छत्तीसगढ़ के साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ Show रतनपुर के गोपाल मिश्र हिन्दी काव्य परम्परा की दृष्टि से छत्तीसगढ़ के वाल्मिकी हैं। छत्तीसगढ़ी की प्रथम समीक्षात्मक रचना डॉ॰ विनय कुमार पाठक की "छत्तीसगढ़ी साहित्य अऊ साहित्यकार" है।
छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं:
Skip to content प्रकाशन- सन 2000 1926 में प्रकाशित हीरू के कहिनी पांडेय बंशीधर शर्मा द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी का प्रथम उपन्यास है। पांडेय बंशीधर शर्मा बालपुर के प्रख्यात पांडेय परिवार से संबंध रखते हैं। स्वर्गीय लोचन प्रसाद पांडेय उनके अग्रज और स्वर्गीय मुकुटधर पांडेय उनके अनुज थे। सन 1892 से सन 1971 तक की उन्यासी वर्षों की अपनी जीवन
यात्रा में पांडेय बंशीधर शर्मा ने तीन कृतियों की रचना की। उनकी अन्य दो कृतियां गजेंद्र मोक्ष (उड़िया भाषा में भागवत कथा पर आधारित गेय काव्य) एवं विश्वास का फल (अप्रकाशित हिंदी नाटक) हैं। मात्रा की दृष्टि से उनका लेखन बहुत कम है पर महत्व की दृष्टि से ऐसा नहीं है। पांडेय जी की रचनाएं विलक्षण रूप से मौलिक हैं।बतौर साहित्यकार ही नहीं बतौर साहित्य प्रेमी भी पांडेय बंशीधर शर्मा ने हिंदी साहित्य की बड़ी सेवा की है। मुरली, मुकुट और लोचन की तिकड़ी को पारिवारिक दायित्वों से पूर्णतया मुक्त रखकर साहित्य सेवा
में लगने की प्रेरणा देने का महान दायित्व बंशीधर जी ने ही निभाया। ऐसा करके शायद उन्होंने अपनी साहित्यिक प्रतिभा के साथ अन्याय ही किया। छत्तीसगढ़ी की प्रथम कहानी कौन सी है?प्रथम छत्तीसगढ़ी कहानी "सुरही गइया" है, इसके कहानीकार पं. सीताराम मिश्र हैं। प्रथम छत्तीसगढ़ी प्रबन्ध कव्य ग्रन्थ छत्तीसगढ़ दानलीला है, इसके रचनाकार पं. सुन्दरलाल शर्मा हैं।
छत्तीसगढ़ी के प्रथम कवि कौन थे?✎... छत्तीसगढ़ी कविता के प्रथम रचनाकार पंडित सुंदरलाल शर्मा हैं। पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर स्थित चित्रोत्पला के ग्राम चमसूर में हुआ था। उनका जन्म 21 जनवरी से 1881 ईस्वी को तथा मृत्यु 28 दिसंबर 1940 ईस्वी को हुई थी।
छत्तीसगढ़ की पहली महिला मंत्री कौन थी?उत्तर-छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण उपरान्त राज्य की प्रथम महिला मंत्री श्रीमती गीता देवी सिंह थी।
प्राचीन छत्तीसगढ़ किसकी रचना है?श्री प्यारेलाल गुप्त अपनी पुस्तक " प्राचीन छत्तीसगढ़" में बड़े ही रोचकता से लिखते है - " छत्तीसगढ़ी भाषा अर्धमागधी की दुहिता एवं अवधी की सहोदरा है " (पृ २१ प्रकाशक रविशंकर विश्वविद्यालय, १९७३)।
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