भारत के ठंडे मरुस्थल का क्या नाम है? - bhaarat ke thande marusthal ka kya naam hai?

इसे सुनेंरोकेंलद्दाख को भारत का कोल्ड डेजर्ट यानी ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है और यहां जाना किसी भी टूरिस्ट के लिए कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस होता है। उत्तर भारत की भयंकर गर्मी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि किसी हिल स्टेशन पर ही जाएं जहां पर्यटकों की भारी भीड़ जमा रहती है।

रेगिस्तान में गर्मी क्यों होती है?

इसे सुनेंरोकेंइस क्षेत्र का वायुमंडलीय दबाव बहुत ज्यादा होता है। यह ऊंचाई पर मौजूद ठंडी ड्राई या शुष्क हवा को जमीन तक लाता है। इस दौरान सूरज की सीधी किरणें इस हवा की नमी को खत्म कर देती हैं और उसे बहुत तेज गर्म कर देती हैं। नतीजतन वहां बारिश नहीं हो पाती, जमीन शुष्क और गर्म हो जाती है और यह उष्ण या गर्म रेगिस्तान का रूप ले लेती है।

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लद्दाख रेगिस्तान कहाँ पर स्थित है?

इसे सुनेंरोकेंजम्मू एवं कश्मीर के पूर्व में बृहत् हिमालय में स्थित लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान है (चित्र 9.4)। इसके उत्तर में काराकोरम पर्वत श्रेणियाँ एवं दक्षिण में जास्कर पर्वत स्थित है। लद्दाख से होकर अनेक नदियाँ बहती हैं, जिनमें सिंधु नदी प्रमुख है।

देश में ठंडे मरुस्थल कहाँ है?

इसे सुनेंरोकेंSolution. भारत में ठंडा मरुस्थल कश्मीर हिमालय के उत्तरी – पूर्वी भाग में लद्दाख श्रेणी पर है जो वृहत हिमालय और काराकोरम श्रेणियों के बिच स्थित है। इस क्षेत्र की मुख्य श्रेणियाँ कराकोरम, लद्दाख, जास्कर और पीरपंजाल हैं।

निम्नलिखित में से ठंडा रेगिस्तान कौन है?

इसे सुनेंरोकेंलद्दाख भारत का एकमात्र ठंडा रेगिस्तान है, जो हिमालय में स्थित है। यह मानसून से प्रभावित नहीं होता क्योंकि यह हिमालय के वर्षा छाया क्षेत्र में स्थित है।

दिन गर्म और रातें ठंडी क्यों होती है?

इसे सुनेंरोकेंरेत ऊष्मा की अच्छी अवशोषक है जो दिन में सूर्य की ऊष्मा को अवशोषित करके गर्म हो जाती है तथा रात में अधिक ऊष्मा विकिरण द्वारा खोकर ठंडी हो जाती है। जिस कारण रेगिस्तान दिन में गर्म और रात में ठंडा रहता है।

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रेगिस्तान में तापमान कितना होता है?

इसे सुनेंरोकेंऔसत उच्च तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस या 100.4 से 104.0 डिग्री फारेनहाइट सबसे ज्यादा महीना के दौरान रेगिस्तान में लगभग हर जगह बहुत उच्च ऊंचाई के अलावा।

लद्दाख कौन से देश में पड़ता है?

लद्दाख़

लद्दाख Ladakhदेशभारतकेन्द्र-शासित प्रदेश31 अक्तूबर 2019राजधानीलेह। लद्दाख का कुल क्षेत्रफल 1,66,698 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें से 59,146 वर्ग किलोमीटर क नियंत्रण में है।बाकि क्षेत्र पाकिस्तान और चीन के अवैध कब्जे में है।ज़िले2 लेह कारगिल

लद्दाख कौन से राज्य में है?

इसे सुनेंरोकेंलद्दाख डोगरा शासन के तहत आया और 1846 में जम्मू और कश्मीर राज्य में शामिल किया गया था।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मरुस्थल कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंयदि इनमें शीत मरुस्थल (cold desert) को भी शामिल किया जाए तो क्षेत्रफल की दृष्टि से अंटार्कटिक मरुस्थल (13,829,430 वर्ग किमी.) तथा आर्कटिक मरूस्थल (13,726,937) का क्रमशः पहला और दूसरा स्थान होगा जबकि सहारा मरुस्थल तीसरे क्रम पर आएगा।

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ठंडे मरुस्थल कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंगोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में से एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है।

क्यों लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंलद्दाख को ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है, क्योंकि लद्दाख ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यहाँ का तापमान अत्यंत ठंडा होता है। यहाँ पर दिन के समय तापमान शून्य डिग्री के ऊपर होता है जबकि रात के समय -३० डिग्री के नीचे गिर जाता है।

इसे सुनेंरोकेंगोबी मरुस्थल, चीन और मंगोलिया में स्थित है। यह विश्व के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है। गोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में से एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है।

रेगिस्तान में मकान कैसे होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंरेगिस्तान के ग्रामीण इलाकों में भी घरों को धूप से तपी मिट्टी की ईंटों से बनाया जाता है। क्योंकि यहां बारिश नहीं होती है इसलिए ईंटों का जलसह (वॉटरप्रूफ) होना आवश्यक नहीं होता है। रेगिस्तानी में बसे जैसलमेर शहर के मकानरेगिस्तान में घर बनाने में जानवरों की खाल, लकड़ी और कपड़ों का उपयोग किया जाता है।

भारत का सबसे ठंडा रेगिस्तान कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंलद्दाख को भारत का कोल्ड डेजर्ट यानी ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है और यहां जाना किसी भी टूरिस्ट के लिए कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस होता है।

मरुस्थल एक अनुर्वर क्षेत्र का भूदृश्य है जहाँ कम वर्षण होती है और इसके परिणाम स्वरूप, रहने की स्थिति पौधे और पशु जीवन के लिए प्रतिकूल होती है। वनस्पति की कमी के कारण भूमि की असुरक्षित सतह अनाच्छादन की स्थिति में आ जाती है। पृथ्वी की सतह का लगभग एक तिहाई भाग शुष्क या अर्ध-शुष्क है। इसमें अधिकांश पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्र शामिल हैं, जहां कम वर्षा होती है, और जिन्हें कभी-कभी ध्रुवीय मरुस्थल या "शीतल मरुस्थल" कहा जाता है। मरुस्थलों को गिरने वाली वर्षा की मात्रा, प्रचलित तापमान, मरुस्थलीकरण के कारणों या उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

मरुस्थल का निर्माण अपक्षय प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता है क्योंकि दिन और रात के बीच तापमान में बड़े बदलाव चट्टानों पर तनाव डालते हैं, जिसके परिणामस्वरूप टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। यद्यपि मरुस्थल में प्रायः ही कभी वर्षा होती है, कभी-कभी मूसलाधार वर्षा होती है जिसके परिणामस्वरूप अचानक बाढ़ आ सकती है। गर्म चट्टानों पर गिरने वाली वर्षा उन्हें चकनाचूर कर सकती है, और परिणामी टुकड़े और मलबे जो मरुस्थल पर बिखरे हुए हैं, हवा से और अधिक नष्ट हो जाते हैं। यह रेत और धूल के कणों को उठाता है, जो लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं - कभी-कभी रेत के तूफ़ान या धूल के तूफान का कारण बनते हैं। हवा में उड़ने वाले रेत के दाने अपने रास्ते में किसी भी ठोस वस्तु से टकराकर सतह को तोड़ सकते हैं। चट्टानों को चिकना कर दिया जाता है, और हवा रेत को एक समान जमा में बदल देती है। दाने रेत की समतल चादर के रूप में समाप्त हो जाते हैं या लहराते रेत के टीलों में ऊंचे ढेर हो जाते हैं। अन्य मरुस्थल समतल, पथरीले मैदान हैं जहाँ सभी महीन सामग्री को उड़ा दिया गया है और सतह में चिकने पत्थरों की मोज़ेक है। इन क्षेत्रों को मरुस्थलीय पथ के रूप में जाना जाता है, और थोड़ा और क्षरण होता है। अन्य मरुस्थलीय विशेषताओं में उजागर बेडरॉक और एक बार बहते पानी द्वारा जमा की गई मिट्टी शामिल हैं। अस्थायी झीलें बन सकती हैं और पानी के वाष्पित होने पर नमक के मैदान छोड़े जा सकते हैं। जल के भूमिगत स्रोत, झरनों के रूप में और जलभृतों से रिसने के रूप में हो सकते हैं। जहाँ ये पाए जाते हैं, वहाँ मरूद्यान हो सकते हैं।

मरुस्थलों को वर्षा, औसत तापमान, साल में बिना वर्षा (या हिमपात) के दिनों की संख्या इत्यादि के आधार पर बांटा जा सकता है। भारत का थार मरुस्थल एक ऊष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है जिसके कारण ही यह रेतीला भी है।

वर्षा तथा हिमपात के कुल को जलपात कहते हैं। यदि किसी क्षेत्र का जलपात 200 मिलिमीटर से भी कम हो तो वह एक प्रकार का प्रदेश है। इसी प्रकार 250-500 मिलिमीटर तक के क्षेत्र को अलग वर्ग में रखा जा सकता है। इसी प्रकार अन्य क्षेत्र भी वर्गीकृत किए जा सकते हैं।

इन क्षेत्रों को तापमान की दृष्टि से भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

जब एक विशाल पर्वत वर्षा के बादलों को आगे की दिशा में बढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है तब उसके आगे का प्रदेश वृष्टिहीन हो जाता है और इसे वृष्टिछाया क्षेत्र कहते हैं।

अधिक ऊंचे पर्वतों (जैसे कि हिमालय) पर वर्षा नहीं होती इसलिए इन्हें भी मरुस्थल का श्रेणी में रखा जाता है।

मरुस्थल का सामान्य गुण तो यह है कि इसमें वर्षा कम होती है। ये क्षेत्र प्रायः विरल आबादी, नगण्य वनस्पति, पतो की जगह काटें, जल के स्त्रोतों की कमी, जलापूर्ति से अधिक वाष्पीकरण हैं। विश्व के केवल 20% मरुस्थल रेतीले हैं। रेत प्रायः परतों में बिछी होती है। रेतीले क्षेत्रों के दैनिक तापमान में बहुत विविधता होती है। लगभग सभी मरुस्थल समतल हैं। कुछ में टीले भी बनते है परंतु रेत के होने के साथ वो बनते व नष्ट होते रहते है ।

भारत का सबसे ठंडा मरुस्थल कहाँ है?

भारत का ठंडा रेगिस्तान – लद्दाख भारत का सबसे ठंडा रेगिस्तान लद्दाख क्षेत्र है। इसे चट्टानी धरती अथवा अनेक दर्रों वाली भूमि भी कहते हैं। लद्दाख का क्षेत्रफल 1,17,000 वर्ग किलोमीटर है

दुनिया का सबसे ठंडा मरुस्थल कौन सा है?

अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड इसी तरह के रेगिस्तान हैं। अंटार्कटिका तो दुनिया का सबसे ठंडा और सबसे शुष्क रेगिस्तान माना जाता है।

कौन सा भारतीय ठंडा रेगिस्तान है?

लद्दाख को भारत का कोल्ड डेजर्ट यानी ठंडा रेगिस्तान भी कहा जाता है और यहां जाना किसी भी टूरिस्ट के लिए कभी न भूलने वाला एक्सपीरियंस होता है.

भारतीय शीत मरुस्थल का क्या नाम है?

थार मरूस्थल भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर भाग में, प्रायः २००,००० वर्ग किलोमीटर मेंं फैला एक विशाल शुष्क क्षेत्र है। यह भारत-पाक सीमा पर स्थित है और संसार के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है।