रजनी ने कांग्रेस को एक आम सहमति वाली पार्टी बताया था। तब कांग्रेस के वर्चस्व के कारण विपक्षी दलों का दबाव प्रभावी नहीं रह सका। इस राजनीतिक व्यवस्था में चुनाव के समय दबाव का मार्जिन घटा या बढ़ा। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर खंडित और विभाजित विपक्ष ने कांग्रेस की 'सहमति' को और अधिक वैध बना दिया। यह पुरानी कांग्रेस प्रणाली मोटे तौर पर नेहरू से लेकर नरसिम्हा राव तक चलती रही और आजादी के 50वें वर्ष तक काफी हद तक ध्वस्त हो गई। दो दशकों के संक्रमण के बाद, अब इसकी जगह 'नई भाजपा प्रणाली' ने ले ली है। भाजपा vs अन्य यह शिफ्ट कितना मजबूत है? आम चुनावों में भाजपा-कांग्रेस का वोट शेयर। उधर, 1990 के दशक से देखें तो भाजपा का वोट शेयर लगातार 20 प्रतिशत के ऊपर रहा और पहली बार 2014 के चुनाव में 30 प्रतिशत के आंकड़े को पार किया। पिछले चुनाव में तो भगवा दल 37.6 प्रतिशत पर पहुंच गया। नए इलाकों में विस्तार 2047 तक, ऐसा अनुमान है कि तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बन चुके होंगे। यहां तक कि तमिलनाडु में भी भगवा दल का कमाल देखने को मिल सकता है। मर्जर और अधिग्रहण के चलते भाजपा कमल खिला सकती है जिसके दम पर पूर्वोत्तर में आज उसका प्रभाव दिखता है। आम चुनावों में भाजपा-कांग्रेस का शीट शेयर सामाजिक गठजोड़, हिंदुत्व पर आम सहमति कांग्रेस के अच्छे दिनों में भाजपा के आगे बढ़ने में हिंदुत्व एक बड़ा अवरोधक था। लेकिन विचारधारा अब डिस्क्वॉलिफायर नहीं है। आज यह बीजेपी की कोर ब्रांड का महत्वपूर्ण हिस्सा है और सटीक सामाजिक गठजोड़ के साथ उसका चुनावी रथ आगे बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक रूप से संभावना जताई जा सकती है कि भाजपा अगले दो दशकों तक हिंदुत्व के एजेंडे पर मजबूती से आगे बढ़ेगी। कई महत्वाकांक्षी भाजपा क्षत्रपों के लिए योगी मॉडल एक उदाहरण पेश कर सकता है। भाजपा, आरएसएस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी। आरएसएस से भी बड़ी भाजपा का आरएसएस के साथ लंबा सहजीवी रिश्ता रहा है लेकिन यह आगे बढ़ते हुए काफी हद तक उस निर्भरता को पीछे छोड़ चुकी है। 2014 से 2019 के बीच भाजपा का पांच गुना विस्तार हुआ, यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की साइज से लगभग डबल हो गई। 2019 तक भाजपा में 174 मिलियन सदस्य थे, जो संघ के अनुमानित आकार से 29 गुना है। नई महिला वोटर, सोशल इंजीनियरिंग और ग्रामीण भारत में पैठ बनाने के साथ भाजपा ने 1950 के दशक में कांग्रेस के बाद अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय स्तर का सबसे बड़ा काडर खड़ा कर लिया। भारत के करीब दो तिहाई जिलों में भाजपा ने 522 पार्टी ऑफिस बनाए। ये पार्टी के गहरी पैठ बनाने का महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
नया विपक्ष? हालांकि ऐसा होता है या नहीं, यह कई अलग-अलग फैक्टरों पर निर्भर करेगा। राजनीति में एक हफ्ते का समय भी लंबा टाइम होता है। इतिहासकार ई. एच. कार ने कहा था कि इतिहास की भविष्यवाणी करना 'पार्लर गेम' से ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन भारत के राजनीतिक बदलाव की दिशा स्पष्ट है। |