फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?

सेडान युद्ध
फ्रांसीसी जर्मन युद्ध का भाग
फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?

सेडान के युद्ध के दौरान ला मॉन्सेलले में लड़ाई का दृश्य।
तिथि 1–2 सितम्बर 1870
स्थान सेडान, फ्रांस
49°42′00″N 4°56′40″E / 49.70000°N 4.94444°Eनिर्देशांक: 49°42′00″N 4°56′40″E / 49.70000°N 4.94444°E
परिणाम निर्णायक जर्मन जीत
  • दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य का पतन
  • नैपोलियन तृतीय का समर्पण, बन्दी, और पदत्याग।
योद्धा
साँचा:देश आँकड़े उत्तरी जर्मन परिसंघ उत्तरी जर्मन परिसंघ
साँचा:देश आँकड़े बवेरिया राज्य
साँचा:देश आँकड़े दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य फ्रांस
सेनानायक
साँचा:देश आँकड़े उत्तरी जर्मन परिसंघ विल्हेम प्रथम
साँचा:देश आँकड़े उत्तरी जर्मन परिसंघ हेल्मुथ वॉन मोल्टके द एल्डर
साँचा:देश आँकड़े दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य नैपोलियन तृतीय 
फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?

साँचा:देश आँकड़े दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य पैट्रिस डे मैकमोहन, ड्यूक ऑफ मैजेंटा  
फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?

साँचा:देश आँकड़े दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य ऑगस्ते-एलेक्जेंडर डुकोट (युद्ध-बन्दी)
साँचा:देश आँकड़े दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य इमॅन्यूएल फेलिक्स डे विंपफेंन  
फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?
शक्ति/क्षमता
200,000
774 बन्दूकें
130,000
564 बन्दूकें
मृत्यु एवं हानि
9,860
1,310 मृत
6,443 घायल
2,107 लापता
122,000[1]
3,220 मृत
14,811 घायल
104,000 युद्धबंदी

फ्रांस और प्रशा के बीच कौन सा युद्ध हुआ था? - phraans aur prasha ke beech kaun sa yuddh hua tha?

सेडान युद्ध (Battle of Sedan) फ्रांस-प्रशा युद्ध के दौरान १ सितम्बर १८७० को हुआ था। नैपोलियन तृतीय और उसके बहुत सारे सैनिक पकडे गये। इस युद्ध में सभी दृष्टियों से प्रशा एवं उसके सहयोगियों की जीत हुई। इसके बावजूद नयी फ्रांसीसी सरकार ने युद्ध जारी रखा।

युद्ध का तात्कालिक कारण[संपादित करें]

नैपोलियन तृतीय ने अपने प्रभुत्व व प्रतिष्ठा की वृद्धि के लिए हॉलैंड के शासक से लक्सेम्बर्ग खरीदने की सहमति प्राप्त की। किन्तु हस्तांतरण की योजना जर्मनी में प्रकट हो गई। जिससे फ्रांस का विरोध होने लगा। ऐसे में हॉलैण्ड ने भी लम्सेम्बर्ग हस्तांतरित करने से इन्कार कर दिया। फलतः फ्रांस में बिस्मार्क के विरूद्ध तीव्र प्रतिक्रिया हुई।

स्पेन के उत्तराधिकार के प्रश्न ने फ्रांस-प्रशा युद्ध का मार्ग प्रशस्त किया। वस्तुतः 1868 में स्पेन की जनता ने महारानी इसाबेला के विरूद्ध विद्रोह कर उसे हटा दिया। अब यह गद्दी प्रशा के राजा के संबंधी होहेजोलेर्न वंश के राजकुमार लियोपोल्ड को देने का प्रस्ताव लाया गया। लेकिन जैसे ही इसकी खबर नेपालियन तृतीय को लगी, उसने इसका कड़ा विरोध किया क्योंकि लियोपोल्ड को स्पेन की गद्दी मिल जाने से प्रशा की शक्ति बढ़ जाती और फ्रांस की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता। नेपालियन तृतीय के विरोध से लियोपोल्ड ने भयभीत होकर गद्दी पर बैठने से इन्कार कर दिया। किन्तु नेपोलियन इससे सन्तुष्ट नहीं हुआ। परिणामतः उसने अपने राजदूत बेनडेटी को प्रशा के राजा से एम्स नामक स्थान पर मिलने के लिए भेजा और यह आवश्वासन मांगने के लिए कहा कि भविष्य में वह किसी भी जर्मन राजकुमार को स्पेन की गद्दी पर बैठने का समर्थन नहीं करेगा। सम्राट विल्हेम प्रथम ने बेनडिटी को उचित आश्वासन दे दिया और इस बात की खबर उसने तार द्वारा बिस्मार्क को दे दी। बिस्मार्क ने तार की बातों को इस तरह संशोधित कर अखबारों में छपने के लिए दे दिया कि प्रशा के लोगोंं को लगा कि बेनडिटी ने राजा के साथ अभद्र व्यवहार किया है और फ्रांस के लोगों को लगा कि प्रशा के सम्राट ने उनके राजदूत के साथ अभद्र व्यवहार किया है। फलतः दोनों देशों में राष्ट्रवाद कि लहर चलने लगी। अन्ततः विवश होकर 1870 में फ्रांस ने प्रशा के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। १ सितम्बर 1870 को सेडान के युद्ध में फ्रांस की पराजय हुई। नेपोलियन तृतीय को प्रशा के सेना के समक्ष सम्पूर्ण करना पड़ा। 1871 में फ्रैंकफर्ट की सन्धि हुई सन्धि हुई सन्धि के तहत फ्रांस को अल्सास और लॉरेन के प्रदेश प्रशा को देने पड़े। दक्षिण जर्मन राज्यों को जर्मन परिसंघ में मिला लिया गया। इसी के साथ जर्मनी का एकीकरण पूरा हुआ।

निष्कर्ष और परिणाम[संपादित करें]

दुश्मनों के सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोई उम्मीद न दिखने पर नैपोलियन तृतीय ने सेना को वापस बुला लिया। फ़्रांससी सेना के लगभग 17,000 से अधिक सैनिक मारे और घायल हो गए और 21,000 सैनिक बन्दी बना लिये गये,वहीं प्रशियन सेना के 2,320 सैनिक मारे गए, 5,980 घायल और 700 बन्दी या गायब हो गये।

दूसरे दिन, 2 सितंबर को, नैपोलियन तृतीय ने श्वेत ध्वज लहरा कर स्वयं एवं सेना के साथ प्रशियाई राजा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

इस युद्ध के निम्न परिणाम रहे:

  • सेडान के युद्ध ने जर्मनी के एकीकरण को पूर्णता प्रदान की। अब एकीकृत जर्मनी यूरोप का प्रतिष्ठित और शक्तिशाली राज्य बन गया। बिस्मार्क न केवल जर्मनी का वरन् यूरोप का प्रभावशाली राजनीतिज्ञ बन गया। यूरोप के नक्शे पर एकीकृत जर्मनी का उदय हुआ, जिसकी राजधानी बर्लिन बनी।
  • इस युद्ध ने इटली के एकीकरण को भी पूरा किया। वस्तुतः फ्रांस की सेना की एक टुकड़ी रोम में पोप की रक्षा के लिए रखी गई थी। फ्रांस-प्रशा युद्ध के समय फ्रांस ने यह सेना रोम से बुला ली। फलतः इटली ने मौके का फायदा उठाकर रोम पर अधिकार कर लिया और इटली का एकीकरण पूरा हुआ।
  • इस युद्ध में सर्वाधिक हानि फ्रांस को हुई। उसे युद्ध में भारी हर्जाने के अलावा उसे अल्सॉस-लॉरेन जैसे अत्याधिक समृद्ध प्रदेश से हाथ धोने पड़े। इससे फ्रांस और जर्मनी में दीर्घकालिक शत्रुता का जन्म हुआ। यही शत्रुता प्रथम विश्वयुद्ध का एक महत्पूर्ण कारण बनी। इसलिए यह कहा जाता है कि 1871 के पश्चात् फै्रंकफर्ट सन्धि यूरोप का रिसने वाला फोड़ा बन गया।
  • युद्ध में पराजय के कारण फ्रांस में राजतंत्र का सदैव के लिए अन्त हो गया। फ्रांस में तृतीय गणतंत्र की स्थापना हुई जो थोड़े बहुत परिवर्तनों के साथ आज भी विद्यमान है।

ग्रन्थ[संपादित करें]

  • सेडान 1870: द इक्लिप्स ऑफ फ्रांस - डगलस फरमर

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Clodfelter 2017, पृ॰ 185.

फ्रांस और प्रशा के बीच युद्ध कब हुआ था?

सेडान युद्ध (Battle of Sedan) फ्रांस-प्रशा युद्ध के दौरान १ सितम्बर १८७० को हुआ था।

फ्रांस और प्रशा के मध्य हुए युद्ध के क्या कारण थे?

युद्ध की स्थिति उस समय उत्पन्न हो गई, जब स्पेन की रानी इज़ाबेला के राजच्युत होने के बाद जनरल प्रिम ने प्रशा के एक राजकुमार ल्योपोल्ड को स्पेन की गद्दी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया। फ्रांस को प्रशा के राजकुमार का स्पेन का राजा बनना, अपनी सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक लगा।

सेडोवा के युद्ध में किसकी पराजय हुई?

उत्तरः सेडोवा के युद्ध में प्रशा के हाथों ऑस्ट्रिया पराजित हुआ यह महज एक घटना है।

प्रशा और ऑस्ट्रेलिया के बीच युद्ध कब हुआ?

1866 में ऑस्ट्रिया प्रशा द्वारा किस युद्ध में पराजित किया गया था?