ुंद को बंदी बनाया तो तालिबानी काउंसिल ने मुल्ला अब्दुल घनी को उनकी जगह दी. मुल्ला मंसूर को उस समय मुल्ला घनी का डिप्टी बनाया गया.

जब 2010 में मुल्ला ओबैदुल्ला को आईएसआई और सीआइए ने गिरफ्तार कर लिया गया तब मंसूर को तालिबान मूवमेंट का कार्यवाहक मुखिया बना दिया गया.

जब अफ़गानिस्तान खुफ़िया विभाग ने ये जानकारी लीक की कि मुल्ला उमर 2013 में ही मारे गए हैं तो इस सूचना से मंसूर को शर्मिदगी उठानी पड़ी.

लेकिन तभी पाकिस्तानी स्थित तालिबान नेताओं की काउंसिल ने तेजी से कार्रवाई करते हुए मंसूर को स्थाई नेता घोषित कर दिया था.

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गढ़वा, हिटी। भाजपा का झारखंड की हेमंत सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को भी प्रखंड कार्यालयों पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन हुआ। जिलांतर्गत चिनिया प्रखंड में आयोजित कार्यक्रम में आयोजित आक्रोश रैली में शामिल कार्यकर्ता हनुमान मंदिर से बस स्टैंड होते हुए चिनिया प्रखंड कार्यालय परिसर तक पहुंचे। जहां पहुंचकर रैली एक सभा में तब्दील हो गयी। वहां संबोधित करते हुए पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तविारी ने कहा कि सरकार में लूट खसोट, अपराध, भ्रष्टाचार का बोलबाला है। उन्होंने झामुमो नेता अयूब मंसूरी हत्याकांड का सीबीआई जांच कराने की मांग की।

कार्यक्रम के अंत में बीडीओ को राज्यपाल के नाम 12 सूत्री मांग पत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा। जन आक्रोश प्रदर्शन रैली को संबोधित करते हुए चिनिया प्रखंड के सांसद प्रतिनिधि चंद्रिका सिंह ने कहा कि झारखंड प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ क्रूर अपराध हो रहा है। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को झारखंड की जनता से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सरकार जनविरोधी है। पूरे राज्य में अराजकता का माहौल है। लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। चुनाव पूर्व जो भी वादा जनता से किया था आज ठीक उसका विपरीत कार्य कर रही है।

जनता को बरगला रही है सरकार : कोरवा

वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता राम सकल कोरवा ने कहा कि हेमंत सरकार जनता को बरगलाने के लिए और अपना चोरी छुपाने के लिए आपकी योजना, आपकी अधिकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाकर लोगों को भ्रमित कर रही है। जन आक्रोश रैली में भाजपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश केसरी, भाजपा मंडल चिनिया प्रखंड अध्यक्ष शिवलाल सिंह, भाजपा के महामंत्री राजेश प्रसाद, अब्दुल मन्नान अंसारी, मुस्लिम रज्जा, ताहिर अंसारी, लतीफ अंसारी, विश्वास प्रसाद, सुरेश तुरिया, बेता पंचायत के पूर्व मुखिया सरिता देवी, विनोद यादव, अयोध्या यादव जगतपाल सहित अन्य मौजूद थे।

::अपराधियों को संरक्षण देने में लगी है राज्य सरकार::

भवनाथपुर में भाजपा मंडल इकाई के तत्वावधान में प्रखंड मुख्यालय में सरकार के खिलाफ रोषपूर्ण प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष सोनाकिशोर यादव और संचालन मनोज पहाड़िया ने किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कर्पूरी चौक स्थित कर्पूरी ठाकुर जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए रोड मार्च किया। उस दौरान सराकर के खिलाफ जमकर नाराबाजी की। मौके पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रघुराज पांडेय ने कहा कि झामुमो सरकार भ्रष्टाचार के आकंठ में डूब चुकी है । वर्तमान की भ्रष्ट हेमंत सरकार अपराधियों को संरक्षण देने में लगी हुई है। हेमंत सरकार के मंत्री, विधायक और मुख्यमंत्री भी गुंडागर्दी की भाषा में बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं अन्य वक्ताओं ने कहा कि हेमंत सरकार भवनाथपुर विधानसभा के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। अपने पिछले कार्यकाल में हेमंत सोरेन और अपने मंत्रिमंडल के विभागीय मंत्री के साथ भवनाथपुर में पॉवर प्लांट का शिलान्यास किया था। वह अबतक शुरू नहीं हो सका है। वहीं तुलसीदामर और घाघरा का लाइमस्टोन और डोलोमाइट पत्थर का खदान बंद होने से लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो गए। मौके पर उमेन्द्र यादव, नईम खलीफा, मथुरा पासवान, प्रदीप चौबे, ओमप्रकाश गुप्ता, अनिल कुमार चौबे, विनय चौबे, संजय कुमार यादव, मनोज सिंह, संगीता गुप्ता, भानु गुप्ता, दयानंद सोनी सहित अन्य ने भी सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में ब्रजेश चौबे, विपिन चौबे, सुनील सिंह, दिलीप पासवान, प्यारे मोहम्मद अंसारी, चंद्रदेव राउत, सूर्यदेव राउत, सुनील यादव, दयानंद यादव, समोद ठाकुर, बिहारी यादव, निरंजन पाठक सहित अन्य मौजूद थे। उधर कांडी मंडल भाजपा इकाई की ओर से भी विरोध प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कांडी मंडल अध्यक्ष श्रीकांत पाण्डेय उर्फ पप्पू पाण्डेय ने की।

::कांडी में प्रखंड कार्यालय में प्रवेश से पुलिस ने रोका::

मौके पर गढ़वा भाजपा किसान मोर्चा जिला अध्यक्ष राम लाला दुबे व मुख्य रूप से उपस्थित थे। जन आक्रोश रैली स्थानीय भाजपा कार्यालय से चलकर, बाजार क्षेत्र का भ्रमण करते हुए डूमरसोता मोड़ होते हुए प्रखंड कार्यालय तक गई व धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गई। भाजपा प्रदर्शनकारियों को पुलिस प्रखंड कार्यालय के अंदर प्रवेश नहीं करने दी। मुख्य गेट के बाहर ही प्रदर्शन का कार्यक्रम हुआ। रैली में शामिल लोग वर्तमान सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। वक्ताओं ने कहा कि राज्य में अराजकता का माहौल बन गया है। चारों तरफ लूट मची हुई है। अपराधियों का बोलबाला हो गया है। राज्य में लगातार आपराधिक घटनाएं घटित हो रही हैं। सरकार अवैध रूप से सिर्फ बालू, पत्थर बेचने का काम कर रही है। सभा के अंत में कांडी सीओ अजय कुमार दास को मांगपत्र सौंपा गया। मौके पर उपरोक्त लोगों के अलावे सांसद प्रतिनिधि राणा ऋषिकेश सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, पूर्व मुखिया विनोद प्रसाद, विधायक प्रतिनिधि अजय सिंह, राम लखन चंद्रवंशी, शशि रंजन दुबे, सत्येंद्र चौबे, सीताराम तिवारी, विधायक प्रतिनिधि संतोष सिंह, राम लखन प्रसाद, अंजू देवी, मुखिया ललित बैठा, अरुण राम, संतोष कुमार सिंह, सहेंद्र प्रसाद, सुजीत दुबे सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।