एकाधिकार क्या है अल्प अवधि में एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? - ekaadhikaar kya hai alp avadhi mein ekaadhikaar ke antargat mooly ka nirdhaaran kis prakaar kiya jaata hai?

एकाधिकार क्या है अल्प अवधि में एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? - ekaadhikaar kya hai alp avadhi mein ekaadhikaar ke antargat mooly ka nirdhaaran kis prakaar kiya jaata hai?

एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य निर्धारण | एकाधिकारी कीमत निर्धारक

  • एकाधिकार में कीमत एवं उत्पादन निर्धारण (एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य निर्धारण )–
  • अल्पकाल में संतुलन–
    • कुल आगम एवं लागत विधि-
    • (2) सीमांत तथा औसत वक्र विधि–
      • अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक

एकाधिकार में कीमत एवं उत्पादन निर्धारण (एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य निर्धारण )–

एकाधिकारी के संतुलन अथवा एकाधिकारी के अंतर्गत कीमत निर्धारण-

अल्पकाल में संतुलन–

अल्पकाल में एकाधिकार के संतुलन थी अथवा कीमत तथा उत्पादन निर्धारण की निम्न दो रीतियां हैं- (1) कुल आगम तथा कुल लागत वक्र विधि, (2) सीमांत विश्लेषण रीति अथवा सीमांत तथा औसत वक्र विधि।

  1. कुल आगम एवं लागत विधि-

इस नीति के अंतर्गत एकाधिकारी के कुल आगम तथा कुल लागत की तुलना की जाती है और दोनों में कितना अंतर है यह देखा जाता है जहां कुल आगम (TR) तथा कुल लागत (TC) के बीच की दूरी अधिकतम होगा। वहां पर एकाधिकारी का लाभ अधिकतम होती है। इसे निम्न चित्र में दर्शाया गया है। चित्र में TC कुल लागत तथा TR कुल आगम (आय) वक्र है।

एकाधिकार क्या है अल्प अवधि में एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? - ekaadhikaar kya hai alp avadhi mein ekaadhikaar ke antargat mooly ka nirdhaaran kis prakaar kiya jaata hai?

चित्र से स्पष्ट है कि एकाधिकारी यदि OQ मात्रा का उत्पादन करता है, तू इस उत्पादन की मात्रा पर उसके लाभ अधिकतम हैं क्योंकि OQ उत्पादन की मात्रा पर कुल लागत और कुल व्यय के बीच की दूरी सर्वाधिक है जो कि गन्ना उत्पादन की मात्राओं OQ 1 और OQ 2 पर कम है। TC और TRके बीच की दूरी को संलग्न चित्र में खड़ी रेखा के द्वारा दर्शाया गया है। स्पष्ट है कि OQ उत्पादन की मात्रा पर TC और TR के बीच की दूरी NN 1 है। यदि एकाधिकार OQमात्रा से कम या अधिक उत्पादन करेगा तो उसके लाभ में कमी आ जाएगी क्योंकि इस बिंदु के बाद TR देखा नीचे की ओर गिरने लगती है। और OQ से पहले यह ऊपर चल रही है किंतु अधिकतम नहीं है। यह OQ उत्पादन मात्रा के ठीक ऊपर N1 बिंदु पर अधिकतम है। चित्र से स्पष्ट है कि बिंदु R और S पर TC रेखा को काटती है जिसका अर्थ है कि इन बिंदुओं पर कुल लागत और कुल आय बराबर है। इन बिंदुओं का एकाधिकार को केवल सामान्य लाभ या शून्य लाभ ही मिल पाता है। अतः एकाधिकारी OQ उत्पादन मात्रा उत्पादित कर अपने लाभ को अधिकतम करेगा।

कुल लागत एवं कुल आगम की रीति अधिक सुविधाजनक नहीं है। इसका कारण यह है कि TC और TR के बीच की दूरी को प्राय: ठीक प्रकार से ज्ञात नहीं किया जा सकता है साथ ही इस रीति मैं इस बात की जानकारी भी नहीं मिल पाती है कि एकाधिकारी किस कीमत पर अधिकतम लाभ प्राप्त करेगा।

(2) सीमांत तथा औसत वक्र विधि

इस रीति को सीमांत विश्लेषण रीति भी कहते हैं। इस प्रकार रीति को सर्वप्रथम प्रस्तुत करने का श्रेय जॉन रॉबिंसन को है। उनके अनुसार, एकाधिकार को उस बिंदु पर कीमत निर्धारित करनी चाहिए जहां सीमांत लागत (MC) सीमांत आय (MR) के बराबर हो जाए और जहां MC वक्र MR वक्र को नीचे से काटे। यही बिंदु साम्य का बिंदु होता है।

एकाधिकारीको संतुलन के लिए अथवा एकाधिकारी को अधिकतम लाभ के लिए निम्न शर्तों का पूर्ण होना आवश्यक है-

  • सीमांत लागत = सीमांत आय (MC = MR)
  • संतुलन बिंदु के बाद सीमांत लागत सीमांत आय से अधिक हो। अर्थात MC वक्र को नीचे से काटे और उस बिंदु के बाद MR वक्र के ऊपर हो जाए।
  • अल्पकाल में कीमत और शर्ट परिवर्तनशील लागत के बराबर या उससे अधिक होनी चाहिए।

जब हम अल्पकाल में एकाधिकार के संतुलन या एकाधिकार के अंदर कीमत निर्धारण की व्याख्या करेंगे फोन पर एकाधिकार के अंतर्गत एकाधिकारी फर्म के सामने तीन स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं- 1. आसामान्य लाभ की स्थिति; 2. सामान्य लाभ या शून्य लाभ की स्थिति; 3. हानि की स्थिति।

  1. असामान्य लाभ की स्थिति-एकाधिकारी कव्वाल पकाल में असामान्य लाभ हो सकता है। एकाधिकारी के असामान्य लाभ की स्थिति को अग्र चित्र के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

एकाधिकार क्या है अल्प अवधि में एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? - ekaadhikaar kya hai alp avadhi mein ekaadhikaar ke antargat mooly ka nirdhaaran kis prakaar kiya jaata hai?

चित्र में MC सीमांत लागत रेखा तथा AC औसत लागत रेखा है। AR औसत आयु वक्र तथा MR सीमांत आय वक्र है। MC रेखा MR को बिंदु E पर काटती है। अतः E बिंदु एकाधिकारी के साम्य का बिंदु है। इस E बिंदु के अनुसार, एकाधिकारी वस्तु की OQ मात्रा का उत्पादन करता है और वस्तु की कीमत OP 2 अथवा QE 2 के बराबर निर्धारित करता है। या जानने के लिए कि एकाधिकारी को लाभ हो रहा है या हानि हमें एकाधिकारी की औसत लागत की स्थिति को देखना होता है। चित्रानुसार एकाधिकारी फर्म का औसत लागत वक्र AC है। तथा का औसत आय वक्र AR है। AC वक्र के नीचे स्थित है। इसका अर्थ है कि धर्म की लागत या ए औसत लागत फर्म की औसत आय से कम है या वस्तु की कीमत की तुलना में कम है। दूसरे शब्दों में AC तथा AR वक्रों के बीच की दूरी एकाधिकारी खिलाफ की मात्रा को दर्शाती है उनके नाम चित्र से स्पष्ट है कि जब एकाधिकारी वस्तु की OQ माता का उत्पादन करता है। तब AC और AR के बीच की दूर E 1 E 2 है। यह एकाधिकारी के प्रति इकाई लाभ को बताती है। कुछ लाभ को या एकाधिकारी के कुल असामान्य लाभ को जानने के लिए प्रति का लाभ E 1 E 2 में उत्पादन की कुल मात्रा OQ से गुणा किया जाता है पानी राम अर्थात OQ × E 1 E 2 संक्षेप में-

 कीमत = OE2

उत्पादन की मात्रा = OQ 2

कुल लाभ PE1 E2 P1 क्षेत्रफल

इस प्रकार एकाधिकारी को  असामान्य लाभ प्राप्त हो रहा है

(2) सामान्य या शून्य लाभ-एकाधिकारी को खाने सामान्य शून्य लाभ भी मिल सकता है। जब वस्तु की कीमत या फर्म की और सदाय, लागत के बराबर होती है तब एकाधिकारी को सामान्य लाभ मिलता है। इस स्थिति को संलग्न क्षेत्र से दर्शाया गया है।

एकाधिकार क्या है अल्प अवधि में एकाधिकार के अंतर्गत मूल्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाता है? - ekaadhikaar kya hai alp avadhi mein ekaadhikaar ke antargat mooly ka nirdhaaran kis prakaar kiya jaata hai?

चित्र में MC रेखा MR वक्र को बिंदु E पर काटती है। अतः बिंदु E साम्य का बिंदु है। जिस पर एकाधिकारी वस्तु की OQ माता उत्पादित कर रहा है। और कीमत OE1 या OP निर्धारित करता है। चित्र से स्पष्ट है कि औसत लागत वक्र AC औसत आय वक्र AR को E1 बिंदु पर स्पर्श करता है। अतः E1 बिंदु पर औसत लागत एवं औसत आय आपस में बराबर है।AC = AR इसका अर्थ है कि एकाधिकारी की औसत लागत एवं उसकी आवश्यकताएं में कोई अंतर नहीं है जिससे उसको न असामान्य लाभ मिल रही है और हानि। एकाधिकारी को यहां पर सामान्य या शून्य लाभ प्राप्त होते हैं।

संक्षेप में,

कीमत =QE 1

उत्पादन की मात्रा = OQ

हानि- अल्पकाल में एकाधिकारी को हानि भी हो सकती है। वह सदैव धनात्मक लाभ ही अर्जित नहीं करता। हो सकता है कि एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु की मांग अपर्याप्त हो तो ऐसी स्थिति में आवश्यक नहीं है कि एकाधिकारी धनात्मक लाभ अर्जित करें। उसे हानि भी हो सकती है और हानि का प्रमुख कारण उसकी वस्तु की मांग का घटना है। किंतु ऐसा बहुत कम होता है। फिर भी हम एकाधिकारी की हानि की स्थिति की व्याख्या करेंगे। माना कि एकाधिकारी अपनी वस्तु को बेचने के लिए कीमत कम करता है और कीमत घटते घटते जब वस्तु की औसत लागत से भी कम हो जाती है तो ऐसी दशा में एकाधिकारी को हानि होती है। क्योंकि कीमत लागत से कम है। इस स्थिति को संलग्न चित्र में MC रेखा MR वक्र को E बिंदु पर काटती है। अतः E बिंदु एकाधिकारी के साम्य का बिंदु है। इस बिंदु पर एकाधिकारी वस्तु की OQ मात्रा का उत्पादन करता है। वस्तु की कीमत QE या OP निर्धारित होती है। इस कीमत पर वस्तु की औसत लागत QE 2 है। इस कीमत पर वस्तु की औसत लागत QE2 है जब की वस्तु की कीमत QE1जिसे एकाधिकारी की औसत आय भी कह सकते हैं। स्पष्ट है कि कीमत (QE 1 ) लागत (QE 2 ) से कम है। अर्थात लागत अधिक है। अतः एकाधिकारी को हानि होगी। यह हानि चित्र में प्रदर्शित क्षेत्र PE 1 E2 P 1 क्षेत्र की बराबर है।

अब प्रश्न ये उठता है कि क्या हां की स्थिति में भी एकाधिकारीअपने उत्पादन को जारी रखेगा। इसके उत्तर में यह कहा जा सकता है कि यदि उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं की कीमत आवश्यक परिवर्तन लागत (AVC) से अधिक है तो हानि की स्थिति में भी वह उत्पादन जारी रखेगा। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यदि उसकी हानि उसकी कुल स्थिर लागतो (TFC) से अधिक हो जाती है तो अल्पकाल में वह उत्पादन बंद कर देगा। इस स्थिति को संलग्न चित्र के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

एकाधिकार की उपयुक्त स्थिति को समझने के लिए हमें AVC वक्र को प्राप्त करना होगा। चित्र में AVC एकाधिकारी का औसत परिवर्तनशील लागत वक्र है। चित्र से ज्ञात होता है कि एकाधिकार की औसत परिवर्तनशील लागत OE 3 है। जबकि उसकी वस्तु की कीमत QE1. है। अतः कीमत QE1 औसत परिवर्तनशील लागत QE3 से अधिक है। अतः एकाधिकारीअल्पकाल में हार की स्थिति में भी अपने उत्पादन को जारी रखेगा क्योंकि उसे समस्त परिवर्तनशील लागत और स्थिर लागत का कुछ भाग तो प्राप्त हो रहा है। किन्तु यदि कीमत कम होते- होते AVC से भी कम रह जाए अर्थात AVC वक्र भी AR वक्र के ऊपर चला जाए तो एकाधिकारी अल्पकाल में उत्पादन बंद कर देगा।

अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक
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उनके अनुसार, एकाधिकार को उस बिंदु पर कीमत निर्धारित करनी चाहिए जहां सीमांत लागत (MC) सीमांत आय (MR) के बराबर हो जाए और जहां MC वक्र MR वक्र को नीचे से काटे। यही बिंदु साम्य का बिंदु होता है। संतुलन बिंदु के बाद सीमांत लागत सीमांत आय से अधिक हो। अर्थात MC वक्र को नीचे से काटे और उस बिंदु के बाद MR वक्र के ऊपर हो जाए।

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