गुप्त नवरात्रि में कौन सी साधना करें? - gupt navaraatri mein kaun see saadhana karen?

जिस तरह वासंतिक और शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का अर्चन-वंदन सार्वजनिक रूप से किया जाता है; ठीक वैसे ही आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना-आराधन

गुप्त नवरात्रि में कौन सी साधना करें? - gupt navaraatri mein kaun see saadhana karen?

Anuradha Pandeyपूनम नेगी,नई दिल्लीTue, 28 Jun 2022 01:32 PM

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जिस तरह वासंतिक और शारदीय नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का अर्चन-वंदन सार्वजनिक रूप से किया जाता है; ठीक वैसे ही आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना-आराधना गुप्त रूप से की जाती है। इस वर्ष आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 30 जून से 8 जुलाई तक है। गुप्त नवरात्र यंत्र, तंत्र व मंत्र की सिद्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ साधनाकाल माने जाते हैं। ‘श्रीमद्देवीभागवत’, ‘शिव महापुराण’, ‘शिवसंहिता’ और ‘दुर्गासप्तशती’ धर्मग्रंथों में गुप्त नवरात्रों की महत्ता विस्तार से वर्णित है।

गायत्री महाविद्या के महामनीषी पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है कि जहां चैत्र और आश्विन की नवरात्रि साधना जनसामान्य को मां शक्ति की कृपादृष्टि पाने का सुअवसर उपलब्ध कराती है, वहीं ‘गुप्त नवरात्र’ जिज्ञासु साधकों को मंत्र सिद्धि का फलदायी सुअवसर उपलब्ध कराते हैं। रोग-दोष व कष्टों के निवारण और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में किए जाने वाले विविध प्रकार के तांत्रिक अनुष्ठानों के विधान श्रीमद्देवीभागवत महापुराण आदि ग्रंथों में मिलते हैं।

शिव महापुराण में कथा आती है कि आदिकाल में एक बार दैत्यराज दुर्ग ने कठोर तप से ब्रह्मा को प्रसन्न कर युद्ध में देवताओं से अजेय रहने का वर पा लिया था। इसके फलस्वरूप दुर्ग का आतंक तीनों लोकों में फैल गया। तब देवताओं ने दुर्ग के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए आदिशक्ति मां दुर्गा से प्रार्थना की। इस पर आदिशक्ति ने अपने शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगला, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातंगी इन दस महाविद्याओं को प्रकट कर दुर्ग का वध किया। मान्यता है कि तभी से आषाढ़ और माघ माह के गुप्त नवरात्रों में इन दस महाविद्याओं के पूजन की परम्परा शुरू हो गई।

मान्यता है कि गुप्त नवरात्र में दशमहाविद्याओं की साधना करके ही महर्षि विश्वामित्र ऐसी अद्भुत तंत्र शक्तियों के स्वामी बन गए थे कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी। दैत्यगुरु शुक्राचार्य के परामर्श पर मेघनाद ने गुप्त नवरात्र की साधना कर ऐसी अजेय शक्तियां अर्जित कर ली थीं कि भगवान को भी उसके नागपाश में बंधना पड़ा था।

यह समझने की बात है कि दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। किन्तु दमन किसका! किस शत्रु का विनाश! वस्तुत: हमारे असली शत्रु तो हमारे खुद के रोग, दोष, दुर्गुण व दुर्जनता के विकार हैं, जो हमारे जीवन में अड़चनें पैदा करते हैं। यही कारण है कि गुप्त नवरात्र में देवी दुर्गा के कुछ खास मंत्रों के जप का विधान दुर्गासप्तशती में बताया गया है। जैसेकि ‘सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।’ अर्थात सच्चे मन से मां की भावपूर्ण उपासना शत्रु, रोग, दरिद्रता, भय बाधा सभी का नाश कर साधक के जीवन को धन-धान्य तथा पत्नी-संतान के सुख से भर देती है।

गुप्त नवरात्र तांत्रिक साधनाएं करने के लिए जाना जाता है। इस नवरात्रि में विशेष साधक ही आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को सबके सामने उजागर न कर गुप्त रखा जाता है। इस साधना से देवी प्रसन्न होती हैं तथा मनचाहा वर देती हैं।

आमतौर पर हम दो ही नवरात्र जानते हैं एक आश्विन तथा दूसरा चैत्र नवरात्र। ये दोनों नवरात्र प्रकट नवरात्र हैं। इसके अलावा हिन्दू वर्ष में दो गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं एक माघ में और दूसरा आषाढ़ में। आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। इस साल गुप्त नवरात्र 3 जुलाई से शुरू होकर 10 जुलाई तक रहेगा।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुप्त नवरात्रि का महत्व प्रकट नवरात्रि से अधिक होता है। ये नवरात्र साधकों के लिए खास होते हैं। इन समय साधक को सिद्धिया मिलती हैं। इन नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना करके साधक मनोवांछित फल पा सकते हैं। तो आइए हम आपको गुप्त नवरात्र के बारे में बताते हैं।

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गुप्त नवरात्रि और आम नवरात्रि में हैं कुछ खास अंतर

- आम नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों तरह की पूजा होती है लेकिन गुप्त नवरात्रि में अधिकतर तांत्रिक पूजा होती है।

- ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधना जितनी गोपनीय रखी जाती है सफलता उतनी अधिक मिलती है।

- गुप्त नवरात्रि में सामान्यतः साधक अपनी साधना को गोपनीय रखता है और इसकी चर्चा केवल अपने गुरु से करता है।

- जहां नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है उसी तरह गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा होती है। इस समय देवी भगवती के भक्त बेहद कड़े नियमों से देवी की आराधना करते हैं। विधिपूर्वक पूजा-अर्चना देवी से आर्शीवाद लेते हैं।

गुप्त नवरात्रि रखें इन बातों का ख्याल-

1. नवरात्रि शुरु होने से पहले घर और मंदिर को स्वच्छ रखें।

2. पूजा की सामग्री को पहले ही घर में रख लें।

3. इन दिनों घर आई स्त्री का सम्मान करें.

4. प्याज और लहसुन वाले खाने से दूर रहें।

देवी की आराधना-

1. गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की अवतार मां ध्रूमावती, मां काली, माता बगलामुखी, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मातंगी तथा कमला देवी की अराधना होती है।

2. मंदिर में मां दुर्गा के चित्र को स्थापित करें।

3. मंत्र जाप कर छोटी कन्याओं को भोजन कराएं।

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साधक मनोवांछित फल पाने के लिए कुछ खास उपाय भी कर सकते हैं इसके लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। मां के समक्ष घी के दीए जलाएं। ऐसा करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आपने घर में कलश स्थापित किया है तो सुबह-शाम मंत्र जाप, चालीसा और सप्तशती का पाठ जरूर करें। साथ में लौंग तथा बताशे के रूप में प्रसाद चढ़ाएं। यही नहीं माता को प्रसन्न करने के लिए लाल-फूल भी अर्पित कर सकते हैं।

गुप्त नवरात्र तांत्रिक साधनाएं करने के लिए जाना जाता है। इस नवरात्रि में विशेष साधक ही आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को सबके सामने उजागर न कर गुप्त रखा जाता है। इस साधना से देवी प्रसन्न होती हैं तथा मनचाहा वर देती हैं। 

साधक अर्चना के लिए ये तरीके अपनाएं 

तांत्रिक सिद्धियां पाने के लिए यह एक अच्छा अवसर है। इसके लिए किसी सूनसान जगह पर जाकर दस महाविद्याओं की साधना करें। नवरात्रि तक माता के मंत्र का 108 बार जाप भी करें। यही नहीं सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ करें।. ब्रम्ह मुहूर्त में श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ आपको दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्त करता है।

जिस प्रकार शिव के दो रूप होते हैं एक शिव तथा दूसरा रूद्र उसी प्रकार भगवती के भी दूर रूप हैं एक काली कुल तथा दूसरा श्री कुल। काली कुल आक्रमकता का प्रतीक होती हैं और श्रीकुल शालीन होती हैं। काली कुल में महाकाली, तारा, छिन्नमस्ता और भुवनेश्वरी हैं। यह स्वभाव से उग्र हैं। श्री कुल की देवियों में महा-त्रिपुर सुंदरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला हैं। धूमावती को छोड़कर सभी सौंदर्य की प्रतीक हैं।

गुप्त नवरात्रि में साधना कैसे करें?

मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि में कौन सा पाठ करना चाहिए?

गुप्त नवरात्रि में मां दूर्गा की पूजा के साथ -साथ श्री दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र (Argla Strot) का पाठ भी करना चाहिए. इसके पाठ से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं.

गुप्त नवरात्रि में क्या उपाय करना चाहिए?

गुप्‍त नवरात्रि के दिनों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमल का फूल अर्पित करना चाहिए। ... .
गुप्‍त नवरात्रि में धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए चांदी या सोने का सिक्‍का घर पर लाने से बरकत आती है। ... .
अगर आप या आपका कोई परिचित बीमारी से परेशान है तो गुप्‍त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्‍प अर्पित करें।.

नवरात्रि में सिद्धि प्राप्त कैसे करें?

पं. महाकाली,महालक्ष्मी एवं महासरस्वती की आराधना पूजन जप व् मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्रि का समय विशेष रहता है। नवरात्रि में माता की आराधना के साथ ही कई देवता-देवी के मंत्रों की सिद्धियां की जाती है एवं स्वयं की रक्षा के लिए भी सिद्धि की जाती है।