एक शिक्षक के रूप में आप अपने छात्रों में लिंग एवं लैंगिक की धारणाओं को करने की क्षमता कैसे विकसित करें? - ek shikshak ke roop mein aap apane chhaatron mein ling evan laingik kee dhaaranaon ko karane kee kshamata kaise vikasit karen?

लड़कियों को शिक्षा, कौशल विकास, खेल कूद में भाग लेने एवं सशक्त कर के ही हम उन्हें समाज मैं महत्व दे सकते हैं .

लड़कियों को सशक्त कर के ही अल्पकालिक कार्यों जैसे सभी को शिक्षाखून की कमी (एनीमिया)अन्य मध्यम अवधि कार्यक्रम जैसे बाल विवाह को समाप्त करना एवं अन्य दीर्घकालिक कार्यक्रम जैसे लिंग आधारित पक्षपात चयन करना आदि को समाप्त करने में हम सामूहिक रूप से विशिष्ट रूप से योगदान कर सकते हैं.

उद्धरण :

समाज में लड़कियों के महत्व को बढ़ाने के लिए पुरुषों, महिलाओं और लड़कों सभी को संगठित रूप मिलकर चलना होगा. समाज  की धारणा व सोच बदलेगी, तभी भारत की सभी लड़कियों और लड़कों  को  लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए केंद्रित निवेश और सहयोग की आवश्यकता है। उन्हें शिक्षा, कौशल विकास के साथ साथ सुरक्षा प्रदान करना होगा तब ही वे देश के विकास में युगदान कर सकेंगी.   

लड़कियों को दैनिक जीवन में जीवन-रक्षक संसाधनों, सूचना और सामाजिक नेटवर्क तक पहुंचने काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता.

 लड़कियों को विशेष रूप से केंद्रित कर बनाए कार्यक्रमों जैसे शिक्षा, जीवन कौशल विकसित करने, हिंसा को समाप्त करने और कमजोर व लाचार समूहों से लड़कियों के योगदान को स्वीकार कर उनके पहुँच इन कार्यकमों तक करा कर ही हम लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बना सकेंगे.

लड़कियों को आधारित कर बनाई गई दीर्घकालिक योजनाओं से ही हम उनके जीवन में संभावनाएँ उत्पन्न करता है .

 हमने  लड़कियो को एक प्लैटफ़ार्म देना होगा जहाँ वे अपनी चुनोतीयों को साझा कर साथ ही साथ एक विकल्प तलाश कर सकें उन चुनोतियों के लिए. जिससे की समाज में उनका बेहतर भविष्य बन सके . 

यूनिसेफ इंडिया द्वारा देश के लिए 2018-2022 कार्यक्रम का निर्माण किया गया है जिसके तहत बच्चों को हो रहे अभाव एवं लिंग आधारित विकृत्यों को चिन्हित करने के साथ ही सभी को लिंग समानता पर विशेष बल देते हुए कार्यक्रम के परिणाम एवं बजट को तय किया गया है. जोकि इस प्रकार है :-

• स्वास्थ्य: महिलाओं के अत्यधिक मृत्यु दर को पांच के नीचे ले जाना तथा लड़कियों और लड़कों के के प्रति समान व्यवहार व देखभाल की मांग का समर्थन करना। (जैसे कि फ्रंट-लाइन कार्यकर्ता परिवार में बीमार बच्चियों को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए प्रोत्साहित करें)

पोषण: महिलाओं और लड़कियों के पोषण को सुधारना, विशेष रूप से पुरुषों एवं महिलाओं को एक समान भोजन करना. उदाहरण के तौर पर : महिला सहकारी समितियां द्वारा मैक्रो योजनाओं का निर्माण कर गाँव में बेहतर पोषण व्यवस्था कार्यान्वित करना चाहिए.

• शिक्षा: पाठ्यक्रम में अधिक से अधिक लिंग समानता संबंधित बातें सिखाना चाहिए जिससे कि लड़कियां और लड़के को लैंगिक समानता व संवेदनशीलता के बारे में जानकारी होनी चाहिए.

(उदाहरण: कमजोर लोगों की पहचान करने के लिए नई रणनीति लागू करना  चाहिए, पाठ्यपुस्तक में ऐसी तस्वीरों, भाषाओं और संदेश को हटा देना चाहिए जिससे रूढ़िवादी लिंग असमानता की झलक नहीं आती है.

• बाल संरक्षण: बल विवाह की प्रथा को समाप्त करना (उदाहरण के तौर पर : पंचायतों को "बाल-विवाह मुक्त" बनाने के लिए, लड़कियों और लड़कों के लिए क्लबों की सुविधा देना जिससे जो लड़कियों को खेल, फोटोग्राफी, पत्रकारिता और अन्य गैर-पारंपरिक गतिविधियाँ सिखा सके)

• वॉश: मासिकधर्म के दौरान सफाई रखना (मासिकधर्म स्वच्छता प्रबंधन) के बारे में जानकारी देना, स्कूलों में सभी सुविधा वाला साफ़ एवं अलग अलग शौचालयों का निर्माण (उदाहरण: स्वच्छ भारत मिशन दिशानिर्देश पर लिंग आधारित मार्गदर्शिका को विकसित करना, राज्यों के एमएचएम नीति को समर्थन देना)

• सामाजिक नीति: राज्य सरकारों को जेंडर रेस्पोंसिव कैश कार्यक्रमों को विकसित करने में समर्थन देना, स्थानीय शासन में महिलाओं नेतृत्व को समर्थन देना  (उदाहरण: पश्चिम बंगाल में जेंडर रेस्पोंसिव कैश कार्यक्रम चलाया जा रहा लड़कियों को स्कूल जारी रखने के लिए प्रेरित करने के उद्देश से, झारखंड में महिला पंचायत नेताओं के लिए संसाधन केंद्र का निर्माण )

• आपदा जोखिम न्यूनिकरण: आपदा जोखिम न्यूनिकरण में कमी लाने के लिएअधिक से अधिक महिलाओं और लड़कियों को जोड़ना (उदाहरण: ग्राम आपदा प्रबंधन समितियों में अधिक से अधिक महिलाओं का नेतृत्व और भागीदारी)

इसके अलावा, तीन क्रॉस-कटिंग थीम सभी परिणामों का समर्थन करेगा :

• संयुक्त C4D- लैंगिक रणनीति: यूनिसेफ का संचार विकास (C4D) टीम सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन के संप्रेषण विकसित करता है. जोकि असमान सामाजिक प्रथाओं को बदलने में बदलने में मद्द करता है .

 • लड़कियों के समान अधिकार को समर्थन व बढ़ावा देना: यूनिसेफ क्मुनिकेशन अड्वोकसी एंड पार्टनरशिप टीम मीडिया, इन्फ़्लुइंसर व गेमचेंजर के साथ   साझेदारी में काम करती है, 2018-2022 के कार्यक्रम में लड़कियों और लड़कों के समान अधिकार और महत्व को शामिल किया गया है..

• लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षित को बढ़ाने के साथ साथ बेहतर बनाना: यूनिसेफ इंडिया ने कुछ राज्यों में महिलाओं और लड़कियों की क्षमता विकास और स्वतंत्रता में सुधार के लिए नए भागीदारों के साथ कई  कार्यक्रमों पर काम करना शुरू किया है, जिससे वे  स्कूलों और अस्पतालों में सरकारी सेवाएं कर सकेंगी ।

रणनीतिक साझेदारी

यूनिसेफ इंडिया द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर समर्थित मुख्य साझेदार/पार्टनर में महिला एवं बालविकास मंत्रालय शामिल है और विशेष रूप से बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में इसका नेतृत्व | लैंगिक समानता को समर्थन देने के लिए यूनिसेफ इंडिया अन्य यूएन संस्थाओं के साथ करीबी रूप से काम कर रही है जिस मे मुख्य रूप से यूएन पापुलेशन फण्ड और यूएन वीमेन शामिलहैं| लैंगिक विशेषज्ञ और सक्रिय कार्यकर्ताओं सहित नागरिक संगठन भी मुख्य सहयोगी हैं| 

एक शिक्षक के रूप में आप छात्रों में राष्ट्रीय लिंग और कामुकता को संभालने की क्षमता का विकास कैसे करेंगे?

शिक्षक / शिक्षिका लड़के एवं लड़कियों के मध्य स्वथ्य अंतःक्रिया को प्रोत्साहित करें । विद्यार्थियों को समूह आधिन्यास दिया जाए तथा लड़के एवं लड़कियों को समूह में कार्य करने के लिए प्रेरित करें । कक्षा में कार्यों का बँटवारा लड़के एवं लड़कियों के मध्य समान रूप से होना चाहिए ।

अध्यापक शिक्षा में जेंडर शिक्षा का क्या महत्व है?

1. लैंगिक अध्ययन से अध्यापकों को इस बात की जानकारी होती है कि कक्षा-कक्ष में लिंग आधारित विषय सामग्री को किस प्रकार विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत करना है। 2. लैंगिक अध्ययन द्वारा ही अध्यापक लिंग समानता पर आधारित शिक्षण विधियों का प्रयोग कर बालक व बालिका दोनों की शिक्षा में समान सहभागिता निश्चित कर सकते हैं।

लैंगिक असमानता को कैसे समाप्त किया जा सकता है?

लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये कानूनी प्रावधानों के अलावा किसी देश के बजट में महिला सशक्तीकरण तथा शिशु कल्याण के लिये किये जाने वाले धन आवंटन के उल्लेख को जेंडर बजटिंग कहा जाता है। दरअसल जेंडर बजटिंग शब्द विगत दो-तीन दशकों में वैश्विक पटल पर उभरा है। इसके ज़रिये सरकारी योजनाओं का लाभ महिलाओं तक पहुँचाया जाता है।

विद्यालय में बालक बालिकाओं में समानता लाने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?

वे विद्यालय में बच्चों के रोल मॉडल होते है । विद्यार्थी द्वारा उनका ही अनुसरण करते है। शिक्षक को विद्यालय में जेण्डर संवेदनशीलता के लिए कार्यकर्ता के रूप में कार्य करना होगा। स्वयं उन्हें इसके लिए मानसिक रूप से तैयार करना होगा, जिससे वे समानता का वातावरण विद्यालय में उत्पन्न कर सकें ।